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हमारे मेरठ शहर से होकर गुजरने वाली गाजियाबाद-हरिद्वार सड़क परियोजना को राज्य सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई है। इस परियोजना के लिए राज्य सरकार द्वारा 628 करोड़ रुपये के बजट में से 249 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर दिए हैं। किंतु मुद्दा यह है कि जहां इन परियोजनाओं के माध्यम से विकास कार्य को प्रगति की दिशा प्रदान की जा रही है वहीं, इन परियोजनाओं के निर्माण के लिए कुछ ऐसी कीमत भी चुकाई जा रही है जिसकी भरपाई होना असंभव है। एक ख़बर सामने आई है कि ऊपरी गंगा नहर के दाहिने किनारे पर 110 किलोमीटर लंबी कांवर सड़क के निर्माण के लिए हमारे मेरठ क्षेत्र में 1.12 लाख से अधिक पेड़-पौधे काटे जाएंगे। हालांकि एक अच्छा पहलू यह है कि इन पेड़ों की कटाई की भरपाई के लिए ललितपुर में वृक्षारोपण के लिए भूमि आवंटित की गई है। जितने पेड़-पौधे काटे जाएंगे, उससे दोगुना पौधे लगाए जाएंगे। फिर भी, पर्यावरण प्रेमी इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई को लेकर चिंतित है और वे पेड़ों को काटे जाने के कारण विरोध प्रदर्शित कर रहे हैं। क्योंकि पेड़ो की कटाई से गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर जिलों की प्रभावित भूमि की पारिस्थितिकी और वन्य जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव होगा। अकेले हमारे जिले मेरठ में ही इस सड़क निर्माण के लिए 20,000 से अधिक पेड़ और 40,000 पौधे काटे जाएंगे।
चूंकि अब हर दिन गर्मी बढ़ रही हैं, बाहर निकलने पर हर कोई पेड़ की छाया की उम्मीद करता है ।
जब झुलसाने वाली धूप हमें परेशान करती है, तो हममें से अधिकतर लोग सड़क के किनारे, कार्यालयों के सामने और यहां तक कि राजमार्गों पर अपना समय बिताने के लिए किसी पेड़ की छाया ढूंढते हैं। लेकिन, हमारे लिए आवश्यक ये पेड़ आज हमारे परिदृश्य से गायब हो रहे हैं। हम आज आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए अपने वृक्षों की बलि दे रहे हैं, जो शहरी पारिस्थितिकी तंत्र को स्थायी रूप से नष्ट कर रहा है। जमीन से हरित आवरण के विनाश और मानवजनित संरचनाओं में वृद्धि के साथ, हमारा परिवेश अधिक सजातीय हो रहा है। धातु की गाड़ियां, सिमेंट– कंक्रीट की इमारतें, सड़के और अन्य संरचनाएं, डामर की सड़के और अन्य मानव निर्मित वस्तुएं प्राकृतिक सतहों की तुलना में अधिक गर्मी को अवशोषित करते हैं। इसके अलावा, ये संरचनाएं दिन और रात में अवशोषित की गई गर्मी को विकीर्ण करते हुए आस-पास के क्षेत्रों के सामान्य तापमान को कई डिग्री सेल्सियस बढ़ा देती हैं। इस परिस्थिति को वैज्ञानिक भाषा में ‘अर्बन हीट आइलैंड’ (Urban Heat Island) कहा जाता है।
पेड़ एक प्राकृतिक शीतलन प्रणाली के रूप में कार्य करते हैं। हम सब जानते ही हैं कि छाया प्रदान करके, बड़े वृक्ष सूरज की किरणों को जमीन पर पहुंचने से रोकते हैं। साथ ही, वाष्पन-उत्सर्जन की क्रिया से भी पेड़ परिसर के शीतलन में सहायता करते है। इसमें वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया से पानी का वाष्पीकरण शामिल है। वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया के माध्यम से पौधे अपनी जड़ों से पानी को अवशोषित करते हैं और इसे पत्तियों के माध्यम से वाष्प के रूप में हवा में छोड़ते हैं।
तरल से गैस बनने की ये प्रक्रियाएं परिवेश की गर्मी का उपयोग करती हैं, और वातावरण को ठंडा करती है। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) की एक पर्यावरण संरक्षण संस्था की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि छायांकित सतहें अछायांकित सतहों के तापमान की तुलना में 11° सेल्सियस से 25° सेल्सियस तक अधिक ठंडी होती हैं। वाष्पोत्सर्जन अकेले या छायांकन के साथ, गर्मी के चरम तापमान को 15° सेल्सियस तक कम करने में मदद कर सकता है। कुछ आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर के जंगलों में अधिकतम तापमान भी शहरी क्षेत्रों के तापमान की तुलना में औसतन 4° सेल्सियस तक कम होता है। एक अध्ययन के अनुसार, बड़े शहरों में वृक्ष एक प्राकृतिक शीतलन प्रणाली के रूप में कार्य करने के अलावा सार्वजनिक स्वास्थ्य लागत, ऊर्जा व्यय और पर्यावरण संरक्षण में प्रति वर्ष 500 मिलियन डॉलर (500 Million Dollar) से अधिक धन की बचत करते हैं। इसके अलावा, ये शहरी पेड़–पौधे विभिन्न जीवित समुदायों को आवास और भोजन भी प्रदान करते हैं।
वैसे भी, उच्च जनसंख्या घनत्व, सिमेंट– कंक्रीट की इमारतें, सड़कें और अन्य संरचनाएंतथा हरित आवरण का नाश हमें और हमारे शहरों को तापमान प्रवणता की ओर ले जाते हैं। ऐसे में, शहर आसपास के क्षेत्रों और कस्बों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं और प्रभावी रूप से अर्बन हीट आइलैंड का निर्माण करते हैं। भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और हरे भरे वृक्षों के जंगलों के बजाय, सिमेंट– कंक्रीट के शहरी जंगलों के अधिक विस्तार के साथ, आने वाले दशकों में यह स्थिति और भी अधिक खराब होने की उच्च संभावना है।
शहरी स्थानों में अधिक वृक्षों के आच्छादन का प्रभाव अविश्वसनीय होता है। ‘बार्सिलोना इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ’ (Barcelona Institute of Global Health) के वैज्ञानिकों द्वारा 93 यूरोपीय शहरों पर एक सर्वेक्षण किया गया जिसमें यह पाया गया कि केवल 30% वृक्षों के आवरण ने ही न केवल स्थानीय स्तर पर औसत तापमान के स्तर को 0.4° सेल्सियस तक कम कर दिया।इसके साथ ही मात्र 30% वृक्षों के आवरण के कारण इसी अवधि के दौरान गर्मी के संपर्क से होने वाली 6,700 मानव मौतों में भी एक तिहाई की कमी आई। वास्तव में, शहरों को हरा-भरा बनाने के अलावा, पेड़ जीवन प्रत्याशा में वृद्धि, बेहतर मानसिक स्वास्थ्य और अधिक संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली से भी जुड़े होते हैं।
अतः यह सर्वज्ञात है कि नवनिर्मित शहरों और कस्बों को अपने शहरी वातावरण को सुधारने और सभी प्रकार के प्रदूषण को कम करने के लिए पेड़ों की सबसे अधिक आवश्यकता है। ये निष्कर्ष बताते है कि हरित आवरण के निर्माण पर ध्यान देने के साथ शहरी नियोजन को अपनाने की आज अत्यंत आवश्यकता हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/41N8eyp
https://bit.ly/3Mdu1th
https://bit.ly/434VAfm
https://go.nature.com/42HdV2j
चित्र संदर्भ
1. मेरठ के एक कब्रिस्तान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मेरठ की माल रोड को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. मेरठ के सूरजकुंड पार्क को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. सेंट मैरी एकेडमी, मेरठ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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