Post Viewership from Post Date to 16-Oct-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2851 21 2872

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

कला में भावना और सुंदरता का मूल्यांकन कैसे करें? भारतीय सौंदर्यशास्‍त्र में नवरसों का महत्‍व

जौनपुर

 11-10-2022 12:34 PM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

दर्शकों में विशेष आध्यात्मिक या दार्शनिक अवस्थाओं को प्रेरित करने या प्रतीकात्मक रूप से उनका प्रतिनिधित्व करने के उद्देश्‍य से भारतीय कला का विकास हुआ। भारतीय सौंदर्य परंपराओं पर कुछ भारतीय विद्वानों का तर्क है कि भारत में सौंदर्य दर्शन की एक मजबूत परंपरा कभी नहीं रही - सौंदर्य क्या है? भावना क्या है? सौंदर्य की तुलना में भावना क्या है? कला और सुंदरता का मूल्यांकन कैसे करें? ऐसा इसलिए है क्योंकि सौंदर्यशास्त्र बोधगम्य रूपों का विज्ञान है, और भारतीय संस्कृति का मानना ​​​​है कि जो दिखाई दे रहा है वह वास्तविकता का एक छोटा सा हिस्सा है, हमारी पांच इंद्रियां निरपेक्ष मानदंड नहीं हैं, और इसलिए बोधगम्य रूपों को सौंदर्यशास्त्र में सख्ती से शामिल करने का कोई मतलब नहीं था, वे रस के माध्यम से ही सार्थक रूप से सुलभ हो जाते हैं। रस मन की एक उपनिवेशित भावनात्मक स्थिति है जब स्वयं की भावना न तो पूरी तरह से विस्थापित/भंग होती है और न ही प्रमुख रूप से संदर्भित होती है। यह 'आनंद' के विपरीत है, जो स्वयं का पूर्ण विघटन है।

रस का सिद्धांत अभी भी भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी, ओडिसी, मणिपुरी, कुडियाट्टम, कथकली और अन्य जैसे सभी भारतीय शास्त्रीय नृत्य और रंगमंच के सौंदर्य का आधार है। शास्त्रीय भारतीय नृत्य रूप में रस को व्यक्त करना रस-अभिनय के रूप में जाना जाता है। नाट्यशास्त्र प्रत्येक रस की रचना के लिए प्रयुक्त भावों का सावधानीपूर्वक चित्रण करता है। कुड़ियाट्टम या कथकली में प्रयुक्त भाव अत्यंत अतिरंजित नाट्य अभिव्यक्ति हैं। इसके विपरीत बालासरस्वती की देवदासियों का सूक्ष्म और संक्षिप्त अभिनय का अनुभाव है। जब बालसरस्वती ने रुक्मिणी देवी की शुद्धतावादी व्याख्याओं और श्रृंगार रस के अनुप्रयोगों की निंदा की उस पर गंभीर सार्वजनिक बहस हुई। अभिनय की मेलत्तूर शैली, अभिनय भावनाओं की विविधता में अत्यंत समृद्ध है, जबकि पंडानल्लूर शैली के भाव अधिक सीमित हैं।

नौ रस भारतीय सौंदर्यशास्त्र की रीढ़ हैं जब से उन्हें नाट्यशास्त्र (200 ईसा पूर्व-300 ईस्वी के बीच लिखा गया) में संहिताबद्ध किया गया है इन्‍होंने नृत्य, संगीत, रंगमंच, कला और साहित्य की परंपराओं की नींव रखी और उन्‍हें विकसित किया। प्रदर्शन और कलाकृति पूरी तरह से दर्शकों में रस जगाने के उद्देश्य से बनाई गई थी। प्राचीन भारतीय सौंदर्य दर्शन में वर्णित 9 रसों को प्रमुख मानवीय भावनाओं के सूचक के रूप में देखा जा सकता है। प्रत्येक रस हमारे प्राण (जीवन शक्ति) से लिया गया ऊर्जा का भंडार है। इस शक्तिशाली ऊर्जा को सीखकर और फिर उसमें महारत हासिल करके, हम भावनात्मक संतुलन को प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सकते हैं, और इस ऊर्जा का उपयोग अपनी वास्तविक क्षमता का एहसास करने के लिए भी कर सकते हैं। योग और तंत्र दोनों में 9 रसों को हमारी सभी भावनाओं के सार के रूप में देखा जाता है:

1.श्रृंगार (प्रेम) - इसे रसों का राजा कहा जाता है। यह रस अहंकार को मुक्त करता है और हमें भक्ति प्रेम से जोड़ता है। जब हम सुंदरता की सराहना करते हैं तो यह हमें प्रेम के स्रोत से जोड़ती है। यह शिव और शक्ति, सूर्य और चंद्रमा, यिन और यांग (Yin-Yang) के बीच रचनात्मक खेल है। ब्रह्मांड का उद्देश्य इस दिव्य प्रेम का अनुभव करना है। यह प्यार हर चीज में निहित है। यह हम में से प्रत्येक के भीतर है और पूरे ब्रह्मांड में फैलता है।
2.हास्य (खुशी) - यह रस हमें हंसी, खुशी और संतोष के माध्यम से हमारे सेंस ऑफ ह्यूमर (sense of humor) से जोड़ता है। जब हम हंसते हैं, तो अमन की स्थिति में जाना आसान होता है, क्योंकि मन अपने सामान्य विचारों के कार्यभार से मुक्त हो जाता है, और हम उस क्षण में बस खुले, स्वतंत्र और खुश रह सकते हैं।
3.अद्भूत (आश्चर्य) - जिज्ञासा, रहस्य और विस्मय तब होता है जब हम जीवन के विचार से मोहित हो जाते हैं। यह रस हमारी चंचलता और मासूमियत से जुड़ा हुआ है। हम पूर्ण प्रशंसा में प्रवेश करते हैं और एक खोजकर्ता या साहसी बन जाते हैं। यह जादू जैसा लगता है!
4.वीर (साहस) - यह वीरता, शौर्य, दृढ़ संकल्प और आत्म-विश्वास को प्रदर्शित करता है। जब आप अपने अंदर रहने वाले योद्धा को पुकारते हैं तो वीर रस जागृ‍त होता है। यह मजबूत और जीवंत है।
5.शांत (शांति) - यह रस गहरी शांति और विश्राम में परिलक्षित होता है। जब हम शांत हो जाते हैं, तो हम शांति के अलावा हर प्रकार के विचारों की उथल पुथल से मुक्‍त हो जाते हैं। हम केवल भीतरी शांति अनुभव कर सकते हैं।
6.करुणा - जब हम दूसरे के दुख का अनुभव कर सकते हैं और उसे सबके सामने प्रतिबिंबित कर सकते हैं, तो हम करुणा का अनुभव करते हैं। करुणा वह है जो हम सभी को जोड़ती है। करुणा के माध्यम से हम एक दूसरे के साथ गहराई से और ईमानदारी से जुड़ सकते हैं, यह हमारे और दूसरों के बीच सेतु के रूप में काम करता है और हमें समझने और उनके साथ सहानुभूति रखने में मदद करता है।
7.रौद्र (क्रोध) - क्रोध में हम अपना संतुलन खो देते हैं। क्रोध का एक क्षण जीवन भर के सद्गुणों को नष्ट कर सकता है, इसलिए क्रोध का सम्मान करें और इसे ध्यान दें। जब क्रोध का सम्मान नहीं किया जाता है तो यह जलन, हिंसा और घृणा उत्पन्न कर सकता है। बिना कोई प्रतिक्रिया किए, क्रोध का अनुभव करें; और इसे स्‍वयं शांत होने दें।
8.भयानक (भय) - संदेह, चिंता, असुरक्षा आदि का भाव। जब हम भय में अपना जीवन जीते हैं, तो हम पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाते हैं। आंतरिक शक्ति, प्रेम और सच्चाई से भय पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
9.विभस्त (घृणा) - आत्म दया, घृणा, आत्म घृणा। यह रस निर्णयात्मक मन की विशेषता है; केवल प्रेम को जागृत करके ही हम मन को शान्‍त और प्रसन्‍न कर सकते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3fDMJxO
https://bit.ly/3LX39gu
https://bit.ly/3CjZpSb

चित्र संदर्भ
1. विभिन्न रसों का प्रतिनिधित्व (flickr)
2. भारतीय शास्त्रीय नृत्य में रस का एक उदाहरण (wikimedia)
3. तमिलनाडु, भारत से नटराज। चोल राजवंश (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id