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मानव इतिहास के सबसे शक्तिशाली छुद्र प्रहार, जिन्होंने पूरी पृथ्वी को हिला दिया था

जौनपुर

 20-12-2022 11:33 AM
जलवायु व ऋतु

कभी-कभी हमारा ग्रह उन वस्तुओं का अनुभव करता है जो पृथ्वी के अंदर से नहीं बल्कि बाह्य अंतरिक्ष से आती है। हमारे ग्रह ने ऐसे ही कई अंतर्ग्रहीय पिंडों को पृथ्वी के वायुमंडल में बार-बार आते देखा है, जिनमें से कुछ कंकड़ के रूप में छोटे और कुछ वैश्विक प्रभाव पैदा करने और डायनासोरों का सफाया करने के लिए बहुत बड़े थे। अपने 4.5 बिलियन वर्षों के इतिहास में, हमारी पृथ्वी को सैकड़ों विशालकाय क्षुद्रग्रहों (Asteroids) द्वारा छिद्रित और घिसा गया है। इन क्षुद्रग्रहों में से कम से कम 190 टकराव ऐसे हैं जिन्होंने पृथ्वी की सतह पर इतने भारी निशान छोड़े हैं, जो आज भी दिखाई देते हैं। क्या आप जानते हैं कि ज्ञात सबसे बड़ी 190 टक्करों में से तीन टकराव हमारे भारत में भी हुए हैं ? नासा (National Aeronautical and Space Administration) के अनुसार, अधिकांश अंतरिक्ष छुद्रग्रह, जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं, बिल्कुल भी विशाल नहीं होते हैं। वह लगभग 3 फीट (1 मीटर) तक बड़े हो सकते हैं। यह पृथ्वी वासियों के लिए सौभाग्यपूर्ण है, क्योंकि 82 फीट (25 मीटर) से कम व्यास वाली कोई भी अंतरिक्ष चट्टान आमतौर पर पृथ्वी के वायुमंडल के कारण आगे नहीं बढ़ पाती है ।अंतरिक्ष चट्टान की बेहद तेज़ रफ़्तार वातावरण में गैसों को गर्म कर देती है, जो इस चट्टान (जो तकनीकी रूप से वायुमंडल से मिलने के बाद एक उल्का बन जाती है) को जला देती है। ज्यादातर मामलों में, कोई भी अंतरिक्ष चट्टान जमीन पर पहुंचने पर बहुत कम या कोई भी नुकसान नहीं पहुँचाती है। और हमारा वायुमंडल हमें इसके भयानक प्रभावों से बचा लेता है। हालांकि, ऐसा हर बार नहीं होता है । उदाहरण के लिए, 2013 में, रूस के चेल्याबिंस्क (Chelyabinsk) में 56 फुट चौड़ा (17 मीटर) उल्का विस्फोट हुआ था, जिससे एक झटके की लहर पैदा हुई, घरों की खिड़कियां टूट गईं और कई लोगों को चोटें भी आईं। हमारी किस्मत अच्छी थी कि इसका अधिकांश भाग रास्ते में धूल और छोटे उल्कापिंडों में टूट गया था।
पृथ्वी की सतह पर 190 ज्ञात ऐसी घटनाएं भी हुई हैं, जब बड़े क्षुद्रग्रहों ने इन बाधाओं को पार करके पृथ्वी की सतह को स्पर्श कर लिया था। जिन जगहों पर यह छुद्रग्रह गिरे हैं, उनमें से अधिकांश ने उत्तरी अमेरिका (32%), इसके बाद यूरोप (22%) और रूस और एशिया (16%) शामिल हैं। हम उनमे से तीन सबसे बड़े छुद्र ग्रहों के बारे में जानेंगे जो या तो जमीन या पानी पर टकराए हैं: 1. नासा की पृथ्वी वेधशाला के अनुसार (NASA's Earth Observatory), पृथ्वी पर सबसे बड़ा उल्कापिंड प्रभाव गड्ढा, दक्षिण अफ्रीका में लगभग 2 अरब साल पहले बना वेल्ड फोर्ट गड्ढा (Weld Fort Crater है, जो 99 मील (160 किमी) चौड़ा है । आज यह गड्ढा काफी हद तक नष्ट हो गया है, लेकिन इसकी परिधि के बचे हुए हिस्से के आधार पर, वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि वहां टकराने वाले क्षुद्रग्रह का व्यास 6 से 9 मील (10 से 15 किमी) का था। वैज्ञानिकों के अनुसार, वार्ड फोर्ट गड्ढा बनाने वाला क्षुद्रग्रह अत्यंत विनाशकारी झटका था, जो संभवतः डायनासोर को मारने वाले छुद्र प्रहार के बराबर था। 2. मेक्सिको (Mexico) के युकाटन प्रायद्वीप (Yucatan Peninsula) पर चिक्सुलब गड्ढा(Chicxulub Crater) आकार में वेर्डफोर्ट गड्ढे समान ही, लगभग 112 मील (180 किमी) चौड़ा है। यह 7.5 मील चौड़े (12 किमी) क्षुद्रग्रह द्वारा बनाया गया था जो 66 मिलियन वर्ष पहले हमारी पृथ्वी से टकराया था। हालांकि, यह गड्ढा अब आंशिक रूप से भूमि पर है, लेकिन प्रभाव के समय यह उथले समुद्र के नीचे था। टक्कर के कारण इस स्थान की 75% प्रजातियां विलुप्त हो गईं, जिनमें गैर-नावीय डायनासोर भी शामिल हैं। इसके प्रभाव से धूल के बादल भी बन गए थे जो वर्षों तक पृथ्वी को ढके रहे, सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध किया और खाद्य श्रृंखला को बाधित कर दिया। 3. ओंटारियो (Ontario), कनाडा में सडबरी बेसिन (Sudbury Basin), आकार में तीसरे स्थान पर है और पृथ्वी पर सबसे पुराने ज्ञात प्रभाव गड्ढों में से एक है। टेरा नोवा (Terra Nova) पत्रिका में, 2014 के एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि शायद यह एक क्षुद्रग्रह नहीं था, बल्कि एक विशाल धूमकेतु या क्षुद्रग्रह बिट्स (Asteroid bits) और बर्फ का एक चट्टानी मिश्रण था। पृथ्वी पर मौजूद 44 सबसे बड़े गड्ढों में से 39 प्रभाव, 10 मिलियन वर्ष पहले हुए थे, जो अंतरिक्ष चट्टानी प्रभावों से बने थे। इन 190 ज्ञात टक्करों के कारण तीन उल्का प्रभाव गड्ढे (Impact Crater) भारत में भी बने , जिनकी सूची निम्नवत दी गई है: १. महाराष्ट्र में लोनार क्रेटर: इन तीनों में सबसे प्रसिद्ध, लोनार गड्ढा (Lonar Crater), पहली बार 1823 में विशाल ज्वालामुखीय बेसाल्ट मैदानों पर खोजा गया था। इसके स्थान के कारण, वैज्ञानिक, सबसे लंबे समय तक, इसे ज्वालामुखीय गड्ढा मानते थे। लेकिन बाद में पता चला कि यह गड्ढा लगभग 35,000 - 50,000 साल पहले एक उल्कापिंड के प्रहार का परिणाम था।
लोनार गड्ढे का व्यास 1.8 किमी है और यह लगभग 500 फीट गहरा है। इतना बड़ा गड्ढा एक ऐसे उल्कापिंड के कारण बना था जिसका वजन एक मिलियन टन से भी अधिक था और यह लगभग 90,000 किमी प्रति घंटे की गति से पृथ्वी से टकराया था। लोनार गड्ढे के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि इसके बीच की झील का पानी एक ही समय में खारा और क्षारीय दोनों होता है। गठन के हजारों वर्षों के बाद भी, गड्ढे में अभी भी मास्कलीनाइट(Maskelyneite) (एक प्रकार का प्राकृतिक कांच जो उच्च वेग के प्रभाव से ही बनता है), के टुकड़े हैं, । मास्कलीनाइट की इस खोज के कारण ही आज वैज्ञानिक आश्वस्त हैं कि लोनार का निर्माण उल्कापिंड के प्रभाव से हुआ था न कि ज्वालामुखी विस्फोट से। २. मध्य प्रदेश में ढाला गड्ढा (Dhala Craters): इस गड्ढे का लगभग 2500 मिलियन वर्ष पहले बनने का अनुमान है। ढाला गड्ढा भारत में सबसे पुराना और सबसे बड़ा प्रभाव गड्ढा माना जाता है। यह मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित है। यह 11 किमी व्यास के साथ एक विशाल गड्ढा है, जो इसे एशिया में सबसे बड़ा बनाता है। किंतु अब यह गड्ढा और इसकी परिधि के अधिकांश हिस्से अब मिट चुके हैं। ३. राजस्थान में रामगढ़ गड्ढा : लगभग 165 मिलियन वर्ष पहले, एक बड़ा उल्कापिंड राजस्थान के कोटा से लगभग 110 किमी दूर पृथ्वी पर गिरा और यहाँ पर लगभग 10 किमी के व्यास वाला एक असामान्य गड्ढा बन गया। गड्ढे के केंद्र में एक चोटी की उपस्थिति के कारण यह गड्ढा अद्वितीय है। रामगढ़ गड्ढे (Ramgarh Crater) को 50 किमी की दूरी से भी आसानी से देखा जा सकता है!
वास्तव में, ये उच्च वेग प्रभाव वाले गड्ढे पृथ्वी पर बने स्थायी निशान हैं जो कुछ सबसे अधिक जैवविविध वातावरणों का घर भी हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3uUylp5
https://bit.ly/3Pzn86J

चित्र संदर्भ

1. शक्तिशाली छुद्र प्रहार, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. पृथ्वी की ओर बढ़ते विशालकाय क्षुद्रग्रहों को दर्शाता एक चित्रण ( Needpix.com)
3. चेल्याबिंस्क में उल्कापिंड का निशान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. उल्कापिंड प्रभाव गड्ढे को दर्शाता एक चित्रण (PickPik)
5. क्षुद्रग्रह टकराव के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. सडबरी, ओंटारियो, कनाडा में साइंस नॉर्थ में क्रेटन फॉल्ट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. महाराष्ट्र में लोनार क्रेटर: को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. मध्य प्रदेश में ढाला गड्ढे को दर्शाता एक चित्रण (maps)
9. राजस्थान में रामगढ़ गड्ढे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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