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यदि आप भारत को एक दिव्य भव्य महल की भांति संदर्भित करें तो, भारत का युवा उस महल की नींव के समान है। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि “हमारे देश की यह नींव बेहद मजबूत भी है!” अर्थात भारत की लगभग 70% आबादी 35 साल से कम उम्र वाले युवाओं की है। और यदि हम इन ऊर्जावान युवाओं को उचित गति एवं दिशा प्रदान करने में सफल रहे, तो फिर भारत को विश्व शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।
आध्यात्मिक नेता और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ने वाले महान दार्शनिक स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर भारत में प्रतिवर्ष 12 जनवरी के दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्र के प्रति युवाओं के योगदान को सम्मानित करने और उन्हें देश के भविष्य को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार द्वारा 1984 में इस अवकाश की स्थापना की गई थी। राष्ट्रीय युवा दिवस युवाओं के लिए अपनी क्षमता का आंकलन करने और एक आदर्श रह चुके स्वामी विवेकानंद के उदाहरणों से सीखने का एक अवसर है। इस अवसर पर सेमिनार, सम्मेलनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
2022 में अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर, भारत में ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime (UNODC) तथा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education (CBSE) द्वारा भारत सरकार के 12 प्रमुख संस्थानों के साथ "सत्यनिष्ठा पर शिक्षा की मुख्यधारा" विषय पर चर्चा करने के लिए एक परामर्श बैठक आयोजित की गई। बैठक में युवाओं को शिक्षा, शांति और स्वास्थ्य प्रदान करने तथा शिक्षकों और परिवारों को सशक्त बनाने के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जहां दुनिया की लगभग 20% आबादी रहती है। विश्व जनसंख्या संभावना 2022 (World Population Prospects 2022) के संशोधन के अनुसार, भारत की जनसंख्या लगभग 1.4 बिलियन है। अच्छी बात यह है कि भारत की 27% से अधिक आबादी 29 वर्ष से कम आयु की है, और लगभग 65% से अधिक लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं। एक भारतीय की औसत आयु 29 वर्ष है, जो चीन और जापान की औसत आयु से कम है।
हालांकि इसका एक अन्य पहलू भी है। दरसल, जानकार मानते हैं कि साल 2030 तक भारत में दूसरों (अपने पालकों) पर निर्भर लोगों की संख्या बढ़ेगी। ऐसे कई अन्य मुद्दे और भी हैं जो भारत में युवाओं को प्रभावित करते हैं, जिनमें शिक्षा, बाल श्रम, कुपोषण, सड़क पर रहने वाले बच्चे, बाल विवाह और बाल तस्करी शामिल हैं।
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (International Labour Organization (ILO) द्वारा हाल ही में जारी ग्लोबल एम्प्लॉयमेंट ट्रेंड्स फॉर यूथ, 2022 (Global Employment Trends for Youth, 2022) में कुछ बेहद ही दिलचस्प अवलोकन प्रस्तुत किए। रिपोर्ट के अनुसार, 2019 और 2020 के बीच, 15-24 आयु वर्ग के लोगों ने 25 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की तुलना में बहुत अधिक बेरोजगारी दर का अनुभव किया, क्योंकि रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश नियोक्ताओं ने नई भर्तियों के बजाय अपने मौजूदा कर्मियों को ही बनाए रखना उचित समझा।
UNODC के ग्लोबल ग्रेस इनिशिएटिव (Global Grace Initiative) अर्थात भ्रष्टाचार विरोधी शिक्षा और युवा अधिकारिता के लिए UNODC वैश्विक संसाधन (The UNODC Global Resource for Anti-Corruption Education and Youth Empowerment ) ने फैमिली स्किल्स प्रोग्राम और लॉकडाउन लर्नर्स सीरीज़ (Family Skills Program and Lockdown Learners Series) जैसी अपनी अन्य पहलों पर प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को भ्रष्टाचार, साइबर अपराध, भेदभाव, गलत सूचना, लैंगिक असमानता जैसे विषयों के बारे में जागरूक करना है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय युवा पुरुष कुल वैश्विक कार्यबल का लगभग 16 प्रतिशत हिस्सा हैं, जिसमें भारतीय महिलाओं का हिस्सा 5 प्रतिशत है। रिपोर्ट भविष्य के निवेश के लिए रणनीति निर्धारित करते समय मानव-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देती है। यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय युवाओं के कार्य करने का तरीका और भविष्य तकनीकी नवाचारों, जनसांख्यिकीय बदलाव, जलवायु परिवर्तन और वैश्वीकरण से काफी हद तक प्रभावित होगा।
यह रिपोर्ट, तीन अर्थव्यवस्थाओं को भविष्य के लिए निवेश के क्षेत्रों के रूप में वर्णित करती है।
1. हरित अर्थव्यवस्था: ऐसी नौकरियां या भूमिकाएँ जिनका उद्देश्य पर्यावरण संकट को दूर करना है।
2. देखभाल: ऐसी नौकरियां या भूमिकाएँ जो मानव कल्याण और देखभाल पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
3. डिजिटल (Digital): ऐसी नौकरियां या भूमिकाएँ जो इंटरनेट और डिजिटल प्रौद्योगिकी के विभिन्न रूपों का लाभ उठाती हैं।
रिपोर्ट बताती है कि युवाओं को भविष्य में रोजगार के लिए तैयार करने हेतु हरित अर्थव्यवस्था, देखभाल क्षेत्र और डिजिटल कौशल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ युवाओं को तैयार करने वाले शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इन क्षेत्रों के लिए अक्सर अधिक विशिष्ट कौशल की आवश्यकता होती है और इसलिए प्रवेश स्तर के श्रमिकों के लिए इन्हें बहुत अधिक सुलभ नहीं माना जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सही संसाधनों (जैसे कि हरित प्रौद्योगिकी में निवेश और हरित समाधानों के अनुसंधान) के साथ, इस क्षेत्र में युवाओं के लिए 2030 तक 84 लाख नई नौकरियां जोड़ी जा सकती है। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्थाएँ कृषि से उद्योग की ओर स्थानांतरित होंगी, वैसे-वैसे डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग में भी स्वाभाविक वृद्धि होगी।
ILO की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि युवा महिलाएं, विशेष रूप से, महामारी से प्रभावित हुई हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले दो दशकों में लैंगिक अंतर को कम करने के संदर्भ में बहुत कम प्रगति हुई है। युवाओं को भविष्य में रोजगार के लिए तैयार करने के लिए, हस्तांतरणीय कौशल सहित उद्योग-विशिष्ट ज्ञान कौशल की आवश्यकता है। भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए, पारिस्थितिकी तंत्र और इसके सभी हितधारकों को बदलना होगा। नीति निर्माताओं और परोपकारी लोगों को भी युवा वर्ग में निवेश करने की आवश्यकता है, जो भविष्य में उनकी कमजोरियों को कम करने में मदद कर सके।
संदर्भ
https://bit.ly/3Xca0qX
https://bit.ly/3iqg6VZ
https://bit.ly/3k2pnEh
https://bit.ly/3X1DhoM
चित्र संदर्भ
1. कबड्डी खिलाडियों और हिमा दास को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. ध्यानमग्न स्वामी विवेकानंद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. सड़क पर बैठे बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. भारतीय युवाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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