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प्रिंट मीडिया पर, डिजिटलीकरण के प्रभावों का, नज़दीक से अनुभव करता है रामपुर

मेरठ

 23-10-2024 09:22 AM
संचार एवं संचार यन्त्र
आज के डिजिटल युग में, प्रिंट मीडिया पर, प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है | हमारा शहर रामपुर, इस बदलाव का प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर रहा है। अपनी समृद्ध संस्कृति और इतिहास के लिए प्रख्यात रामपुर, समाचार और जानकारी साझा करने के नए तरीकों को अपना रहा है। जैसे-जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं, स्थानीय समाचार पत्र और पत्रिकाएं, इन नई तकनीकों को अपनाते हुए प्रासंगिक बने रहने के लिए काम कर रहे हैं। यह बदलाव हम रामपुर निवासियों के सूचना तक पहुंचने के तरीके को बदल रहा है और क्षेत्र में पत्रकारिता को नया आकार दे रहा है। इस कड़ी में, आज, हम, भारत में प्रिंट मीडिया पर डिजिटलीकरण के प्रभावों का पता लगाएंगे। इसमें, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के बढ़ते प्रभाव और समाचार पत्र पाठकों की संख्या में हो रही वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। हम यह भी जांचगे कि डिजिटलीकरण भारत में प्रिंट मीडिया के परिदृश्य को कैसे बदल रहा है। इसके बाद, हम विश्व स्तर पर प्रिंट मीडिया पर डिजिटलीकरण के व्यापक प्रभावों पर चर्चा करेंगे और वैश्विक स्तर पर हो रहे रुझानों एवं परिवर्तनों पर प्रकाश डालेंगे।
डिजिटलीकरण और लगातार विकसित होती तकनीकी प्रगति ने विश्व स्तर पर अख़बार उद्योग को काफ़ी प्रभावित किया है। प्रिंट समाचार पत्रों को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा है। हालांकि, भारत में प्रिंट समाचार पत्र उद्योग ने इस परिदृश्य में लचीलेपन और अनुकूलन का प्रदर्शन किया है। पश्चिमी दुनिया में प्रिंट अख़बारों की गिरावट के बावजूद, भारतीय समाचार पत्र संगठन समृद्ध प्रिंट मीडिया उद्योग के साथ नई रणनीतियाँ अपना रहे हैं। वैश्विक प्रवृत्ति के विपरीत, भारत में प्रिंट समाचार पत्रों के प्रसार में वृद्धि देखी गई है।
2019 की पहली तिमाही के लिए भारतीय पाठक सर्वेक्षण(आई आर एस) के अनुसार, कुल पाठक संख्या 2017 में 407 मिलियन से बढ़कर 425 मिलियन हो गई है। समाचार पत्रों के प्रसार में यह वृद्धि यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, जर्मनी और फ़्रांस जैसे प्रमुख मीडिया बाज़ारों में देखी गई गिरावट को खारिज़ करती है। भारत में प्रिंट समाचार पत्रों की सफ़लता में कई कारक योगदान देते हैं। जैसे साक्षरता स्तर में वृद्धि, आय स्तर में सुधार और लिखित सामग्री की कथित विश्वसनीयता शामिल हैं। साथ ही, अख़बारों की बढ़ती पाठक संख्या, स्थानीय भाषाई प्रकाशनों को प्राथमिकता देने का भी संकेत देती है। स्थानीय भाषा के समाचार पत्रों को प्राथमिकता, भारत में प्रिंट समाचार पत्रों के विकास को प्रेरित कर रही है।
•स्थानीयकरण और भाषा प्राथमिकताएं:
भारतीय पाठक सर्वेक्षण ने विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में पाठकों की संख्या में वृद्धि दर्ज की है। यह पाठकों की भाषाई विविधता को पूरा करने के महत्व को दर्शाता है। बहु-संस्करण समाचार पत्र, जो राष्ट्रीय और स्थानीय समाचारों का मिश्रण प्रस्तुत करते हैं, , स्थानीयकरण प्रयासों के तहत क्षेत्रीय भाषा प्रकाशनों की सफलता में सहायक रहे हैं।
•सामर्थ्य और ब्रांड निष्ठा: भारतीय समाचार पत्रों की कम कीमतों नेने, पाठकों के लिए मूल्य बाधाओं को दूर कर दिया है। इस सामर्थ्य ने ब्रांड बनाने में मदद की है। यह स्थिति विज्ञापनदाताओं के लिए भी फ़ायदेमंद साबित हुई है। लागत प्रभावी विकल्प प्रदान कर प्रिंट समाचार पत्रों ने अपना स्थान बरकरार रखा है।
•डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर अनुकूलन: डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म जहां अद्यतन समाचार और जानकारी प्रदान करते हैं, वहीं भारतीय प्रिंट समाचार पत्रों ने इस बदलते परिदृश्य को अपना लिया है। पाठकों के पास अब अपने लैपटॉप या स्मार्टफ़ोन पर ऑनलाइन समाचार पत्रों तक पहुंचने का विकल्प है। समाचार पत्र, अपने ब्रांड की पहचान बनाए रखते हुए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर उपभोक्ता की प्राथमिकताओं को पूरा करने में सफल हो रहे है।
•अनूठी गतिशीलता: भारत में विशेष रूप से हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के अख़बार प्रकाशनों में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है। इसलिए, प्रकाशकों ने क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशन करके छोटे शहरों में बड़ी आबादी तक पहुंचने के महत्व को पहचाना है ।
•भारतीय मीडिया परिदृश्य: ऑनलाइन समाचार पत्रों के आगमन ने समाचारों तक पहुंचने और उनके उपभोग के तरीके में क्रांति ला दी है। इसके साथ ही, उनकी पहुंच और अंतर–क्रियाशीलता में आसानी हुई है। भारतीय परिदृश्य, आज प्रिंट और ऑनलाइन दोनों समाचार पत्रों के लिए, पाठकों की बढ़ती संख्या को दर्शाता है।
तकनीकी प्रगति और स्मार्टफ़ोन का बढ़ता उपयोग विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म की ओर बदलाव में योगदान देता है। ऑनलाइन समाचार पत्र, न केवल समाचारों तक आसान पहुंच प्रदान करते हैं, बल्कि संवादात्मक सुविधाएं भी प्रदान करते हैं, जो पाठकों को आकर्षित व संलग्न करती है। बड़े दर्शकों से जुड़ने की क्षमता ने सोशल मीडिया के एकीकरण को भी बढ़ावा दिया है।
2014 से 2015 तक प्रिंट बाज़ार में समग्र प्रसार अनुमानित, 7.6 प्रतिशत बढ़ गया | यह मुख्य रूप से उच्च लेकिन स्थिर अंग्रेज़ी भाषा बाज़ार(3.8 प्रतिशत) के बजाय, विस्तारित हिंदी (9.6 प्रतिशत) और अन्य भाषाओं (9.9 प्रतिशत) के बाज़ार में उच्च वृद्धि से प्रेरित है।
मल्टीमीडिया प्रौद्योगिकी की उपलब्धता और कम निवेश लागत ने विकासशील देशों सहित विश्व स्तर के प्रकाशकों को आकर्षित किया है। इसके बाद, भारतीय भाषाओं में ऑनलाइन समाचार पत्रों की शुरूआत हुई और ‘नई दुनिया’ ऑनलाइन प्रसारित होने वाला पहला हिंदी समाचार पत्र बन गया। इस तकनीकी विकास ने प्रकाशकों को दुनिया भर के पाठकों से जोड़ा, जिससे उनकी पहुंच और प्रभाव का विस्तार हुआ।
प्रारंभ में डिजिटल मीडिया, प्रिंट मीडिया के साथ, एक विकल्प के रूप में अस्तित्व में था। बाद में डिजिटल मीडिया अधिक सुविधाजनक विकल्प बन गया है। आज हम इस स्थिति को एक निर्णायक मोड़ पर पाते हैं। हालांकि, प्रिंट मीडिया पूरी तरह से गायब नहीं हुआ है, लेकिन इसकी भूमिका, भारत के विपरीत दुनिया में काफ़ी कम हो गई है।
प्रिंट मीडिया, 15वीं सदी से 20वीं सदी तक सूचना प्रसार की आधारशिला थी, जिसमें समाचार पत्र और पत्रिकाएं समाज को आकार देती थीं और क्रांति का कारण बनती थीं। फिर, 20वीं सदी में प्रिंट मीडिया अपने चरम पर थी।
1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में एक क्रांतिकारी बदलाव आया क्योंकि, इंटरनेट व्यापक रूप से सुलभ होने लगा। प्रिंट के विपरीत, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मस् ने वास्तविक समय के अपडेट, वीडियो और इंटरैक्टिव ग्राफ़िक्स जैसे मल्टीमीडिया तत्वों, टिप्पणियों और सोशल मीडिया के माध्यम से तत्काल पाठक प्रतिक्रिया का अवसर प्रदान किया।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उदय के साथ प्रिंट मीडिया को दुनिया में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ा। जैसे-जैसे अधिक पाठक समाचार और जानकारी के लिए ऑनलाइन होते गए पारंपरिक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने अपना ग्राहक आधार खोना शुरू कर दिया। विज्ञापन राजस्व, जो कभी प्रिंट प्रकाशनों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत था, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर स्थानांतरित हो गया। यह बदलाव विशेष रूप से तब हुआ, जब सोशल मीडिया और खोज इंजन अत्यधिक लक्षित विज्ञापन विकल्प प्रदान करने लगे। स्थानीय समाचार पत्रों की गिरावट, जो अक्सर ऐसे परिवर्तन की जोखिम नहीं उठा सकते थे, ने विशेष रूप से समुदायों को प्रभावित किया है।
दूसरी तरफ़, डिजिटल मीडिया के विकास के बावजूद, प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ अनूठे फ़ायदे बरकरार हैं। प्रिंट मीडिया, एक स्पर्शनीय व संवेदी अनुभव प्रदान करता है, जिसे कई पाठक महत्व देते हैं। एक भौतिक समाचार पत्र या पत्रिका को पकड़ने से तल्लीनता और ध्यान केंद्रित करने की भावना आती है। इस भावना को स्क्रीन पर स्क्रॉल करने से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। प्रिंट की अंतर्निहित विश्वसनीयता भी एक फ़ायदा है, क्योंकि डिजिटल सामग्री की अक्सर क्षणिक और आसानी से संपादित प्रकृति की तुलना में, मुद्रित शब्दों को अक्सर अधिक विचारशील और विश्वसनीय माना जाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4yj5dmzy
https://tinyurl.com/wys4p935

चित्र संदर्भ
1. रामपुर की खबर दिखाते समाचार पत्र और ऑनलाइन समाचार को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह, flickr)
2. रामपुर की खबर दिखाते समाचार पत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. ऑनलाइन अखबार पढ़ते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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