जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए

जौनपुर

 24-12-2024 09:21 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
जौनपुर शहर के कई प्राचीन मंदिर और मस्जिदें, हिंदू और इस्लाम धर्म की परंपराओं के अनोखे मेल को दर्शाती हैं। जौनपुर आने वाले लोग, यहां के पवित्र स्थलों पर गहरी शांति का अनुभव करते हैं। ये स्थान एक शांत और मन को सुकून देने वाला माहौल प्रदान करते हैं। किसी भी शहर के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मन की शांति एवं भगवान् के आशीर्वाद की चाह रखने वाले लोगों के बीच विशेष महत्व रखते हैं।
आज, के इस लेख में हम जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में जानेंगे। साथ ही हम इसकी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को भी समझेंगे। इसके अलावा, हम भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानेंगे, जिनमें काशी विश्वनाथ भी शामिल है। अंत में, हम पूजा में इस्तेमाल होने वाली चीजों के आध्यात्मिक महत्व को समझेंगे।
काशी को सनातन धर्म का "हृदय" माना जाता है और काशी विश्वनाथ मंदिर को उसकी "धड़कन।" इसे "गोल्डन टेंपल" (Golden Temple) भी कहा जाता है। यह मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें 'विश्वनाथ' या 'विश्वेश्वर' यानी 'संसार के शासक' कहा जाता है। यह मंदिर, पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है और दुनियाभर के हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है।
इस मंदिर का इतिहास कई सदियों पुराना बताया जाता है। इसका निर्माण, राजा विक्रमादित्य ने कराया था। हालांकि 1194 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे तुड़वा दिया था। फिर 1230 में एक गुजराती व्यापारी ने इसे दोबारा बनवाया। लेकिन, सिकंदर लोदी ने इसे फिर से नष्ट कर दिया। इसके बाद, मुगल सम्राट मानसिंह ने इसे पुनः बनवाया।
इस तरह इतिहास में कई बार इस मंदिर को तोड़ा और बनाया गया। सम्राट अकबर और उनके पोते औरंगज़ेब ने भी इसे नष्ट करने का आदेश दिया था। औरंगज़ेब ने यहां ग्यानवापी मस्जिद का निर्माण कराया। वर्तमान मंदिर को इंदौर की रानी अहिल्या बाई होल्कर ने बनवाया।
आज काशी विश्वनाथ मंदिर श्रद्धा, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में खड़ा है। यह मंदिर, आज वाराणसी की पहचान बन चुका है। काशी विश्वनाथ मंदिर, प्राचीन भारतीय वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। 18वीं सदी में निर्मित इस मंदिर को उत्तर भारत की नागर शैली में बनाया गया है। इसमें तीन मुख्य भाग हैं - शिखर, स्वर्ण गुंबद और स्वर्ण स्तंभ जिसके ऊपर ध्वज और त्रिशूल लगे हैं।
मुख्य मंदिर का आकार चौकोर है और इसके चारों ओर छोटे मंदिर और देवताओं की मूर्तियां भी हैं। इनमें कालभैरव, विष्णु, शनि ईश्वर, अविमुक्तेश्वर, धनधपानी, विशालाक्षी, अन्नपूर्णा, विनायक और विरुपाक्ष गौरी जैसी देवी देवताओं की मूर्तियाँ भी शामिल हैं।
इस मंदिर का शिखर लगभग 51 फ़ीट ऊंचा है, जिसपर हिंदू पौराणिक कथाओं के पात्रों की सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर परिसर में ज्ञानवापी नामक एक छोटा कुआं भी है, जिसे 'ज्ञान का कुआं' कहते हैं।
यहां एक बड़ा सभा मंडप (आंगन) भी है, जहां भक्त धार्मिक अनुष्ठानों के लिए इकट्ठा होते हैं। मंदिर को कभी-कभी "मंकी टेंपल" भी कहा जाता है क्योंकि यहां कई बंदर रहते हैं।
हाल ही में मंदिर परिसर को और भव्य बनाने के लिए "काशी विश्वनाथ गलियारा" नाम की एक बड़ी परियोजना शुरू की गई है। यह मंदिर हिंदू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। "ज्योतिर्लिंग" शब्द का मतलब 'प्रकाश का प्रतीक' होता है!
आइए, अब भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में संक्षेप में जानते हैं!
1. सोमनाथेश्वर (सोमनाथ, गुजरात): सोमनाथ भगवान शिव को समर्पित प्रथम ज्योतिर्लिंग है। यह मंदिर अपनी पौराणिक कथाओं, परंपराओं और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यह सौराष्ट्र, गुजरात के प्रभास पाटण में स्थित है।
2. श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर (श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश): यह मंदिर कर्नूल के पास श्री मल्लिकार्जुन देव को समर्पित है। यह एक प्राचीन मंदिर है, जिसे अपनी सुंदर वास्तुकला और मूर्तियों के लिए जाना जाता है। आदि शंकराचार्य ने अपनी प्रसिद्ध रचना ‘शिवानंदलहरी’ की रचना यहीं पर की थी।
3. महाकालेश्वर (उज्जैन, मध्य प्रदेश): महाकालेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक उज्जैन शहर (जिसे अवंती भी कहते हैं) में स्थित है। यहाँ पर भगवान् शिव महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं।
4. ओंकारेश्वर / ममलेश्वर (खंडवा, मध्य प्रदेश): यह मंदिर, नर्मदा नदी के एक द्वीप पर स्थित है। इसमें ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और अमरेश्वर मंदिर हैं।
5. वैद्यनाथ मंदिर (परली, महाराष्ट्र): इस मंदिर को बाबा बैद्यनाथ मंदिर (देवघर, झारखंड) का प्रतिरूप भी कहते हैं।
6. भीमाशंकर (भीमाशंकर, महाराष्ट्र): भीमाशंकर मंदिर भगवान शिव की त्रिपुरासुर नामक राक्षस पर विजय से जुड़ी कथा के लिए प्रसिद्ध है।
7. श्री रामनाथस्वामी मंदिर (रामेश्वरम, तमिलनाडु): रामेश्वरम द्वीप पर स्थित यह मंदिर, बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे दक्षिण में है। यह मंदिर, अपने विशाल आकार और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
8. नागेश्वर (सौराष्ट्र, गुजरात): द्वारका के पास स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
9. काशी विश्वनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश): यह मंदिर, प्राचीन वाराणसी शहर में है और हर साल हज़ारों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। ऊपर इस मंदिर का विस्तृत उल्लेख किया गया है!
10. त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र): यह मंदिर, गोदावरी नदी के उद्गम स्थल से जुड़ा हुआ है।
11. केदारेश्वर (गढ़वाल, उत्तराखंड): हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों में स्थित केदारनाथ मंदिर सबसे उत्तरी ज्योतिर्लिंग है। इस मंदिर तक साल में केवल छह महीने लंबी पैदल यात्रा करके पहुँचा जा सकता है।
12. घृष्णेश्वर (दौलताबाद, महाराष्ट्र): एलोरा के पास स्थित, इस मंदिर को पहली सहस्राब्दी ईस्वी के कई रॉक-कट स्मारकों के लिए जाना जाता है।
आइए अब पूजा में प्रयुक्त होने वाले औज़ारो के आध्यात्मिक महत्व के बारे में जानते हैं!
1. कलश:
कलश, पूजा का एक अहम हिस्सा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्रमंथन के दौरान, भगवान विष्णु ने अमृत से भरा कलश उठाया था। इसलिए कलश अमृत अनंत जीवन का प्रतीक है। सिद्धांत के अनुसार कलश में सभी देवता विद्यमान होते हैं।
2. थाली: पूजा में प्रयुक्त होने वाली थाली, पंचप्राण का प्रतीक मानी जाती है। पंचप्राण हमारे शरीर में विद्यमान पाँच मुख्य ऊर्जाओं को संदर्भित करती हैं।
3. घंटी: मान्यता है कि घंटियों से धरती की सतह के नीचे का वातावरण शुद्ध होता है। दूसरी ओर, शंख की सतह के ऊपर हवा शुद्ध होती है। दोनों क्रियाएं, पूजा में अहम मानी जाती हैं। घंटी और शंख की आवाज़ से भक्त के चारों ओर एक शुद्ध वातावरण बनता है।
4. शंख: पूजा और आरती शुरू होने से पहले, शंख बजाया जाता है। शंख के दो प्रकार (दक्षिणावर्त और वामवर्त) होते हैं। कलश की पूजा के बाद शंख की पूजा होती है। इस पर चंदन, फूल और तुलसी के पत्ते चढ़ाए जाते हैं। फिर शंख से जल लेकर इसे भक्त और पूजा सामग्री पर छिड़का जाता है। यह जल गंगा के पवित्र जल के समान शुद्ध माना जाता है। इसका उपयोग देवताओं के अभिषेक के लिए भी होता है।
5. दीपक और निरंजन: निरंजन की लौ, आत्मज्योति या आंतरिक प्रकाश का प्रतीक मानी जाती है। आरती में इस लौ का उपयोग,  इस भाव को प्राप्त करने के लिए किया जाता है कि, इससे हमें आत्मज्योति मिलेगी। दीपक की पांच पंखुड़ियां, ज्योति पंचप्राण और आत्मज्योति के बीच के संबंध को दर्शाती हैं। पंचप्राण के माध्यम से की गई प्रार्थना को ‘पंचरति’ कहा जाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2bngq8pb
https://tinyurl.com/28n5js5k

चित्र संदर्भ
1. काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रवेश द्वार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. काशी विश्वनाथ मंदिर की संरचना की ऊंचाई को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. सामने से देखने पर काशी विश्वनाथ मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. सोमनाथेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. महाकालेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. ओंकारेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. भीमाशंकर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. श्री रामनाथस्वामी मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. त्र्यंबकेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. केदारेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
11. घृष्णेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


RECENT POST

  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के खेतों की सिंचाई में, नहरों की महत्वपूर्ण भूमिका
    नदियाँ

     18-12-2024 09:21 AM


  • विभिन्न प्रकार के पक्षी प्रजातियों का घर है हमारा शहर जौनपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:23 AM


  • जानें, ए क्यू आई में सुधार लाने के लिए कुछ इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स से संबंधित समाधानों को
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:29 AM


  • आइए, उत्सव, भावना और परंपरा के महत्व को समझाते कुछ हिंदी क्रिसमस गीतों के चलचित्र देखें
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:21 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id