Post Viewership from Post Date to 12-Sep-2022 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3624 25 3649

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

रामपुर सहित देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक की वस्तुओं पर प्रतिबंध

मेरठ

 13-08-2022 09:53 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

शुरुआत में अपनी खोज के साथ ही प्लास्टिक को मानव इतिहास के सबसे शानदार एवं प्रासंगिक अविष्कारों में से एक माना जा रहा। लेकिन समय के साथ जब इसकी खामियां वैज्ञानिकों और पर्यावरण प्रेमियों के सामने आई तो, इस क्रांतिकारी माने जानी वाली खोज ने उनकी नींदे उड़ा दी। जिसके साथ ही इतिहास में सबसे क्रन्तिकारी माने जानी वाली यह खोज मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी साबित होने लगी, और आज नौबत यहां तक पहुंच गई है की देश दुनियां की सरकारें इसके कुछ रूपों या इनपर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने का न केवल विचार कर रही हैं, बल्कि कई ठोस कदम भी उठा रही हैं। हमारे दैनिक जीवन में, किराने की थैलियों और कटलरी से लेकर पानी की बोतलों और सैंडविच रैप (sandwich wrap) तक प्लास्टिक का उपयोग हर चीज में गहराई से अंतर्निहित है। लेकिन दुर्भाग्य से आज हम प्लास्टिक का कुशलतापूर्वक उपयोग करने, बहुमूल्य संसाधनों को बर्बाद न करने और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाने में विफल हो रहे हैं। प्लास्टिक की अधिक खपत और प्लास्टिक कचरे का कुप्रबंधन मानवता के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा है, इस कचरे से लैंडफिल ओवरफ्लो (landfill overflow) हो रहा है, नदियों का दम घुट रहा है और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र भी विषैला हो रहा है। प्लास्टिक कचरे का उन क्षेत्रों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जो पर्यटन, शिपिंग और मत्स्य पालन सहित कई अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। तेजी से शहरीकरण और बढ़ते मध्यम वर्ग के कारण दक्षिण पूर्व एशिया, प्लास्टिक प्रदूषण के लिए मुख्य केन्द्रों के रूप में उभरा है, जिसकी प्लास्टिक उत्पादों और पैकेजिंग की खपत उनकी सुविधा और बहुमुखी प्रतिभा के कारण बढ़ रही है। COVID-19 ने मास्क, सैनिटाइजर की बोतलों और ऑनलाइन डिलीवरी पैकेजिंग (Masks, sanitizer bottles and online delivery packaging) की बढ़ती खपत के कारण इस विषम स्थिति को और बढ़ा दिया है। प्लास्टिक के नुकसानों से बचने के लिए हम जिस तरह से प्लास्टिक का उपयोग और प्रबंधन करते हैं उसे बदलना अनिवार्य है। हालाँकि इस मुद्दे से निपटने के लिए माहौल भी तैयार हो रहा है। देश, निगम और विभिन्न समुदाय प्लास्टिक को कम करने, पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण के लिए रणनीति विकसित कर रहे हैं और कार्रवाई भी कर रहे हैं। थाईलैंड, फिलीपींस और मलेशिया की सरकारों ने प्लास्टिक से संबंधित नीतियों, लक्षित क्षेत्रों और स्थानों में निवेश को प्राथमिकता देने के लिए सर्कुलर इकोनॉमी रोडमैप (circular economy roadmap) तैयार किया है। विश्व के अग्रणी वैश्विक ब्रांडों और खुदरा विक्रेताओं ने 2025 तक अपनी प्लास्टिक पैकेजिंग को 100% पुन: प्रयोज्य या खाद बनाने योग्य बनाने के लिए स्वैच्छिक प्रतिबद्धताएं की हैं। भारत भी दुनियां से प्लास्टिक कचरे को कम करने में अपनी अहम भागीदारी दिखा रहा है। भारत में शहरीकरण की तेज गति संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के विपरीत है, जहां प्रक्रिया अनिवार्य रूप से पूरी हो चुकी है। इसका मतलब है कि अगले 50 वर्षों में भारत में 70 करोड़ लोग शहरीकरण में शामिल होंगे। 2005 के बाद से भारत में प्लास्टिक की मांग सालाना 10 प्रतिशत बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार "हमने अभी शहरीकरण की प्रक्रिया शुरू ही की है और हमें एक अभिनव और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ तरीके से शहरीकरण करना है। "प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योगों को रीसाइक्लिंग, पुन: उपयोग, गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक कचरे के जिम्मेदारी से प्रबंधन और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक (biodegradable plastic) पर ध्यान देने के साथ ही एक बहुत मजबूत पहल की आवश्यकता है। देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों या एमएसएमई (MSME) क्षेत्र को प्लास्टिक प्रसंस्करण के लिए विकास इंजन के रूप में माना जाता है। हालांकि प्लास्टिक के प्रयोगों की संवेदनशीलता को समझते हुए भारत सरकार ने 1 जुलाई, 2022 से भारत में चुनिंदा एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लागू कर दिया है। यद्दपि यह बाजार में उपलब्ध प्लास्टिक को विनियमित करने का देश का पहला प्रयास है, लेकिन कई जानकार यह भी मान रहे हैं कि यदि “भारत एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाता है, तो यह गलत संदेश देगा।” ऐसा इसलिए है क्योंकि 1 जुलाई के बाद भी, भारतीय बाजार शीतल पेय और मिनरल वाटर (mineral water) की बोतलों जैसे एकल-उपयोग वाली कई प्लास्टिक की वस्तुओं और सभी उत्पाद जो बहु-स्तरित पैकेजिंग में बेचे जाते हैं, की बिक्री जारी रखेगा। ये प्लास्टिक उत्पाद भारत द्वारा अपनाई गई परिभाषा के अनुसार सिंगल-यूज प्लास्टिक (single-use plastic) के बिल में पूरी तरह फिट बैठते हैं। भारत ने 12 अगस्त, 2021 की अधिसूचना में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को "निपटान या पुनर्नवीनीकरण” से पहले एक उद्देश्य के लिए एक ही बार उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक की वस्तु" के रूप में परिभाषित किया। इसी अधिसूचना में, केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 21 चुनिंदा एकल-उपयोग वाली वस्तुओं के लिए एक चरणबद्ध योजना तैयार की थी। प्रतिबंध के बारे में प्रचार करने का मीडिया सराहनीय काम कर रहा है, लेकिन इसे सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध कहने से बचने की जरूरत है। भारत सरकार ने सिंगल-यूज प्लास्टिक कमोडिटी लिस्ट की बाल्टी से मुट्ठी भर समस्याग्रस्त प्लास्टिक की पहचान करने की कोशिश की है। लेकिन फिर भी कई चीजें छूट गई हैं। उदाहरण के लिए, प्लास्टिक कैरी बैग (plastic carry bag) पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा, वे अभी भी उपलब्ध होंगे। इसी तरह, पॉलीविनाइल क्लोराइड (Polyvinyl Chloride (PVC) से बने बैनर अभी भी उपलब्ध रहेंगे, लेकिन इनकी मोटाई 100 माइक्रोन से कम नहीं होनी चाहिए। इसलिए, यह सीधे तौर पर नहीं कहा जा सकता है की, भारत सभी एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा रहा है।
प्रतिबंध के लिए प्रस्तावित प्लास्टिक आइटम निम्नवत दिए गए हैं:
1. प्लास्टिक की छड़ियों के साथ ईयरबड्स (earbuds)
2. गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़ें
3. प्लास्टिक के झंडे
4. प्लास्टिक से बनी कैंडी स्टिक (candy stick)
5. प्लास्टिक से बनी आइसक्रीम स्टिक (ice cream stick)
6. सजावट के लिए थर्माकोल
7. प्लास्टिक से बनी प्लेट
8. प्लास्टिक से बने कप
9. प्लास्टिक से बना चश्मा
10.प्लास्टिक से बने कांटे
11. प्लास्टिक से बने चम्मच
12. प्लास्टिक से बने चाकू
13. प्लास्टिक से बने तिनके
14. प्लास्टिक से बनी ट्रे
15. प्लास्टिक से बने स्टिरर्स (stirrers)
16. मिठाई के बक्से के चारों ओर फिल्म लपेटना या पैकेजिंग करना
17. आमंत्रण कार्डों के इर्द-गिर्द फ़िल्मों को लपेटना या पैकेजिंग करना
18. सिगरेट के पैकेट के चारों ओर फिल्म लपेटना या पैकेजिंग करना
19. 75 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक कैरी बैग (इसे 31 दिसंबर 2022 से 120 माइक्रोन मोटाई में संशोधित किया जाएगा!) प्लास्टिक उद्योग, पारले एग्रो, अमूल, डाबर, पेप्सिको और ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (Parle Agro, Amul, Dabur, PepsiCo and All India Plastic Manufacturers Association (AIPMA) जैसी कंपनियों के साथ, विकल्प की अनुपलब्धता, आर्थिक व्यवहार्यता जैसे मुद्दों का हवाला देते हुए प्रतिबंध पर 6-12 महीने के विस्तार की मांग कर रहे हैं। मांग-आपूर्ति का अंतर, उनके उत्पाद पैकेजिंग की लागत में वृद्धि करेगा। एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने की पहली घोषणा 15 अगस्त, 2019 को भारत के प्रधान मंत्री द्वारा की गई थी। मोटे तौर पर दो साल बाद मार्च 2021 में मसौदा अधिसूचना जारी की गई। प्लास्टिक प्रतिबंध का एक और पहलू भी है। आमतौर पर यह समझा जाता है कि भारत में वैकल्पिक बाजार एक प्रारंभिक अवस्था में है, जो कंपनियों को आयात करने के लिए मजबूर करता है और इस प्रकार लागत में वृद्धि करता है। भारत में निर्मित विकल्प एक प्रीमियम कीमत के साथ आते हैं जो ज्यादातर मामलों में वहनीय नहीं हो सकता है। प्लास्टिक पर प्रतिबंधों को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ठोस कार्यवाही करने में भी पीछे नहीं है। हमारे रामपुर में जिला प्रशासन द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर चलाए जा रहे अभियान के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए छापेमारी कर लाखों रुपए की पॉलिथीन जब्त की गई है, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 25 लाख रुपए बताई जा रही है। सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर नगर पालिका द्वारा लगातार अभियान जारी है।

संदर्भ
https://bit.ly/3PbDctC
https://bit.ly/3dc7r6t
https://bit.ly/3SxWjRP
https://bit.ly/3QefMVR

चित्र संदर्भ
1. प्लास्टिक इकठ्ठा करती महिला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. प्लास्टिक के ढेर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. प्लास्टिक प्रतिबंध दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. प्लास्टिक बैग कानून को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक से बने घरेलू सामान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. एक किराना स्टोर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id