| Post Viewership from Post Date to 16- Feb-2021 (5th day) | ||||
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जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Georgia Institute of Technology) के एक जीवविज्ञानी एबरहार्ड वॉयट (Eberhard Voit) का कहना हैं कि सहस्राब्दी पुरानी रणनीति में फसलों की किस्मों का विकास बहुत धीमा होता है। हमें एक नये लक्षित दृष्टिकोण की आवश्यकता। कंप्यूटर सिमुलेशन के उपयोग से पौधे की वृद्धि का अध्ययन करके, शोधकर्ता यह पता लगा सकते हैं कि कौन से गुण किस मौसम में कम समय में सबसे अच्छे तरीके से बढ़ सकते है। इन सिलिको या इन सिलिकॉन (In Silicon) शब्द सिलिकॉन कंप्यूटर चिप्स (Computer Chip) से लिया गया है। इस तकनीक की शुरुआत वैज्ञानिकों द्वारा माइक्रोस्कोप (Microscopes) के तहत खेतों में पौधों के व्यवहार के बारे में डेटा एकत्र करने से होती है। इसके बाद वे एक सांख्यिकीय मॉडल (Statistical Model) बनाते हैं जो डेटा में गणितीय संबंधों की पहचान करते हैं। शोधकर्ता फिर उन समीकरणों के आधार पर सिमुलेशन बनाते हैं, जो उन्हें उन विशेषताओं को देखने की अनुमति देते हैं जिन्हें उन्होंने स्क्रीन पर देखने के लिए तय किया था। एक बार जब वे फसलों का एक दृश्य बना लेते हैं, तो वैज्ञानिक यह देखने के लिए डेटा में हेरफेर कर सकते हैं कि कौन से कारक किस मौसम में सबसे तेजी से विकसित हो रहे हैं। ये वर्चुअल (Virtual) या आभासी प्लांट मॉडल (Plant Models) वैज्ञानिकों और कृषिविदों के लिए शक्तिशाली और आकर्षक उपकरण हो सकते हैं लेकिन भारत में इस उपयोगिता को प्रदर्शित करने वाले वास्तविक उदाहरण अभी भी दुर्लभ हैं।
कोरोना के इस दौर में भारत के किसान भी ऑनलाइन समाधानों के लिये ई-प्लांट क्लीनिकों (e-plant clinics) से जुड़ रहे है। जब तमिलनाडु के पुदुक्कोट्टई (Pudukkottai) जिले के मरमाडक्की (Maramadakki) गाँव की एक 49 वर्षीय किसान पाथी ने देखा की उनके मकई के पौधों पर आर्मीवर्म (ArmyWorm) कीट का हमला हुआ है, तब उन्होंने कीटनाशक लेने की वजह अपना सेल फोन निकाला और कृमि से संक्रमित पौधों की कुछ तस्वीरें खींचीं। इसके बाद, उन्होंने पुदुक्कोट्टई शहर में तैनात एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (M S Swaminathan Research Foundation (MSSRF) ) के प्लांट डॉक्टर डॉ. पी सेंथिल कुमार (Senthil Kumar) को ये तस्वीरें भेज दी। फिर उन्होंने डॉ. सेंथिल कुमार द्वारा बताए गए उपाय को आजमाया और आखिरकार, पाथी ने अपनी मकई की 80 फीसदी फसल बचाने में कामयाबी हासिल की। प्लांट क्लीनिक 2012 में ऑफ़लाइन रूप से शुरू हुये थे, जोकि एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की एक पहल थे। एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन यूके (UK) आधारित गैर-लाभकारी, सेंटर फॉर एग्रीकल्चर एंड बायोसाइंस इंटरनेशनल (Centre for Agriculture and Bioscience International (CABI)) के साथ साझेदारी में है। इस फाउंडेशन का उद्देश्य पौधों और मिट्टी के विकारों को विवेकपूर्ण तरीके से हल करना, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना, खेती की लागतों को कम करना, किसानों को बाजार दरों के बारे में सूचित करना और तमिलनाडु, असम, ओडिशा और पुदुचेरी के गांवों में फसलों की योजना बनाने में मदद करना है। लॉकडाउन के बाद ये क्लीनिक वर्चुअल में बदल गए है, आज गोटूमीटिंग (GoToMeeting) ऐप (app) के उपयोग से लगभग 160 किसान वर्चुअल मीटिंग में लॉग इन कर सकते हैं।
यदि आप अपने डेटा का विश्लेषण करने के लिए वर्चुअलप्लांट (VirtualPlant) का उपयोग करना चाहते है तो आपको अपने कंप्यूटर में जावा (Java) इंस्टॉल (install) करने की आवश्यकता है। जावा के अलावा आप J2SE SDK या J2SE JRE भी डाउनलोड (Download) कर सकते हैं। वर्चुअलप्लांट जीनोमिक डेटा (Genomic Data) को एकीकृत करता है और कुशल अन्वेषण के लिए दृश्य तथा विश्लेषण उपकरण प्रदान करता है। इस वर्चुअलप्लांट में आप जीन कार्ट (Gene Cart), जीन नेटवर्क (Gene networks), ब्राउजिंग ट्री (Browsing Tree), सहायक डेटा (Supporting data) आदि सुविधाओं का आनंद ले सकते हैं।
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