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आज भारत सरकार द्वारा बड़ी संख्या में समाज के गरीब और सबसे कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान करने वाली सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं का वित्त पोषण किया जाता है। सरकार के कल्याण तंत्र को कारगर बनाने के लिए, पारदर्शिता और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए,”आधार नंबर” एक अनूठा अवसर प्रदान करते हैं। इस प्रणाली को विकसित करने की21 जून 2021 तक की इस यात्रा में , ‘भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण’ (Unique Identification Authority of India(UIDAI) ने आधार कार्ड के लिएभारतीय वयस्क आबादी की कुल 99 प्रतिशत आबादी नामांकित की है। UIDAI के दावों के अनुसार, 21 जून 2021 तक18 वर्ष से अधिक आयु के आधार कार्ड धारकों की कुल संख्या 129.48 करोड़ तक पहुंच गई थी। UIDAI के आंकड़ों से यह भी पता चलताहै कि पिछले एक साल में UIDAI द्वारा वयस्क आबादी को लगभग 36 करोड़ नए आधार कार्ड जारी किए गए हैं।जून 2021 तक सबसे अधिक संख्या में आधार कार्ड जनवरी 2021 में जारी किए गए, जब 53.4 लाख नए आधार कार्ड धारकों को डिजिटल (Digital) पहचान वाली भारतीय जनसंख्या की सूची में जोड़ा गया।
आधार नंबर के रूप में हर व्यक्ति को एक नंबर दिया जाता है, जिसको बनाने के लिए उस व्यक्ति के उंगलियों के निशान, और आंखों की पुतलियों के स्कैन (Iris scan)दर्ज किए जाते हैं ।ये अत्यंत गोपनीय एवं संवेदन शील जानकारी होती है।
लेकिन प्रश्न उठता है कि क्या यह गोपनीय एवं संवेदनशील जानकारी आम नागरिकों के लिए सुरक्षित है? हाल ही में एक भारतीय समाचार पत्र ‘द ट्रिब्यून’(The Tribune) ने बताया कि उसके पत्रकारों द्वारा व्हाट्सएप पर एक ऐसे अज्ञात समूह के बारे में जानकारी प्राप्त की गई है जो 800 रुपये में आधार कार्ड विवरण बेचता था। भुगतान हो जाने के बाद, इस समूह द्वारा व्यक्ति को एक पोर्टल पर लॉगिन आईडी (Login ID) और उपयोगकर्ता नाम प्रदान किया जाता था, जहां उस व्यक्ति द्वारा 12 अंकों की आधार संख्या के तहत सभी जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती थी। सिस्टम में इस भेद्यता को ठीक करने से पहले, समाचार पत्र के सदस्यों ने पता लगाया कि यह उस व्यक्ति का 1 सप्ताह के भीतर आठवाँ लेन-देन था, और इससे पहले ऐसे ही कई लाखों लेन-देन किए जा चुके थे। यह काफी हैरान कर देने वाली खबर है, जिसको सरकार द्वारा फर्जी बताकर देश के नागरिकों को यह आश्वासन दे दिया गया है कि उनका डेटा सुरक्षित है, लेकिन क्या वास्तव में यह विश्वास करना आसानहै?
आधार भारत में अनिवार्य नहीं है, लेकिन आधार को सभी बुनियादी सेवाओं से जोड़ने के लिए सरकार के आक्रामक दबाव के कारण, आधार अब भारत का सबसे लोकप्रिय फोटो पहचान दस्तावेज बन चुका है। हालांकि आधार का मूल उद्देश्य, उसे पहचान पत्र की भांति उपयोग करना नहीं, बल्कि इसका उद्देश्य बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के लिए इस्तेमाल किया जाना था, जिसमें किसी व्यक्ति के उंगलियों के निशान या आईरिस स्कैन को केंद्रीय डेटाबेस में आधार नंबर से मिलाया जाता है।हमारे द्वारा जब आधार का उपयोग केवल तस्वीर पहचानपत्र के रूप में किया जाता है, तो इसकी नकली कॉपी बनाए जाने का जोखिम बढ़ जाता है, क्योंकि इसमें कई पारंपरिक सुरक्षा सुविधाओं की कमी होती है।
आज आधार को कई प्रकार की सेवाओं से जोड़ दिया गया है, जैसे विद्यालय के लि एनामांकन, राशन वितरण, और अन्य राष्ट्रीय/सरकारी परियोजनाएं।साथ ही फेसबुक (Facebook) द्वारा भी उपयोगकर्ताओं को एक सुविधा दी गई है, जिसमें नए उपयोगकर्ता अपने आधार के माध्यम से विवरण प्रदान कर सकते हैं। यह आधार परियोजना, जिसपर अबतक लगभग 90 अरब रुपये खर्च हो चुके हैं, सीमापार की निगरानी आसान बनाकर, राष्ट्रीय सुरक्षा में सुधार करती है। इसके माध्यम से बायोमेट्रिक पहचान को सत्यापित कर, कागज के रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में बदलकर भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है। यहपरियोजना उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जिनके पास जन्म प्रमाणपत्र या औपचारिक प्रमाण पत्र नहीं हैं। सुरक्षा और दक्षता के अपने वादे को देखते हुए, सरकार ने हाल ही में वित्तीय लेनदेन के लिए आधार को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है। प्रत्येक बैंक खाते और टैक्स भुगतान को आधार से जोड़ना आवश्यक है, और किसी भी कल्याण कारी सरकारी योजना के लाभ को प्राप्त करने के लिए आधार संख्या की आवश्यकता होती है। विश्व बैंक के अनुसार यदि भारत सरकार अपनी सभी जनकल्याणकारी योजनाओं में आधार का उपयोग करती है, तो हर साल लगभग 11 बिलियन डॉलर की वार्षिक बचत हो सकती है।
किंतु सरकार द्वारा नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा तक केंद्री कृत पहुंच एक बहुत बड़ी समस्या है। अबतक कई बार व्यक्तिगत डेटा लीक हो चुका है। मूल चिंता का विषय यह है कि हैकर्स (hackers) द्वारा बायोमेट्रिक डेटा, जैसे उंगलियों के निशान, चुराए जा सकते हैं, लेकिन आधार के निदेशक का कहना है कि उनकी एजेंसी का सिस्टम अत्याधुनिक है, और निजता संबंधी चिंताओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। हालांकि आधार हमारे व्यक्तिगत विवरण की गोपनीयता को पारदर्शी रखता है, किंतु इसके साथ ही यह हमारी व्यक्तिगत गोपनीयता को जोखिम में भी डालता है।
संदर्भ :-
https://rb.gy/x1i5n
https://rb.gy/39ptp
https://rb.gy/2fxec
चित्र संदर्भ
1. आधार कार्ड के प्रयोग को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. धुंधले आधार कार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. आधार कार्ड के लिए बायोमैट्रिक पहचान देती लड़की को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. ऑनलाइन धोखाधड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. आधार के लोगो संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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