Post Viewership from Post Date to 03-Apr-2023
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1318 491 1809

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

‘विद्यावान गुणी अति चातुर,राम काज करिबे को आतुर’,राम नवमी पे प्रकाश हनुमान जी के वक्तृत्व कौशल पर

जौनपुर

 30-03-2023 10:02 AM
ध्वनि 2- भाषायें

पवनपुत्र हनुमान जी की शक्तिशाली शारीरिक क्षमताओं से तो देश का बच्चा-बच्चा परिचित है। किन्तु क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी की बौद्धिक क्षमता एंव तर्क कौशल के समक्ष वाद-विवाद में, रावण के जैसे अत्यंत कुशल तर्कशास्त्रियों के भी पसीने छूट जाते थे।
हमारे शब्द अती शक्तिशाली उपकरण होते हैं, जिनका उपयोग रचनात्मक रूप से घावों को ठीक करने में भी किया जा सकता है, तथा विनाशकारी रूप से भी किया जा सकता है। ठीक वेसे ही जैसे एक माचिस की तीली किसी घर को रोशन भी कर सकती है, और वही इसे राख में भी बदल सकती है। इसलिए हमें अपने शब्दों का बुद्धिमानी से और दया के साथ उपयोग करना चाहिए।
हमारे बोलने का तरीका हमारे चरित्र को दर्शा सकता है। रामायण महाकाव्य में हनुमान जी के वक्तृत्व कौशल (बोलने की कला) को सटीक और व्याकरणिक रूप से अत्यंत शुद्ध माना जाता है। हनुमान यह भली भांति जानते थे की आमुख व्यक्ति की चिंता और स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए संदेश कैसे दिया जाए। शब्द किसी की जान भी बचा सकते हैं, इसका एक उदाहंरण तब देखा गया जब हनुमान ने माता सीता को अशोक वन में बेहद समझदारी के साथ अपना परिचय दिया और फिर उन्हें समझाया। जब हनुमान अशोक वनम में माता सीता से मिलने के बाद लंका से लौटते हैं, तो वे श्री राम को अपना संदेश 'सीता धृष्ट' (सीता देखी गई) के बजाय 'ध्रुस्ता सीता' (देखी गई सीता) के रूप में देते हैं। यहाँ, हनुमान भी नहीं चाहते कि उनके प्रिय भगवान एक क्षण के लिए भी दुःखी हों क्योंकि राम पहले से ही अपनी पत्नी से अलग होने से पीड़ित थे। यदि हनुमान ने पहले 'सीता' शब्द का उच्चारण किया होता, तो श्री राम को इस बात की चिंता हो जाती कि, सीता को क्या हुआ है?, उन्हें देखा गया है या नहीं और वे जीवित हैं या नहीं। हनुमान ने "देखा" के साथ अपना प्रसंग शुरू किया! यह न केवल सभी प्रत्याशाओं को समाप्त कर देता है बल्कि एक सुखद मनोदशा को भी प्रेरित करता है।
राम के दूत के रूप में जब वह रावण के दरबार में गए तब भी हनुमान ने बुद्धिमानी से वार्तालाप करने का विकल्प चुना। उन्होंने प्रभु श्री राम के पराक्रम को प्रदर्शित करने के लिए उस घटना का वर्णन किया जब श्री राम के एक ही बाण से बलवान बाली को पराजित कर दिया गया था। बोलने की कला एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो किसी के भी जीवन को प्रभावित कर सकती है और बदल सकती है। नारद पुराण में, हनुमान को मुखर संगीत के स्वामी के रूप में वर्णित किया गया है। हनुमान के बारे में एक और आकर्षक पहलू भी है, एक लोकप्रिय किताब, द मंकी ग्रामेरियन (The Monkey Grammarian) में, मैक्सिकन कवि-आलोचक ऑक्टेवियो पाज़ (Octavio Paz) हनुमान को हिंदू पौराणिक कथाओं के नौवें व्याकरणकर्ता मानते हैं। इस पुस्तक में, हनुमान जी, को “अचेतन की गतिविधि के कुल प्रवाह, नियंत्रण या नियमों के परे" के रूप में देखा गया है।
हिंदू देवता हनुमान के महत्व को विभिन्न तरीकों से देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में चार प्रणालियों में से एक, “हनुमान मत” को मुख्य रूप से ध्रुपद शैली में गाया जाता है और गुरुवाणी के गायन में भी इसका उपयोग किया जाता है।
स्वयं भगवान् राम ने भी हनुमान की बात करने की शैली की सराहना करते हुए स्पष्ट रूप से उनका उल्लेख इस प्रकार किया:

नूनं व्याकरणं कृत्स्नमनेन बहुधा श्रुतम्।
बहुव्याहरतानेन न किञ्चिदपशब्दितम्4.3.29।।
यह अत्यंत महत्वपूर्ण श्लोक है। इसमें प्रभु श्री राम, अपने भ्राता लक्ष्मण से कहते हैं, “मैं पिछले पंद्रह मिनट से हनुमान को बोलते हुए उत्सुकता से देख रहा हूं। मुझे उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले शब्दों में और उनके वाक्यों को बनाने के तरीके में एक भी गलती नहीं मिली। कुछ लोग बीच में एक गलती के साथ चार शब्द लगातार बोलते हैं, जबकि कुछ लोग बीच में दो या तीन गलतियों के साथ दस शब्द बोलते हैं!, लेकिन हनुमान ने भाषण के आखिरी पंद्रह मिनट में जो कुछ भी कहा, मैं उसमें एक भी गलती नहीं पकड़ पाया! उन्होंने अपने शब्दों के चुनाव या वाक्य निर्माण में एक भी गलती नहीं की है। जबकि कुछ लोग चार शब्दों के वाक्य में गलतियां करते हैं।" राम आगे कहते हैं कि “हनुमान को संस्कृत भाषा के व्याकरण, "व्याकरणम", (उपयुक्त संदर्भ के लिए सही शब्दों का उपयोग करने की विशेषज्ञता) ’तर्क शास्त्र", और अत्यधिक विचारोत्तेजक शोध सामग्री, "भीमांसा" की व्याख्या करने की पूरी समझ है। " संस्कृत व्याकरण के सभी नौ अध्यायों में महारत हासिल करने के कारण हनुमान को "नव-व्याकरण पंडित" के रूप में भी जाना जाता है। राम बताते हैं कि हनुमान ने व्याकरण के सभी नौ अध्यायों को सूर्य भगवान, से सिर्फ नौ दिनों में सीखा था, वह भी तब जब वह एक बालक ही थे। अंततः प्रभु श्री राम कहते हैं कि हनुमान के भाषण में बड़ी सटीकता है और सटीक अर्थ बताने के लिए सही शब्दों को रखने में वह एक विशेषज्ञ हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3nAeZFa
https://bit.ly/3U0V4eT
https://bit.ly/3zhjXtq
https://bit.ly/3nun0vA

चित्र संदर्भ
1. हनुमान जी के वनवास दृश्यों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्रभु श्री राम और हनुमान जी को संदर्भित करता एक चित्रण (Look and Learn)
3. ऑक्टेवियो पाज़ और रामायण पढ़ते हनुमान को दर्शाता एक चित्रण (flickr, amazon)
4. रावण के दरबार में हनुमान जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id