जानिए किस प्रकार तांबा अतीत और भविष्य की धातु है?

जौनपुर

 07-07-2021 11:13 AM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

हमारे देश के आर्थिक विकास में धातुओं का विशेष योगदान रहा है, खासतौर पर तांबा (Copper) कई दशकों से हमें लाभान्वित करता आ रहा है। भारत में तांबे का इतिहास लगभग 2000 वर्ष पुराना माना जाता है, परंतु इसका ज्ञात औद्योगिक उद्पादन 1960 के दशक के मध्य से जाना जाता है। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार यहां तांबे के विभिन्न प्रकार के संरचनात्मक अयस्क पाए जाते हैं, तथा इन अयस्कों के उद्पादन में देश के 14 राज्य आंध्र प्रदेश, सिक्किम, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मेघालय, उड़ीसा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड मध्य प्रदेश, और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं। हालांकि भारत में विश्वभर के कुल तांबे का केवल 2 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है, परंतु इसके बावजूद हम उद्पादन क्षमता में दुनियां के शीर्ष 20 देशों की सूची में आते हैं। यहां इसका भण्डार 60,000 किमी वर्ग तक सीमित रखा गया है, तथा जिसमे से 20,000 किमी का क्षेत्र अभी भी खोजा जाना शेष है। परन्तु फिर भी भारत बड़ी मात्रा में तांबा निर्यात करता है। अप्रैल 2005 भारतीय खान ब्यूरो (Indian Bureau of Mines) के द्वारा किये गए एक सर्वे के अनुसार, भारत का कुल अनुमानित तांबा भंडारण 1394.42 मिलियन टन दर्ज किया गया।
भारत में तांबे को धार्मिक परिपेक्ष्य में अति महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पर तांबे के जीवाणु (Bacteria) रोधी गुणों को तब पहचान लिया गया था, जब विज्ञानं भी जीवाणु की खोज नहीं कर पाया था। आयुर्वेद पानी को ताज़ा रखने के लिए तांबे के बर्तनो में संगृहीत करने का सुझाव देता है।
भारत के प्रसिद्ध, रामेश्वरम मंदिर में भगवान शिव को चढ़ाने के लिए पवित्र गंगा के जल को भी तांबे के पात्र में एकत्र किया जाता है। आधुनिक विज्ञान में वैज्ञानिक भी सिद्ध कर चुके हैं कि तांबे के पात्र में संग्रहित जल में “E-Coil” नामक बैक्ट्रिया को नष्ट करने की क्षमता होती है, जो भोजन विषाक्ता (food poisoning) का कारक होते हैं। ऐसे ही ढेरों लाभकारी गुणों के कारण, तांबे के बर्तनों को अस्पतालों, स्कूलों, होटल इत्यादि जैसे सार्वजानिक स्थलों में भी उपयोग किया जाता है। लगभग 2000 वर्षों पूर्व से ही भारतीय समाज में तांबे का विशेष स्थान है। भारत के प्राचीन संतों ने पहली बार ताम्बे की नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने की क्षमता को पहचाना, और उन्होंने विभन्न ज्यामितीय संरचनाओं वाले यंत्रों की भी खोज की। पुरातात्विक साक्ष्य यह बताते हैं, कि तांबे का इस्तेमाल सर्वप्रथम 8,000 और 5,000 ईसा पूर्व के बीच किया गया था, तथा तुर्की, ईरान, इराक और उस अवधि के अंत में भारतीय उपमहाद्वीप में भी इस्तेमाल किया जाने लगा। तब उन्होंने पाया कि यह धातु बेहद लचीली है, एंव इसकी तेज़ धार के आधार पर तांबे को औजारों, आभूषणों और हथियारों में बदल दिया गया, साथ ही मनुष्यों ने तांबे के उपयोग के लिए विभिन्न प्रयोग किए और तकनीक सीखी। वर्तमान परिस्थियों में तांबा इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन, बुनियादी ढांचे के विकास और घरेलू विद्युत उपकरण में सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली औद्योगिक धातु में से एक है।
नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन से जुड़े सभी प्रमुख बुनियादी ढांचे के विकास के साथ, चीन की तांबे की खपत तेजी से बढ़ी है, जिससे चीन, दुनिया में धातु का सबसे बड़ा उपभोक्ता बन गया है। परंतु वर्तमान परिस्थियों को नज़र में रखते हुए अनेक देशों ने चीन के साथ व्यापार संबंधों को स्थगित कर दिया है, जिनमे अमेरिका जैसे देश भी शामिल हैं। जहाँ कुछ वर्ष पूर्व तक भारत विश्व के सबसे बड़े तांबा उद्पादकों और निर्यातकों में से एक था, वही आज 18 साल बाद हम तांबे के शुद्ध आयातक बन गए हैं। तांबे के उत्पादन के माध्यम से, भारत औद्योगिक धातु आपूर्ति श्रृंखला में बड़ा लाभ कमा सकता था, लेकिन तमिलनाडु के तूतीकोरिन में भारत के सबसे बड़े तांबा गलाने वाले संयंत्र के बंद होने से हमने वह अवसर भी गवा दिया। आज यदि हम आत्मनिर्भर भारत के लिए अक्षय ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो हमें अधिक तांबे का उत्पादन करने की सख्त आवश्यकता है। प्रत्येक इलेक्ट्रिक वाहन जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहन की तुलना में 400 प्रतिशत अधिक तांबे का उपयोग करता है। सौर ऊर्जा प्रणालियों में, प्रति मेगावाट लगभग 5.5 टन तांबा होता है, जिसका उपयोग हीट एक्सचेंजर्स, वायरिंग और केबलिंग के लिए किया जाता है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत परिष्कृत तांबे का शुद्ध आयातक बन गया है। तांबे के बिना अक्षय ऊर्जा उत्पादन संभव नहीं है। भारत को ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त भविष्य की धातु तांबे का उत्पादन करने का तरीका खोजने की जरूरत है।

संदर्भ
https://bit.ly/3dQyd1T
https://bit.ly/3dNJ0K9
https://bit.ly/3qU6uT5
https://bit.ly/3hkWkYI
https://bit.ly/2V4DV9E

चित्र संदर्भ
1. देशी तांबे के टुकड़े का एक चित्रण (wikimedia)
2. जल संग्रहण हेतु तांबे के पात्र का एक चित्रण (flickr)
3. कॉपर वायरिंग एक ऑटोमोटिव अल्टरनेटर में बने रहने के लिए पर्याप्त मजबूत होती है, जो लगातार कंपन और यांत्रिक झटके के अधीन होती है। (wikimedia)



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id