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गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस या किसी ख़ास विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के सम्मान में कई बार “21 तोपों की सलामी” दी जाती है। यह सलामी उन बहादुर सैनिकों को भी दी जाती हैं, जिन्होंने शांति अथवा युद्ध जैसे विषम हालातों में देश के लिए अपना विशेष योगदान दिया हो। कन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे (Helicopter Accidents) में जान गंवाने वाले, भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief Of Defense Staff (CDS) जनरल बिपिन रावत को भी यह ख़ास सम्मान दिया गया था। एक हिसाब से यह सम्मान भारतीय इतिहास में "तोपों" की अहमियत को भी दर्शाता है। तोप वाकई में मानव इतिहास के उन चुनिंदा हथियारों में से एक है, जिन्होंने बदलते समय और आधुनिक तकनीकों के बावजूद अपनी अहमियत कायम रखी है।
क्या आप जानते हैं कि “भारत में तोपों का इस्तेमाल पहली बार मुगल सम्राट बाबर के शासनकाल के दौरान किया गया था।” 1526 में बाबर ने ही पानीपत की पहली लड़ाई में पहली बार ओटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) के बंदूक विशेषज्ञ, उस्ताद अली कुली के मार्गदर्शन में अपनी तोपें तैनात कीं। उस्ताद अली कुली के मार्गदर्शन में, बाबर ने वाहनों की एक पंक्ति के पीछे अपनी तोपें भी तैनात कर दी। शत्रु नेता, इब्राहिम लोदी को इस बारे में अधिक नहीं पता था, और उसने सीधे ही बाबर पर हमला बोल दिया। इस रणनीति ने लोदी के हाथीयों और घुड़सवार सैनिकों को भी डरा दिया, जिससे उसकी पूरी सेना अस्त-व्यस्त हो गई । इस घटना के बाद ही युद्ध में हाथियों के प्रयोग में भी कमी देखी गई।
युद्ध के बाद ये नई तोपें, बाबर और उसके मुगल वंशजों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गईं। बाबर ने इनका खुले युद्ध के मैदानों और किलों के भीतर सहित हर जगह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। लेकिन उस समय तोपें अत्यधिक भारी हुआ करती थीं, जिस कारण उन्हें इधर-उधर ले जाना कठिन होता था। हालाँकि आगे चलकर यही तोपें और भी बेहतर हो गईं।
जानकर मानते हैं कि तोप में प्रयोग होने वाले “बारूद” की खोज सबसे पहले चीनियों द्वारा की गई थी। उन्होंने ही पहली बार इसका उपयोग अपने हथियारों में किया था। लेकिन बारूद के वास्तविक सूत्र का आविष्कार सबसे पहले रोजर बेकन (Roger Bacon) नामक एक प्रसिद्ध अंग्रेजी विद्वान द्वारा किया गया था। तब तक स्पेनियों ने भी अपनी तोपों में बारूद का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। इसके बाद अरबों ने भी तोपों का उपयोग करना शुरू कर दिया और अपना स्वयं का बारूद फार्मूला (Gunpowder Formula) बनाया।
चीनियों ने भले ही 10 वीं सदी में बारूद से चलने वाले हथियारों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था, लेकिन आमतौर पर बारूद की गुणवत्ता को इस हद तक सुधारने का श्रेय तुर्कों को दिया जाता है, जिन्होंने बारूद को इस स्तर तक बेहतर बना दिया कि युद्ध में इसका प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सके। 12वीं शताब्दी की शुरुआत के आसपास, यूरोप में भी तोपों ने अपनी पहली उपस्थिति दर्ज कराई । ये शुरुआती तोपें, जिन्हें "गोन्नेस (Goness)" के नाम से भी जाना जाता है, आकार में बड़ी होती थीं और इन्हें संभालना भी मुश्किल होता था। बाद में मुगल भारत आए, और उनके साथ तोपें भी भारत में आ गईं।
विभिन्न शासकों द्वारा कई युद्धों और भीषण लड़ाइयों में इस्तेमाल किए जाने के बावजूद भी ये तोपें आज भी ऐतिहासिक कलाकृतियों के रूप में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, और भारत के विभिन्न स्थानों में देखी जा सकती हैं।
चलिए अब भारत के कुछ विविध ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जानते हैं, जहां पर कुछ ख़ास और दुर्लभ तोपें मौजूद हैं:
१. जाधवगढ़, महाराष्ट्र: इस किले को छत्रपति शिवाजी की सेना के एक योद्धा, पिलाजी जाधवराव द्वारा 1710 में बनाया गया था। आज इसे एक होटल में बदल दिया गया है। यहाँ पर युद्ध के अवशेष के रूप में एक तोप रखी हुई है।
२. मेहरानगढ़ किला, राजस्थान: 1460 के आसपास राजा राव जोधा द्वारा निर्मित, इस किले से जोधपुर का शानदार नज़ारा दिखाई देता है। इसकी दीवारों पर तोपों की एक श्रृंखला रखी गई है।
३. राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली: सर एडवर्ड लुटियंस (Sir Edward Lutyens) द्वारा डिज़ाइन किये गए इस भवन में भारत के माननीय राष्ट्रपति रहते हैं। इसके प्रवेश द्वार के बाहर भी एक तोप रखी गई है।
४. दीव किला, दीव: 1535 में पुर्तगालियों द्वारा निर्मित, यह किला पुर्तगाली शासन के दौरान एक रणनीतिक रक्षा बिंदु हुआ करता था। इस किले की प्राचीर पर ऐतिहासिक युद्ध की तोपें आज भी दिखाई देती हैं।
५. जयगढ़ किला, राजस्थान: 1726 में राजा जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित, इस किले में दुनिया की सबसे बड़ी पहियों वाली तोप रखी गई है।
६. उदयपुर सिटी पैलेस (City Palace), राजस्थान: इस महल को अब संग्रहालय में बदल दिया गया है। यहाँ आने वाले आगंतुकों का स्वागत इसके द्वार पर रखी गई सुंदर तोपों की एक जोड़ी के साथ किया जाता है।
७. अलीबाग, महाराष्ट्र: यहाँ के अजेय मुरुद-जंजीरा किले में तीन विशाल तोपें रखी गई हैं।८. जैसलमेर किला, राजस्थान: यह राजस्थान के सबसे पुराने किलों में से एक है जिसे 17वीं शताब्दी में बनाया गया था। इसकी दीवारों पर भी तोपें रखी गई हैं।
९. सिटी पैलेस, जयपुर, राजस्थान: इस महल के प्रवेश द्वार पर आगंतुकों का स्वागत एक सुंदर तोप से किया जाता है। साथ ही इस महल के अंदर भी तोपें रखी गई हैं।
१०. ला मार्टिनियर कॉलेज (La Martiniere College), उत्तर प्रदेश: मेजर जनरल क्लाउड मार्टिन (Major General Claude Martin) द्वारा स्थापित, इस स्कूल के प्रवेश द्वार पर रखी गई एक तोप से आगंतुकों का स्वागत किया जाता है।
संदर्भ
http://tinyurl.com/mrc64dy5
http://tinyurl.com/d3k8bsxx
http://tinyurl.com/37avv6kw
चित्र संदर्भ
1. ला मार्टिनियर कॉलेज में तैनात तोप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. पानी पथ के युद्ध को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. हुओलोंगजिंग में दर्शाये गये एक फायर लांस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. यूरोपीय संग्रहालय में फिलीपीन लांटाका संग्रह को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
5. मेहरानगढ़ क़िले में तैनात तोप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. मेहरानगढ़ क़िले में ही तैनात एक अन्य तोप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में तैनात तोप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. दीव क़िले में तैनात तोप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. जयगढ़ क़िले में तैनात तोप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. उदयपुर सिटी पैलेस में तैनात तोप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
11. जैसलमेर क़िले में तैनात तोप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
12. सिटी पैलेस में तैनात तोप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
13. ला मार्टिनियर कॉलेज में तैनात तोप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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