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पोल्ट्री (Poultry) मांस, अंडे या पंख आदि उपयोगी पशु उत्पादों को प्राप्त करने के उद्देश्य से पाले गए पालतू पक्षी होते हैं। जबकि, मुर्गियों के पालन की प्रथा को ‘मुर्गी पालन’ के रूप में जाना जाता है। पोल्ट्री के तहत पालन किए जाने वाले पक्षी, विशेष रूप से, पक्षियों के गैलीफोर्मेस (Galliformes) अनुक्रम के होते हैं। इस अनुक्रम में मुर्गियां, बटेर तथा टर्की (Turkey) आदि शामिल हैं। इस शब्द में एनाटिडे (Anatidae) परिवार के जलपक्षी (बत्तख और हंस) या अन्य उड़ने वाले पक्षी भी शामिल होते हैं, जिनका उनके मांस के लिए पालन किया जाता है। जैसे कि युवा कबूतर, जिन्हें स्क्वैब (Squab) के रूप में जाना जाता है, इसी वर्ग में आते हैं।
यही पोल्ट्री क्षेत्र हमारे देश भारत के राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में, 1% तथा पशुधन के कुल घरेलू उत्पाद में 14% का योगदान देता है। अब भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा अंडा उत्पादक देश भी है। विश्व में विभिन्न प्रकार के मांस की मांग में, पोल्ट्री मांस सबसे तेजी से बढ़ने वाला घटक है। इस कारण भारत के पोल्ट्री क्षेत्र में आज तेजी से विकास हो रहा है।
भारत ने वर्ष 2021-22 के दौरान, दुनिया में 529.81 करोड़ मूल्य के 3,20,240.46 मीट्रिक टन (Metric tons) पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात किया है। और इस तरह वैश्विक पोल्ट्री बाजार के अनुसार, भारत छठे स्थान पर है।
‘आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22’ में कहा गया है कि, भारत दुनिया में मांस के उत्पादन में आठवें स्थान पर है। इसके अलावा, हमारे देश में अंडे का उत्पादन 2014-15 में 78.48 बिलियन से बढ़कर 2021-22 में 122.11 बिलियन हो गया है। इसके साथ ही, देश में मांस का उत्पादन 2014-15 में 6.69 मिलियन टन से बढ़कर 2020-21 में 8.80 मिलियन टन हो गया है।
क्या आप जानते हैं कि, हमारे राज्य उत्तर प्रदेश की सरकार ने, राज्य में, स्वरोजगार का निर्माण करने हेतु, “कुक्कुट पालन कर्ज योजना” की शुरुआत की है। लोग इस कुक्कुट पालन योजना के तहत आवेदन करके मुर्गी फार्म (Poultry Farm) लगा सकते हैं, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कुक्कुट पालन कर्ज योजना के तहत, लोगों को अपना ‘स्वयं व्यवसाय’ शुरु करने में बैंक से सब्सिडी (Subsidy) या सहायिकी पर कर्ज दिया जाएगा। साथ ही, सरकार ने कुक्कुट पालन योजना के अंतर्गत, मुर्गी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए आकर्षक एवं व्यवहारिक ‘कुक्कुट विकास नीति’ भी जारी की है। इस नीति का उद्देश्य, छोटे मुर्गी पालकों को फायदा पहुंचाना है।
हमारे किसान भाई या फिर कोई भी युवा कुक्कुट पालन योजना का लाभ उठाकर, अपनी स्थायी आय सुनिश्चित कर सकता है। तथा खेती के साथ-साथ पशुपालन या मुर्गी पालन करके वे अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। मुर्गी पालन योजना के तहत, राज्य सरकार मुर्गी फार्म स्थापित करने के लिए सब्सिडी पर कर्ज उपलब्ध कराती है। इस सब्सिडी के कुछ भाग का भुगतान, खुद मुर्गी पालक को करना होगा, जबकि शेष भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।
कुक्कुट पालन अनुदान विकास नीति के तहत, कुक्कुट पालक 30 हजार या 10 हजार पक्षियों की व्यावसायिक इकाई स्थापित कर सकते हैं। इस योजना के तहत, 30 हजार पक्षियों की इकाई संचालित करने हेतु, मुर्गी पालक को 1.60 करोड़ रुपये की लागत व्यय की जरूरत होगी, जिसमें लाभार्थी को स्वतः 54 लाख रुपये लगाने होंगे और 1.06 करोड़ का नियमानुसार बैंक ऋण लेना होगा।
दूसरी ओर, 10 हजार पक्षियों की इकाई स्थापित करने हेतु, मुर्गी पालक को कुल 70 लाख रुपये की लागत व्यय करनी होगी। इसमें 21 लाख रुपये लाभार्थी को लगाने होंगे और 49 लाख रुपये का बैंक ऋण लेना होगा। इस नीति का लाभ उठाने हेतु, कोई भी छोटे-बड़े किसान या युवा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। हम आपको बता दें कि, इस योजना का आवेदक उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए, एक एकड़ से तीन एकड़ तक स्वयं भूमि धारक होना चाहिए तथा उनका बैंक में बचत खाता भी होना चाहिए। इसके अलावा, बैंक में कर्ज के लिए आवेदन करने से संबंधित पूरी जानकारी आप नीचे दी गई पीडीएफ(PDF) में देख सकते हैं: https://tinyurl.com/mpdw7tyc
सरकार द्वारा दिए जा रहे कर्ज के लिए, आवेदकों को कुछ दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी, जिनकी सूची आप नीचे देख सकते हैं:
1.पहचान प्रमाण पत्र (ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट आदि)
2.हाल ही में खींची गई पासपोर्ट फोटो
3.पता प्रमाण (राशन कार्ड, बिजली बिल, टेलीफोन बिल, पानी बिल, लीज एग्रीमेंट आदि)
4.बैंक के स्टेटमेंट (Statement) की फोटो कॉपी और जमानतदार
5.अपने मुर्गी फार्म परियोजना का पूरा ब्यौरा परियोजना रिपोर्ट
हमने मुर्गी पालन के बारे में तो अच्छी तरह से जान लिया है। आइए अब मुर्गी पालन के कुछ लाभ एवं हानियां जानते हैं।
•लाभ
इससे रोजगार सृजन होता हैं। किसान भाई या युवा व्यवसायी की आय में वृद्धि होती हैं। तथा मुर्गी पालक को अधिक व्यय एवं समय नहीं गंवाना पड़ता है।
•हानियां
मुर्गियों में विभिन्न संक्रमण रोग और परजीवियों की समस्या हो सकती है। इस व्यवसाय में श्रम लागत बहुत अधिक है और कभी–कभी मुर्गियों में कुपोषण की समस्या भी हो सकती है।
भारत में मुर्गी पालन आर्थिक विकास को तेजी से बढ़ावा देने की अपनी विशाल क्षमता के कारण, एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी कम निवेश आवश्यकता तथा कम उत्पादन अंतराल के कारण, समाज के कमजोर वर्गों को भी इससे लाभ पहुंच सकता है। साथ ही, भारत तथा हमारे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में, पूर्ण वर्ष आय के नियमित प्रवाह के कारण पोल्ट्री क्षेत्र की विकास क्षमता उज्ज्वल है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2p8yr4um
https://tinyurl.com/465cv7mk
https://tinyurl.com/ydvz374t
https://tinyurl.com/ymd9u4ax
https://tinyurl.com/mpdw7tyc
चित्र संदर्भ
1. मुर्गी पालन को दर्शाता चित्रण (Flickr)
2. पोल्ट्री फार्म को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. मुर्गियों को चारा देते व्यक्ति को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
4. अपनी मुर्गियों के साथ एक महिला को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. कोलकाता हॉग मार्केट को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
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