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एक समय ऐसा भी था जब हमारे जौनपुर की गोमती नदी का जल कांच की तरह साफ़ और पारदर्शी हुआ करता था। लेकिन आज उसी बारहमासी गोमती में स्नान करने में भी हिचक आती है। जहरीला प्रदूषण, माँ गोमती के आशीर्वाद पर भारी पड़ रहा है। आज वही गोमती, प्रदूषण के बोझ से मुक्ति की चाह कर रही है। यहां वहां कुछ मछलियां भले ही दिख जाती हैं, वह भी शायद किसी मजबूरी में रुकी हैं, और बेहतर ठिकाना मिलते ही यहां से भाग जाना चाहती हैं। अगर हम हजार साल का जीवन मांगकर लाते तो बता सकते थे कि, ये नदी पहले कितनी चंचल हुआ करती थी, और आज कितनी शिथिल पड़ गई है। इस विडियो ने हमें दिखाया कि यदि हम अब भी संभल जाएँ तो हमारी माँ गोमती नदी, अपने घावों को खुद ही भरने की क्षमता रखती है, और हमारे साथ-साथ मछलियों को भी पालने में सक्षम है।
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