Post Viewership from Post Date to 19-Nov-2024 (5th) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2347 131 2478

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है

मेरठ

 14-11-2024 09:20 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
हाल के वर्षों में भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार के लिए, महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, और यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है कि हर किसी को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं मिल सकें। 'आयुष्मान भारत' जैसी पहल का उद्देश्य, सभी के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है, विशेष रूप से गरीबों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए। सरकार द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने, स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या बढ़ाने और टेलीमेडिसिन हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहे हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल पहुंच के बीच अंतर को कम करना, सभी नागरिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता दिखाना और एक बेहतर भविष्य बनाना है। तो आइए आज, भारत में स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों के बारे में जानते हैं और इसके साथ ही, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को समझते हैं। अंत में, हम भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के सामने मौज़ूद विभिन्न चुनौतियों पर भी चर्चा करेंगे।
सरकारी पहल-
भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई कुछ प्रमुख पहल इस प्रकार हैं:

● वित्तीय वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में डिजिटल बुनियादी ढांचे में वृद्धि और 89,287 करोड़ रुपये के संशोधित स्वास्थ्य व्यय के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बदलने पर ज़ोर दिया गया है, जिसका लक्ष्य स्वास्थ्य सेवाओं में पहुंच और नवाचार को बढ़ावा देना है।
● हाल ही में आयुष्मान भारत के तहत, गुणवत्ता स्वास्थ्य कार्यक्रम में तीन प्रमुख पहलों का अनावरण किया गया। इन पहलों का उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता को बढ़ाना और भारत में व्यापार करने में आसानी की सुविधा प्रदान करना है, जिसमें आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के लिए एक आभासी मूल्यांकन, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक IPHS अनुपालन डैशबोर्ड और खाद्य विक्रेता के लिए एक स्पॉट फ़ूड लाइसेंस पहल शामिल है।
● मेडटेक क्षेत्र में युवा भारतीय नवप्रवर्तकों को उनके अनुसंधान, विकास और विनियामक अनुमोदन में सहायता करने के लिए एक मंच 'मेडटेक मित्र' लॉन्च किया गया है, जिसका लक्ष्य आयात पर निर्भरता कम करना और 2030 तक भारत को 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अग्रणी मेडटेक उद्योग में बदलना, साथ ही विकसित और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप किफायती, गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा उपकरणों और निदान के स्वदेशी विकास को बढ़ावा देना है।
● पोषण अभियान एक केंद्र प्रायोजित योजना है और इस योजना का कार्यान्वयन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किया जाता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी आंगनवाड़ी केंद्र स्मार्टफोन और ग्रोथ मॉनिटरिंग डिवाइस (Growth Monitoring devices (GMDs)) जैसे कि इन्फ़ैन्टोमीटर , स्टैडोमीटर आदि से युक्त हैं, मंत्रालय ने तकनीकी विशिष्टताओं के प्रतिस्थापन के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं।
केंद्रीय बजट 2023-24 में:
● विभिन्न राज्यों में पांच नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences (AIIMS)) का उद्घाटन किया गया, जिसके द्वारा भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। राजकोट (गुजरात), बठिंडा (पंजाब), रायबरेली (उत्तर प्रदेश), कल्याणी (पश्चिम बंगाल) और मंगलागिरी (आंध्र प्रदेश) में स्थित ये एम्स सुविधाएं तृतीयक स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम का संकेत देती हैं।
● 18 जनवरी, 2024 को भारत और इक्वाडोर के बीच एक समझौता हस्ताक्षरित किया गया, जिसमें चिकित्सा उत्पाद विनियमन में सहयोग को बढ़ावा देना, अंतर्राष्ट्रीय समन्वय को बढ़ाना और संभावित रूप से भारत के फार्मास्युटिकल निर्यात को बढ़ावा देना शामिल है।
● 8 नवंबर, 2023 को, भारत और नीदरलैंड ने हेग में एक महत्वपूर्ण आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य चिकित्सा उत्पाद विनियमन पर सहयोग को बढ़ाना है, जिससे दोनों देशों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।
● अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-25 के तहत, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को 2023-24 में 89,155 करोड़ रुपये की तुलना में, 1.69% की वृद्धि के साथ, 90,659 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
● प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (Pradhan Mantri Swasthya Suraksha Yojana (PMSSY)) को 2,400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
● स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के लिए मानव संसाधन को 5,016 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
● राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को 38,183 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
● आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के लिए AB-PMJAY रुपये आवंटित किए गए।
● जुलाई 2022 में, विश्व बैंक ने भारत के प्रधान मंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण को मंजूरी दी।
● देश में मेडिकल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार 156 देशों के नागरिकों के लिए ई-मेडिकल वीज़ा सुविधा का विस्तार कर रही है।
● मई 2022 में, केंद्र सरकार द्वारा गुजरात में पांच नए मेडिकल कॉलेजों के लिए प्रत्येक को 190 करोड़ रुपये के अनुदान को मंजूरी दी गई। ये कॉलेज नवसारी, पोरबंदर, राजपीपला, गोधरा और मोरबी में खुलेंगे।
● नवंबर 2021 में, भारत सरकार, मेघालय सरकार और विश्व बैंक ने मेघालय राज्य के लिए 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर की स्वास्थ्य परियोजना पर हस्ताक्षर किए।
● सितंबर 2021 में, सरकार द्वारा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन लॉन्च किया गया। यह मिशन देश भर के अस्पतालों के डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को जोड़ता है।
● सितंबर 2021 में, तेलंगाना सरकार ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, नीति आयोग और हेल्थनेट ग्लोबल के साथ एक संयुक्त पहल में, 'मेडिसिन फ़्रॉम द स्काई' (Medicine from the Sky) परियोजना शुरू की। इस परियोजना के तहत देश के दूर-दराज़ के क्षेत्रों में जीवन रक्षक दवाओं की ड्रोन डिलीवरी की जाती है।
● जुलाई 2021 में, पर्यटन मंत्रालय द्वारा भारत में चिकित्सा और कल्याण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'राष्ट्रीय चिकित्सा और कल्याण पर्यटन बोर्ड' की स्थापना भी की गई।
● जुलाई 2021 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में पारंपरिक दवाओं के विकास के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन को 2026 तक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में जारी रखने की मंजूरी दी।
● जुलाई 2021 में, स्वास्थ्य और चिकित्सा में सहयोग पर भारत और डेनमार्क के बीच समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी दी गई। यह समझौता दोनों देशों की आबादी की सार्वजनिक स्वास्थ्य स्थिति में सुधार के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में संयुक्त पहल और प्रौद्योगिकी विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा।
● जून 2021 में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने, यूनिसेफ के साथ साझेदारी में, भारत में वर्तमान COVID-19 स्थिति पर पूर्वोत्तर राज्यों में मीडिया पेशेवरों और स्वास्थ्य संवाददाताओं के लिए एक क्षमता-निर्माण कार्यशाला आयोजित की, ताकि COVID-19 टीकों के बारे में मिथकों को दूर किया जा सके।
भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में प्रमुख चुनौतियाँ-
भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

● अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: भारत में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की अत्यंत कमी है, खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां अधिकांश आबादी रहती है। कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप-केंद्रों में आवश्यक बुनियादी ढांचे, चिकित्सा उपकरणों और संसाधनों का अभाव है, जिससे आबादी को बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान करना मुश्किल हो जाता है। स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की अपर्याप्त संख्या, खराब रखरखाव, अपर्याप्त चिकित्सा उपकरण और संसाधन, और उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में मौजूदा चुनौतियों को और भी अधिक बढ़ा देती है।
● स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कमी: भारत में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ़ सहित स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की भारी कमी है। यह भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के सामने एक गंभीर चुनौती है, जो पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच को प्रभावित कर रही है। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्पष्ट है, जहां अधिकांश आबादी रहती है लेकिन प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों तक उनकी पहुंच सीमित है। इसके अलावा स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए मेडिकल और नर्सिंग शिक्षण संस्थानों की भी भारी कमी है।
● शहरी-ग्रामीण असमानताएँ: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में उल्लेखनीय असमानता है। शहरी क्षेत्रों में बेहतर बुनियादी ढांचा, कुशल पेशेवरों तक पहुंच और विशेष देखभाल की उपलब्धता होती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र अक्सर अपर्याप्त सुविधाओं और सीमित मानव संसाधनों से जूझते हैं।
● वित्तीय बाधाएं और स्वास्थ्य बीमा: स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अपनी जेब से किया जाने वाला उच्च खर्च कई भारतीयों के लिए एक बड़ा बोझ हो सकता है। भारत में स्वास्थ्य बीमा कुछ अन्य देशों की तरह उतना व्यापक नहीं है। इससे अधिकांश मामलों में उपचार में देरी होती है या उसे डाला जाता है, जिससे आगे जटिलताएं और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं।
● अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल निधि: भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य देखभाल पर किया जाने वाला खर्च ऐतिहासिक रूप से अन्य देशों की तुलना में कम है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की अपर्याप्तता और निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर उच्च निर्भरता बढ़ जाती है।
● खंडित स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और देखभाल तक पहुंच में असमानता: स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सामाजिक आर्थिक असमानताओं और क्षेत्रीय मतभेदों के परिणामस्वरूप विभिन्न जनसंख्या समूहों के लिए असमान स्वास्थ्य देखभाल परिणाम सामने आते हैं, गरीब समुदायों और दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अक्सर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंचने में अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
● गैर-संचारी और संचारी रोगों का बढ़ता बोझ: भारत में मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी गैर-संचारी बीमारियाँ दिन प्रतिदिन बढ़ रही हैं, जिससे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। हाल के वर्षों में प्रगति के बावजूद, भारत को अभी भी तपेदिक, मलेरिया और एचआईवी/एड्स जैसी संक्रामक बीमारियों को नियंत्रित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
भारत के शहरी-ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल अंतर को दूर करने के लिए मुख्य बिंदु:
भारत में शहरी-ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल में अंतर एक गंभीर मुद्दा है। इस अंतर को पाटने और अधिक समावेशी और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली बनाने के लिए विशिष्ट नीति समर्थन की आवश्यकता है। देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में महत्वपूर्ण प्रगति के बावज़ूद, स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच एक सर्वोपरि चिंता बनी हुई है, खासकर महानगरीय शहरों के बाहर की लगभग 70 प्रतिशत आबादी के लिए। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 75 प्रतिशत स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे, चिकित्सा कार्यबल और अन्य स्वास्थ्य संसाधन शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जहां केवल 27 प्रतिशत आबादी रहती है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे गरीब तबके के लोगों को कई पहुंच बाधाओं का सामना करना पड़ता है। बुनियादी ढांचे के विकास, स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल वितरण, वित्तीय सहायता और प्रौद्योगिकी एकीकरण जैसे प्रमुख क्षेत्रों को संबोधित करके, नीति निर्माता अधिक समावेशी और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं।
● बुनियादी ढांचे का विकास: शहरी-ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा अंतर को कम करने के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में मज़बूत स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे का विकास करना अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs), उप-केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHCs) की स्थापना और उन्नयन शामिल है। महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ और समय पर हस्तक्षेप प्रदान करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचा महत्वपूर्ण है, जिससे शहरी स्वास्थ्य सुविधाओं पर बोझ कम होता है।
● स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल वितरण: ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा में एक महत्वपूर्ण चुनौती शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य पेशेवरों का विषम वितरण है। नीतिगत उपायों से डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ़ सहित स्वास्थ्य कर्मियों को ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसे लक्षित भर्ती अभियानों, वित्तीय प्रोत्साहनों की पेशकश, व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करने और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने की स्थिति और सुविधाओं में सुधार के माध्यम से हासिल किया जा सकता है।
● वित्तीय सहायता: ग्रामीण आबादी के लिए किफ़ायती स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच एक महत्वपूर्ण बाधा है। इसके लिए नीति समर्थन में वित्तीय सहायता और विशेष रूप से ग्रामीण समुदायों के लिए डिज़ाइन की गई स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रावधान शामिल होने चाहिए। इन योजनाओं में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्ति वित्तीय कठिनाई के बिना आवश्यक चिकित्सा उपचार प्राप्त कर सकें।
● प्रौद्योगिकी एकीकरण: प्रौद्योगिकी का उपयोग शहरी-ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल अंतर को पाटने में परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकता है। नीति समर्थन के तहत टेलीमेडिसिन सेवाओं को बढ़ाने, आभासी परामर्श, दूरस्थ निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड को सक्षम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। इससे ग्रामीण रोगियों को स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञता समय पर प्राप्त हो सकेगी।
● सामुदायिक सहभागिता एवं जागरूकता: निवारक स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता प्रथाओं और बीमारियों का शीघ्र पता लगाने के महत्व के बारे में ग्रामीण समुदायों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। नीतिगत पहलों में व्यक्तियों को ज्ञान के साथ सशक्त बनाने और स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए समुदाय-आधारित स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम, स्वास्थ्य शिविर और आउटरीच गतिविधियाँ शामिल होनी चाहिए।
● अनुसंधान और डेटा-संचालित नीति: नीति निर्माताओं को ग्रामीण क्षेत्रों की विशिष्ट स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों को समझने के लिए अनुसंधान और डेटा संग्रह पहल में निवेश करके साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित करने में मदद मिल सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बीमारी की व्यापकता, स्वास्थ्य सेवा उपयोग पैटर्न और स्वास्थ्य परिणामों पर विश्वसनीय डेटा एकत्र करने के लिए मज़बूत स्वास्थ्य सूचना प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।
संक्षेप में, भारत में शहरी-ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल अंतर को संबोधित करने और उसे पाटने के लिए कई मोर्चों पर विशिष्ट नीति समर्थन की आवश्यकता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/9nre3apy
https://tinyurl.com/bdhdpcms
https://tinyurl.com/y65naex9

चित्र संदर्भ
1. अस्पताल में अपने बच्चे को टीका लगवाती एक महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. जालंधर में कोविड-19 टीकाकरण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में ज्ञान प्राप्त कर रहे प्रशिक्षुओं (interns) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. राजस्थान में मीठड़ी मारवाड़ नामक गाँव के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (Government Community Health Center) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. गरीबों और ज़रूरतमंदों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id