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प्रकृति ने हमें भोजन, वायु, जल, वनस्पति आदि जीवन के लिए आवश्यक तत्वों का उपहार प्रदान किया है। कई वर्षों से सभी
जीव-जंतु इन तत्वों का भरपूर आनंद लेते आए हैं। परंतु वर्तमान समय में मनुष्य जिसे सबसे विवेकशील प्राणी माना जाता है, ने
अपने स्वार्थ के लिए इन तत्वों का अंधाधुन्ध उपयोग किया है। इतना ही नहीं प्रकृति को भी बहुत नुकसान पहुँचाया है। आज
स्थिति यह है कि जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपभोग के कारण सभी लोगों के लिए और
आने वाली पीढ़ी के लिए पर्याप्त भोजन की समस्या पैदा होने की संभावना है। कृषि योग्य भूमि लगातार कम होती जा रही है और
जनसंख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। ऐसे में यह आवश्यक है कि खाद्य आपूर्ति के लिए उचित विकल्पों को खोजा जाए।
कई विशेषज्ञों ने बढ़ती जनसंख्या और घटते जल स्रोतों की समस्या के समाधान हेतु खड़ी खेती या ऊर्ध्वाधर खेती (Vertical
Farming) को एक बेहतर विकल्प के रूप में चुना है। इससे घरों में ही खेती करके कृषि क्षेत्र पर दबाव को कम किया जा सकता
है।
खड़ी खेती, खड़ी परतों पर कृषि करने की एक विधि है। इसमें सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी विशेष भूमि क्षेत्र की
आवश्यकता नहीं होती बल्कि भवन, घर, शॉपिंग सेंटर (Shopping Centre) या किसी भी अन्य खड़ी दीवार पर यह खेती की
जा सकती है। ऊर्ध्वाधर खेती की आधुनिक अवधारणा 1999 में कोलंबिया विश्वविद्यालय (Columbia University) में
सार्वजनिक और पर्यावरण स्वास्थ्य के प्रोफेसर डिक्सन डेस्पोमियर (Dickson Despommier) द्वारा प्रस्तावित की गई थी।
डेस्पोमियर और उनके छात्रों ने मिलकर एक गगनचुंबी इमारत का डिजाइन (Design) तैयार किया जो 50,000 लोगों के लिए
खाद्य आपूर्ति करने में सक्षम है। हालाँकि यह कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है फिर भी इसने विश्वभर में ऊर्ध्वाधर खेती के विचार
को लोकप्रिय बना दिया। ऊर्ध्वाधर खेती में कई बड़े देशों की कंपनियों ने निवेश किया है। ऊर्ध्वाधर खेती में कृषि की नई मृदा-
रहित तकनीकों जैसे हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics), एक्वापोनिक्स (Aquaponics) और एरोपोनिक्स (Aeroponics) को
शामिल किया जाता है।
हाइड्रोपोनिक्स से तात्पर्य बिना मिट्टी के फसल उगाने की तकनीक से है। इस प्रणाली में, पौधों की जड़ें नाइट्रोजन (Nitrogen),
फास्फोरस (Phosphorus), सल्फर (Sulphur), पोटेशियम (Potassium), कैल्शियम (Calcium) और मैग्नीशियम
(Magnesium) जैसे मैक्रोन्यूट्रिएंट (Macronutrients) युक्त तरल घोल और साथ ही आयरन (Iron), क्लोरीन (Chlorine),
मैंगनीज (Manganese), बोरॉन (Boron), जिंक (Zinc), तांबा (Copper) और मोलिब्डेनम (Molybdenum) जैसे ट्रेस या
लघु तत्वों (Trace Elements) में डुबायी जाती हैं। इसके अलावा, रासायनिक रूप से निष्क्रिय जड़ों को सहारा प्रदान करने के
लिए बजरी, रेत और चूरे का उपयोग मिट्टी के विकल्प के रूप में किया जाता है।
एक्वापोनिक्स शब्द दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है। एक्वा जो एक्वाकल्चर अर्थात मछली पालन को संदर्भित करता है और
पोनिक्स जो हाइड्रोपोनिक्स अर्थात बिना मिट्टी के फसल उगाने की तकनीक है। एक्वापोनिक्स एक बंद लूप प्रणाली (Closed-
loop System) में जलीय जीवों के उत्पादन के साथ स्थलीय पौधों के उत्पादन को एकीकृत करके हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को
एक कदम आगे ले जाने की विधि है।
एरोपोनिक्स अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा (American space agency NASA) द्वारा वर्ष 1990 में, अंतरिक्ष में पौधे
उगाने के विचार से प्रेरित है। इस तकनीक के अंतर्गत, पोषक तत्वों के साथ एक तरल घोल को हवा के कक्षों में रखा जाता है जहाँ
पौधों को सही तरीके से लगाया जाता है। इस तकनीक को अब तक की कम मिट्टी में उगाई जाने वाली तकनीकों में सबसे कारगर
तरीका माना जाता है। इसका कारण यह है कि यह पारंपरिक कृषि प्रणाली की तुलना में 90% तक कम पानी का उपयोग करता
है। ऊर्ध्वाधर खेती में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि घर के अंदर पूरे दिन फसल को उगाने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की
आवश्यकता पड़ती है। रोशनी, हीटर (Heaters), ह्यूमिडिफायर (Humidifiers) और अन्य उपकरणों से फसलों को ऊर्जा प्रदान
करने से बिजली की खपत बहुत अधिक हो जाती है।
विश्व भर के कई देशों की तरह भारत ने भी खाद्य सुरक्षा की वर्तमान समस्या के समाधान के रूप में ऊर्ध्वाधर खेती को अपनाया
है। इस खेती को घनी आबादी वाले क्षेत्रों में स्थापित किया जा सकता है। इसी राह में, उत्तर प्रदेश के बरेली में रहने वाले रामवीर
सिंह ने अपने घर में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खेती करके देश में एक मिसाल कायम की है। वह अपने घर पर भिंडी, मिर्च,
शिमला मिर्च, लौकी, टमाटर, फूलगोभी, पालक, पत्ता गोभी, स्ट्रॉबेरी, मेथी और हरी मटर और अन्य मौसमी सब्जियाँ उगाते हैं ।
वह बताते हैं कि वर्ष 2009 में उन्हें पता चला कि कई खतरनाक बीमारियाँ सब्जियों और फलों पर लगाए गए रसायनों या
केमिकल (Chemical) के कारण होती है। अतः अपने और अपने परिवार की सुरक्षा हेतु उन्होंने अपने घर को एक हाइड्रोपोनिक्स
फॉर्म (Hydroponics Farm) में बदलने का फैसला किया। रामवीर सिंह पेशे से पूर्व पत्रकार हैं। जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर
अपने घर में जैविक खेती की। इसके बाद, उन्होंने अपने जैविक उत्पादों को व्यवसायिक रूप से बेचना शुरू किया।
वह बताते हैं
कि इस प्रकार की खेती का विस्तृत ज्ञान उन्हें वर्ष 2017-18 में उनकी दुबई (Dubai) यात्रा के दौरान प्राप्त हुआ। जहाँ उन्होंने
एक कार्यक्रम में हाइड्रोपोनिक्स खेती के बारे में जाना। रामवीर सिंह ने कुछ समय और वहाँ रुककर अगले कुछ हफ्तों तक
किसानों से खेती की तकनीक सीखी। वापस लौटकर उन्होंने अपने घर पर खेती की तकनीक के साथ प्रयोग करना आरंभ किया।
उन्होंने पोषक फिल्म तकनीक (एनएफटी) और डीप फ्लो तकनीक (डीएफटी) का उपयोग करके खेत के लिए दो तरीके स्थापित
किए। वर्तमान में यह फार्म 750 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 10,000 से अधिक पौधे हैं।
जून 2022 में, ब्रिटिश वर्टिकल फार्मिंग स्टार्टअप जोन्स फूड कंपनी (जेएफसीओ) (The Jones Food Company (JFCo)) ने
घोषणा की कि वह लिडनी, ग्लूस्टरशायर (Lydney, Gloucestershire) में एक पुराने फोर्ज की साइट पर दुनिया का सबसे
बड़ा लंबवत फार्म बना रही है। कंपनी के सीईओ जेम्स लॉयड-जोन्स (James Lloyd-Jones) के अनुसार, आने वाले 10 वर्षों में
इंग्लैंड सभी जड़ी-बूटियों, पत्तेदार सब्जियों, फल और फूलों की खेती कर सकता है। इस प्रकार वह ऊर्ध्वाधर खेती की आपूर्ति
शृंखला में एक आदर्श बन जाएगा। यह भी संभावना है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्पादन और फल सब्जियों के आयात में भी
कटौती होगी। ऊर्ध्वाधर खेती कोई भी फसल विकसित करने में सक्षम है। यह वर्तमान और भविष्य में व्यवसायिक रूप से भी एक
अच्छा विकल्प बन सकता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3QhR2LM
https://bit.ly/3REpZer
https://bit.ly/3AQMNRu
चित्र संदर्भ
1. मोरस, जापान में इंडोर खड़ी या लंबवत खेती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. मास्को में लंबवत खेत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. पत्तेदार साग के लिए हाइड्रोपोनिक एनएफटी चैनलों और हॉर्टिपॉवर ग्रो-लाइट्स से सुसज्जित एक रैक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. लंबवत खेती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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