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क्या आप जानते हैं कि हमारे जौनपुर के “त्रिलोचन महादेव मंदिर” का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथ “स्कंद पुराण” में भी मिलता है। प्रतिवर्ष, महाशिवरात्रि का पावन पर्व, भगवान शिव के कई भक्तों को इस मंदिर में खींच ले आता है। महाशिवरात्रि के पीछे की पौराणिक कथा अत्यंत रोचक और विविध है। इसके अलावा यह त्योहार 12 ज्योतिर्लिंगों की ओर भी भक्तों का ध्यान आकर्षित करता है। आइए आज इन पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं।
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व (शिव और शक्ति) के मिलन का प्रतीक माना जाता है। क्षेत्रीय कैलेंडर के अनुसार इस त्योहार का समय अलग-अलग होता है। दक्षिण भारत में, यह माघ महीने में कृष्ण पक्ष के दौरान चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में, यह फाल्गुन महीने में मनाया जाता है। हालांकि इस अंतर के बावजूद, दोनों क्षेत्र में इसे एक ही दिन मनाया जाता है।
इस दिन, शिव भक्त विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं। वे मंदिरों में जाते हैं, भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, प्रसाद तैयार करते हैं, व्रत रखते हैं और भगवान शिव से आशीर्वाद मांगते हैं।
महाशिवरात्रि के उद्भव को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं।
➥ हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि, भगवान शिव और उनकी दिव्य पत्नी मां शक्ति से दूसरे विवाह का प्रतीक है। इस दिन, जिसे 'भगवान शिव की रात' के रूप में जाना जाता है, उनके दिव्य मिलन का जश्न मनाया जाता है। यह अवसर सचेतनता (पुरुष - भगवान शिव द्वारा दर्शाया गया) और प्रकृति (प्रकृति - मां पार्वती द्वारा प्रतिनिधित्व) के विलय का प्रतीक है।
➥ महाशिवरात्रि के दिन शिव लिंगम की शक्ति का भी उत्सव मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच अपनी शक्तियों को लेकर बहस हो गई, तभी भगवान शिव एक ज्वलंत लिंग के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने उन्हें इस ज्वलंत लिंग का आरंभ और अंत खोजने की चुनौती दी। इसके बाद भगवान ब्रह्मा ने यह झूठ बोल दिया कि उन्होंने लिंग की उत्पत्ति का पता लगा लिया है। इस झूठ से क्रोधित होकर भगवान शिव ने उन्हें दंडित किया। इस घटना ने साबित कर दिया कि ब्रह्मा और विष्णु भगवान शिव के अंश थे, जो उन्हें सर्वोच्च बनाते हैं। यही कारण है कि लिंगम हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली प्रतीकों में से एक है।
➥ महाशिवरात्रि से जुड़ी एक और किंवदंती के अनुसार माँ सती के आत्मदाह की सूचना पाकर भगवान शिव ने, “रुद्र” के रूप में अवतार लेकर, आधी रात को सृजन, संरक्षण और विनाश का अपना लौकिक नृत्य किया था। भक्तों के बीच इस नृत्य को “रूद्र तांडव” के रूप में जाना जाता है।
➥ महा शिवरात्रि से जुड़ी एक अन्य मान्यता कहती है कि समुद्र मंथन के दौरान, अमृत के साथ-साथ एक शक्तिशाली विष भी निकला था, जिसकी वजह से पूरी सृष्टि का विनाश हो सकता था। लेकिन, भगवान शिव ने ब्रह्मांड को विनाश से बचाने के लिए इस विष को पी लिया। इस कृत्य से उनका गला नीला हो गया, जिससे उन्हें उनका प्रचलित 'नीलकंठ' नाम मिला। नतीजतन, महा शिवरात्रि को भगवान शिव के भक्तों द्वारा उनकी रक्षा के लिए कृतज्ञता के दिन के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है, कि भगवान् शिव को विष पीने के बाद आराम देने और ठीक होने में मदद करने के लिए, देवताओं ने उन्हें पूरी रात जगाए रखा तथा नृत्य और संगीत से उनका मनोरंजन किया। देवताओं की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया। महा शिवरात्रि हमें इसी घटना की याद दिलाती है, और इसी कारण इस अवसर पर सभी शिव भक्त उपवास करते हैं, जागते हैं, भगवान की स्तुति गाते हैं और पूरी रात ध्यान करते हैं।
महा शिवरात्रि के दिन सबसे पवित्र शिव मंदिरों, 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करना अत्यंत भाग्यशाली माना जाता है।
ये ज्योतिर्लिंग देशभर में फैले हुए हैं:
1- सोमनाथ: यह मंदिर गुजरात के पश्चिमी तट पर प्रभास पाटन, सौराष्ट्र में स्थित है। माना जाता है कि यहीं पर भगवान शिव प्रकाश स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे।
2- नागेश्वर: गुजरात में स्थित यह ज्योतिर्लिंग, एक भूमिगत अभयारण्य में स्थित है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग सभी विषाक्त पदार्थों से सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करता है।
3- भीमाशंकर: माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग को कुंभकर्ण के पुत्र भीम ने पुणे के पास भीमा नदी के तट पर स्थापित किया था। हालांकि इस ज्योतिर्लिंग का स्थान आज भी विवादित है। शिव पुराण गुवाहाटी के भीमाशंकर मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मानता है, जबकि लिंग पुराण उड़ीसा के भीमपुर के भीमाशंकर मंदिर को 12 तीर्थस्थलों में से एक मानता है।
4- त्र्यंबकेश्वर: नासिक के पवित्र शहर में स्थित, यह मंदिर अपने तीन मुख वाले लिंग के लिए जाना जाता है, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) का प्रतिनिधित्व करता है।
5- घृष्णेश्वर: यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। किवदंतियों के अनुसार घृष्णेश्वर लिंग के स्थान पर भगवान शिव ने एक महिला के मृत पुत्र को पुनर्जीवित किया था।
6- बैद्यनाथ: भीमाशंकर की भांति वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का सटीक स्थान भी विवादित रहा है। कहा जाता है कि श्रीलंका जाने के लिए मनाने से पहले रावण ने वर्षों तक भगवान शिव की पूजा की थी। शिवलिंग को ले जाने के दौरान, भगवान विष्णु ने रावण को देवघर में शिवलिंग को कुछ समय के लिए आराम देने का आदेश दिया, जिससे यह ज्योतिर्लिंगों में से एक बन गया।
7- महाकालेश्वर: पौराणिक कथा के अनुसार उज्जैन के महाकाल वन में स्थित इस मंदिर का निर्माण श्रीकर नामक पांच वर्षीय बालक ने करवाया था। यह भारत के सात मुक्ति-स्थलों (आत्मा की मुक्ति के स्थान) में से एक है।
8- ओंकारेश्वर: यह मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा में स्थित है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार, एक बड़े युद्ध में राक्षसों द्वारा देवताओं को पराजित करने के बाद, उन्होंने भगवान शिव की पूजा की, जो बाद में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाने लगा।
9- विश्वनाथ काशी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर, भारत के सबसे प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पवित्र नदी गंगा के तट पर स्थित होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
10 - केदारनाथ: पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में स्थित यह मंदिर साल में केवल छह महीने खुला रहता है। माना जाता है कि भगवान शिव, भगवान् विष्णु के जुड़वां अवतारों, नर और नारायण के अनुरोध पर केदारनाथ में एक ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
11- रामेश्वरम: तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग भगवान राम से जुड़ा है, जिनके बारे में माना जाता है कि यहां पर प्रभु श्री राम ने रेत से एक लिंग बनाया था और वहां भगवान शिव की पूजा की थी।
12- मल्लिकार्जुन: आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित, इस मंदिर को "दक्षिण का कैलाश" भी कहा जाता है। यह मंदिर मल्लिकार्जुन (शिव) और भ्रामराम्बा (देवी) का घर है।
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर देशभर के शिव भक्तों में हर्षोल्लास देखते ही बनता है। देश का प्रत्येक शिव मंदिर चमचमाती रौशनी और शिव भजनों से गूंज उठता हैं। इस खास अवसर पर हमारे जौनपुर के त्रिलोचन शिव मंदिर में भी शिवभक्तों की भारी भीड़ रहती है। महाशिवरात्रि की रात को नक्षत्रों की स्थिति, ध्यान के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इसलिए, इस रात लोगों को जागते रहने और शिवरात्रि का ध्यान करने की सलाह दी जाती है। प्राचीन काल में लोग कहते थे, 'यदि आप हर दिन ध्यान नहीं कर सकते हैं, तो साल में कम से कम एक शिवरात्रि के दिन ऐसा करें; जागते रहें और ध्यान करें'।
संदर्भ
http://tinyurl.com/ds5vcdst
http://tinyurl.com/3kx79f38
http://tinyurl.com/yxy8j4kf
http://tinyurl.com/2pm3dyma
चित्र संदर्भ
1. जौनपुर के “त्रिलोचन महादेव मंदिर” और भगवान शिव की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube, flickr)
2. भगवान् शिव पार्वती के विवाह को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
3. हलाहल पीते भगवान् शिव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. सोमनाथ मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. नागेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. भीमाशंकर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. त्र्यंबकेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. घृष्णेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. बैद्यनाथ मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. महाकालेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
11. ओंकारेश्वर मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
12. काशी विश्वनाथ मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
13. केदारनाथ मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
14. रामेश्वरम मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
15. मल्लिकार्जुन मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
16. जौनपुर के “त्रिलोचन महादेव मंदिर” को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
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