Post Viewership from Post Date to 22-Sep-2022 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3164 116 3280

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

प्रारंग पर्यावरण श्रृंखला 2: कैसे चहचहाने वाले पक्षियों को अपने बगीचे में आकर्षित करें?

मेरठ

 23-08-2022 10:40 AM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

फूलों और हरे-भरे पत्ते वाले बगीचे का पक्षियों के बिना कोई मतलब नहीं होता है। अक्सर रंग-बिरंगे परिंदों का डेरा ये खूबसूरत बगीचे ही होते हैं। ये पंख वाले आगंतुक और जंगली दोस्त एक बगीचे में जीवन भर देते हैं और इनके गीत, ध्वनि तथा रंग तो मानों आपके बगीचे को जीवांत कर देते हैं। जैसा की हम जानते ही हैं कि पक्षी, तितलियाँ और मधुमक्खियाँ परागण में मदद करती हैं। लेकिन, उन्हें भी मदद की ज़रूरत होती है! पेड़ और पक्षी दोनों ही भूनिर्माण का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, और भोजन, पानी, आश्रय तथा घोंसले के लिए पक्षियों को पेड़ो की आवश्यकता होती ही है।
लेकिन यदि आप गाने वाले पक्षियों को आकर्षित करने की सोच रहे है तो आपको अपने बगीचे में सबसे अच्छे पौधे और फूल, खाने योग्य बीज या फल और जिन पर आसानी से घोंसला बनाया जा सके ऐसे पेड़ो को लगाना होगा। पक्षियों को हर बगीचे में तीन चीजों की आवश्यकता होती है: भोजन, पानी और आश्रय। यदि आप इनमें से किसी भी आवश्यक वस्तु को प्रदान करते हैं, तो आप अपने बगीचे में पक्षियों को देख सकते हैं, लेकिन यदि आप चाहते हैं कि वे इसे अपना निवास स्थान बना लें, तो आपको अपने बगीचे में पक्षियों को आकर्षित करते समय भोजन, पानी और आश्रय तीनों को प्रदान करना होगा। 
बाकी दूसरे जीवों की तरह चिड़िया भी भोजन से आकर्षित होती हैं। आपको अपने बगीचे में ऐसी जगह बनानी चाहिए जहाँ पर चिड़िया आएं और खाएं। चिड़िया अपने आप घोंसला बनाती हैं लेकिन जब भी वह किसी पेड़ पर घोंसले को देखती हैं तो उससे आकर्षित हो जाती हैं। चिड़ियों के लिए घोंसले को फूलों से सजाना चाहिए ताकि वह रंग बिरंगी और छोटी चिड़ियों को असली घोंसले जैसा लगे। पक्षियों को पानी की आवश्यकता होती है, और यदि आपके पास यह नहीं है, तो दुनिया का सारा भोजन उन्हें बगीचे में नहीं ला पाएगा। बगीचा चिडियों के नेचुरल हेबिडेट (natural habitat) की तरह होना चाहिए। इसमें दानों के लिए जगह होने के साथ में फल बोने की भी जगह होनी चाहिए। चिड़िया मीठे फलों को पसंद करती हैं और आप यह देख कर हैरान रह जाएगें कि अपने बगीचे में सिर्फ मीठे पैड़ लगाने से ही चिड़ियाँ बगीचे में आसानी से आ जाती हैं, फलों के पेड़ पर्णपाती पेड़ हैं जो विशेष उल्लेख के योग्य हैं क्योंकि वे पक्षियों के लिए बहुत महत्वपूर्णहैं। शहतूत (Mulberry) पर मई-जून में फल आते हैं। पक्षियों की साठ से अधिक प्रजातियां शहतूत के फल खाती हैं। यह पेड़ अगर आपके बगीचे में होगा तो तोता, मैना, बटेर, नीलकंठ, कोयल, हरियल, आदि आपके बगीचे में आएंगे। अंजीर के फल भी पक्षी चाव से खाते हैं।
इनमें देसी गौरेया, कबूतर, तोता, बुलबुल, मैना तो शामिल है हीं कुछ विदेश से आने वाले सुंदर पक्षी भी इसे चाव से खाते हैं, अंजीर की किस्में पक्षियों को आकर्षित करने वाले पेड़ों की सूची में सबसे ऊपर हैं। एक और पसंदीदा फरहद पेड़ (Indian coral tree) है। जुनिपर (Juniper), एल्डरबेरी (Elderberry), फूलों की बेलें कुछ ऐसे सदाबहार पेड़ पौधे है जो गीत वाले पक्षियों को गर्मी से लेकर सर्दियों तक भोजन और आवास प्रदान करते हैं। पर्णपाती पेड़ वसंत ऋतु में फूलों और कलियों से भर जाते हैं, और ये पक्षियों के लिए फल का उत्पादन करते हैं। यह वसंत ऋतु में घोंसला बनाने की सामग्री भी प्रदान करते हैं। पक्षियों के लिए सबसे अच्छे पर्णपाती पेड़ों में लार्च (larches), मेपल्स (maples) और ओक (oaks) शामिल हैं। शंकुधारी पेड़ जैसे की देवदार, हेमलॉक (hemlocks), पाइंस (pines) भी पक्षियों के लिए शीतकालीन आश्रय के लिए आवश्यक है, खासकर ठंडे तापमान और भारी बर्फबारी वाले क्षेत्रों में। सूरजमुखी, डेज़ी और गेंदे की भी सभी पक्षियों के द्वारा बहुत सराहना की जाती है।
प्रकृतिवादी और संरक्षणवादी वी. अरुण, जो विशिष्ट पेड़ों और पौधों के पारिस्थितिक प्रभाव का अध्ययन बहुत समय से कर रहे हैं, वे बताते है कि लोगों की ये धारणा गलत है की केवल बड़े पेड़ ही पक्षियों को आकर्षित करते हैं। वे कहते है कि छोटे फूल वाले पौधे भी पक्षियों को बहुत आकर्षित करते हैं। गुड़हल और सूरजमुखी जैसे फूलों के पौधे पक्षियों को काफी पसंद आते हैं। फरहद पेड़, अपने चमकीले लाल फूलों के लिए जाना जाता है, जो पक्षियों को आकर्षित करने की एक अद्भुत क्षमता रखता है। जहां ये पेड़ पाए जाते है वहां आप देखेंगे की इस पेड़ पर पक्षियों की 25 प्रजातियाँ चहचहाती है। पक्षी हर उस हरे भरे पेड़ या झाड़ियों की ओर आकर्षित होते हैं जिससे वे परिचित हैं, और स्वदेशी पेड़ और पौधे की प्रजातियां अक्सर उन्हें बड़ी संख्या में आकर्षित करती हैं।
प्राकृतिक प्रजातियों में, द नेचर ट्रस्ट (The Nature Trust) के के.वी.आर.के थिरुनारनन (K.V.R.K Thirunaranan) ने वर्षा के पेड़ को पक्षियों के लिए अधिक उपयोगी बताया है क्यूंकि इन पेड़ो की छाल कीड़ों से भरी होती है, जो पक्षियों को आकर्षित करती है।
इन पेड़ों पर पक्षी भोजन की तलाश में आते हैं और यहीं बसने के लिए घोंसले बना कर झुंड में रहते हैं, उदाहरण के लिए आम और चेरी के पेड़ो पर आपने अक्सर पक्षियों के झुंड बसते हुए देखे होंगे। इसके आलावा ज्यादातर पक्षी अपना घोसला कंटीले पेड़ों जैसे कीकर, बेर, पाम, बेल, आदि के पेड़ पर भी बनाते हैं। इसकी वजह यह है कि इन पेड़ों पर सांप, नेवले और बिल्लियां नहीं आतीं और पक्षियों के अंडे तथा बच्चे सुरक्षित रहते हैं। बगीचा चिड़ियों के साथ साथ गिलहरी और बिल्लियों को भी आकर्षित करता है। अंड़ो और छोटे जानवरों के लिए सबसे खतरा बिल्लियाँ होती हैं। घोंसले को इस तरह से बनाना चाहिए जिससे कि बिल्ली और दूसरे बड़े जानवर अंड़ो को नुकसान न पहुँचा सके। घोंसले को ऊपर बनाना चाहिए और उसे पत्तों से ढकना चाहिए। अपने बगीचे में चिड़ियों को आकर्षित करने के लिए स्वादिष्ट खाने के साथ उसे भी साफ रखना चाहिए। मनुष्य की तरह चिडिया भी गंदी जगह पर भोजन करना पसंद नहीं करती हैं। चिड़ियों को सही जगह देने के साथ-साथ बगीचें का रख रखाव करना भी जरुरी होता है जैसे घासों को काटना, पौधों को पानी देना, हर रोज झाड़ियों को हटाना आदि इससे आपका बगीचा सुंदर दिखाई देता है और आप भी चिड़ियों और तितलियों की मौजूदगी का आनंद ले सकेंगे।

संदर्भ:
https://on.natgeo.com/3QRsGZP
https://bit.ly/3QT8syV
https://bit.ly/2YL3FFp
https://bit.ly/3wcQlMD

चित्र संदर्भ
1. बगीचे में चिड़ियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. भोजन की तलाश में बैठी चिड़ियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. पेड़ की डाल पर बैठी चिड़ियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. दाना चुगती गौरैया को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • मेरठ की ऐतिहासिक गंगा नहर प्रणाली, शहर को रौशन और पोषित कर रही है!
    नदियाँ

     18-09-2024 09:18 AM


  • क्यों होती हैं एक ही पौधे में विविध रंगों या पैटर्नों की पत्तियां ?
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:16 AM


  • आइए जानें, स्थलीय ग्रहों एवं इनके और हमारी पृथ्वी के बीच की समानताओं के बारे में
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:34 AM


  • आइए, जानें महासागरों से जुड़े कुछ सबसे बड़े रहस्यों को
    समुद्र

     15-09-2024 09:27 AM


  • हिंदी दिवस विशेष: प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण पर आधारित, ज्ञानी.ए आई है, अत्यंत उपयुक्त
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:21 AM


  • एस आई जैसी मानक प्रणाली के बिना, मेरठ की दुकानों के तराज़ू, किसी काम के नहीं रहते!
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:10 AM


  • वर्षामापी से होता है, मेरठ में होने वाली, 795 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा का मापन
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:25 AM


  • परफ़्यूमों में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक रसायन डाल सकते हैं मानव शरीर पर दुष्प्रभाव
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:17 AM


  • मध्यकालीन युग से लेकर आधुनिक युग तक, कैसा रहा भूमि पर फ़सल उगाने का सफ़र ?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:32 AM


  • पेट्रोलियम के महत्वपूर्ण स्रोत हैं नमक के गुंबद
    खनिज

     09-09-2024 09:43 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id