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भारत में सेना से पृथक है सैन्य पुलिस, जानें कैसे हुई इस दल की उत्पत्ति?

जौनपुर

 11-01-2024 09:23 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

हमारी भारतीय सेना के जवान सीमा पर रहकर बाहरी असामान्य तत्वों से हमारे देश की रक्षा करते हैं। जबकि पुलिस देश के अंदर रहकर सभी असामाजिक एवं अराजक तत्वों से हमारी रक्षा करती है। लेकिन लंबे समय से सेना बनाम पुलिस के बीच उसकी भूमिका और शक्ति को लेकर बहस होती रही है। तो आइए हम आज के अपने इस लेख के माध्यम से सेना एवं पुलिस के कर्तव्यों, अधिकारियों एवं भूमिका में अंतर को सैन्य और पुलिस भूमिकाओं के पृथक्करण के सिद्धांत के माध्यम से समझें और भारत में सैन्य पुलिस की अवधारणा और इसकी उत्पत्ति के बारे में भी जानें। सैन्य और पुलिस भूमिकाओं का पृथक्करण वह सिद्धांत है जिसके द्वारा सैन्य और कानून प्रवर्तन स्पष्ट रूप से विभाजित कर्तव्यों का पालन करते हैं और एक-दूसरे के क्षेत्रों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। जबकि किसी भी देश की सेना का प्राथमिक कर्तव्य एवं उद्देश्य युद्ध लड़ना है, कानून प्रवर्तन का कार्य देश के अंदर घरेलू कानून को लागू करना एवं व्यवस्था बनाए रखना है। दोनों ही संस्थाओं को अपने अपने कार्यों को करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। सैन्य और कानून प्रवर्तन, मौलिक रूप से, अधिकार स्रोत, बल उपयोग के प्रशिक्षण, जांच और अभियोजन के प्रशिक्षण, और कानूनों को लागू करने और नागरिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में भिन्न होते हैं। सैन्य कर्मियों को विदेशी सैन्य खतरों से राष्ट्रीय क्षेत्र की रक्षा करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें दुश्मन को बेहोश करने या अक्षम करने के बजाय मारने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और वे इसी प्रकार के भारी एवं खतरनाक हथियारों से लैस होते हैं।  जबकि कानून प्रवर्तन अधिकारियों के लिए ऐसे कौशलों की आवश्यकता होती है जिनमे नशीली दवाओं की तस्करी, संगठित अपराध या आतंकवाद जैसे खतरों के लिए भी परिष्कृत जांच कौशल और मामले के निर्माण के लिए प्रक्रियाओं के पालन के साथ-साथ अभियोजन और न्यायिक अधिकारियों के साथ घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता होती है। भारत की सेना का गठन 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश राज के तहत तत्कालीन प्रेसीडेंसी सेनाओं (Presidency Forces) का विलय करके और उन्हें ब्रिटिश शासन के अधीन लाकर किया गया था। ब्रिटिश शासन के तहत भारतीय सेना ने दोनों विश्व युद्ध लड़े। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कई युद्धकालीन सैनिकों को हटा दिया गया और इकाइयों को भंग कर दिया गया। कम की गई सशस्त्र सेनाओं को भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित कर दिया गया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद सशस्त्र बलों ने ब्रिटिश भारत की सेना का स्थान ले लिया। भारतीय सशस्त्र बलों ने अब तक पाकिस्तान के विरुद्ध चार युद्ध और 1962 और 1967 में चीन (China) के विरुद्ध दो युद्ध लड़े हैं। भारतीय सेना ने 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध भी लड़ा है, जो इतिहास में सबसे अधिक ऊंचाई पर लड़ा गया पर्वतीय युद्ध था। भारतीय सशस्त्र बलों ने कई संयुक्त राष्ट्र (United Nations) शांति अभियानों में भी भाग लिया है और वर्तमान में विश्व शांति सेना में दूसरे स्थान पर सबसे अधिक भारतीय सैनिक शामिल हैं। ‘भारतीय सैन्य पुलिस दल’ (Corps of Military Police (CMP) भारतीय सेना की सैन्य पुलिस है।
सैन्य पुलिस को युद्धबंदियों को संभालने और यातायात को विनियमित करने के साथ-साथ टेलीफोन एक्सचेंज जैसे बुनियादी दूरसंचार उपकरण को संभालने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। जहाँ सामान्य पुलिस की वर्दी खाकी रंग की होती है, वही सैन्य पुलिस की वर्दी में लाल टोपी, सफेद डोरी और बेल्ट शामिल होती है। इसके साथ ही सैन्य पुलिस अधिकारी काले रंग का भुजबंध भी पहनते हैं जिस पर लाल रंग में MP अंकित होता है। सैन्य पुलिस के विशिष्ट दल के कर्मियों के लिए 'रेड बेरेट' (red berets) शब्द का उपयोग किया जाता है, क्योंकि इस दल के सभी स्तर के कर्मी सफेद बेल्ट के साथ विशेष लाल बेरेट (टोपी) पहनते हैं, जिसके कारण वे सेना के अन्य दलों से अलग दिखाई देते हैं। इस दल की भूमिका मुख्य रूप से सेना संरचनाओं को अपने सैनिकों के अनुशासन के उच्च मानक को बनाए रखने में सहायता करना, विभिन्न नियमों और विनियमों के उल्लंघन को रोकना और गठन के सभी स्तरों के उच्च मनोबल के संरक्षण में सहायता करना है। भारतीय सैन्य पुलिस दल का पहला खंड जुलाई 1939 में 'फोर्स 4 प्रोवोस्ट यूनिट' (Force 4 Provost unit) के नाम से स्थापित किया गया था और शुरू में यह चौथे भारतीय पैदल सेना अनुभाग (Indian Infantry Division) का हिस्सा था जो द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होने वाला पहला भारतीय समूह था। प्रोवोस्ट अनुभाग को 7 और 11 अश्वारोही सैन्य दल (Cavalry Regiment) के सैनिकों से गठित किया गया था। इस नवगठित यूनिट के द्वितीय विश्व युद्ध में उत्तरी अफ्रीका (North Africa) और बर्मा (Burma) के अभियानों के दौरान इसके सफल संचालन के बाद, ब्रिटिश भारत सरकार ने औपचारिक रूप से 7 जुलाई 1942 को भारतीय सैन्य पुलिस दल (Corps of Indian Military Police) के गठन को मंजूरी दे दी। प्रारंभ में ब्रिटिश शासन के तहत, इस दल को 'भारतीय सैन्य पुलिस दल' (Corps of Indian Military Police (CIMP) के रूप में जाना जाता था और 18 अक्टूबर 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद, इस दल को फिर से नामित किया गया और अब इसे ‘सैन्य पुलिस दल’ (CMP) के रूप में जाना जाता है। 18 अक्टूबर 1947 को अब कोर स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सैन्य पुलिस दल के प्रमुख कार्य और भूमिका निम्न प्रकार हैं:

1. छावनियों और सेना प्रतिष्ठानों के लिए पुलिस व्यवस्था करना
2. छावनियों, सेना प्रतिष्ठानों में व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखना और नियमित सेना में सेवारत सैनिकों द्वारा भारतीय सेना के नियमों और विनियमों के उल्लंघन को रोकना।
3. शांति और युद्ध दोनों समय छावनियों में रसद, सैनिकों और वाहनों की आवाजाही बनाए रखना
4. युद्धबंदियों को संभालना
5. युद्ध में घुसपैठियों और शरणार्थियों को नियंत्रित करना
6. अन्य सैन्य दलों, सैनिकों और उनके परिवारों को सहायता पहुंचाना।
7. सिविल पुलिस को सहायता और सिविल पुलिस, नौसेना पुलिस और वायु सेना पुलिस के साथ संपर्क बनाए रखना।
8. भारतीय सेना के मामलों की जांच करना।
9. अनुभाग कमांडरों, सैन्य दल कमांडरों, सेना कमांडरों और थल सेनाध्यक्ष को पायलट वाहन प्रदान करना
10. थल सेनाध्यक्ष को निकट सुरक्षा प्रदान करना ‘सैन्य पुलिस दल ब्रास बैंड’ (CMP Brass Band) सैन्य पुलिस का आधिकारिक सैन्य बैंड है। इसकी स्थापना 1953 में फैजाबाद में हुई थी। 1966 में, इस बैंड को राष्ट्रपति भवन से संबंधित विशेषाधिकार कर्तव्य सौंपे गए। इस बैंड को इसके अद्वितीय कौशल के लिए 2003 में भारत के राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा आधिकारिक सराहना भी प्राप्त हुई है। इस बैंड के द्वारा सेना और दिल्ली गणतंत्र दिवस परेड में नियमित रूप से भाग लिया जाता है। इस बैंड ने 1977, 1988 और 1993 के दौरान अमर जवान ज्योति पर विशिष्ट प्रदर्शन किया है। साथ ही इस बैंड ने 16 दिसंबर 1997 को नई दिल्ली में एक संचालन के दौरान सबसे बड़े सैन्य बैंड का हिस्सा बनकर गिनीज विश्व रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया है। इस सैन्य दल के सैनिकों ने कांगो (Congo), सोमालिया (Somalia), रवांडा (Rwanda) और सिएरा लियोन (Sierra Leone) में विभिन्न संयुक्त राष्ट्र मिशन टुकड़ियों में अपनी सेवाएं प्रदान की हैं।

संदर्भ
https://rb.gy/6vrbh9
https://rb.gy/pozeul
https://shorturl.at/glSW0

चित्र संदर्भ
1. सैन्य पुलिस को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. सैन्य पुलिस कोर के लिए भारत सरकार के स्वामित्व वाले लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. 63वें गणतंत्र दिवस परेड, 2012 के दौरान सैन्य पुलिस की मार्चिंग टुकड़ी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. 58वें गणतंत्र दिवस परेड, 2007 के दौरान राजपथ से गुजरते हुए सैन्य पुलिस कोर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सैन्य पुलिस की महिला अधिकारीयों को दर्शाता एक चित्रण (youtube)



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