लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (Large Hadron Collider- LHC) दुनिया का सबसे शक्तिशाली कण त्वरक है, जिसे परमाणु अनुसंधान के लिए यूरोपीय परिषद (European Council for Nuclear Research- CERN) प्रयोगशाला में फ्रांस (France) और स्विट्जरलैंड (Switzerland) की सीमाओं के बीच स्थापित किया गया है। LHC को डिजाईन (Design) करने का मुख्य उद्देश्य ब्रह्मांड के बारे में कुछ सबसे गहन सवालों का उत्तर ढूंढ़ना है, जैसे द्रव्यमान की उत्पत्ति क्या है? हम द्रव्य या पदार्थ से बने हैं, एंटीमैटर (Antimatter) से क्यों नहीं? काला पदार्थ या डार्क मैटर (Dark matter) किस चीज से बना है? आदि। LHC के निर्माण का विचार 1979 में किया गया था। प्रत्येक सेकेंड प्रोटॉन्स (Protons) 27 किलोमीटर के वृत्त पथ में 11,245 चक्कर लगाते हैं, और वृत्त पथ के चार बिंदुओं पर, वे विपरीत दिशा में गति कर रहे प्रोटॉन्स के साथ टकराते हैं। इन टक्कर बिंदुओं में से प्रत्येक के चारों ओर चार विशाल डिटेक्टर (Detectors) लगे होते हैं। भौतिकविदों का मानना है, ब्रह्मांड में जितनी भी घटनाएं हुई हैं या हो रही हैं, वे सभी लगभग 1370 करोड़ साल पहले बिग बैंग (Big Bang) के साथ शुरू हुई। बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड अविश्वसनीय रूप से गर्म और घना था। लेकिन फिर यह तुरंत ठंडा होने लगा और विभिन्न प्रक्रियाएं अस्तित्व में आ गयी और उन चीजों को जन्म देने लगी, जिन्हें हम आज देख रहे हैं। ब्रह्मांड के बारे में ऐसी कई चीजें हैं, जिन्हें हम अभी तक नहीं समझ पाये हैं, तथा LHC उन पर प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा है। यह उस पहले आकस्मिक क्षण को जानने में मदद करता है, जिसके माध्यम से हम यह समझ सकेंगे, कि दुनिया को बनाने के लिए उस कौन सी सामग्री का उपयोग किया गया था?, जिसे हम जानते हैं। LHC द्वारा उत्पादित उच्च ऊर्जा टकराव उन परिस्थितियों का निर्माण करेगा, जैसी परिस्थितियां बिग-बैंग के बाद बनी थी। भौतिकविदों को उम्मीद है कि, टकराव से ऐसे कणों का निर्माण होगा, जिनका कभी अवलोकन नहीं किया गया। ये कण आधुनिक भौतिकी की लुप्त श्रृंखलाएं हैं। 6000 से भी अधिक वैज्ञानिक LHC और उसके प्रयोगों पर काम कर रहे हैं, जिसकी लागत 10 बिलियन डॉलर (Billion dollars) है। कई लोग सिद्धांतकारों की भविष्यवाणियों से चिंतित थे कि, LHC, सूक्ष्म ब्लैक होल (Black hole) बना सकता है, जो पृथ्वी को गैसों से भर सकता है और फिर निगल सकता है। लेकिन CERN भौतिकविदों का मानना है, कि इसका जोखिम शून्य के जितना है। वे मानते हैं कि, यदि LHC पर ब्लैक होल बनते हैं, तो वे,10-26 सेकेंड के भीतर वाष्पित हो जाएंगे। भले ही ब्लैक होल वाष्पित न हो, लेकिन तब भी भौतिकविदों के पास सुरक्षित महसूस करने के लिए अनेकों प्रयोगात्मक कारण हैं। बाहरी अंतरिक्ष से निकलने वाली ब्रह्मांडीय (Cosmic) किरणें, LHC से निकलने वाली किरणों की अपेक्षा अत्यधिक ऊर्जावान होती हैं, जो बिना किसी समस्या के अरबों वर्षों से सौर मंडल के ग्रहों से टकरा रही हैं। ब्रह्मांड में अनेकों टकराव होते हैं, जो LHC टकरावों की तुलना में बहुत अधिक हैं, लेकिन इन टकरावों के कारण ब्लैक होल द्वारा कभी भी बृहस्पति या शनि ग्रह को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
संदर्भ:
https://www.newscientist.com/article/dn14606-introduction-the-large-hadron-collider/#ixzz6eQLy7TJi
https://www.youtube.com/watch?v=FLrEghnKncA
https://www.youtube.com/watch?v=IGb7_ype2mY