हाल के वर्षों में, भारत ने रक्षा उपकरणों के उत्पादन के क्षेत्र में, सराहनीय प्रगति की है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited (HAL)), मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders and Bharat Electronics Limited) जैसी कंपनियाँ, इस क्षेत्र में मुख्य भूमिका निभा रही हैं।
इसके साथ ही, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (Tata Advanced Systems Limited) और एयरबस (Airbus) ने मिलकर भारत का पहला सैन्य विमान C295 तैयार किया है। आज के इस लेख में, हम इन कंपनियों और इनके द्वारा बनाए उत्पादों के बारे में विस्तार से जानेंगे। इसके अलावा, हम वडोदरा, गुजरात में एयरबस C295 विमान के लिए, हाल ही में शुरू हुए फ़ाइनल असेंबली लाइन (Final Assembly Line) पर भी चर्चा करेंगे। अंत में, हम वाराणसी में सैन्य बैज उत्पादन (Military Badge Production) से जुड़े गौरवशाली इतिहास को देखेंगे।
भारत में कई बड़ी कंपनियाँ रक्षा उपकरण बनाती हैं। आइए शुरुआत भारत में रक्षा उपकरण बनाने वाली प्रमुख कमानियों के साथ करते हैं!
1. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड : हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), एक सरकारी एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी है। इसकी स्थापना 23 दिसंबर 1940 में हुई थी। इसकी गिनती दुनिया के सबसे पुराने और बड़े हथियार निर्माताओं में होती है। एच ए एल, सैन्य और नागरिक दोनों क्षेत्रों के लिए विमान, हेलीकॉप्टर, एवियोनिक्स और संचार उपकरण बनाती है।
एच ए एल के प्रमुख हेलीकॉप्टर:
➜ ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (Dhruv Advanced Light Helicopter (ALH): इस हेलीकॉप्टर को सैन्य उपयोग के लिए बनाया गया है। इसका उपयोग परिवहन, टोही और चिकित्सा निकासी के लिए होता है।
➜ लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (Light Combat Helicopter (LCH)): इस हेलीकॉप्टर को ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है | इसमें उन्नत हथियार व प्रणालियाँ दी गई हैं।
➜ लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (Light Utility Helicopter (LUH)): यह हेलीकॉप्टर, पुराने चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों की जगह लेगा। यह आधुनिक और बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर है।
2. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स: मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (Mazagon Dock Shipbuilders) भारत सरकार के स्वामित्व वाली एक हथियार निर्माता कंपनी है। यह कंपनी, जहाज़ अपतटीय प्लेफ़ॉर्म , विध्वंसक, फ़्रिगेट,, कोरवेट और पनडुब्बियां बनाती है। यह भारतीय नौसेना के लिए पारंपरिक पनडुब्बियों और विध्वंसक बनाने वाली एकमात्र कंपनी है।
उपलब्धियाँ:
➜ 1960 से लेकर अब तक कंपनी ने 27 युद्धपोत और सात पनडुब्बियों सहित कुल 801 जहाज बनाए हैं।
➜ यह तीन और पनडुब्बियों के निर्माण के लिए सरकारी मंजूरी का इंतजार कर रही है।
3. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (Bharat Electronics Limited): भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) की स्थापना, 1954 में हुई थी। इसमें भारत सरकार की 51.1% हिस्सेदारी है। यह रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स का मुख्य आपूर्तिकर्ता है।
बीईएल द्वारा बनाए गए उपकरण:
➜ रडार, संचार प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण।
➜ मिसाइलों और विमान सेंसर के लिए मुख्य घटक।
➜ इस कंपनी ने हाल ही में मानव रहित प्रणाली और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी कदम रखा है।
4. बी ए ई सिस्टम्स इंडिया (BAE Systems India): बी ए ई सिस्टम्स, सुरक्षा तकनीक बनाने वाली एक प्रमुख कंपनी है। यह हवा, समुद्र, ज़मीन और साइबर क्षेत्रों में सुरक्षा प्रदान करती है। यह कंपनी, 40 से अधिक देशों में काम करती है और 89,600 कर्मचारियों को रोज़गार देती है। यह स्थानीय साझेदारों के साथ मिलकर काम करती है।
5. भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (Bharat Dynamics Limited (BDL)): भारत डायनेमिक्स लिमिटेड की स्थापना, 1970 में हुई थी। यह कंपनी रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है।
बी डी एल की विशेषताएँ:
➜ यह कंपनी, निर्देशित मिसाइल प्रणाली और सहायक उपकरण बनाती है।
➜ इसके चार (तीन तेलंगाना में और एक आंध्र प्रदेश में) उत्पादन संयंत्र हैं।
➜ यह महाराष्ट्र के अमरावती में एक नई सुविधा बना रही है।
6. ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BrahMos Aerospace Pvt Ltd): ब्रह्मोस एयरोस्पेस - डी आर डी ओ (DRDO) और रूसी एन पी ओ (NPO) मशीनोस्ट्रोयेनिया का संयुक्त उद्यम है। इसकी स्थापना 1998 में हुई थी।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाए गए मुख्य रक्षा उत्पाद:
➜ ब्रह्मोस मिसाइल, जो 300 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है, और मैक 2.8 से 3.0 की गति तक पहुँचती है।
➜ यह कंपनी, ब्रह्मोस-II नामक हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल भी विकसित कर रही है।
हाल ही में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (Tata Advanced Systems Limited) और एयरबस ने मिलकर भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने वडोदरा, गुजरात में एयरबस C295 विमान के लिए फ़ाइनल असेंबली लाइन का उद्घाटन किया। यह परियोजना भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया (Make in india)’ कार्यक्रम का हिस्सा है। इसका लक्ष्य भारतीय वायु सेना को 56 - C295 विमान देना है।
ये विमान पुराने ए वी आर ओ (AVRO) बेड़े की जगह लेंगे। समझौते के तहत, 40 विमानों का निर्माण और संयोजन वडोदरा में होगा, जबकि बाकी 16 विमान स्पेन के सेविले में बनाए जाएंगे और उड़ान के लिए तैयार स्थिति में भारत आएंगे। अब तक छह विमान पहले ही वितरित किए जा चुके हैं। पहला 'मेक इन इंडिया' विमान सितंबर 2026 में तैयार होगा, और सभी 40 विमान अगस्त 2031 तक वितरित किए जाएंगे।
भारत ने 56 C295 विमान खरीदकर इसका सबसे बड़ा ग्राहक बनने का गौरव प्राप्त किया है। इस परियोजना के तहत 40 विमानों की 85% संरचना और असेंबली भारत में होगी। साथ ही, 13,000 से अधिक पुर्जे भारत में बनाए जाएंगे। इसके लिए 21 विशेष प्रक्रियाओं को प्रमाणित किया गया है और 37 भारतीय आपूर्तिकर्ताओं को जोड़ा गया है। एयरबस, भारत की आपूर्ति श्रृंखला में हर साल $1 बिलियन से अधिक का निवेश करता है। इस निवेश से देश में 15,000 से अधिक नौकरियों के अवसर पैदा होते हैं।
यह परियोजना, भारतीय एयरोस्पेस उद्योग के लिए, एक मील का पत्थर साबित होगी।
वाराणसी ने कैसे स्थापित किया सैन्य बैज उत्पादन में नया कीर्तिमान?
हाल ही में जौनपुर के निकट बसे वाराणसी ने भी सैन्य बैज उत्पादन के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। यहां बनाए गए बैज अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ़्रांस और अन्य देशों के सैन्य अधिकारियों की वर्दियों पर सजते हैं।
लल्लापुरा इस उद्योग का प्रमुख क्षेत्र है। यहां 125 से अधिक कारीगर विदेशों से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। वाराणसी के बैज और प्रतीक टोपी और वर्दी पर लगाए जाते हैं।
यह परंपरा, 100 साल पुरानी बताई जाती है। कई कारीगर इस व्यवसाय को अपनी पिछली तीन पीढ़ियों से कर रहे हैं। हालांकि, कम ऑर्डर और कुशल श्रमिकों की कमी के कारण यह उद्योग चुनौतियों का सामना कर रहा है। फिर भी, विदेशी सेनाओं के लिए यहां बैज का निर्माण कारीगरों की बढ़ती क्षमता और कौशल को दर्शाता है।
एक स्थानीय कारीगर, गुड्डू कहते हैं, "हम 10-12 घंटे काम करके बैज की बढ़ती मांग को पूरा कर रहे हैं। सरकार से जी आई टैग (GI Tag) मिलने के बाद हमारा व्यापार बेहतर हुआ है। अब हमें अधिक ऑर्डर मिल रहे हैं, जिससे हमारी सुविधाएं और व्यवसाय मजबूत हुए हैं।"
लल्लापुरा में लगभग 200 कारीगर, हाथ से सैन्य और शाही प्रतीक, शिखा, टोपी बैज और अन्य सजावटी सामान बनाते हैं। ये कारीगर सोने और चांदी के महीन धागों से जटिल जरदोजी डिज़ाइन तैयार करते हैं। शादाब आलम, जो अपने पिता मुमताज़ अली के साथ इस व्यवसाय को संभाल रहे हैं, बताते हैं, "हमारे ग्राहक ब्रिटिश राजघराने से लेकर अमेरिका, ब्रिटेन, अफ़्रीका , यू ए ई, जापान, चिली और फ्रांस की सेनाओं तक फैले हैं। हमारा परिवार तीन पीढ़ियों से इस काम को कर रहा है।"
एक छोटे बैज में 2 ग्राम तक सोने और चांदी के धागे का उपयोग होता है, जिससे ये बैज बेहद शानदार और शाही दिखते हैं। जब 2018 में फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने वाराणसी का दौरा किया, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शादाब की कार्यशाला में बना हुआ एक प्रतीक चिन्ह भेंट किया। इस प्रकार, वाराणसी का सैन्य बैज उद्योग न केवल यहाँ के होनहार कारीगरों के कौशल का प्रमाण है, बल्कि इसकी विश्व स्तरीय पहचान भी है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/299sd9pf
https://tinyurl.com/27ldo86t
https://tinyurl.com/235o358s
https://tinyurl.com/284udx3z
https://tinyurl.com/22d5j6xv
चित्र संदर्भ
1. टाटा कंपनी की बुलेट-प्रूफ़-जैकेट पहने सैनिकों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बेंगलुरू में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की उत्पादन लाइन में बी ए ई (BAe) हॉक नामक एक लड़ाकू विमान के निर्माण के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एम डी एल) द्वारा निर्मित पनडुब्बी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारतीय वायुसेना के मोबाइल रडार नियंत्रण स्टेशन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन्य बैज को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)