Post Viewership from Post Date to 06-Jun-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2548 102 2650

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

विभिन्न धर्मों एवं त्यौहारों में आस्था का प्रतीक हैं पवित्र फूल

मेरठ

 06-05-2024 09:28 AM
शारीरिक

मानव जीवन में फूलों का महत्वपूर्ण स्थान है। फूल अपनी अद्वितीय सुंदरता और आकर्षक खुशबू से हम सभी को आकर्षित करते हैं। फूल हमारे लिए प्रकृति का सबसे अच्छा उपहार हैं जो हमें प्रफुल्लित करते हैं। प्रत्येक फूल की एक अविश्वसनीय विशेषता होती है जो उसके विशिष्ट रंग, नाजुकता और सुगंध से व्यक्त होती है। फूलों का शादियों, समारोहों एवं त्यौहारों में महत्वपूर्ण स्थान होता है और धार्मिक अनुष्ठानों या प्रतीकात्मक वस्तुओं के रूप में सांस्कृतिक महत्व भी होता है। तो आइए आज जानते हैं कि जंगली फूलों का आस्था के साथ क्या संबंध है और देखते हैं कि कौन से फूल पवित्र माने जाते हैं और विभिन्न धर्मों में उपयोग किए जाते हैं। इसके साथ ही यह भी जानते हैं कि भारत के विभिन्न त्यौहारों में किन फूलों का उपयोग किया जाता है। रंग-बिरंगे एवं अपनी सुगंध से लोगों को मनमोहित करने वाले फूलों की जटिल संरचना ईश्वर की एक अद्भुत कृति है। आज भले ही मानव ने विज्ञान और तकनीकी में चाहे कितनी भी प्रगति कर ली है लेकिन आज भी वह इतना सक्षम नहीं है कि इतनी सुंदर संरचना को बना सके। ऐसी जटिल सुंदरता केवल ईश्वर ही बना सकता है। हालांकि यह सुंदर फूल अधिक से अधिक केवल कुछ दिनों तक ही टिकते हैं। जैसे ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है पूरी दुनिया का पटल असंख्य फूलों से थोड़े समय के लिए ही भर जाता है। अब प्रश्न उठता है कि क्या परमेश्वर की इतनी सुंदर कृति व्यर्थ है? बिल्कुल नहीं! ईश्वर की शानदार महिमा प्रत्येक जंगली फूल में झलकती है जो अपने विशिष्ट औषधीय गुणों एवं जीवन दायिनी शक्तियों के लिए जाने जाते हैं। इसके अतिरिक्त धार्मिक परंपराओं सहित महत्वपूर्ण समारोहों में आज भी इन फूलों का एक विशिष्ट स्थान होता है और इन्हें उनके विशिष्ट अर्थ में उपयोग किया जाता है। आइए अब देखते हैं कि कुछ प्रमुख धर्मों में फूलों का उपयोग किस प्रकार किया जाता है: बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म में फूलों को बहुत महत्व दिया जाता है। भगवान बुद्ध के समय से पहले से ही कमल पवित्रता का प्रतीक रहा है। बौद्ध धर्म में कमल की एक बंद कली आत्मज्ञान से पहले के समय का, एक वलित आत्मा का जिसमें दिव्य सत्य को प्रकट करने और खोलने की क्षमता होती है, का प्रतिनिधित्व करती है। जैसे ही फूल धीरे-धीरे खिलता है और उसका मध्य भाग अभी भी छिपा हुआ होता है, यह सामान्य दृष्टि से परे आत्मज्ञान का संकेत देता है। जड़ों को पोषण देने वाली नीचे की मिट्टी हमारे अस्त-व्यस्त मानव जीवन का प्रतिनिधित्व करती है जहां हम अपने अस्तित्व के बीच मुक्त होकर खिलने का प्रयास करते हैं। लेकिन जैसे ही फूल उगता है, जड़ें और तना कीचड़ में रह जाते हैं, और इसी प्रकार आत्मज्ञान जागृत होने पर भी हम अपना जीवन जीना जारी रखते हैं। एक कहावत है, "हम कमल की तरह कीचड़ भरे पानी में भी पवित्रता के साथ रह सकते हैं। ऊपर उठने के लिए न केवल प्रचुर मात्रा में प्रयास की आवश्यकता होती है, बल्कि स्वयं में महान विश्वास की भी आवश्यकता होती है।" इस प्रकार, पवित्रता और आत्मज्ञान के साथ-साथ, कमल विश्वास का भी प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू धर्म: फूल हिंदू धर्म का एक अभिन्न अंग हैं। हिंदू धर्म में प्रार्थना के लिए प्रयोग किए जाने वाले शब्द 'पूजा' का शाब्दिक अर्थ भी "फूल अधिनियम" है। हिंदू धर्म में पूजा के समय देवताओं को प्रसाद के रूप में फूल अर्पित किए जाते हैं क्योंकि लोगों का मानना है कि फूल चढ़ाने से देवता अच्छा स्वास्थ्य, धन और समृद्धि प्रदान करते हैं। यह भी कहा जाता है कि फूल से आने वाली सुगंध देवताओं को प्रसन्न करती है और कोई भी हिंदू पूजा विभिन्न देवताओं को एक विशिष्ट फूल चढ़ाए बिना पूरी नहीं होती है। हिंदू धर्म में प्रत्येक देवता से संबंधित एक विशिष्ट फूल होता है। उदाहरण के लिए कमल को धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी से संबंधित माना जाता है क्योंकि वह उस पर विराजमान होती हैं। दिवाली के दौरान धन और सौभाग्य की मनोकामना से लक्ष्मी जी को विशिष्ट रूप से कमल का फूल चढ़ाया जाता है। देवताओं में प्रथम देव भगवान गणेश को गेंदे के फूल अत्यंत प्रिय माने जाते हैं। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के लिए माला बनाने के लिए फूलों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। और इसके अलावा इनका उपयोग शादियों एवं समारोहों में भी किया जाता है। ईसाई धर्म: यद्यपि आरंभिक ईसाइयों द्वारा फूलों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता था और उन्हें पतनशील बुतपरस्तों से जोड़ा जाता था। लेकिन जैसे-जैसे ईसाई धर्म विकसित हुआ, वैसे-वैसे उनके विचार भी विकसित हुए। ईसाई धर्म में मुख्य रूप से सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला मुख्य फूल पैशन फ्लावर (passion flower) है। इस फूल का प्रत्येक भाग मसीह के जुनून के एक अलग पहलू का प्रतिनिधित्व करते हुए यीशु को कोड़े मारने, सूली पर चढ़ने और पुनरुत्थान की याद दिलाता है। सफेद लिली, जिसे ईस्टर लिली भी कहा जाता है, को ईसा मसीह की पवित्रता और दिव्यता का प्रतिनिधित्व माना जाता है। इसे वर्जिन मैरी से भी जोड़ा जाता है जो उनकी विनम्रता और मासूमियत का प्रतीक है। इसके अलावा, आपने आमतौर पर ईस्टर के दौरान लिली का उपयोग होते देखा होगा, जो ईसा मसीह के चमत्कारी गर्भाधान और उनके पुनरुत्थान का प्रतीक है। ईसाई धर्म में लाल गुलाब को प्रेम का प्रतीक एवं ईसा मसीह के खून की निशानी के रूप में माना जाता है। चर्च की वेदियों को अक्सर नामकरण, क्रिसमस और शादियों जैसे विशेष अवसरों पर फूलों से सजाया जाता है। इस्लाम: हालांकि अन्य धर्मों की तुलना में, इस्लामी संस्कृति और परंपराओं में फूलों का आमतौर पर उपयोग नहीं किया जाता है। लेकिन इस्लाम धर्म में कुछ अवसरों जैसे विवाह एवं अंतिम संस्कार पर विभिन्न प्रकार के ताड़ के पत्तों के साथ गुलाब के फूलों का उपयोग किया जाता है। अनुष्ठानों और धार्मिक समारोहों के अंत में गुलाब को कब्रों पर डाला जाता है। इसके अलावा बालों और त्वचा को सजाने के लिए मेंहदी के पौधे की पत्तियों और फूलों का उपयोग किया जाता है। अच्छे भाग्य और प्रजनन क्षमता का संकेत देने के लिए दुल्हन के हाथों और पैरों पर मेहंदी से जटिल पुष्प पैटर्न बनाए जाते हैं। वास्तव में चाहे कोई भी धर्म हो , फूल प्रत्येक धर्म के हर उत्सव का एक महत्वपूर्ण पहलू होते हैं। वे सभी धर्म के उत्सवों में रंग, जीवन और जीवंतता का तत्व जोड़ते हैं। कोई भी उत्सव फूलों के उल्लेख के बिना पूरा नहीं होता है। आइए अब कुछ ऐसे त्यौहारों के विषय में जानते हैं जिन पर विशेष रूप से फूलों का उपयोग किया जाता है: गणेश चतुर्थी: प्रथम देव भगवान गणपति को समर्पित इस त्यौहार को भारत के सबसे शुभ त्यौहारों में से एक माना जाता है। इस त्यौहार के उत्सव में फूल एक प्रमुख पहलू हैं और भगवान की पूजा उनके कुछ पसंदीदा फूलों लाल गुड़हल, गेंदा और मदार से की जाती है। तटीय कर्नाटक में, देसी किस्म के मीठी गंध वाले मैंगलोर चमेली को अत्यधिक शुभ माना जाता है। गणेश चतुर्थी के त्यौहार के लिए ये फूल विशेष रूप से मंगाए जाते हैं और भगवान को चढ़ाए जाते हैं। क्योंकि हिंदू धर्म में इक्कीस को एक पवित्र संख्या माना जाता है अतः पूजा अनुष्ठान के लिए 21 प्रकार के फूलों और पत्तियों का उपयोग किया जाता है। नवरात्रि एवं दशहरा​​​​: पूरे देश में नवरात्रि और दशहरे का त्यौहार पूरे 10 दिनों तक धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। घरों को गेंदे, एस्टर्स और डहलिया के फूलों से सजाया जाता है और देवी को गुलाब, चमेली आदि के फूल अर्पित किए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में, मां दुर्गा की मूर्ति वाले पंडालों को अनोखी थीम पर सजाया जाता है और ऑर्किड, एन्थ्यूरियम और स्टारगेज़र लिली जैसे विदेशी फूलों का उपयोग किया जाता है। इस त्यौहार पर, औज़ारोंऔजारों, वाहनों, दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी सभी प्रकार के फूलों से सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। चमेली, एस्टर्स, सूरजमुखी और गेंदा का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। दिवाली: दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जो न केवल हमारे देश में, बल्कि दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा मनाया जाता है। दिवाली यकीनन हमारे देश का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है, जो बुराई पर अच्छाई और अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। दिवाली आशा, प्रगति और समृद्धि का प्रतीक है जिस पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस त्यौहार की शुरुआत घरों की सफाई से होती है जिसके बाद उन्हें कई प्रकार के फूलों से सजाया जाता है। लाल रंग को देवी लक्ष्मी से जुड़ा माना जाता है और इसलिए लाल गुलाब, गुलदाउदी और जरबेरा जैसे फूल देवी लक्ष्मी को अर्पित किए जाते हैं। ये फूल जीवंतता, सकारात्मक और ताज़गी भरा माहौल लाते हैं। घर के दरवाज़ोंदरवाजों को रंगोली से सजाया जाता है जिसे फूलों और दीयों से सजाया जाता है। ओणम: 10 दिवसीय ओणम का त्यौहार पूरे केरल में मनाया जाता है, जो एक फसल उत्सव और राजा महाबली की घर वापसी का प्रतीक है। इस त्यौहार का एक मुख्य आकर्षण पूकलम है जो "पूव" और :कलम" शब्दों से बना है जिनके अर्थ क्रमशः फूल और कोलम या रंगोली हैं। रंगोली के रूप में फूलों की पंखुड़ियों की इस शुभ व्यवस्था को अथापुक्कलम या ओनापुक्कलम के नाम से भी जाना जाता है। पैटर्न में आमतौर पर दस गोल छल्ले होते हैं जो दस अलग-अलग देवताओं का प्रतीक हैं। पूकलम के लिए कई फूलों का उपयोग किया जाता है जिनमें थुम्बा, चेथी, गुड़हल, संखुपुष्पम, लैंटाना और गेंदा शामिल हैं। चेथी को वास्तव में आधिकारिक ओणम फूल के रूप में जाना जाता है। ओणम की विशेषता यह है कि इस त्यौहार पर पहले दिन एक फूल का उपयोग किया जाता है, दूसरे दिन दो रंग के फूलों का उपयोग किया जाता है, तीसरे दिन तीन रंगों का उपयोग किया जाता है और इसी तरह, अंतिम दसवे पुक्कलम दिन में शानदार दस रंग के फूलों का उपयोग किया जाता है। क्रिसमस: प्रभु यीशु के जन्म का जश्न मनाने वाला यह त्यौहार मुख्य रूप से गुलाब और पॉइन्सेटिया जैसे फूलों से जुड़ा हुआ है। इस त्यौहार को लाल रंग से जुड़ा माना जाता है और इसलिए घरों और सामने के दरवाज़ोंदरवाजों को सजाने के लिए लाल गुलाब, ग्लेडिओली और जरबेरा के फूलों का उपयोग किया जाता है।
वास्तव में अपने अल्पकालिक जीवनकाल के बावजूद, फूल प्रत्येक धर्म में पवित्रता, सद्भावना, प्रेम, सौंदर्य और सम्मान आदि की भावनाओं को व्यक्त करने का एक माध्यम हैं। गली फूलों का आस्था के साथ क्या संबंध है और देखते हैं कि कौन से फूल पवित्र माने जाते हैं और विभिन्न धर्मों में उपयोग किए जाते हैं। इसके साथ ही यह भी जानते हैं कि भारत के विभिन्न त्यौहारों में किन फूलों का उपयोग किया जाता है।

संदर्भ
https://shorturl.at/kBPZ3
https://shorturl.at/xANU9
https://shorturl.at/lqvNU

चित्र संदर्भ
1. श्रीनिवास पेरुमल की फूलों से शुशोभित मूर्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. फूल मालाएं पहने विवाहित जोड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
3. बुद्ध और पुष्पों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. पूजा में प्रयुक्त पुष्पों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. जीसस और मदर मैरी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. कब्र में चढ़ाये गए फूलों को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
7. गणेश जी को अर्पित पुष्पों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. माता को अर्पित पुष्प माला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. दिवाली पर रंगोली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. ओणम पर फूलों की रंगोली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
11. फूलों से सुसज्ज्ति क्रिसमस वृक्ष को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id