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भारत के भिन्न राज्यों में ऐसे मनाया जाता है विश्व पृथ्वी दिवस, व देखें इसका प्रभाव

जौनपुर

 22-04-2024 09:49 AM
जलवायु व ऋतु

दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ (World Earth Day) के रूप में मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस हमारे ग्रह को समर्पित एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। यह पर्यावरण की ओर ध्यान आकर्षित करता है और इसके संरक्षण और स्थिरता को प्रोत्साहित करता है। इस वर्ष ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ का यह 54वां उत्सव मनाया जायेगा। 1969 में पहली बार जूलियन कोनिंग (Julian Koning) नामक एक व्यक्ति द्वारा 'पृथ्वी दिवस' शब्द को लोगों के बीच प्रस्तुत किया गया था। तब से लेकर आज तक पूरी दुनिया में विभिन्न देशों में अलग अलग तरीकों से पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। हमारे देश भारत में भी पृथ्वी दिवस बहुत ही अनोखे तरीके से मनाया जाता है।
तो आइए आज पृथ्वी दिवस के मौके पर देखते हैं कि हमारे भारत के हर राज्य में इसे अलग-अलग तरीके से कैसे मनाया जाता है। इसके साथ ही आइए यह भी समझते हैं कि पृथ्वी दिवस, जो 50 वर्षों से अधिक समय से मनाया जा रहा है, इसका समाज और पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है, इसकी वर्तमान स्थिति क्या है और भविष्य में इसको लेकर क्या संभावनाएँ हैं? 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के मौके पर देश के विभिन्न राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कई समवर्ती गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। इनमें से कुछ राज्यों में दूर- दराज़ और अक्सर उपेक्षित समूहों में रहने वाली जनसांख्यिकी से बच्चों और समुदायों को एक साथ लाने के लिए पूरे सप्ताह आयोजन किए जाते हैं। पृथ्वी दिवस की इन गतिविधियों द्वारा लोगों में प्रकृति और धरती माता के संरक्षण के लिए उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता उत्पन्न की जाती है।
बिहार में, 17 से 24 अप्रैल तक पूरे एक सप्ताह के लिए स्कूली छात्रों और समुदायों द्वारा पृथ्वी दिवस सप्ताह मनाया जाता है। विद्यालय एवं कार्यालय परिसरों की सफ़ाई और सामुदायिक सफ़ाई गतिविधियाँ जैसे नदी तट की सफाई, सड़कों की सफ़ाई, एवं पर्यावरण पर जागरूकता अभियान और स्कूलों और समुदायों में निबंध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों द्वारा इस पर निबंध लेखन प्रतियोगिता में सक्रिय रूप से भाग लिया जाता है एवं विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से कई 'क्लीनअप ड्राइव' (Cleanup Drive) जैसी गतिविधियों में भाग लिया जाता है। इसके अतिरिक्त, पृथ्वी दिवस पृष्ठभूमि के आधार पर बच्चों और युवाओं के बीच कला प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। उदाहरण के लिए, गत वर्ष विभिन्न पृष्ठभूमि के 190 से अधिक छात्रों ने 'हमारी प्रजातियों की रक्षा करें' विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता में सक्रिय रूप से भाग लिया। बिहार राज्य की राजधानी पटना के जमसुआत, आशापुर, सबरीनगर, गोनपुरा, नोगामा और पचुकिया गांवों में 'महान सामुदायिक अभियान' (Great Community Drive) चलाया गया। समुदाय के सदस्यों और कार्यकर्ताओं ने सफ़ाई अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिसमें बच्चे और युवा स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुए। इसी प्रकार बिहार के भागलपुर जिले के समुदाय के सदस्यों द्वारा 'ग्रेट गंगा क्लीन अप' (Great Ganga clean up) का संचालन किया गया, जिसमें सभी उम्र के लोगों को एकजुट किया गया था।
इसी प्रकार, बंगाल में छात्रों, बाल क्लबों के सदस्यों और बाल संरक्षण कार्यकर्ताओं द्वारा 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, गत वर्ष उत्तर बंगाल में, कलिम्पोंग, सिलीगुड़ी और बीरपारा जिलों में विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कलिम्पोंग में, चंद्रमाया हाई स्कूल के 163 से अधिक स्कूली छात्रों ने 'हमारी प्रजातियों की रक्षा' विषय पर जागरूकता सत्र में भाग लिया और 'ग्रेट कैंपस क्लीन-अप' (Great Campus Clean-up) में भाग लिया। बीरपारा में बच्चों के लिए "पौधे-आधारित आहार अपनाने और कीटनाशकों और जड़ी-बूटियों का उपयोग बंद करने" विषय पर जागरूकता सत्र आयोजित किया गया, इसके बाद बाल क्लब के सदस्यों द्वारा "हमारी पृथ्वी की रक्षा करें" पर नुक्कड़ नाटक किया गया। सिलीगुड़ी में, 78 बाल क्लब सदस्यों, स्वयंसेवकों और बाल संरक्षण कार्यकर्ताओं द्वारा एक साथ "पर्यावरण बचाओ" पर जागरूकता सत्र आयोजित किया गया, जिनमें से सभी ने पृथ्वी और पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में एक-एक पेड़ लगाया। इसी तरह तमिलनाडु राज्य की राजधानी चेन्नई में चिलचिलाती गर्मी और गर्मी की छुट्टियां भी विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर स्कूली छात्र-छात्राओं के उत्साह को कम नहीं कर पाती है। गत वर्ष यहाँ के छात्रों द्वारा 'हमारी प्रजातियों की रक्षा' पर निबंध लेखन प्रतियोगिता में बढ़ चढ़कर भाग लिया गया। इसी तरह हमारे अपने राज्य उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में पृथ्वी दिवस पर 'सेंट अल्फोंसा स्कूल, आगरा' के विकलांग बच्चों द्वारा अपने विचारों को चित्रित किया गया। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले 25 बच्चों ने बड़ी ही खूबसूरती से अपनी चित्रकला में दर्शाया कि कैसे कई प्रजातियाँ अब विलुप्त होने के कगार पर हैं, और तेज़ी से शहरीकरण ने कई प्रजातियों के प्राकृतिक आवास को नष्ट कर दिया है। इसी तरह राजस्थान में बाड़मेर जिले में स्कूलों में कैंपस क्लीन क्लीन-अप और निबंध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।
1970 में शुरुआत के बाद से ही पृथ्वी दिवस का चलन काफी बढ़ गया है। बीस साल बाद, 1990 में यह दिवस संयुक्त राज्य अमेरिका से भी आगे बढ़ गया और इसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई। 1990 में एक सौ चालीस से अधिक देशों में लगभग दो करोड़ लोग पृथ्वी दिवस कार्यक्रमों में शामिल हुए। 2000 में, पृथ्वी दिवस का विस्तार कुल 1184 देशों तक हुआ और इसे लगभग पाँच हजार पर्यावरण न्याय समूहों का समर्थन प्राप्त हो गया। इसके आयोजकों द्वारा ग्लोबल वार्मिंग और स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हुए अधिक केंद्रीकृत संदेश दिया गया। 2020 में पृथ्वी दिवस की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर 225,000 अमेरिकी पर्यावरण के लिए रैली करने के लिए वाशिंगटन डी.सी. में एकत्र हुए। ‘अर्थ डे नेटवर्क’ (Earth Day Network) द्वारा कार्बन उत्सर्जन के प्रभाव को रोकने में मदद के लिए एक अरब पेड़ लगाने की योजना की भी घोषणा की गई और 2012 तक उस लक्ष्य को पूरा कर लिया गया। 2016 में, पृथ्वी दिवस पर ग्रह को दो डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म होने से रोकने के लिए देशों से अपने उत्सर्जन को सीमित करने का आह्वान करने के उद्देश्य से 175 देशों द्वारा पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस वर्ष, पृथ्वी दिवस कार्यक्रमों में एक अरब से अधिक लोगों के भाग लेने की उम्मीद है।
'विश्व पृथ्वी दिवस' लोगों को पर्यावरण पर उनके कार्यो के प्रभाव, उनके अवलोकन मूल्यों और भविष्य में पर्यावरण को होने वाले नुकसान और पर्यावरण को बचाने के लिए वे क्या कर सकते हैं, इसके बारे में गहराई से सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है। गत वर्षों में आयोजित पृथ्वी दिवसों और उसके बाद की गई कार्रवाई पर विचार करने से वर्तमान पीढ़ियों को भी इसी तरह की कार्रवाई करने के लिए प्रेरणा मिल सकती है।
सामाजिक परिवर्तनों के अलावा, समाज पर पृथ्वी दिवस के सबसे महत्वपूर्ण प्रभावों में से एक व्यक्ति द्वारा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को प्रकाश में लाना है। पृथ्वी दिवस का इतिहास हमें सिखाता है कि पक्ष समर्थन और सक्रियता के द्वारा पर्यावरण में सुधार के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है और व्यवस्था परिवर्तन को गति दी जा सकती है। पृथ्वी दिवस के माध्यम से लोगों, वन्यजीवों और प्राकृतिक संसाधनों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए बनाए गए विनियमों, नीतियों और प्रोत्साहन कार्यक्रमों का पिछले 50 वर्षों में मापनीय प्रभाव पड़ा है। लेकिन "दशकों की पर्यावरणीय प्रगति के बावजूद, हम आज भी जैव विविधता के नुकसान एवं जलवायु परिवर्तन से लेकर प्लास्टिक प्रदूषण तक और भी अधिक गंभीर, लगभग अस्तित्वगत, वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिसके लिए सरकार के सभी स्तरों पर कार्रवाई की आवश्यकता है। हमें आज जलवायु परिवर्तन के रूप में जिस संकट का सामना करना पड़ रहा है, उससे निपटने के लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक और पारिस्थितिक परिवर्तनों में तेज़ी लाने की आवश्यकता है। पृथ्वी दिवस 2024 के लिए दुनिया को हमारी और हमारे कार्यों की आवश्यकता है। वार्षिक पृथ्वी दिवस उत्सव और कार्रवाई का आह्वान लोगों और संगठनों की एक विस्तृत श्रृंखला को परिवर्तन को प्रेरित करने और साल भर के काम का जश्न मनाने के लिए एक साथ आने के लिए एक सकारात्मक और भविष्य-उन्मुख कार्यक्रम प्रदान करता है। अतः निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के नेताओं द्वारा इसका पालन करने का आह्वान किया जाना चाहिए और पर्यावरणीय और सामाजिक रूप से कर्तव्यनिष्ठ मूल्यों के अनुरूप रहने और कार्य करने के लिए व्यक्तिगत कार्यों को तुरंत संतुलित किया जाना चाहिए। साथ ही राष्ट्रीय और स्थानीय दोनों स्तरों पर समुदायों को उनकी उच्चतम क्षमता तक पहुंचने में सक्षम बनाने के लिए बड़े पैमाने पर नीतियों के निर्माण की आवश्यकता है।

संदर्भ
https://shorturl.at/bgDMR
https://shorturl.at/rBGW6
https://shorturl.at/cvDOQ

चित्र संदर्भ
1. विश्व पृथ्वी दिवस पर एक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. जूलियन कोनिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (newyorktimes)
3. विश्व पृथ्वी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करते बच्चो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. घूम रही पृथ्वी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. पेड़ लगाते स्कूली छात्रों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. जंगल में हिरन को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)



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