City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2867 | 13 | 2880 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
भारत में आज भी बहुत कम लोग इस बात को समझ पा रहे हैं कि, हमारे लिए हमारा शारीरिक
स्वास्थ्य जितना जरूरी है उतना ही या कुछ मायनों में हमारा मानसिक स्वास्थ्य उससे भी अधिक
जरूरी है। यह न केवल हमारे व्यक्तिगत एवं पारिवारिक संबंधों को प्रभावित करता है बल्कि हमारे
आर्थिक क्षेत्र, विशेषतौर पर ऑफिस में हमारी अच्छी या बुरी उत्पादकता के लिए भी जिम्मेदार है।
मानसिक स्वास्थ्य हर व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग है, जो जीवन के सभी क्षेत्रों
को काफी हद तक प्रभावित करता है। मानसिक विकार विश्व स्तर पर बीमारी के बोझ के प्रमुख
कारणों में से एक रहे हैं। भारत जैसे विकासशील देश में यह जोखिम और भी बढ़ जाता है क्योंकि
यहां पर स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियाँ पहले से ही तनावग्रस्त हैं।
भारत में मानसिक विकारों का पैमाना चौंका देने वाला है यहां पर वैश्विक मानसिक विकार बोझ
का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है। भारत में, मानसिक विकार, गैर-घातक बीमारी के
बोझ के प्रमुख कारणों में से हैं और देश की कुल आबादी के 14 प्रतिशत को प्रभावित करते हैं। 1990
के बाद से कुल बीमारी के बोझ में इसका हिस्सा लगभग दोगुना हो गया है। लॉक डाउन, आर्थिक
कठिनाइयों और नौकरी की असुरक्षा जैसे कारकों से उत्पन्न, महामारी के मद्देनजर मानसिक
स्वास्थ्य का महत्व सबसे आगे आ गया है।
मानसिक स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र में कई चुनौतियां मौजूद हैं:
1. जागरूकता: आम लोगों में मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता और बुनियादी जागरूकता की कमी है।
जैसे कि मानसिक स्वास्थ्य क्या है, मानसिक बीमारी क्या होती है, और इसका इलाज कैसे किया
जाता है?
2. मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लक्षणों को पहचानने में असमर्थता और कठिनाई होती है। और
इसकी उपस्थिति को स्वीकार करना मुश्किल है।
3. इसके अलावा, व्यापक कलंक और भेदभाव मानसिक स्वास्थ्य विकारों की स्वीकृति और सक्रिय
देखभाल की मांग को बाधित कर रहा है।
भारतीय कर्मचारियों के बीच मानसिक स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करने के लिए,
डेलॉयट तूश तोहमत्सु इंडिया एलएलपी (Deloitte Touche Tohmatsu India (DTTLLP) ने
एक सर्वेक्षण किया, जिसका शीर्षक “कार्यस्थल में मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण” था, जिसने
3,995 कर्मचारियों से अंतर्दृष्टि संकलित की।
सर्वेक्षण के अनुसार, 80 प्रतिशत भारतीय कार्यबल ने पिछले वर्ष के दौरान मानसिक स्वास्थ्य के
मुद्दों की सूचना प्रदान की है। सर्वेक्षण में पाया गया कि सभी उत्तरदाताओं में से 33 प्रतिशत ने
खराब मानसिक स्वास्थ्य के बावजूद कार्यस्थल पर काम करना जारी रखा, जबकि 29 प्रतिशत ने
समय निकाला और 20 प्रतिशत ने अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के
लिए इस्तीफा दे दिया।
अध्ययन के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए, डेलॉयट ग्लोबल के सीईओ पुनीत रंजन (Deloitte
Global CEO Puneet Ranjan) ने कहा, “यह अध्ययन दर्शाता है कि व्यवसायों को अपने
कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए। वरिष्ठ लीडरों को
अपने संगठनों के भीतर मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों को कम करने में एक प्रमुख भूमिका
निभानी चाहिए। हमें एक ऐसा माहौल बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है जहां
कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता दी जाए, और उनके पास उस समर्थन तक पहुंच हो, जिसकी
उन्हें जरूरत है ताकि हर कोई कामयाब और सेहतमंद हो सके। "मानसिक स्वास्थ्य के बारे में
जागरूकता बढ़ाने और चुनौतियों को दूर करने से कर्मचारियों को जल्दी सहायता प्राप्त करने में
मदद मिल सकती है। डेलॉयट के मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, कर्मचारियों के बीच
खराब मानसिक स्वास्थ्य , कम उत्पादकता और कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण भारतीय
नियोक्ताओं को सालाना लगभग 14 बिलियन अमरीकी डालर का खर्च आता है। पिछले कुछ वर्षों
में, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में वैश्विक स्तर पर लगातार वृद्धि देखी गई है, जो कि कोविड-19
की शुरुआत से और अधिक बढ़ गई है।
सर्वेक्षण में शामिल लगभग 47 प्रतिशत पेशेवर कार्यस्थल से संबंधित तनाव को उनके मानसिक
स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारक मानते हैं, इसके बाद वित्तीय और कोविड-19
चुनौतियां हैं। ये तनाव कई तरह से प्रकट हो सकते हैं, जो अक्सर सामाजिक और आर्थिक लागतों
के साथ किसी व्यक्ति के जीवन के व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों पहलुओं को प्रभावित करते
हैं। मानसिक तनाव में रहते हुए काम करने पर, उत्पादकता में कमी आती है। सर्वेक्षण के अनुसार,
पिछले एक साल के दौरान 80 प्रतिशत भारतीय कर्मचारियों ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों की
सूचना दी है। दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए
प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। मानसिक
स्वास्थ्य दिवस 2022 के माध्यम से हमें मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा और सुधार के प्रयासों से
अवगत कराया जायेगा।
अतः स्पष्ट है की मानसिक स्वास्थ्य एक वास्तविक मुद्दा रहा है। अध्ययन दर्शाता है कि
व्यवसायों को अपने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए। "यह
आवश्यक है कि वरिष्ठ लीडर अपने संगठनों के भीतर मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों को दूर करने
में एक प्रमुख भूमिका निभाएं।
संदर्भ
https://bit.ly/3Rj5KCI
https://bit.ly/3SMD0TM
https://bit.ly/3LSCvph
चित्र संदर्भ
1. बस की खिड़की से झांकते युवा को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. तनावग्रस्त महिला को दर्शाता एक चित्रण (Dr. Stories)
3. ऑफिस में प्रसन्न महिला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. ऑफिस में टंगी बच्चों की तस्वीरों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.