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जिसका नाम याद है जौनपुर के बच्चे-बच्चे को मुंह ज़ुबानी, जानिए उस कोबरा की कहानी

जौनपुर

 27-09-2024 09:15 AM
रेंगने वाले जीव
जौनपुर के सात वर्ष से बड़े बच्चों में शायद ही कोई ऐसा बच्चा होगा जिसने "कोबरा (Cobra)" शब्द न सुना हो। भारत में कोबरा शब्द इतना आम हो गया है कि कई बच्चे, सांप (Snake) शब्द सुनने से पहले कोबरा ही सुनते होंगे। आम हो भी क्यों न। जौनपुर में आयदिन, खासतौर पर, बरसात या उमस भरे मौसम में, किसी के घर, गोदाम या झाड़ियों जैसी जगहों पर फ़न फैलाए या आराम कर रहे कोबरा की तस्वीरें आती रहती हैं। यह सांप, भारतीय संस्कृति की धार्मिक मान्यताओं से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
कोबरा के बारे में एक बात तो हम सभी जानते हैं कि इसे दुनिया के सबसे ज़हरीले साँपों में गिना जाता है। लेकिन आज के इस लेख में हम भारतीय कोबरा (Indian Cobra) के स्वरूप, व्यवहार और निवास स्थान के बारे में भी विस्तार से चर्चा करेंगे। फिर हम जानेंगे कि कोबरा सपेरों पर हमला क्यों नहीं करते। इसके बाद, हम भारतीय कोबरा के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व पर भी प्रकाश डालेंगे। अंत में, हम भारत में पाई जाने वाली कोबरा की कुछ अन्य प्रजातियों के बारे में जानेंगे।
भारतीय कोबरा को वैज्ञानिक रूप से "नाजा नाजा (Naja Naja)" के नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘नाजा नाजा’ संस्कृत शब्द "नाग" से लिया गया है, जिसका अर्थ कोबरा या साँप होता है। इसे एक बहुत ही विषैला और घातक साँप माना जाता है। यह एलापिडे परिवार (Elapidae family) से संबंधित है। यह साँप, भारत के "बिग फ़ोर (Big Four)" साँपों में शुमार है। इस समूह के अन्य तीन साँप आम क्रेट (Common Krait), सॉ-स्केल्ड वाइपर (Saw-scaled Viper) और रसेल वाइपर (Russell's Viper) हैं। ये चारों सांप, भारत में सबसे ज़्यादा सर्पदंश का कारण बनते हैं। भारतीय कोबरा को भारतीय उपमहाद्वीप में कई जगहों पर देखा जा सकता है। इसमें भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देश शामिल हैं। यह साँप, अलग-अलग वातावरण में रहता है। भारतीय कोबरा को आमतौर पर जंगली इलाकों जैसे घास के मैदान, मैंग्रोव, झाड़ियों और उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में देखा जा सकता है। ये सांप पानी के पास रहना पसंद करते हैं। छिपने के लिए, ये खोखले पेड़, जानवरों के बिल, चट्टानों के ढेर और यहाँ तक कि दीमक के टीले जैसी आरामदायक जगहों में घुस जाते हैं। ये गाँव, शहर और अन्य भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी दिखाई देते हैं।
भारतीय कोबरा का मुख्य भोजन, काला चूहा (Black Rat) होता है। हालाँकि, यह कृंतक (Rodents), मेंढक (Frogs), पक्षी (Birds), छिपकलियाँ (Lizards) और यहाँ तक कि अन्य साँपों को भी खाता है। कोबरा अपने शिकार को काटकर और ज़हर का इंजेक्शन लगाकर पकड़ता है। उसके बाद, यह शिकार के लकवाग्रस्त होने का इंतज़ार करता है और फिर उसे पूरा निगल जाता है।
भारतीय कोबरा का रंग और पैटर्न, उसके निवास क्षेत्र के आधार पर विभिन्न हो सकता है। आमतौर पर, इसके तल का भाग धूसर, पीला और इसका तन, भूरा या काला होता है। अध्ययनों से पता चला है कि इसके निवास स्थान के आधार पर, इसकी विष संरचना में भी अंतर आ जाता है।
हमें बचपन से बताया गया है कि “कोबरा प्रजाति के सांप बेहद आक्रामक होते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है। वास्तव में, भारतीय कोबरा (Indian Cobra) काफ़ी सतर्क होते हैं। ये सांप, यथासंभव इंसानों के साथ टकराव से बचते हैं। हालाँकि यह लोगों को काटते ज़रूर हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में वे ऐसा आकस्मिक मुठभेड़ों, जागरूकता की कमी या बचाव प्रयासों के दौरान हुई गलतियों के कारण करते हैं।
मनुष्यों या नेवलों (Mongooses) जैसे संभावित खतरों का सामना करने के लिए इन साँपों के पास एक अनूठा बचाव तंत्र होता है। ये अपने शानदार प्रतिष्ठित फ़न फैलाते हैं और चेतावनी देते हुए ज़ोर से फुफकारते हैं। लेकिन ये तुरंत नहीं काटते। उनका फ़न फैलाना और फुफकारना, यह कहने का तरीका है, "अरे, पीछे हटो।" वे किसी को सूखा काट भी दे सकते हैं, यानी आपके शरीर में कोई ज़हर इंजेक्ट नहीं किया जाएगा, बस चेतावनी के रूप में एक घाव बनाया जाएगा।
भारत भर में घूम रहे सपेरे (Snake Charmers) अपने पिटारे में अक्सर इन्हीं सांपों को ले जाते हैं। आपने भी यह ध्यान दिया होगा कि भारतीय कोबरा, सपेरों पर हमला नहीं करता। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है आखिर क्यों?
सपेरे आमतौर पर कोबरा के नुकीले दांतों से ज़हर निकाल लेते हैं। इसके साथ ही इनके पास सांप को नियंत्रित करने और काटे जाने से बचने के लिए उनके व्यवहार संबंधी पीढ़ियों का अनुभव होता है। यहां तक ​​कि प्रदर्शन के अंत में "धन्यवाद का चुंबन" भी सांप के सिर के ऊपर दिया जाता है।
हिंदू संस्कृति में भारतीय कोबरा अद्वितीय एवं पूजनीय स्थान रखता है। इसे भारत के विविध क्षेत्रों की स्थानीय परंपराओं में पूजा भी जाता है। उदाहरण के लिए, भगवान शिव (Lord Shiva) को अक्सर वासुकी नामक एक कोबरा के साथ चित्रित किया जाता है। इसे उन्होंने अपने गले में लपेटा है। यह कल्पना, शिव की माया पर महारत को दर्शाती है और माया भौतिक दुनिया के भ्रम को संदर्भित करती है। इसी तरह, भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को भी अक्सर कई सिर वाले विशाल शेष नाग (कोबरा) के कुंडलित शरीर पर आराम करते हुए दिखाया जाता है। नाग पंचमी (Nag Panchami) और नागुला चविथी (Nagula Chavithi) जैसे हिंदू त्योहारों के दौरान भी कोबरा की पूजा की जाती है। क्या आप जानते हैं कई क्षेत्रों में एक कोबरा के मारे जाने पर हिंदू आमतौर पर उसका दाह संस्कार भी करते हैं। इस दौरान, उनके मृत शरीर पर दूध, घी और कपड़े चढ़ाए जाते हैं।
भारत में भारतीय कोबरा के अलावा भी कोबरा परिवार की कुछ अन्य प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें शामिल हैं:
मोनोकल्ड कोबरा (Monocled Cobra): मोनोकल्ड कोबरा अर्थात नाजा कऊथिया (Naja kaouthia) को मुख्य रूप से पूर्वोत्तर भारत, और हरियाणा में देखा जाता है। यह प्रजाति, गोधूलि (धूल भरे माहौल) में सबसे अधिक सक्रिय होती है। इसे रात में भी देखा जा सकता है। मोनोकल्ड कोबरा आम तौर पर लगभग 5 फ़ीट लंबा होता है। यह अन्य कोबरा प्रजातियों की तुलना में गीले वातावरण को पसंद करता है। मादा मोनोकल्ड, जनवरी और मार्च के बीच अंडे देती है। ये कोबरा, 12 से 18 साल तक जीवित रह सकते हैं। उनके आहार में मुख्य रूप से मछली (Fish), मेंढक (Frogs), छोटे कृंतक (Small Rodents) और अन्य छोटे सांप शामिल हैं।
अंडमान कोबरा (Andaman Cobra): अंडमान कोबरा अर्थात नाजा सैजिटिफ़ेरा (Naja sagittifera), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं। सभी नाजा प्रजातियों में इनका दायरा सबसे सीमित है। यह सांप, दिनचर होता है, और दिन के दौरान, ज़्यादातर सक्रिय रहता है। यह प्रजाति, मई में अंडे देती है।
मध्य एशियाई कोबरा (Central Asian Cobra): मध्य एशियाई कोबरा अर्थात नाजा ऑक्सियाना (Naja oxiana) को भारत में केवल हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के मध्य-ऊँचे इलाकों में देखा गया है। यह देश में पाई जाने वाली दुर्लभ नाजा प्रजातियों में से एक है, जिसकी लंबाई, औसतन 4.5 फ़ीट होती है। इसका आहार मुख्य रूप से छोटे कृंतक और पक्षी हैं। अंडमान कोबरा की तरह, इस अद्भुत जीव को बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
किंग कोबरा (King Cobra): किंग कोबरा, ओफियोफेगस हन्ना (Ophiophagus hannah) को दुनिया का सबसे लंबा, विषैला सांप माना जाता है। यह एकमात्र ऐसा सांप है जो घोंसला बनाता है और उसकी रक्षा करता है। इसका आहार, मुख्य रूप से चूहे (Rats) और अन्य साँप होते हैं। लेकिन इसे मॉनिटर छिपकलियों (Monitor Lizards) को खाने के लिए भी जाना जाता है। भारत में, किंग कोबरा भारी वर्षा, घने जंगलों, मैंग्रोव और दलदलों वाले आवासों में पनपते हैं। बड़े होने के कारण, ये बेहतरीन तैराक होते भी हैं। साथ ही ये पेड़ों पर भी आसानी से चढ़ सकते हैं। एक व्यक्तिगत किंग कोबरा के लिए औसत घरेलू सीमा 3 से 5 वर्ग किलोमीटर के बीच होती है। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि किंग कोबरा की चार अलग-अलग वंशावली हो सकती हैं जिन्हें विभिन्न प्रजातियों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। हालाँकि, इसकी पुष्टि के लिए, और अधिक शोध की आवश्यकता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2cuxc4o2
https://tinyurl.com/yxqpo2l3
https://tinyurl.com/23vhzjk8
https://tinyurl.com/22g6g5kj

चित्र संदर्भ
1. फ़न फैलाए भारतीय कोबरा को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. फ़न उठाए भारतीय कोबरा को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
3. भारतीय कोबरा की आँखों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. विशाल भारतीय कोबरा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. जीब निकाले भारतीय कोबरा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. मोनोकल्ड कोबरा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. अंडमान कोबरा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. मध्य एशियाई कोबरा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. किंग कोबरा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


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