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भोजपुरी भाषा बिहार तथा झारखंड के अलावा, हमारे राज्य उत्तर प्रदेश, एवं खासकर हमारे शहर जौनपुर में भी बोली जाती है। भोजपुरी शहर में रहने वाले कई लोगों की मातृभाषाओं में से एक है। ऐसे परिदृश्य में भोजपुरी लोक संगीत भी, यहां बड़े चाव से सुना जाता है। तो आइए, आज कुछ प्रसिद्ध भोजपुरी लोक संगीत, उनकी शैली और इतिहास के बारे में जानते हैं। साथ ही, देखिए भोजपुरी ने कैसे भारत के बाहर भी अपना प्रभाव डाला है। इसके साथ ही, यह भी जानें कि, क्यों हाल के दिनों में भोजपुरी संगीत और गाने अपनी उपयुक्तता को लेकर काफी चर्चा में हैं?
भोजपुरी संगीत की उत्पत्ति काफी अस्पष्ट मालूम पड़ती है। लेकिन, आज के भोजपुरी संगीत गीत का सबसे प्रारंभिक रूप ‘निर्गुण’ है, जिसे संत कबीर द्वारा गाया जाता था। छठ पूजा या शादी-ब्याह जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर लोग ये लोकगीत गाते है।
जब भोजपुरी लोगों को ब्रिटिश उपनिवेशों में बागान श्रमिकों के रूप में ले जाया गया, तो भोजपुरी संगीत का वैश्वीकरण हुआ, और इसने मॉरीशस(Mauritius), नीदरलैंड(Netherlands) और कैरेबियाई द्वीपों(Caribbean Islands) में अपना दायरा बढ़ाया। इन श्रमिकों को गिरमिटिया मजदूर भी कहा जाता था। तब यह संगीत उन देशों के लोक या आधुनिक संगीत रूप के साथ भी मिश्रित हुआ, और इससे भोजपुरी संगीत के एक अलग रूप का जन्म हुआ। उदाहरण के लिए, सूरीनाम(Suriname) में ‘बैठक गाना’, त्रिनिदाद(Trinidad) और टोबैगो(Tobago) में ‘चटनी संगीत’ और मॉरीशस में ‘गीत गवई’।
एक तरफ, भोजपुरी संगीत के आधुनिक रूप की उत्पत्ति 1950 के दशक की बॉलीवुड फिल्मों से हुई है। बाद में, पहली भोजपुरी फिल्म – ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो’ की रिलीज के बाद, आधुनिक भोजपुरी संगीत की एक पीढ़ी के साथ भोजपुरी लोक गीतों का आधुनिकीकरण हुआ।
दूसरी ओर, आज गिरमिटिया मजदूरों के वंशज, जो विदेशों में बस चुके हैं, हमारे देश भारत के साथ अपने संबंधों को नवीनीकृत करने के अलावा, अपनी संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। मॉरीशस में भोजपुरी भाषी समुदायों के पारंपरिक संगीत और नृत्य गीत – गवई को यूनेस्को(UNESCO) की ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत(Intangible Cultural Heritage of Humanity)’ की सूची में शामिल किया गया है। हालांकि, गिरमिटिया मजदूरों के वंशजों के लिए यह सकारात्मक खबर आने में लगभग दो शताब्दियां लग गईं। भारत के भोजपुरी क्षेत्र के पहले अप्रवासियों द्वारा मॉरीशस में कदम रखने के 180 साल बाद इस विरासत को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली ।
वास्तव में, गीत-गवई विवाह-पूर्व समारोह का हिस्सा है, और इसमें अनुष्ठान, प्रार्थना, गीत, संगीत और नृत्य का मिश्रण होता है। इसके माध्यम से वे हिंदू देवी-देवताओं का सम्मान करते हैं। इसे विदेशी द्वीपों पर गिरमिटिया लोगों की सामूहिक पहचान की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है, जो अपनी भाषाओं को संरक्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। चूंकि, गीत गवई वहां विलुप्त होने के कगार पर था, इस समुदाय के बुजुर्गों ने, मौखिक परंपराओं को “संस्थागत बनाने” की कोशिश की। जल्द ही यह भोजपुरी संस्थान एक आंदोलन बन गया, और उन्होंने गायकों, जिन्हें ‘गीतरीन’ कहा जाता है, को अधिक महत्व देना शुरू कर दिया।
फिर, इन गीतारीनों ने सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, और उन्होंने मॉरीशस देश के अभिजात वर्ग तथा विशेष रूप से, अन्य जातीय समूहों के लोगों को, गीत गवई सत्र में आने और भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। इस प्रकार इस परंपरा को संरक्षित किया गया।
इस संगीत को हालांकि, आज हमारे देश में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बाजार में बढ़ते अश्लील भोजपुरी गानों के कैसेट(Cassette) से भारत की परंपराओं और संस्कृति को खतरा है। नई पीढ़ी के संदर्भ में यह चिंता का विषय है, जो इन गानों के नकारात्मक और अश्लील अर्थों को सबसे पहले पकड़ती है। विभिन्न संगीत कंपनियां लोकगीतों के नाम पर दोहरे अर्थ वाले सस्ते गाने बेच रही थीं।
इसलिए, व्यावसायीकरण और वैश्वीकरण के युग में भारतीय समाज के सांस्कृतिक पहलुओं की रक्षा की जानी चाहिए। भारतीय शास्त्रीय संगीत एक निश्चित वर्ग के लोगों तक ही सीमित था और इस क्षेत्र में कई प्रतिभाशाली नए लोगों को जनता के लिए प्रदर्शन करने के लिए सही मंच नहीं मिल रहा था। अतः उभरते शास्त्रीय प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाने चाहिए।
संदर्भ
http://tinyurl.com/49bdjn9u
http://tinyurl.com/bdepyz6p
http://tinyurl.com/29zeejy8
चित्र संदर्भ
1. भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी जी को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. भोजपुरी संगीत के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. भोजपुरी लोक-संस्कृति एवं हिन्दुस्तानी संगीत नामक पुस्तक को संदर्भित करता एक चित्रण (Exotic India Art)
4. एक विवाह समारोह में हो रहे नृत्य को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
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