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फिल्मों में आपने अक्सर देखा होगा कि चीन (China) या जापान (Japan) की कुछ पारंपरिक द्वन्द प्रतिस्पर्धाओं जैसे मार्शल आर्ट (Martial Arts) आदि में प्रतिद्वंदी के शरीर के किसी विशेष क्षेत्र को छूने मात्र से ही उसे बेहोश कर दिया जाता है। तब यह शायद आपको सिर्फ एक कल्पना लगती होगी । लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मानव शरीर में वास्तव में कई ऐसे बिंदु भी होते हैं, जहां पर स्पर्श करके और थोड़ा सा हेरफेर करने पर, शरीर का उपचार भी किया जा सकता है। उपचार करने की इस पद्धति को मर्म चिकित्सा (Marma Therapy) कहा जाता है।
मर्म चिकित्सा, स्पर्श के माध्यम से उपचार करने की कला है। इसमें अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए शरीर पर विशिष्ट बिंदुओं को स्पर्श किया जाता है। मर्म बिंदु (Marma Points) मानव शरीर में ऐसे महत्वपूर्ण हिस्से (मांसपेशियां, नसें, स्नायुबंधन, हड्डियां या जोड़) होते हैं, जहां दो या दो से अधिक प्रकार के ऊतक मिलते हैं। ‘मर्म' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘मृ' से हुई है, जिसका अर्थ ‘मृत्यु' होता है।
सुश्रुत संहिता के अनुसार शरीर में 107, तमिल परंपराओं के अनुसार 108 और केरल की कलारी परंपरा के अनुसार मानव शरीर में 365 मर्म बिंदु होते हैं। प्रमुख मर्म बिंदु शरीर के सात चक्रों या ऊर्जा केंद्रों के अनुरूप होते हैं। ये बिंदु शरीर के आगे और पीछे के दोनों भागों में होते हैं, जिसमें 22 बिंदु निचले छोर पर, 22 बिंदु भुजाओं पर, 12 बिंदु छाती और पेट पर, 14 बिंदु पीठ पर और 37 बिंदु सिर और गर्दन पर होते हैं। प्रत्येक बिंदु का नाम उनकी शारीरिक स्थिति के आधार पर होता है।
1500 ईसा पूर्व से ही दक्षिण भारत में मर्म-बिंदु मालिश का उपयोग किया जाता रहा है। इसकी खोज सबसे पहले एक प्राचीन भारतीय मार्शल आर्ट ‘कलारी’ (Kalari) के उस्तादों द्वारा की गई थी। कलारी परंपरा के अनुसार, कुछ मर्म बिंदुओं पर प्रहार करने से तत्काल मृत्यु भी हो सकती है। प्राचीन समय में लड़ाइयों के दौरान, कलारी सेनानियों द्वारा दर्द और चोट देने के लिए अपने प्रतिद्वंद्वी के मर्म बिंदुओं को निशाना बनाया जाता था। ये मर्म क्षेत्र इतने महत्वपूर्ण होते थे कि सैनिक कवच के साथ अपने घोड़ों के मर्म बिंदुओं की भी रक्षा करते थे।
कलारी सैनिकों के घायल होने पर उन्हें ठीक करने के लिए मर्म चिकित्सा का प्रयोग किया जाता था । चिकित्सकों द्वारा चोटों के अनुरूप क्षेत्रों में उपचार को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट मर्म बिंदुओं की मालिश की जाती थी । पूरे भारतवर्ष में आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा मर्म चिकित्सा के महत्व को पहचाना गया और अस्पतालों में इसे पढ़ाने के लिए कलारी आचार्यों को नियुक्त किया गया । आखिरकार, मर्म-बिंदु प्रशिक्षण चिकित्सकों के लिए अनिवार्य हो गया, जिन्होंने जीवन के जोखिम को रोकने के लिए विशिष्ट बिंदुओं के आसपास काम किया। मर्म बिंदु मालिश आज भी आयुर्वेदिक उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है।
मर्म बिंदुओं की पांच बुनियादी श्रेणियां निम्न प्रकार हैं:
☯ममसा मर्म (मांसपेशियां),
☯अस्थि मर्म (हड्डियां),
☯स्नायु मर्म (कण्डरा और स्नायुबंधन),
☯संधि मर्म (जोड़),
☯शिरा मर्म (नसें और धमनियां)।
मर्म बिंदु चिकित्सा के चार मुख्य उद्देश्य होते हैं:
⚕यह ऊर्जा प्रवाहित होने वाली धाराओं में रुकावट को दूर करती है।
⚕वात दोष को शांत करती है।
⚕शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक लचीलापन बनाती है।
⚕चेतन मन के साथ एक सकारात्मक संबंध बनाती है।
मर्म चिकित्सा विभिन्न शारीरिक एवं मानसिक स्थितियों जैसे मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द, जकड़े हुए जोड़ों, श्वसन स्थितियों, पाचन और निष्कासन समस्याओं, तंत्रिका तंत्र विकारों, सिरदर्द और माइग्रेन, ग्रंथियों के ऊतकों, चिंता तथा अवसाद, तनाव प्रतिक्रिया, भय, भ्रम दूर करने और स्मृति के लिए फायदेमंद मानी जाती है।
मर्म चिकित्सा प्राण के प्रवाह के माध्यम से शरीर और मन को जोड़ती है, और यह तीन स्तरों (शरीर, मन और आत्मा) के एकीकरण को बढ़ावा देती है। मर्म चिकित्सा के उदाहरण के तौर पर हम ‘हॉट स्टोन’ (Hot Stone) नामक अर्थात गरम या गुनगुने पत्थरों द्वारा की जाने वाली ‘मसाज थेरेपी’ (Massage Therapy) को ले सकते हैं, जो मांसपेशियों और कोमल ऊतकों में तनाव को कम करने और राहत पाने में मदद करती है। इस मालिश में, बेसाल्ट (Basalt) से बने चिकने, गर्म और सपाट पत्थरोंको आपके शरीर के विशिष्ट भागों पर रखा जाता है। पत्थरों को 130 से 145 डिग्री के बीच के तापमान पर गर्म किया जाता है। उन्हें आपकी पीठ, पेट, छाती, चेहरे, हथेलियों, पैरों और पैर की उंगलियों पर रखा जा सकता है। मसाज थेरेपिस्ट (Massage Therapist) द्वारा गर्म पत्थरों को पकड़कर शरीर की मालिश करने के लिए लंबे स्ट्रोक (Long Strokes), सर्कुलर मूवमेंट (Circular Movements), वाइब्रेशन (Vibration), टैपिंग (Tapping) और गूंधने जैसी विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
नीचे हॉट स्टोन की मालिश करने के कुछ लाभ दिए गए हैं:
༒मांसपेशियों में तनाव और दर्द से राहत मिलती है।
༒तनाव और चिंता कम होती है।
༒अच्छी नींद आती है।
༒स्वप्रतिरक्षित रोगों (Autoimmune Diseases) के लक्षणों को दूर करने में मदद मिलती है।
༒कैंसर के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।
༒रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
यदि कोई व्यक्ति मांसपेशियों में तनाव और दर्द, अनिद्रा या तनाव का अनुभव करता है, उसे गर्म पत्थर की मालिश से लाभ हो सकता है। हालांकि, जिन लोगों को रक्तस्राव विकार, जलन, खुले घाव या रक्त के थक्के बनने जैसी कुछ चिकित्सीय स्थितियां हैं, उन्हें इस मालिश से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी इस मालिश से बचना चाहिए। मसाज थेरेपिस्ट को त्वचा को जलने से बचने के लिए, गर्म पत्थरों और आपकी त्वचा के बीच हमेशा एक तौलिया या चादर रखनी चाहिए। पत्थरों को उचित तापमान पर गर्म करने के लिए एक पेशेवर ‘मसाज स्टोन हीटर’ (Massage Stone Heater) का उपयोग किया जाना चाहिए और माइक्रोवेव (Microwave), कुकर, गर्म प्लेट या ओवन (Oven) में पत्थरों को गर्म करने से बचना चाहिए ।
संदर्भ
https://bit.ly/3TINPIo
https://bit.ly/3FOOpyo
https://bit.ly/3K4V9uL
चित्र संदर्भ
1. मर्म थेरेपी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. पीठ की मालिश को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. आंत रोग के दर्द के संदर्भ में मानव शरीर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. हॉट स्टोन थेरेपी को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
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