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किसी एक ही विषय पर किन्हीं दो अलग-अलग व्यक्तियों का भिन्न-भिन्न नजरिया हो सकता है! लेकिन
दुर्भाग्य से कई देशों अथवा समाजों में भी सीधे-सीधे अपना नजरिया पेश करना या विरोध जताना, एक
तरह से अपराध ही माना जा सकता है! कई बार आप, अपने से अधिक शक्तिशाली नेता या बड़े पद पर बैठे
व्यक्ति का सीधे तौर पर विरोध नहीं कर सकते और यदि कर भी दिया तो शायद आपका नजरिया सीमित
दायरों तक केवल कुछ बुद्धिजीवी ही समझ पाते। लेकिन यहीं पर संगीत के एक बेहद शानदार स्वरूप हिप-हॉप या रैप (hip-hop or rap) संस्कृति का जन्म होता है, जिसने लोगों को विरोध करने का एक ऐसा
रचनात्मक जरिया प्रदान किया, जिसने बेहद कम समयावधि के दौरान ही, बेहद बड़े जनसमूह को प्रभावित
कर दिया, और आज यह किसी व्यक्ति अथवा विचारधारा के विरोध का सबसे शक्तिशाली रूप बन गया है।
हिप-हॉप, दुनियाभर में सबसे रोमांचक और तेजी से बढ़ती, संगीत संस्कृतियों में से एक बन गया है। माना
जाता है की, इसकी शुरुआत 11 अगस्त, 1973 को ब्रोंक्स, न्यूयॉर्क, यू.एस.ए. (Bronx, New York, USA) में
डीजे, कूल हर्क (Cool Herc) द्वारा आयोजित "बैक टू स्कूल जैम" (back to school jam) के साथ शुरू
हुई! तभी से, कई रैपर्स और डीजे ने हिप-हॉप की दुनिया में अपना नाम और भारी लोकप्रियता कमाई है।
समय के साथ, हिप-हॉप का चलन तेजी से पूरी दुनिया में फैल गया और दो दशक पहले, यह भारत में भी
पहुंच गया। आज भारत में हिप-हॉप संस्कृति बहुत लोकप्रिय है, तथा युवाओं के बीच इसकी लोकप्रियता
देखते ही बनती है। हिप-हॉप संगीत कला का एक रूप है, जिसका जन्म न्यूयॉर्क की गलियों में हुआ था।
इस क्षेत्र में Jay-Z और NAS जैसे लोगों द्वारा क्रांति ला दी गई थी।
भारत में हिप-हॉप को पंजाबी रैपर, बाबा सहगल (हरजीत सिंह सहगल) द्वारा 1990 में पहली बार पेशकिया गया था। बाबा सहगल ने हिप-हॉप और रैप की शुरुआत, "ठंडा ठंडा पानी" और "दिल धड़कने" जैसे
हिट गानों के साथ की।
2000 के दशक की शुरुआत में, एक गैर-भारतीय व्यक्ति ने भारतीय हिप-हॉप को वह चिंगारी प्रदान की
जिसकी उसे आवश्यकता थी। दरअसल कैलिफ़ोर्निया (California) में रहने वाले एक पाकिस्तानी अमेरिकी
रैपर बोहेमिया (Bohemia (Roger David) ने, हिप-हॉप निर्माता शा वन (Sha One (Seth Agres) के
साथ मिलकर, अपना पहला एल्बम "विच परदेशा दे" जारी किया। बोहेमिया ने अपना पहला पूर्ण-लंबाई
वाला पंजाबी रैप, एल्बम "पेसा नशा प्यार" जारी किया, जो भारत में जबरदस्त हिट बन गया।
बोहेमिया की लोकप्रियता से प्रभावित होकर, पांच व्यक्तियों: यो यो हनी सिंह, लील गोलू, बादशाह, रफ़्तार
और इक्का, का एक समूह, पंजाबी रैप संस्कृति में छा गया, जिन्हें एक साथ "माफिया मुंडीर" के नाम से
जाना जाता है। इन पांच लोगों के ग्रुप ने अपने पूरे करियर में कई हिट पंजाबी रैप गाने तैयार किए। कुछ
समय बाद, कलाकारों के इस समूह में दो और कलाकार, अल्फाज़ और जे स्टार (Alphas and J Star) भी
शामिल हो गए। हालांकि जल्द ही, समूह के कई सदस्य, स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए अलग हो गए।
2010 की शुरुआत में, पंजाबी रैपर ने पहली बार अपार सफलता का स्वाद चखा, क्योंकि अब वे तेजी से
प्रसिद्ध होने लगे और बॉलीवुड के लिए भी गाने बनाने लगे।
अपने करियर के चरम पर, यो यो हनी सिंह को एक गाने के लिए ₹70 लाख का भुगतान किया जा रहा था।
रफ़्तार और बादशाह आज भी बॉलीवुड में अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। बादशाह का 2015
में "डीजे वाले बाबू" गाना काफी चर्चित हुआ था।
हिप-हॉप संगीत की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण यह भी है की, हिप-हॉप को लंबे समय से कथित,
सामाजिक और राजनीतिक अन्याय के खिलाफ बोलने के लिए इस्तेमाल किया गया है, और अब भारतीय
रैपर्स उस विरासत को आगे बड़ा रहे हैं।
YoungProzpekt (KR$NA) ने 2010 में "कैसा मेरा देश" नामक रैप जारी किया। यह ट्रैक 2010 के
राष्ट्रमंडल खेलों और विशेष रूप से भारतीय विकास के बयान के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी गाना था। यह
YouTube पर पहला भारतीय हिप हॉप गीत बन गया! इसके अलावा 2019 के नागरिकता संशोधन
अधिनियम के खिलाफ पूरे भारत में बड़े पैमाने पर विरोध शुरू होने के बाद, हिप हॉप फिर से सुर्खियों में आ
गया।
जामिया, एएमयू और जेएनयू (Jamia, AMU and JNU Universities) में हुई कार्रवाई और 2020 के
दिल्ली दंगों के बाद, देश भर के कई रैपर इसके विरोध में एक साथ आए। इस दौरान रैपर शाज़ जैसे रैपर्स ने,
संथानम श्रीनिवासन अय्यर (जिसे ईपीआर के नाम से जाना जाता है) के साथ मिलकर, अपने विरोध गीतों
के लिए पहचान हासिल की। 2019-2020 की कड़ाके की ठंड में, दिल्ली के शाहीन बाग मोहल्ले में लोग
भारत सरकार द्वारा विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पारित करने का विरोध कर रहे
थे, और इस विरोध में रैप या हिपहॉप को, फैसले के खिलाफ एक हथियार के रूप में प्रयोग करने की कोशिश
की गई।
इस दौरान इंकलाब (क्रांति) और आजादी जैसे गानों ने, आग में घी का काम किया! जिसमें
अरिवरासु कलैनेसन (arivarasu kalainesan), जिसे अरिवु के नाम से जाना जाता है, भी उन रैपर्स में से
थे, जिन्होंने इस विरोध का स्पष्ट आह्वान किया। अरिवु, ने एनआरसी के प्रति अपना विरोध जताने के
लिए अपने रैप गीतों "ना यारू, नी यारू / उन पाटन एंडोरु / थोंडी एडुकुमाम एनआरसी" अर्थात ("आप कौन
होते हैं जो मुझे बताते हैं कि मैं कौन हूं?/आप कौन हैं? आपके दादा कौन हैं? का प्रयोग किया।
वहीं पूर्वोत्तर राज्य असम में, कर्फ्यू और तालाबंदी के बीच, रैपर वैन एम (rapper vanam) ने "असम आज
जल रहा / खून मेरा खोल रहा" ("मेरा खून उबल रहा है / मैं अपने राज्य को जलता हुआ देख रहा हूं") जैसे
गीत गाये। सीएए के खिलाफ सामूहिक रूप से सामने आने वाले इन रैपरों ने, भारत के भीतर विरोध संगीत
के रूप में हिप-हॉप के उदय का अनुसरण किया।
कई लोगों का मानना है की, हिप-हॉप और रैप की शुरुआत न्यूयॉर्क शहर ब्रोंक्स में अफ्रीकी-अमेरिकी
समुदाय में सामाजिक अन्याय, नस्लवाद और भेदभाव के मुद्दों को प्रसारित करने के लिए एक उपकरण
के रूप में हुई थी। नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ शाहीन बाग विरोध ने कई हिप-हॉप
कलाकारों के लिए उत्प्रेरक का काम किया। पिछले कुछ वर्षों में, भारत में युवा लोगों ने रैप को असंतोष के
साधन के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। आज हिप हॉप के माध्यम से कन्नड़, और मराठी जैसी
कई अन्य दक्षिण भारतीय भाषाएं भी ,भारत में जनता के बीच लोकप्रिय हो रही हैं।
संदर्भ
https://bbc.in/3ybJK6B
https://bit.ly/3N715l4
https://bit.ly/3bdvGAo
चित्र संदर्भ
1. रैपर Divine को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. कूल हर्क (Cool Herc) को दर्शाता एक चित्रण (Hatch)
3. "माफिया मुंडीर" को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. NRC के विरोध करते छात्रों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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