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आमतौर पर किसी भी वस्तु का वजन करने के लिए किलोग्राम या ग्राम का उपयोग किया जाता है। लेकिन आभूषणों और रत्नों का वज़न करने के लिए अलग इकाईयाँ होती हैं। आइए आज, भारत में व्यापक रूप से उपयोग किये जाने वाले आभूषणों के वजन के प्राचीन एवं आधुनिक इकाइयों को जानते हैं।
प्राचीन काल में भारत में ‘मनुस्मृति’ में सोने को मापने के लिए निम्न शब्दावली का उपयोग किया गया है:
1 कण (धूल का) त्रस-रेणु कहलाता है
8 त्रस-रेणु = 1 निष्क
3 निष्क = 1 सरसों का दाना (राजसर्षप)
3 सरसों के बीज = 1 पीली सरसों का बीज (गौरसरशाप अर्थात सोने के लिए)
6 पीली सरसों = 1 यवा (जौ का दाना)
3 यव = 1 कृष्णल
5 कृणाल = 1 माशा
16 माशा = 1 सुवर्ण
भारत में मानकीकृत मापन प्रणाली की शुरुआत से पहले आभूषणों के वज़न के लिए निम्न शब्दावली एवं प्रणाली का उपयोग किया जाता था
8 खसखस (सरसों के दाने से छोटा दाना) = 1 चावल का दाना
8 चावल के दाने = 1 रत्ती
8 रत्ती = 1 माशा
12 माशा = 1 तोला = 11 1/2 ग्राम
5 तोला = 1 छटाँक
4 छटाँक = 1 पाव
4 पाव = 1 सेर
40 सेर = 1 मन
हालांकि अब इस प्रकार की शब्दावली एवं प्रणाली के विषय में लोगों को बहुत कम जानकारी है, लेकिन एक ऐसा ही प्राचीन मानक, जो आज भी गहनों के बारे में बात करते समय सामान्य बोलचाल की भाषा में उपयोग किया जाता है, वह रत्ती है, लोग अभी भी किसी भी रत्न के वज़न के विषय में जौहरी से इस प्रकार पूछते हैं "उक्त रत्न कितने रत्ती का है?"
‘रत्ती’ जिसे संस्कृत भाषा में ‘रक्तिका’ कहा जाता है, द्रव्यमान मापने की एक पारंपरिक भारतीय इकाई है। इसका मानकीकृत वजन गुंजा बीज के वजन के आधार पर लगभग 1.8 या 1.75 ग्रेन (64.758 मिलीग्राम) या 0.1215 ग्राम होता है। भारतीय उपमहाद्वीप में आज भी जौहरियों द्वारा इसका उपयोग बहुतायत में किया जाता है। वास्तव में रत्ती भारत में उपयोग की जाने वाली सबसे पुरानी माप प्रणाली है।
वजन की एकरूपता के कारण यह माप प्रणाली प्राचीन काल से आज तक उपयोग की जाती है। सिंधु घाटी सभ्यता में वजन प्रणाली का सबसे छोटा माप, जिसे माशा कहा जाता है, आठ रत्ती के बराबर होता था। शुक्ल यजुर्वेद के ब्राह्मणग्रन्थ 'शतपथ ब्राह्मण' में 'शतमान' नामक एक इकाई का उल्लेख मिलता है, जिसका शाब्दिक अर्थ "सौ मानक" या "सौ माप" है, जो 100 कृष्णलों (रत्ती या गुंजा के समान) का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय गणित के एक प्राचीन ग्रंथ 'कात्यायन श्रौतसूत्र' में वर्णित है कि एक शतमान 100 रत्ती के बराबर हो सकता है। इसके अलावा 600-200 ईसा पूर्व के दौरान गांधार चांदी के सिक्कों के मानक वजन के रूप में एक शतमान का उपयोग किया जाता था। ‘कार्षापण’ जैसी अन्य भारतीय मुद्राएं भी रत्ती के वजन पर आधारित थी। दक्षिण-पूर्व एशिया में खुदाई के दौरान प्राप्त हुए सोने के सिक्कों के विश्लेषण से पता चलता है कि वे रत्ती आधारित वजन प्रणाली के अनुसार बनाए गए थे। महान अर्थशास्त्री एवं राजनीतिज्ञ कौटिल्य ने भी अपने ग्रन्थ अर्थशास्त्र में, 'पुराण' या 'धारणा' नामक मानक का वर्णन किया है, जो 32 रत्ती के बराबर होता था। यह मौर्य साम्राज्य से पहले प्रचलन में था, लेकिन मौर्य साम्राज्य के दौरान कौटिल्य ने 'स्वर्ण' नामक 80 रत्ती का एक नया मानक प्रदान किया, जो उस समय से व्यापक रूप से उपयोग में लाया जाने लगा। इसी प्रकार के कौटिल्य द्वारा बताये गए 'पुराण' तक्षशिला में खोजे गए जौहरी के गुप्त खजाने से प्राप्त हुए हैं जो गेंद रूपी बाट के समान हैं और 32 रत्ती के मानक के अनुरूप हैं, जबकि पहली शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईसवी के बीच के मथुरा में प्राप्त हुए बाटों पर ब्राह्मी अंक 100 (100 स्वर्ण या 100 कार्ष) अंकित है, जो कौटिल्य द्वारा बताये गए नए 'स्वर्ण' मानक के अनुरूप हैं।
इसके पश्चात मुगल साम्राज्य के दौरान भी हीरे जैसे कीमती पत्थरों के वजन को मापने की इकाई के रूप में रत्ती को नियोजित किया गया। 1665 के आसपास मुगल शासक औरंगजेब ने प्रसिद्ध जौहरी और विश्व यात्री जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर (Jean Baptiste Tavernier) को एक हीरा दिखाया। उस समय टैवर्नियर ने अपनी पुस्तक ‘सिक्स वॉयजस’ (Six Voyages) में इस हीरे का वर्णन करते हुए रत्ती के विषय में भी लिखा कि:
"पहला टुकड़ा जो एकल खान (राजा के गहनों के मुख्य रक्षक) ने मेरे हाथों में दिया, वह बड़ा हीरा था, जो गुलाबी रंग का, गोल और एक तरफ से बहुत ऊंचा है। निचले किनारे पर थोड़ी सी दरार है, और थोड़ा सा इसमें दोष है। इसका पानी ठीक है, और इसका वजन 319 1⁄2 रत्ती है, जो हमारे एक कैरेट का 7⁄8वाँ हिस्सा है।“
पारंपरिक भारतीय माप प्रणाली के अनुसार एक रत्ती से अन्य इकाइयों में निम्न प्रकार रूपांतरण किया जा सकता है।
1 तोला = 12 माशा या 11.664 ग्राम
1 माशा = 8 रत्ती या 0.972 ग्राम
1 तोला = 12 माशा = 96 रत्ती = 11.664 ग्राम
1 रत्ती (सुनारी) = 121.5 मिलीग्राम
1 पक्की रत्ती (ज्योतिषीय रत्नों के लिए) = 1.5 x सुनारी रत्ती = 1.5 x 121.5 मिलीग्राम = 182.25 मिलीग्राम
वैदिक संस्कृति में रत्ती बीज 3 मूल आकारों में होता था, हालांकि इनमें से कोई भी आकार एक कैरेट (0.20 ग्राम) के बराबर नहीं होता था। एक कैरेट सामान्यतः 0.20 ग्राम वज़न के बराबर होता है। जबकि छोटी रत्ती = 121 मिलीग्राम = 0.6 कैरेट वज़न और बड़ी रत्ती = 181 मिलीग्राम = 0.9 कैरेट वज़न के बराबर होती है।
आइये अब आभूषणों के वज़न के लिए उपयोग किए जाने वाले आधुनिक मानक एवं वज़न इकाइयों के विषय में जानते हैं। आधुनिक वज़न प्रणाली में इकाइयों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग किया जाता है जिनके माध्यम से एक विशिष्ट प्रकार की वस्तु जैसे कि सोना, हीरा या किसी भी रत्न का वजन किया जा सकता है:
ग्राम (g): अधिकांश देशों में कीमती धातुओं,आभूषणों एवं रत्नों को तौलने के लिए आम तौर पर ग्राम का उपयोग किया जाता है। यूनाइटेड किंगडम में सभी आभूषण तराजुओं में ग्राम का उपयोग किया जाता है, हालांकि कुछ विशिष्ट वस्तु के वज़न के लिए ट्रॉय औंस (troy ounces) या कैरेट (carats) जैसी इकाइयों का भी उपयोग किया जाता है।
कैरेट (Ct): कैरेट का उपयोग मुख्य रूप से हीरे, माणिक, पन्ना और क्वार्ट्ज quartz जैसे रत्नों के वजन के लिए किया जाता है, और एक कैरेट 0.2 ग्राम (या 200 मिलीग्राम) के बराबर होता है।
कैरेट (Karat (k): आमतौर पर नाम की समरूपता के कारण कैरेट (Ct) समझी जाने वाली यह कैरेट इकाई एक पृथक इकाई है जिसका उपयोग सोने और अन्य कीमती धातुओं की शुद्धता को मापने के लिए किया जाता है। आभूषण बनाने और आकार देने के लिए सोने जैसी नरम धातु को अक्सर चांदी या तांबे जैसी कठोर धातुओं के साथ मिलाया जाता है। सोने का अन्य धातु से अनुपात भागों में मापा जाता है, जहां शुद्धता का उच्चतम संभव स्तर 24 कैरेट (K) है। उदाहरण के लिए, 18 कैरेट की अंगूठी में 18 भाग सोना और 6 भाग कोई अन्य धातु हो सकती है।
ट्रॉय औंस (Troy Ouncest (oz): ट्रॉय औंस इकाई का उपयोग सोना, प्लैटिनम और चांदी जैसी कीमती धातुओं के वजन को मापने के लिए किया जाता है। जबकि एक नियमित औंस का उपयोग चीनी या आटे जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं को मापने के लिए किया जाता है। एक ट्रॉय औंस 31.1 ग्राम के बराबर होता है और एक नियमित औंस 28.349 ग्राम के बराबर है। हालाँकि यह अंतर ज़्यादा नहीं लग सकता है, लेकिन धातुओं जैसी अधिक महंगी वस्तुओं के लिए दोनों के बीच अंतर को समझना महत्वपूर्ण है।
पेनीवेट (Pennyweight (dwt): पेनीवेट माप की एक आम तौर पर कम लोकप्रिय इकाई है जो ट्रॉय माप प्रणाली से संबंधित है। एक पेनीवेट एक ट्रॉय औंस के 1/20वे भाग (लगभग 1.5 ग्राम) के बराबर है। ट्रॉय औंस की तरह, पेनीवेट का उपयोग कीमती धातुओं को तौलने के लिए किया जाता है।आजकल, लोग इसके बजाय ग्राम या ट्रॉय औंस का उपयोग करना पसंद करते हैं।
मोमे (Momme (mm): मूल रूप से जापान से संबंधित, मोमे इकाई का उपयोग अब रेशम और मोतियों को मापने के लिए व्यापक रूप से किया जाता है। अक्सर, मोतियों को गुणवत्ता और आकार के आधार पर समूहों में विभाजित किया जाता है, और प्रत्येक समूह की प्रति मोमे के आधार पर कीमत निर्धारित की जाती है। एक मोमे 3.75 ग्राम के बराबर होता है, जबकि 1000 मोमे एक अन्य सदियों पुरानी जापानी इकाई 'कान' (Kan) के बराबर होता है।
ग्रेन (Grain (gr): ग्रेन एक ऐसी इकाई है जिसकी उत्पत्ति सदियों पहले हुई थी जब अनाज के दानों को वज़न करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस इकाई ने अपना नाम इन्हीं अनाज के दानों से प्राप्त किया है। वर्तमान समय में, इसका वज़न 64.79891 मिलीग्राम के बराबर है, जो लगभग अप्रचलित है, हालांकि इसका उपयोग सोने की पन्नी(gold leaf) जैसी बहुत कम मात्रा वाली कीमती धातुओं को तौलने के लिए किया जा सकता है।
तोला (Tola): तोला एक भारतीय इकाई है जिसका उपयोग भारत, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और सिंगापुर में सोने और चांदी को मापने के लिए किया जाता है। वर्तमान समय में इसका वज़न 11.7 ग्राम के बराबर होता है, हालाँकि अलग अलग देशों में इसके वज़न में कुछ अंतर हो सकता है।
संदर्भ
https://shorturl.at/s0679
https://shorturl.at/oprW4
https://shorturl.at/gEHRS
चित्र संदर्भ
1. आभूषणों के पारंपरिक और आधुनिक इकाइयों को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl, lauren serota)
2. रत्ती को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. अर्थशाश्त्र पाण्डुलिपि को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
4. एक पारंपरिक तराजू को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
5. हीरा तौलने वाली किट, जिसमें वजन ग्राम और कैरेट में अंकित होता है! को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. ओस और आरयू की सिल्लियां, प्रत्येक एक ट्रॉय औंस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. तोलों के एक सेट को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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