मेरठ के कम्बोह दरवाज़े के बारे में शहर के बुज़ुर्गों और इतिहास में रूचि रखने वाले मेरठ वासियों को अवश्य पता होगा। आज इस दरवाज़े के स्थान पर मेरठ का प्रसिद्ध घंटा घर बन चुका है। आज के मुख्य चित्र में इसी कम्बोह गेट को दर्शाते हुए एक दुर्लभ 'पोस्टकार्ड' (Postcard) को शामिल किया है। इस पोस्टकार्ड में दर्शाए गए चित्र को एक अज्ञात प्रकाशक द्वारा 1908 में प्रकाशित किया गया था। 1914 में, अंग्रेज़ों ने कम्बोह दरवाज़े को तोड़कर उसके स्थान पर घंटा घर का निर्माण करवा दिया था। हालांकि यह इस तरह का इकलौता पोस्टकार्ड नहीं है, जिसमें मेरठ जैसे किसी शहर के दुर्लभ चित्र को दर्शाया गया हो। यदि आप भी वाकई में ऐतिहासिक और अनोखी छवियों में रुचि रखते हैं, तो राजेश्वरी और अपर्णा जी की तरह, 'पोस्टक्रॉसिंग' (Postcrossing) के बारे में जानकर आपको भी आनंद आएगा। आज विश्व डाक दिवस (World Post Day) के अवसर पर , हम पोस्टक्रॉसिंग नामक एक ऐसी दिलचस्प और शानदार पहल के बारे में जानेंगे जिसके तहत, दुनियाभर के इतिहास एवं संग्रह प्रेमी विभिन्न विषयों एवं स्थानों के अनकहे इतिहास को उजागर करते हुए पोस्टकार्डों का आदान प्रदान करते हैं।
पोस्टक्रॉसिंग का परिचय:पोस्टक्रॉसिंग एक ऑनलाइन प्रोजेक्ट (Online Project) है, जिसके तहत, प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले सदस्य, दुनिया भर के लोगों को अपने पोस्टकार्ड भेज सकते हैं और उनसे पोस्टकार्ड प्राप्त कर सकते हैं। आपको यह नहीं पता होगा कि आपका पोस्टकार्ड किसने और कहाँ से भेजा है। इस प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले लोगों को "पोस्टक्रॉसर" (Postcrosser) कहा जाता है।
"पोस्टक्रॉसिंग" नाम दो शब्दों, "पोस्टकार्ड" (Postcard) और "क्रॉसिंग" (Crossing) से मिलकर बना है। "क्रॉसिंग" का मतलब "आदान-प्रदान" करना होता है। आप पोस्टक्रॉसिंग में मुफ़्त में शामिल हो सकते हैं। कोई भी व्यक्ति यहाँ अपना खाता बना सकता है, लेकिन हर सदस्य को अपने पोस्टकार्ड भेजने के लिए, डाक शुल्क का भुगतान करना होगा।
पोस्टक्रॉसिंग के तहत, पोस्टकार्ड प्राप्त करने के लिए, एक सदस्य को पहले खुद एक पोस्टकार्ड भेजना होगा। यदि कोई सदस्य पोस्टकार्ड भेजना चाहता है, तो उसे एक अद्वितीय पोस्टकार्ड आई डी (Unique Postcard ID) (जैसे, US-787) के साथ, दूसरे सदस्य का पता दिया जाता है। सदस्य उस पते पर एक पोस्टकार्ड भेजता है, जिसमें पोस्टकार्ड आई डी शामिल करना आवश्यक है। पोस्टकार्ड और डाक शुल्क का भुगतान प्रेषक को करना होगा। जब प्राप्तकर्ता, पोस्टकार्ड आई डी को पंजीकृत कर लेता है, तो प्रेषक अन्य सदस्यों से पोस्टकार्ड प्राप्त कर सकता है।
हर सदस्य, अपनी व्यक्तिगत जानकारी और पोस्टकार्ड के लिए प्राथमिकताएँ दर्शाते हुए एक प्रोफ़ाइल (Profile) बना सकता है। पोस्टक्रॉसिंग प्रणाली (Postcrossing System) में, दो सदस्य, केवल एक बार पोस्टकार्ड का आदान-प्रदान कर सकते हैं। आमतौर पर, सदस्य अपने देश के अलावा अन्य देशों में पोस्टकार्ड भेजते हैं, लेकिन वे चाहें तो अपने देश के भीतर भी पोस्टकार्ड भेज सकते हैं। सदस्य उन देशों को न भेजने की प्राथमिकता भी व्यक्त कर सकते हैं, जहाँ उन्होंने पहले ही कार्ड भेजे हैं। हालांकि इस बात की गारंटी नहीं है कि इन देशों को दोहराया नहीं जाएगा।
प्रत्येक सदस्य, एक समय में अधिकतम पाँच पोस्टकार्ड भेज सकता है। जब तक उनके पास पाँच कार्ड नहीं पहुँच जाते, तब तक उन्हें दूसरे पते के लिए पूछने से पहले एक कार्ड के प्राप्त होने का इंतज़ार करना होगा। जैसे-जैसे सदस्य कार्डों के आदान-प्रदान में अनुभवी होते जाते हैं, वैसे-वैसे यह सीमा बढ़कर अधिकतम 100 पोस्टकार्ड तक बढ़ती जाती है। कई बार, पोस्टकार्ड प्राप्त ही नहीं होते हैं क्योंकि वे खो जाते हैं, उनका आई डी अपठनीय (Unreadable) होता है, या वे उन सदस्यों को भेजे जाते हैं जो अब सक्रिय नहीं हैं। सिस्टम, हर सदस्य के लिए, भेजे गए और प्राप्त किए गए पोस्टकार्ड की संख्या को संतुलित रखने के लिए इन समस्याओं को हल करने का प्रयास करता है।
आइए, अब हम पोस्टक्रॉसिंग के इतिहास में घटित कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं पर नज़र डालते हैं:
⦁ 11 अप्रैल, 2008: पोस्टक्रॉसिंग के तहत पहले मिलियन पोस्टकार्डों (First Million Postcards) का आदान-प्रदान किया गया, जो सभी की अपेक्षाओं से कहीं अधिक था।
⦁ अप्रैल 2010: पोस्टक्रॉसिंग ने तुवालु (Tuvalu) के एक स्कूल के साथ साझेदारी की। इस साझेदारी के तहत, छात्रों को पोस्टकार्ड के माध्यम से दुनिया भर के लोगों से जुड़ने का अवसर मिला। छात्रों ने अपने खुद के टिकट और पोस्टकार्ड बनाए, जिन्हें विभिन्न स्थानों पर भेजा गया। इसके ज़वाब में उन्हें भी दूर-दूर से शुभकामनाएँ प्राप्त हुईं।
⦁ 17 नवंबर 2011: डच डाक सेवा, पोस्ट एन एल (PostNL) ने पहला पोस्टक्रॉसिंग-थीम (Postcrossing-Themed) वाला टिकट लॉन्च किया।
⦁ 2013: पोस्टक्रॉसिंग द्वारा ड्यूश पोस्ट (Deutsche Post) के साथ मिलकर "पोस्टकार्ड्स फ़ॉर ए गुड कॉज़" (Postcards for a Good Cause) नामक अभियान शुरू किया गया। दिसंबर में, जर्मनी से भेजे गए हर पोस्टकार्ड बदले में एक गैर-लाभकारी संगठन को छोटा सा दान दिया गया। इस पहल के माध्यम से, पोस्टक्रॉसर्स ने हर साल हज़ारों यूरो जुटाए, जिससे साक्षरता में सुधार में मदद मिली।
⦁ 2014: एना (Ana) ने, पोर्टो (Porto) में एक TEDx कार्यक्रम में पोस्टक्रॉसिंग के बारे में बात की, जिसमें उन्होंने बताया कि किसी अजनबी से पोस्टकार्ड प्राप्त करना कितना अद्भुत अनुभव हो सकता है। इसके बाद, पोस्टक्रॉसिंग ने कार्यक्रम के प्रतिभागियों को आश्चर्यचकित करने के लिए, दुनिया भर से पोस्टकार्ड भेजने का आग्रह किया।
⦁ 2019: पोस्टक्रॉसिंग ने, 1 अक्टूबर, 1869 को भेजे गए पहले पोस्टकार्ड की 150वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर एक पोस्टकार्ड प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें दुनिया भर से हज़ारों प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। इन प्रविष्टियों ने लोगों के पोस्टकार्ड के प्रति प्रेम को दर्शाया। अक्टूबर में, बर्न, स्विट्जरलैंड (Bern, Switzerland) में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (Universal Postal Union) के मुख्यालय में सर्वश्रेष्ठ पोस्टकार्ड का चयन प्रदर्शित किया गया।
कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) के दौरान, पोस्टक्रॉसिंग की लोकप्रियता में काफ़ी वृद्धि हुई। इस महामारी ने कई लोगों को साधारण जीवन जीने के लिए प्रेरित किया, जिसके चलते उन्होंने पारंपरिक संचार के तरीकों, जैसे 'पोस्टकार्ड' भेजने में रूचि दिखाई।
मदुरई की 23 वर्षीय स्नातकोत्तर छात्रा जी. राजेश्वरी अपने अनुभव साझा करते हुए कहती हैं, “मुझे हमेशा से पत्र लिखना पसंद था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि किसे लिखूं। कोविड-19 के दौरान, मैंने अपने दोस्तों से कहा कि वे मुझे पत्र भेजें। मैंने उनके पते लिए और उन्हें, उनके साथ जुड़ी सुखद यादों के साथ पोस्टकार्ड लिखे।”
राजेश्वरी आगे बताती हैं, “उन्हें यह बहुत पसंद आया। इसके बाद, मैंने पत्र लिखने के लिए और दोस्तों की तलाश की। तभी मुझे पोस्टक्रॉसिंग के बारे में पता चला।” राजेश्वरी के अलावा, 29 वर्षीय बैंक,र अपर्णा जे. पाई भी इस नए तरीके से लोगों से जुड़ने के बाद बहुत खुश हैं। वह कहती हैं, “मैं चार साल से घर से दूर अकेली रह रही हूँ और ज़्यादा बाहर नहीं जाती। जब महामारी फैली और हमारे हॉस्टल में इसका प्रकोप फैला, तो हमें भी एक महीने के लिए क्वारंटीन (quarantine) होना पड़ा। तब मैंने धेवी के पहले पोस्टक्रॉसर वर्चुअल मीट-अप (Postcrosser Virtual Meet-up) में शामिल होने का फैसला किया। मुझे अपनी ही जैसी रुचियों को साझा करने वाले लोगों से मिलकर खुशी हुई। इस तरह, पोस्टक्रॉसिंग कई लोगों के लिए अकेलेपन के समय में जुड़ने का एक साधन बन गया।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2csqghuj
https://tinyurl.com/2q56btjm
https://tinyurl.com/2d2abrmv
https://tinyurl.com/y657yrvd
चित्र संदर्भ
1. मेरठ के कम्बोह दरवाज़े को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. ऑनलाइन संचार को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
3. मेरठ के टाउन हॉल को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. मेरठ के क्लब को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
5. मेरठ के मुस्तफ़ा महल को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
6. मेरठ के वीलर क्लब को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)