मौसम की अनिश्चिताओं के कारण, खेती-किसानी को एक जोखिम भरा व्यवसाय माना जाता है! उदाहरण
के तौर पर "कल्पना कीजिये की एक किसान के रूप में आपने इस साल, मटर की खेती की" लेकिन जैसे ही
मटर तोड़ने का समय आया, वैसे ही बारिश के साथ गिरे ओलों ने सारी फसल ख़राब कर दी! या ऐसा कई
बार, बारिश से ख़राब हुई गेहूं की फसल के साथ भी होता है। लेकिन सोचिए क्या हो यदि किसान को पहले से
ही पता हो की किस दिन बारिश होनी है, तो वह पहले ही अपनी फसल को काट या तोड़ कर सुरक्षित कर
लेगा! ऐसी स्थिति में आज भारतीय किसानों के लिए यह प्रासंगिक हो गया है कि, वे बदलते समय के साथ
अनुकूल हों, और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए नए जमाने की तकनीकों “एग्रीटेक (agritech)” को अपनाएं।
कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ मानी जाती है, जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय नियोजित
कार्यबल (national employed workforce) का 43% हिस्सा कार्यरत है।
कृषि के छोटे धारकों अर्थात
छोटे किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है, जबकि मध्यम धारकों के पास 2-10 हेक्टेयर और बड़े
धारकों के पास 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि है, तथा यह भारत में सभी किसानों का 86% हिस्सा भी हैं।
इन सभी किसानों की आय में सुधार करने के लिए, उनके मूल्य को बढ़ावा देना और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र
में समग्र मूल्य सृजन (overall value creation) को बढ़ावा देना आवश्यक है। प्रौद्योगिकी
(Technology), किसानों को तेजी से समाधान विकसित करने, लागत दक्षता बनाने, सूचना प्रवाह में
पारदर्शिता लाने और मूल्य श्रृंखला के बीच संपर्क को मजबूत करने की क्षमता प्रदान करती है। खेती से जुड़े
जोखिमों से किसानों को बचाने के लिए डिजिटल तकनीक और डेटा संचार, निश्चित रूप से विकास स्तंभ
माने जा रहे हैं। कृषि-तकनीक स्टार्ट-अप के सामने आने के बाद से भारतीय कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में
बहुत बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। इन बदलावों में ग्राहकों को सीधे कृषि उत्पाद उपलब्ध कराना, कृषि का
डिजिटलीकरण, किसानों के लिए वास्तविक समय की जानकारी तक पहुंच, मूल्य श्रृंखला में पारदर्शिता
लाना, किसानों को पैदावार बढ़ाने के लिए बेहतर उपकरण विकसित करना और आपूर्ति करना तथा वित्तीय
सहायता भी प्रदान करना शामिल है।
हालांकि अभी भी किसानों की बहुसंख्यक आबादी ऐसी है, जो प्रौद्योगिकियों की पहुंच से दूर है। बहुत सारे
स्टार्ट-अप (startup) इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं, तथा किसानों को सहायता और समाधान प्रदान करने
का प्रयास कर रहे हैं। कृषि-तकनीकी प्लेटफार्मों (agro-technological platforms) ने किसानों को बैंकों
से जोड़ने का काम किया है, ताकि वे आसानी से आवेदन कर सकें और ऋण प्राप्त कर सकें। साथ ही इन
माध्यमों से वे अपनी लेन-देन संबंधी गतिविधियों पर भी नज़र रख सकते हैं।
खराब आपूर्ति श्रृंखला (poor supply chain) किसानों के लिए सदियों से एक चिंता का विषय रही हैं। एग्री-
टेक प्लेटफॉर्म ऐसी कमियों को दूर करने तथा आपूर्ति श्रृंखला और परिवहन में सुधार करने में बहुत मदद
कर रहे हैं। कृषि-तकनीक ने किसानों के लिए कृषि आदानों (agricultural inputs) को सुलभ बना दिया है,
और उन्हें ऐप (App) के माध्यम से कृषि आदानों को ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए लचीलापन भी प्रदान
किया है, जिनके माध्यम से किसान, बिचौलियों के बजाय सीधे. खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों को अपना
उत्पादन बेच पाता है।
किसान कृषि के साथ प्रौद्योगिकी को जोड़कर, स्मार्ट और टिकाऊ खेती के लिए जगह देकर पारंपरिक खेती
में सुधार कर रहे हैं। यह आर्थिक विकास में तेजी लाने, भारत में खाद्य प्रणालियों को मजबूत करने तथा
बेहतर आय अर्जित करने के लिए किसानों की संभावनाओं में सुधार लाने और उनकी उपज के लिए उचित
मूल्य पर बातचीत करने का समान अवसर प्रदान करेगा। आज किसानों को समय रहते मौसम के मिजाज
से संबंधित जानकारी, मंडियों में गतिशील मूल्य निर्धारण, फसल सलाह, खेती और पशुपालन से संबंधित
जानकारी मिलने से बहुत लाभ हुआ है, जिससे उनके उत्पादन की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। एग्रीटेक के
अंतर्गत खेती का विस्तार करने के लिए आधुनिक तरीकों का उपयोग किया जाता है, और यह अधिक
प्रगतिशील भविष्य के लिए कृषि अर्थव्यवस्था को तेजी से आकार दे रहा है। इसके अंतर्गत कृषि क्षेत्र की
चुनौतियों को हल करने के लिए रोबोट, बिग डेटा, एआई (robots, big data, AI) और अन्य तरीकों का भी
उपयोग किया जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के एग्रीटेक उद्योग में वर्ष 2025 तक लगभग 24 बिलियन डॉलर के राजस्व
तक पहुंचने की क्षमता है, जिसमें वर्तमान पैठ केवल 1% है।
एग्रीटेक में प्रयुक्त कुछ प्रौद्योगिकीयां निम्नवत दी गई हैं:-
#1 स्मार्ट खेती (Smart Farming): स्मार्ट खेती का उपयोग, पिछली स्थितियों का गहन शोध और
निरीक्षण करने के बाद किया जाता है। अधिक उपज प्राप्त करने के लिए मौसम के पूर्वानुमान, स्वचालित
सिंचाई आदि स्मार्ट खेती का एक हिस्सा हैं। स्मार्ट खेती एकत्रित डेटा, विश्लेषण और मशीन लर्निंग
(machine learning) का उपयोग कर रही है, ताकि किसानों को यह निर्णय लेने में मदद मिल सके कि,
कब कौन सी फसल का उत्पादन किया जाए।
#2 ड्रोन और उपग्रह (Drones and Satellites): ड्रोन और उपग्रहों का उपयोग करने से किसान आसानी
और जल्दी से, भूमि के बड़े हिस्से की जानकारी प्राप्त कर सकता है। ड्रोन और उपग्रह, फसलों और खेतों को
मापने और निगरानी करने के लिए स्कैन (Scan) करने में मदद करते हैं। वे इलाके के नक्शे भी बनाते हैं।
इसके अलावा, ड्रोन फसल की बीमारी से लड़ने, परागण, बीज बोने और खाद्य सुरक्षा जैसे अन्य उद्देश्यों
की पूर्ति भी करते हैं।
#3 IoT सेंसर (IoT Sensor): एग्रीटेक इंटरनेट ऑफ थिंग्स ("Agritech develops Internet of
Things"IoT) कृषि आधारित सॉफ्टवेयर होते हैं, जो मौसम, आर्द्रता और मिट्टी की वर्तमान स्थिति के बारे
में सटीक जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
#4 ब्लॉकचेन (Blockchain): ब्लॉकचेन किसानों को सीधे अंतिम उपयोगकर्ताओं से जोड़ता है।
उपभोक्ता अब आसानी से ट्रैक कर सकते हैं कि, उनके उत्पाद की उत्पत्ति कहां, कब और कैसे हुई। यह
बिचौलियों की जरूरत को भी कम करता है।
#5 खड़ी खेती (Vertical Farming): खड़ी या ऊर्ध्वाधर खेती में प्रकाश संश्लेषण को प्रोत्साहित करने के
लिए एलईडी लाइटों (LED lights) के प्रयोग से बिना समय बाधा के दिन-रात फसलें उगाई जा सकती हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3k4Ncb5
https://bit.ly/3Mqsbnw
https://bit.ly/3K4RCJL
चित्र संदर्भ
1 खेतों में आधुनिक उपकरणों का प्रयोग करते किसानों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. भारतीय किसानों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. जमीन की नमी को मापते भारतीय किसानों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. कीटनाशक छिड़कते ड्रोन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. एग्रीटेक इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Agritech develops Internet of
Things IoT) कृषि आधारित सॉफ्टवेयर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. ब्लॉकचेन (Blockchain) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
7. सिंगापुर में खड़ी खेती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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