लखनऊ के नागरिकों, क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में तलाक का दर लगातार बढ़ रहा है । यह समाज के बदलते नज़रिए, सांस्कृतिक मान्यताओं और विवाह से जुड़ी व्यक्तिगत अपेक्षाओं में हो रहे बड़े बदलाव को दर्शाता । आज लोग, व्यक्तिगत खुशी और स्वतंत्रता को अधिक महत्व देने लगे हैं, जिसके कारण विवाह को जीवनभर का बंधन मानने का पारंपरिक विचार बदल रहा है। बदलती लैंगिक भूमिकाएँ, आर्थिक स्वतंत्रता और रिश्तों के प्रति बदलते दृष्टिकोण भी तलाक के बढ़ती दरों में योगदान कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति केवल एक क्षेत्र या संस्कृति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया में देखी जा रही है। यह दर्शाता है कि लंबे समय तक रिश्तों को बनाए रखना वर्तमान समय में कितना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
आज हम इस विषय पर चर्चा करेंगे कि तलाक की दरें वैश्विक स्तर पर क्यों और कैसे बढ़ रही हैं और इसमें जुड़े आँकड़ों को समझने का प्रयास करेंगे। फिर हम यह जानेंगे कि तलाक की बढ़ती दरों के पीछे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारण कौन-कौन से हैं। इसके बाद, हम उन देशों का अध्ययन करेंगे जहाँ तलाक की दरें सबसे अधिक और सबसे कम हैं और इन देशों के तलाक के प्रति दृष्टिकोण की तुलना करेंगे। अंत में, हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि, सांस्कृतिक वर्जनाएँ (taboos) किसी जोड़े के तलाक लेने के फ़ैसले को कैसे प्रभावित करती हैं और विवाह व अलगाव के फ़ैसलों में सांस्कृतिक मान्यताओं व मूल्यों की क्या भूमिका होती है।
क्या तलाक की दरें वैश्विक स्तर पर बढ़ी हैं?
दुनिया के कई देशों, जैसे उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में, तलाक की दरों में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में तलाक की दरें दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में अधिक हैं। इसमें सांस्कृतिक बदलाव और बदलती कानूनी व्यवस्थाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
उदाहरण के लिए, अमेरिका में लगभग 40% से 50% शादियाँ तलाक में खत्म होती हैं और कनाडा में भी आँकड़े लगभग समान हैं। हालाँकि कुछ देशों में तलाक की दरें कम हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि तलाक के मामलों में बढ़ोतरी एक वैश्विक प्रवृत्ति बन गई है।
युवाओं की नई पीढ़ी अब जीवन में देर से विवाह कर रही है और इसके चलते उनके रिश्तों को लेकर अपेक्षाएँ भी पहले से काफ़ी अलग हो गई हैं। इसके अलावा, समाज में तलाक को अब पहले की तरह गलत नहीं माना जाता, जिससे यह संभावना बढ़ गई है कि अधिक लोग असंतुष्ट रिश्तों से बाहर निकलने के लिए तलाक का विकल्प चुनते हैं।
तलाक की बढ़ती दर यह भी दर्शाती है कि अब लोग यह मानने लगे हैं कि उन्हें असफल या दुखी विवाह में रहने की आवश्यकता नहीं है। तलाक कोच, वकील और मध्यस्थों की सहायता से लोग अब तलाक से जुड़ी कानूनी और भावनात्मक जटिलताओं को बेहतर तरीके से संभालने में सक्षम हो गए हैं।
तलाक की इस बढ़ती दर के पीछे कई कारण हैं, जैसे कि बदलते सामाजिक मानदंड, विवाह से जुड़ी अपेक्षाओं में बदलाव और कानूनी सुधार जिन्होंने तलाक को अधिक सुलभ बना दिया है।
तलाक की दरें दुनिया भर में क्यों बढ़ रही हैं?
तलाक के दरों में वृद्धि के पीछे मुख्य कारण समाज के नज़रिए में बदलाव है। अब तलाक को समाज में पहले से ज़्यादा स्वीकार किया जाने लगा है। 1960 के दशक के अंत में “नो-फ़ॉल्ट तलाक” (No-Fault Divorce) जैसे कानूनी सुधारों ने इसे और आसान बना दिया। इस प्रावधान के तहत, शादी खत्म करने के लिए किसी भी पक्ष पर दोषारोपण करना आवश्यक नहीं होता। इसका मतलब है कि जोड़े केवल यह महसूस करते हुए तलाक ले सकते हैं कि वे अब एक-दूसरे के साथ सहज नहीं हैं और इसके लिए किसी प्रकार की गलती को साबित करने की ज़रूरत नहीं होती।
दूसरा महत्वपूर्ण कारण है रिश्तों के प्रति बदलती अपेक्षाएँ। 1950 और 1960 के दशक में विवाह को अक्सर एक “सहयोगात्मक व्यवस्था” माना जाता था, जहाँ दोनों साथी एकसाथ मिलकर जीवन के सामान्य लक्ष्यों की ओर बढ़ते थे। लेकिन आज, शादी को अक्सर व्यक्तिगत संतोष और भावनात्मक पूर्णता का ज़रिया माना जाता है। लोग अब उम्मीद करते हैं कि उनका जीवनसाथी उन्हें भावनात्मक और व्यक्तिगत रूप से संतुष्ट करेगा। जब ये अपेक्षाएँ पूरी नहीं होती हैं, तो तलाक का सहारा लिया जाता है।
आज के समय में, तलाक को अक्सर “नई खुशी खोजने का एक अवसर” माना जाता है, न कि केवल एक असफल रिश्ते का अंतिम विकल्प। यह सोच तलाक की दरों में वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। उदाहरण के तौर पर, सांख्यिकी कनाडा के अनुसार, तलाक के दस्तावेज़ लगातार बढ़ रहे हैं, जो विवाह और व्यक्तिगत संतुष्टि के प्रति इस सांस्कृतिक दृष्टिकोण को जोड़ते हैं।
दुनिया के सबसे अधिक और सबसे कम तलाक वाले देश
सबसे अधिक तलाक वाले देश:
2022 के आंकड़ों के मुताबिक, तलाक के मामले में मालदीव ने वैश्विक स्तर पर पहला स्थान हासिल किया है, जहां हर 1,000 लोगों पर 5.52 तलाक दर्ज हुए हैं। अन्य देशों में भी तलाक का दर काफ़ी अधिक है। रूस में यह दर 3.9 है, जबकि मॉल्डोवा और जॉर्जिया दोनों में यह दर 3.8 है। बेलारूस ने 3.7 का दर दर्ज किया गया, जबकि चीन और यूक्रेन में यह क्रमशः 3.2 और 3.1 है । क्यूबा में हर 1,000 लोगों पर 2.9 तलाक हुए और अमेरिका, लिथुआनिया तथा कनाडा ने 2.8 का दर साझा किया । डेनमार्क 2.7 पर, स्वीडन 2.5 पर, फ़िनलैंड 2.4 पर और कज़ाख़िस्तान 2.3 पर रहा।
इन आँकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि अलग-अलग क्षेत्रों में वैवाहिक स्थिरता में काफ़ी भिन्नता है, जिसमें मालदीव काफ़ी अंतर से सबसे आगे है।
सबसे कम तलाक वाले देश:
2022 की रिपोर्टों और सर्वेक्षणों के अनुसार, कई देशों में तलाक की दर बेहद कम है। भारत इस सूची में सबसे ऊपर है, जहाँ हर 1,000 लोगों पर सिर्फ़ 0.01 तलाक दर्ज किए गए। इसके बाद वियतनाम, श्रीलंका और पेरू का स्थान है, जहाँ यह दर 0.2 है। सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस तथा दक्षिण अफ्रीका में यह दर 0.4 है, जबकि माल्टा और ग्वाटेमाला में यह 0.6 रहा । आयरलैंड और वेनेज़ुएला में यह दर, 0.7 दर्ज किया गया , और उरुग्वे ने 0.8 के दर के साथ सूची को समाप्त किया।
इन आँकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि इन देशों में वैवाहिक स्थिरता के पीछे सांस्कृतिक और सामाजिक कारक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। भारत वैश्विक स्तर पर सबसे कम तलाक दर बनाए रखने वाला देश है।
कैसे सांस्कृतिक वर्जनाएँ तलाक के फ़ैसले को प्रभावित करती हैं?
तलाक का फ़ैसला एक बेहद व्यक्तिगत निर्णय होता है, लेकिन कुछ समुदायों में सांस्कृतिक वर्जनाएँ इस प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव डालती हैं। सांस्कृतिक मान्यताएँ और अपेक्षाएँ यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं कि जोड़े तलाक के बारे में क्या सोचते हैं और उन्हें इस रास्ते पर आगे बढ़ने से कौन-से कारण रोकते हैं।
तलाक से जुड़ा कलंक:
कुछ संस्कृतियों में तलाक को लेकर गहरी सामाजिक बदनामी जुड़ी होती है। विवाह को पवित्र मानने वाली संस्कृतियों में तलाक का विचार अक्सर शर्मिंदगी या समाज की आलोचना का कारण बनता है। इस कलंक के कारण कई लोग तलाक पर विचार करने से पहले ही अपने कदम पीछे खींच लेते हैं।
परिवार की एकता बनाए रखना:
कई संस्कृतियों में परिवार की एकता को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह सोच, कि किसी भी स्थिति में परिवार को एकजुट रखना चाहिए, जोड़ों को तलाक का विकल्प चुनने से हतोत्साहित करती है। पारंपरिक परिवार संरचना को तोड़ने का डर तलाक लेने के निर्णय में एक बड़ी बाधा बन सकता है।
सामाजिक दबाव और अनुरूपता:
सांस्कृतिक मानदंड, जोड़ों पर समाज की अपेक्षाओं के अनुसार चलने का दबाव डालते हैं। वैवाहिक समस्याओं के बावजूद, समाज से अलग खड़ा होने या पारंपरिक मानदंडों का विरोध करने की अनिच्छा तलाक पर उनके फ़ैसले को प्रभावित करती है।
अनुकूल विकल्पों की जानकारी का अभाव:
सांस्कृतिक वर्जनाएँ, जोड़ों को “निर्विरोध तलाक” (Uncontested Divorce) जैसे सरल और सौहार्दपूर्ण विकल्पों के बारे में जानकारी प्राप्त करने से रोक सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे अधिक पारंपरिक और जटिल तलाक प्रक्रियाओं का सामना करते हैं।
मौन तोड़ना:
सांस्कृतिक वर्जनाएँ, तलाक के फ़ैसले को व्यक्तिगत और सांस्कृतिक अपेक्षाओं के बीच उलझा देती हैं। जहाँ अमेरिका जैसे देशों में तलाक को अधिक स्वीकार किया जाता है, वहीं अंतरजातीय विवाह और सांस्कृतिक विविधता इसे और जटिल बना सकते हैं। इसलिए, तलाक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर खुलकर चर्चा करना और सांस्कृतिक भावनाओं के प्रति संवेदनशील बने रहना बेहद ज़रूरी है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/45dsvzhk
https://tinyurl.com/45dsvzhk
https://tinyurl.com/k4wv4asp
https://tinyurl.com/c4tu2jc9
चित्र संदर्भ
1. झगड़ते हुए एक जोड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
2. वकील के पास पहुंचे एक जोड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. एक निराश जोड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक विवाहित जोड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
5. दुखी पुरुष को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)