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हमारे ज़िले रामपुर में अनुबंध खेती का प्रयोग, कैसे हो सकता है, सफ़ल?

मेरठ

 27-12-2023 10:10 AM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

आपने कृषि के कई प्रकारों के बारे में पढ़ा होगा। आइए, आज इसके एक अन्य प्रकार के बारे में पढ़ते हैं। ‘अनुबंध खेती’ को खरीदार और किसानों के बीच एक समझौते के अनुसार किए गए, कृषि उत्पादन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो कृषि उत्पाद और विपणन के लिए कुछ स्थितियां स्थापित करता है। आमतौर पर, इस प्रकार के कृषि समझौते में कोई किसान एक विशिष्ट कृषि उत्पाद की सहमत मात्रा, प्रदान करने के लिए राज़ी होता है। किसान द्वारा क्रेता के गुणवत्ता मानकों को पूरा करना और इनकी क्रेता द्वारा निर्धारित समय पर आपूर्ति भी की जानी चाहिए। बदले में, खरीदार उत्पाद खरीदने और, कुछ मामलों में, उत्पादन का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध होते है। कृषि विपणन को हमारे देश के विभिन्न राज्यों के कृषि उपज विपणन विनियमन(एपीएमआर–APMR) अधिनियमों द्वारा विनियमित किया जाता है। अनुबंध खेती की प्रथा को विनियमित और विकसित करने हेतु सरकार, राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों को अनुबंध खेती प्रायोजकों के पंजीकरण, उनके समझौतों की रिकॉर्डिंग(Recording) और देश में अनुबंध खेती को व्यवस्थित रूप से बढ़ावा देने हेतु, उचित विवाद निपटान की एक प्रणाली प्रदान करने के लिए, अपने कृषि विपणन कानूनों में सुधार करने हेतु सक्रिय रूप से वकालत कर रही है। अब तक, 21 राज्य (आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तराखंड) ने अनुबंध खेती के प्रावधान के लिए, अपने कृषि उपज विपणन विनियमन अधिनियमों में संशोधन किया है। जबकि,इनमें से केवल 13 राज्यों (आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना) ने वे प्रावधान लागू करने हेतु, कुछ नियमों को अधिसूचित भी किया है। हम आपको यह बता दें कि, विभिन्न कृषि उत्पाद अनुबंध खेती के तहत आने वाली प्रथाओं के लिए उपयुक्त हैं।इसमें टमाटर का गूदा, जैविक रंग, पोल्ट्री, लकड़ी का गूदा, मशरूम, डेयरी प्रसंस्करण, खाद्य तेल, विदेशी सब्जियां, बेबी कॉर्न(Baby corn) की खेती, बासमती चावल, औषधीय पौधे, चिप्स और वेफर्स बनाने के लिए आलू, प्याज, मंदारिन संतरे(Mandarin oranges), ड्यूरम गेहूं(Durum wheat), और ऑर्किड(Orchids) सहित कुछ अन्य फूल , आदि शामिल हैं। अच्छी तरह से प्रबंधित अनुबंध खेती, कृषि में उत्पादन और विपणन के समन्वय और बढ़ावा देने का एक प्रभावी तरीका है। फिर भी, यह अनिवार्य रूप से असमान पक्षों के बीच एक समझौता है: जिसमें एक तरफ कंपनियां, सरकारी निकाय या व्यक्तिगत उद्यमी, और दूसरी तरफ आर्थिक रूप से कमज़ोर किसान हैं!हालांकि, यह एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो किसानों के लिए बढ़ी हुई आय, और प्रायोजकों के लिए उच्च लाभप्रदता, दोनों में योगदान दे सकता है। जब इसे कुशलतापूर्वक व्यवस्थित और प्रबंधित किया जाता है, तो अनुबंध खेती खुले बाजार में फसल खरीदने और बेचने की तुलना में दोनों पक्षों के लिए जोखिम और अनिश्चितता को कम करती है। किसानों के लिए इस समझौते का एक मुख्य लाभ यह भी है कि, प्रायोजक आमतौर पर निर्दिष्ट गुणवत्ता और मात्रा मापदंडों के भीतर उगाई गई सभी उपज को खरीदने का कार्य करेंगे। अनुबंध, किसानों को प्रबंधकीय, तकनीकी और विस्तार सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच भी प्रदान कर सकते हैं जो अन्यथा अप्राप्य हो सकती हैं। साथ ही किसान, इनपुट(Input) के वित्तपोषण हेतु, वाणिज्यिक बैंक के साथ ऋण की व्यवस्था करने के लिए अनुबंध समझौते को सहायक के रूप में भी, उपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार, किसानों के लिए अनुबंध खेती से मुख्य संभावित लाभ हैं:
1.इनपुट और उत्पादन सेवाओं का प्रावधान;
2.ऋण तक पहुंच;
3.उपयुक्त प्रौद्योगिकी का परिचय;
4.कौशल हस्तांतरण;
5.गारंटीकृत और निश्चित मूल्य निर्धारण संरचनाएं; और
6.विश्वसनीय बाज़ारों तक पहुंच
जबकि, दूसरी ओर, किसानों के लिए, अनुबंध खेती से जुड़ी संभावित समस्याओं में निम्न कारक शामिल हैं:
1. दो आसमान पक्षों के बीच समझौते की आपूर्ति न होने का बढ़ता खतरा;
2.अनुपयुक्त प्रौद्योगिकी और फसल असंगति;
3.कोटा और गुणवत्ता विनिर्देशों में हेरफेर;
4.भ्रष्टाचार;
5.एकाधिकार द्वारा प्रभुत्व; और
6.ऋणग्रस्तता और प्रगति पर अत्यधिक निर्भरता
हालांकि, इन संभावित समस्याओं को आमतौर पर, कुशल प्रबंधन द्वारा कम किया जा सकता है। इस कृषि से जुड़ा एक मुद्दा, हमारे स्थानीय स्तर पर मौजूद है। हमारे ज़िले रामपुर में, लेमन ग्रास(Lemon grass) की अनुबंध खेती की शासन की योजना, दरअसल, बंद पड़ गई है। इसलिए, न तो लेमन ग्रास की खेती का रकबा बढ़ा और न ही कंपनियों के बीच प्रोसेसिंग(Processing) का समझौता हो सका। अतः, अब कृषि विभाग दोबारा एक योजना लेकर शासन के सामने प्रस्तुत करेगा। कृषि विभाग ने किसानों की आमदनी बढ़ाने हेतु, लेमनग्रास की खेती का विकल्प चुना था। उसमें खेती का रकबा बढ़ाने हेतु, ब्लॉकवार क्लस्टर(Cluster) बनाए गए थे। उत्पादों की प्रोसेसिंग के लिए, किसान फार्मर प्रोडयूसर कंपनियों से राबता कायम कर, किसानों के लिए अनुबंध का खाका भी तैयार किया गया। लेकिन, साल भर का समय बीत जाने के बाद भी, यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी।
इसके बावजूद, एक पंजीकृत अनुबंध खेती क्रेता (प्रायोजक), उस क्षेत्राधिकार के कृषि विपणन विभाग से नामित पंजीकरण और अनुबंध रिकॉर्डिंग समिति के कार्यालय में आवेदन कर सकता है, जिसके भीतर उपज उगाई जानी है। निम्न लिंक में प्रस्तुत प्रक्रिया, हमारे ज़िले रामपुर में अनुबंध खेती को पंजीकृत करने के विभिन्न तरीके हमारे साथ साझा करती है: http://tinyurl.com/mr44mscj

संदर्भ
http://tinyurl.com/4nhs86r9
http://tinyurl.com/yh63t74b
http://tinyurl.com/3mm78ect
http://tinyurl.com/mr44mscj

चित्र संदर्भ
1. मिर्च तोड़ती भारतीय महिला किसानों को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
2. खेत जोतते किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
3. खेत का निरीक्षण करते शोधकर्ताओं को संदर्भित करता एक चित्रण (CGIAR)
4. प्रसन्न भारतीय किसानों को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)

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