Post Viewership from Post Date to 28-Jan-2024
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2089 249 2338

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भारत में बुनियादी ढांचे के विकास हेतु, सुरंग अभियांत्रिकी के लिए उपलब्ध विशेष पाठ्यक्रम

जौनपुर

 28-12-2023 09:26 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

भारत में पिछले कुछ वर्षों में शहरी रेल, सड़क और राजमार्ग, जलविद्युत सीवरेज और जल सिंचाई सहित प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। सुरंग निर्माण भारत में बुनियादी ढांचे के विकास का एक अभिन्न अंग बन गया है। इसके अलावा जल संसाधनों के दोहन के लिए 'प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना', नदियों को जोड़ने के कार्यक्रम और 'जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन' जैसी पहलों की शुरूआत ने सिंचाई, जल आपूर्ति और सीवरेज के लिए सुरंग निर्माण को बढ़ावा दिया है। इसी तरह, मेट्रो रेल क्षेत्र में बढ़ते विकास ने सुरंग बनाने की गतिविधि को बढ़ावा दिया है। सड़कों और राजमार्ग के निर्माण में भी ,खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में, सुरंगों में वृद्धि देखी जा रही है।
‘भारत अवसंरचना अनुसंधान’ (India Infrastructure Research) द्वारा अनुवर्तित की गई परियोजनाओं के अनुसार, भारत में 2,500 किलोमीटर से अधिक लंबाई की सुरंगों का कार्य पूरा हो चुका है। विभिन्न कार्यक्षेत्रों के विश्लेषण से पता चलता है कि अकेले जलविद्युत क्षेत्र में 1,200 किलोमीटर से अधिक की सुरंगों का कार्य पूरा हो चुका है और इस क्षेत्र की सुरंग निर्माण में हिस्सेदारी सबसे अधिक है। इसके बाद सिंचाई क्षेत्र (470 किलोमीटर से अधिक), रेलवे (270 किलोमीटर से अधिक) मेट्रो सुरंग (240 किलोमीटर से अधिक), पानी और सीवरेज (230 किलोमीटर से अधिक) और सड़कें (60 किलोमीटर से अधिक) का स्थान है। आगामी सुरंग निर्माण से संबंधित परियोजनाओं के तहत लगभग 1,300 नई सुरंगों का कार्य किया जाना है, जिनकी कुल लंबाई लगभग 1300 किलोमीटर तक है।आगामी सुरंगों के संदर्भ में, जम्मू और कश्मीर में लगभग 200 सुरंगों के साथ सबसे ज्यादा सुरंगों का निर्माण कार्य किया जाना है, इसके बाद महाराष्ट्र (लगभग 140 सुरंगें), हिमाचल प्रदेश (100 से अधिक सुरंगें), आंध्र प्रदेश (लगभग 90 सुरंगें) और अरुणाचल प्रदेश (लगभग 80 सुरंगें) का स्थान है। आगामी सुरंग निर्माण के तहत लंबाई के संदर्भ में, 1,100 किलोमीटर से अधिक के साथ महाराष्ट्र की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, इसके बाद 460 किलोमीटर से अधिक के साथ जम्मू और कश्मीर और 280 किलोमीटर से अधिक के साथ उत्तराखंड का स्थान है। देश में सुरंग निर्माण के क्षेत्र में और भी अधिक विकास होने की उम्मीद है। 'गति शक्ति मास्टर प्लान' जैसी सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों से देश में बुनियादी ढांचा क्षमताओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है और इन्ही योजनाओं और कार्यक्रमों से सुरंग निर्माण क्षेत्र को लगातार बढ़ावा मिल रहा है। व्यवसाय जगत में अग्रणी रिपोर्ट पुनर्विक्रेताओं में से एक '360 अनुसंधान रिपोर्ट' (360 Research Report) द्वारा "सुरंग निर्माण बाज़ार" पर 126 पृष्ठों की एक गहन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है जो विभिन्न क्षेत्रों, अनुप्रयोगों, और प्रकार (नए कार्य, पुनर्निर्माण, मरम्मत) के आधार पर एक व्यापक और गहन विश्लेषण प्रदान करती है। यह रिपोर्ट सुरंग निर्माण बाज़ार अनुसंधान के भीतर उपलब्ध कराए गए शोध और विश्लेषण को प्रस्तुत करती है।
इस रिपोर्ट में दुनिया भर में सुरंग निर्माण बाज़ार की सबसे बड़ी निर्माता कंपनियों के नाम दिए गए हैं जो इस प्रकार हैं:
चीन रेलवे निर्माण निगम (China Railway Construction Corporation)
निप्पॉन कोई कंपनी लिमिटेड (Nippon Koei Co., Ltd.)
शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी (Shanghai Tunnel Eng Co)
विंची निर्माण (Vinci Construction)
आईटीडी सीमेंटेशन इंडिया लिमिटेड (ITD Cementation India Limited)
चीन रेलवे ग्रुप लिमिटेड (China Railway Group Limited)
कीविट कार्पोरेशन (Kiewit Corp.)
ट्यूटर पेरिनी कार्पोरेशन (Tutor Perini Corp.)
बेशेल कॉर्पोरेशन (Bechtel Corporation)
चाइना कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (China Communications Construction Company Limited)
डोका इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Doka India Private Limited)
वैश्विक स्तर पर सुरंग निर्माण बाज़ार का आकार 2021 में 88648.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और 2027 तक इसके 135934.0 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। दुनिया भर में परिवहन सुरंग और उपयोगिता सुरंग जैसे अनुप्रयोगों की बढ़ती मांग का सुरंग निर्माण के विकास पर सीधा प्रभाव पड़ा है। साथ ही नए निर्माण कार्य, पुनर्निर्माण और मरम्मत कार्य जैसे कारक भी सुरंग निर्माण बाज़ार में बढ़ोतरी के मुख्य कारण है। विकसित एवं विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए भूमि की कमी के कारण भूमिगत निर्माण एक अहम आवश्यकता बन गया है। भूमिगत निर्माण और सुरंग इंजीनियरिंग वास्तव में अंतःविषय प्रक्रियाएं हैं, जिनके लिए सिविल इंजीनियरिंग, भूवैज्ञानिक इंजीनियरिंग और खनन इंजीनियरिंग के साथ-साथ यांत्रिकी इंजीनियरिंग, भूभौतिकी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, भूविज्ञान आदि पाठ्यक्रमों से ज्ञान और कौशल प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। साथ ही बढ़ते हुए भूमिगत निर्माण के चलते छात्रों को विशिष्ट निर्माण प्रक्रियाओं के अलावा भूमिगत स्थान की विशिष्ट संरचनाओं को डिज़ाइन करना, निर्माण करना, पुनर्वास करना और बनाए रखना और वाणिज्यिक, परिवहन, पानी, अपशिष्ट जल और उपयोगिता आदि के लिए सुरंगों का निर्माण करने के लिए विभिन्न कौशलों में दक्ष होना चाहिए।
भारत में विभिन्न बुनियादी ढांचा निर्माण परियोजनाओं के विकास के कारण सुरंग निर्माण की मांग में तेज़ी देखी गई है। और इस मांग को पूरा करने के लिए योग्य और विशेष रूप से दक्ष सुरंग अभियंताओं की कमी है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, महाराष्ट्र के पुणे की ‘एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी’ (MIT World Peace University, Pune) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने सुरंग इंजीनियरिंग शिक्षा में एक अग्रणी संस्थान, ऑस्ट्रिया (Austria) के लेओबेन में मोंटन विश्वविद्यालय (Montan University in Leoben) के सहयोग से सुरंग इंजीनियरिंग में एक मास्टर कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम छात्रों को अनुभवी संकाय और उद्योग विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में सुरंग इंजीनियरिंग में उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकियों, मशीनरी, सॉफ्टवेयर और उपकरणों की व्यापक समझ प्रदान करता है। इस पाठ्यक्रम के लिए निर्धारित पात्रता यूजीसी द्वारा अनुमोदित विश्वविद्यालय या समकक्ष से प्रासंगिक इंजीनियरिंग शाखा के 4 वर्ष स्नातक में न्यूनतम 50% कुल अंक (केवल महाराष्ट्र राज्य से संबंधित आरक्षित वर्ग श्रेणी के उम्मीदवार के मामले में, कम से कम 45% अंक) और GATE योग्यता प्राप्त/MIT-WPU CET 2024 /PERA 2024 या प्रायोजित उम्मीदवार (स्नातक स्तर से संबंधित क्षेत्र में स्नातक के बाद 2 वर्ष का कार्य अनुभव आवश्यक है) है। प्रायोजित श्रेणी के तहत प्रवेश के लिए, उम्मीदवार के पास किसी पंजीकृत फर्म/कंपनी/उद्योग/शैक्षणिक और/या अनुसंधान संस्थान/किसी सरकारी विभाग या सरकारी स्वायत्त संगठन में उस संबंधित क्षेत्र में, जिसमें प्रवेश मांगा गया है, न्यूनतम दो वर्ष का पूर्णकालिक कार्य अनुभव होना चाहिए। इसके अलावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जम्मू द्वारा भी सुरंग अभियांत्रिकी में M.Tech. पाठ्यक्रम प्रदान किया जा रहा है जिसके लिए निर्धारित पात्रता शुल्क आदि के विषय में आप निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं: https://rb.gy/1j9k9l

संदर्भ
https://rb.gy/0lvvoe
https://rb.gy/irk2rm
https://rb.gy/2pckhe
https://shorturl.at/efA46

चित्र संदर्भ
1. छात्रों को एक सुरंग का प्रसंग समझाते शिक्षक को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel, wikimedia)
2. एक निर्माणाधीन सुरंग को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. बैंदुर सुरंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. सुरंग के भीतर के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (Terrasol)
5. कक्षा में बैठे छात्रों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id