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नवपाषाण काल (New Stone Age) से ही मनुष्य समय का अनुमान लगाने का शौकीन रहा है, प्रारंभ में वह मौसम, ऋतुओं और कृषि या पशुओं के झुंड की गतिविधियों को आंकने के लिए समय का अनुमान लगाता था। कैलेंडर का आविष्कार करने का श्रेय कई सभ्यताओं को दिया जाता है, और सभी प्रकार के ऐतिहासिक कैलेंडर में दिनों, महीनों और वर्षों का अद्वितीय रिकॉर्ड रखा गया था। आधुनिक मध्य पूर्व क्षेत्र में सुमेरियन (Sumerians) संभवतः सबसे प्रसिद्ध उदाहरण हैं क्योंकि लिखित रूप से पहली बार इसी क्षेत्र में कैलेंडर पाया गया था। सुमेरियों से लेकर मिस्रवासियों, फारसियों से लेकर रोमनों तक ने अपनी सभ्यताओं की यात्रा को मापने के लिए कैलेंडर का उपयोग किया। समय की गणना करने के लिए कैलेंडर सबसे उपर्युक्त साधन था, लेकिन प्राचीन सभ्यताएँ विभिन्न घटनाओं और उद्देश्यों के लिए समय पर नज़र रख रही थीं।
रोमन कैलेंडर (roman calendar) रोमन साम्राज्य और रोमन गणराज्य द्वारा उपयोग किया जाने वाला कैलेंडर था। यह जूलियन कैलेंडर का पूर्ववर्ती (Previous) रूप था, रोमन कैलेंडर को रिपब्लिकन कैलेंडर (republican calendar) के रूप में भी जाना जाता है, इससे प्रारंभिक कैलेंडर प्रणाली की शुरूआत हुई । जूलियस सीज़र 45-46 ईसा पूर्व के आसपास रोमन गणराज्य की एकमात्र शक्ति बन गया और उसने तुरंत कई नई प्रशासनिक नीतियां स्थापित कीं। सबसे प्रमुख रोमन कैलेंडर में उनका संशोधन था, जिसे जूलियन कैलेंडर के नाम से जाना जाता है। 45 ईसा पूर्व में जूलियन कैलेंडर लागू किया गया था। जूलियस सीज़र ने अपने कैलेंडर से लीप माह को हटवा दिया था, जिसकी शुरूआत प्राचीन रोम में पोंटिफ़्स कॉलेज (Pontiffs College) के महायाजक, पोंटिफ़ेक्स मैक्सिमस (Pontifex Maximus) द्वारा की गई थी। जूलियन कैलेंडर आज के ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) का प्रत्यक्ष अग्रवर्ती था। यह रोमन जगत में एक बहुत महत्वपूर्ण संशोधन था क्योंकि इससे पहले तक लोगों को यह भ्रम था कि आज कौन सा दिन है, किस मौसम की शुरूआत कब हुई , सप्ताह में किस दिन छुट्टी रखी जाए, कुल मिलाकर भूमध्यसागरीय जगत में एकरूपता की कमी थी। चूंकि अधिकांश कैलेंडर राजनीतिक और चंद्र चक्र पर आधारित थे, इसलिए पूरे वर्ष में अक्सर दिन या महीने कम होते रहते थे।
जूलियस सीज़र (julius caesar) ने रोमन साम्राज्य और अपने जागीरदारों को एक सौर वर्ष के आधार पर 365 दिन, 12 महीने का एक वर्ष मानने का आदेश दिया, तब से जूलियन कैलेंडर की शरूआत हुई । इसमें तीन वर्षों तक 365 दिन और चौथे वर्ष (जिसे हम लीप-वर्ष के रूप में जानते हैं) में 366 दिन रखे गए। रोमन कैलेंडर प्राचीन रोम में उपयोग की जाने वाली समय गणना प्रणाली से संबंधित था। सदियों से इस कैलेंडर में अनगिनत बार सुधार किए गए, यह शब्द वर्तमान कैलेंडर प्रणालियों की एक श्रृंखला को दर्शाता है, जिनकी प्रारंभिक संरचनाएं आंशिक रूप से अज्ञात हैं और काफी भिन्न भी हैं। ऐसा माना जाता है कि मूल रोमन कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर था जो चंद्रमा की दशा का अनुसरण करता था।
परंपरा के अनुसार, रोम के प्रथम राजा रोमुलस ने 738 ईसा पूर्व के आसपास रोमन कैलेंडर प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। इस कैलेंडर की संरचना प्राचीन ग्रीक कैलेंडर प्रणाली से काफी हद तक समान थी, इसमें केवल 10 महीने थे, जिसमें मार्च (मार्टियस) वर्ष का पहला महीना था। इसमें सर्दियों के लिए कोई भी महीना निर्धारित नहीं किया गया था, इसलिए एक वर्ष में केवल 304 दिन थे, इसमें सर्दियों के 61 दिनों को शामिल नहीं किया गया था। सर्दी का मौसम जोड़ने के लिए इसमें एक अन्य सुधार किया गया और उसमें दो ओर महीने जोड़े गए: इनुअरियस और फरवरी। इसके बाद महीनों के नाम एवं उनकी स्थिति में भिन्नता आ गयी। उदाहरण के लिए, सितंबर का अर्थ था "सातवां महीना", लेकिन अब यह वर्ष का नौवां महीना बन गया। अब एक वर्ष में 12 महीने हो गए, जिनमें 4 महीने 31 दिनों वाले, 7 महीने 29 दिनों वाले और 1 महीना 28 दिनों वाला हो गया।
रोमन कैलेंडर (roman calendar) में महीने
| महीनों के नाम | दिनों की संख्या |
|---|---|
| इनुअरियस (Ianuarius) | 29 |
| फ़रवरी (Februarius) | 28 |
| मार्टियस (Martius) | 31 |
| अप्रिलिस (Aprilis) | 29 |
| माईस (Maius) | 31 |
| इयूनियस (Iunius) | 29 |
| क्विंटिलिस (Quintilis) | 31 |
| सेक्स्टिलिस (Sextilis) | 29 |
| सितम्बर (September) | 29 |
| अक्टूबर (October) | 31 |
| नवंबर (November) | 29 |
| दिसंबर (December) | 29 |
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर लगभग 108,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चक्कर लगाती है , जो अपने विशाल गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण लगभग गोलाकार कक्षा में बनी रहती है। एक परिक्रमा पूरी करने के लिए पृथ्वी को लगभग एक अरब किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है और इसमें लगने वाले समय को हम एक वर्ष कहते हैं। पृथ्वी के घूर्णन की धुरी सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा के तल की तुलना में झुकी हुई है। यह झुकाव दिन और रात की लंबाई तथा ऋतुओं में परिवर्तन का कारण बनता है। आधे वर्ष के लिए, उत्तरी गोलार्ध सूर्य के करीब झुका रहता है, जिससे लंबे दिन, अधिक धूप और गर्म मौसम होता है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में इसके विपरीत होता है। वर्ष की दूसरी छमाही में स्थिति उलट जाती है।