विश्व में नृत्य कला के अनेक रूप हैं, जिनमें से काबुकी (Kabuki) भी एक है। काबुकी, एक पारंपरिक जापानी नाट्य कला है, जो मुख्य रूप से नृत्य, संगीत, अभिनय और मूक कला पर आधारित है। एक काबुकी रंगमंच (Kabuki theatre), अपने प्रदर्शनों की शैली, आकर्षक एवं मोहक वेशभूषा और कलाकारों द्वारा किए जाने वाले विस्तृत 'कुमादोरी' मेकअप (kumadori makeup) के लिए जाना जाता है। काबुकी अभिनेता, दृश्य कला और गायन कला दोनों में अत्यधिक कुशल होते हैं। इस कला का विकास, 17वीं शताब्दी के अंत में हुआ और 18वीं शताब्दी के मध्य में यह अपने चरम विकास पर पहुंची। काबुकी, पारंपरिक जापानी रंगमंच की एक आकर्षक कला शैली है, जिसने नाटक, संगीत और नृत्य के अपने अनूठे मिश्रण से सदियों से दर्शकों को मोहित किया है। माना जाता है, कि काबुकी की उत्पत्ति, 17वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई, जब ‘इज़ुमो नो ओकुनी’ (Izumo no Okuni), नामक एक युवती ने क्योटो(Kyoto) में नृत्य नाटक की एक नई शैली का प्रदर्शन करना शुरू किया। इन प्रदर्शनों में, उनकी भड़कीली वेशभूषा और अतिरंजित हाव-भावों ने आम लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया और बहुत शीघ्र ही, यह नाट्य कला बहुत लोकप्रिय हो गई। काबुकी की शुरूआत, मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनोरंजन के रूप में हुई थी, जिसे ओन्ना-काबुकी (onna-kabuki) के नाम से जाना जाता है। 1629 में, इन नाटकों की कामुक प्रकृति के कारण, सरकार द्वारा महिला कलाकारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिसके बाद यह केवल पुरुषों द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली नाट्य कला के रूप में विकसित हुई। तो, आज, आइए, इन चलचित्रों के माध्यम से, इस पारंपरिक नृत्य शैली के बारे में जानें। हम इस नृत्य शैली के इतिहास को समझने की कोशिश करेंगे तथा जानेंगे कि काबुकी नर्तक, कौन-कौन सी नृत्य मुद्राओं और हाव-भावों का उपयोग करते हैं |
संदर्भ
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