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मशरूम की खेती का विश्व में एक लंबा और आकर्षक इतिहास रहा है। मशरूम की खेती का सबसे पहला ज्ञात प्रमाण चीन (China) से मिलता है, जहां किसानों ने 1,000 साल पहले ही शिटाके मशरूम (Shiitake Mushroom) उगाना शुरू किया था। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि, भोजन के रूप में, मशरूम की खेती का चलन इससे बहुत पहले, अर्थात 600 ईस्वी में ही शुरू हुआ था। 17वीं शताब्दी के दौरान, मशरूम की खेती फ्रांस (France) और यूरोप (Europe) के अन्य हिस्सों में लोकप्रिय हो गई। फिर बाद में, संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में, 20वीं सदी की शुरुआत के बाद मशरूम की खेती लोकप्रिय हुई।
20वीं सदी के मध्य में, मशरूम की खेती में नई तकनीकों का विकास हुआ, जिसने इस उद्योग में क्रांति ला दी। आज, मशरूम की खेती संपूर्ण विश्व में ही एक प्रमुख उद्योग है, जिसमें प्रत्येक वर्ष लाखों टन मशरूम का उत्पादन होता है। अधिकांश मशरूम आज भी, खाद और जलवायु-नियंत्रित वातावरण का उपयोग करके उगाए जाते हैं। हालांकि, नई तकनीकों को विकसित किया जा रहा हैं।
मशरूम की खेती कुछ सबसे लाभदायक कृषि-व्यवसायों में से एक है, जिसे आप कम निवेश एवं कम जगह के साथ शुरू कर सकते हैं। आज हमारे देश भारत में भी कई लोग आय के एक वैकल्पिक स्रोत के रूप में मशरूम की खेती की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। दुनिया भर में चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली(Italy) और नीदरलैंड(Netherlands) मशरूम के प्रमुख उत्पादक देश हैं। भारत में हमारा राज्य उत्तर प्रदेश मशरूम का शीर्ष उत्पादक है और इसके बाद त्रिपुरा और केरल राज्य का स्थान हैं।
मशरूम स्वादिष्ट ही नहीं होता बल्कि यह प्रोटीन (Protein), फाइबर (Fibre), पोटेशियम (Potassium), तांबा (Copper) और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों से भरपूर भी होता है। इसमें काफ़ी कम कैलोरी (Calories) और वसा होता है। यह पौधों के कवक (Fungi) परिवार से आता है। हालांकि, मशरूम को सब्जियों के परिवार में शामिल किया जाता है, लेकिन, इसमें पौधे जैसी ही विशेषताएं होती हैं।
भारत में मुख्य रूप से तीन अलग-अलग प्रकार के मशरूम उगाए जाते हैं। आइए इनके बारे में पढ़ते हैं।
1. बटन मशरूम (Button mushrooms): यह मशरूम का सबसे लोकप्रिय प्रकार है। इसे अकसर ही, सफेद मशरूम, बेबी (Baby) मशरूम और खेती वाले मशरूम के रूप में जाना जाता है। बटन मशरूम को कच्चा खाया जा सकता है या पकाया भी जा सकता है। और आमतौर पर उनका उपयोग सलाद, सूप (Soup) और पिज्जा (Pizza) में किया जाता है। बटन मशरूम पहली बार सोलहवीं शताब्दी में उगाए गए थे। मशरूम के वार्षिक उत्पादन में, बटन मशरूम की 85% हिस्सेदारी है।
2. पैडी स्ट्रॉ मशरूम (Paddy straw mushroom): यह दुनिया में सबसे ज्यादा उपभोग किया जाने वाला मशरूम है। इसे अधिकतर, दक्षिण-पूर्व एशिया (Asia) में उगाया जाता है। इसमें सबसे कम निवेश की आवश्यकता होती है और इसलिए यह सबसे अधिक लाभदायक व्यवसाय है। स्ट्रॉ मशरूम धान के भूसे पर उगते हैं, और अतः इसे धान के भूसे वाले मशरूम के रूप में भी जाना जाता हैं।
3. ऑयस्टर मशरूम (Oyster Mushrooms): यह उत्पादन में सबसे आसान और खाने में भी सबसे स्वादिष्ट मशरूम है। बटन मशरूम के विपरीत, इसे बढ़ने के लिए विशेष परिस्थितियों की आवश्यकता नहीं होती है। इसके अतिरिक्त, डॉक्टरों द्वारा मधुमेह और उच्च रक्तचाप वाले लोगों को ऑयस्टर मशरूम खाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इनमें वसा काफ़ी कम होता है।
हमें मशरूम की खेती से काफी आकर्षक मुनाफा हो सकता है। 1 किलो मशरूम उगने के लिए लगभग रु. 100-120 खर्चा हो सकता है, जबकि, 1 किलो मशरूम का बाजार मूल्य 150-300 प्रति किलो होता है। विविधता और क्षेत्र के आधार पर इसका मूल्य भी भिन्न-भिन्न होता है। प्रति बैग मशरूम की पैदावार, मशरूम के प्रकार और उपयोग की जाने वाली खेती की पद्धति के अनुसार, औसतन 500-800 ग्राम हो सकती है, और किसान प्रति वर्ष कई फसलें ले सकते हैं।
उचित प्रबंधन और विपणन के साथ प्रति 1000 बैग पर एक किसान सालाना 50,000-1,00,000 रुपये का लाभ कमा सकता है। अगर आप इसे 100-500 वर्ग फुट में उगाना शुरू करते हैं, तो आप सालाना 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक कमा सकते हैं।
मशरूम की खेती के महत्त्व को जानते हुए, कई संस्थाएं हमें सहायिकी भी प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड मशरूम की खेती के लिए विभिन्न योजनाएं और सब्सिडी (Subsidy) या सहायिकी प्रदान करता है। बोर्ड मशरूम इकाइयों की स्थापना, इसके विस्तार और प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। योजना के तहत, बागवानी बोर्ड परियोजना की कुल लागत की 50% सब्सिडी प्रदान करता है। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) मशरूम की खेती के लिए विभिन्न ऋण योजनाएं प्रदान करता है। बैंक मशरूम इकाइयों की स्थापना, उपकरणों की खरीद और कार्यशील पूंजी के लिए ऋण प्रदान करता है। ऋण राशि परियोजना लागत पर निर्भर करती है, और इसकी पुनर्भुगतान अवधि 7 वर्ष तक है। लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ भी मशरूम की खेती के लिए विभिन्न ऋण योजनाएं प्रदान करता है। जैसे कि, मशरूम इकाइयों की स्थापना, उपकरण की खरीद और कार्यशील पूंजी के लिए ऋण प्रदान करके यह उद्यमियों की मदद करता है। ऋण राशि परियोजना लागत पर निर्भर करती है, और पुनर्भुगतान अवधि 5 वर्ष तक है।
इसके साथ ही, कृषि वित्त निगम भी मशरूम की खेती के लिए विभिन्न ऋण योजनाएं प्रदान करता है। ऋण राशि परियोजना लागत पर निर्भर करती है, और पुनर्भुगतान अवधि 7 वर्ष तक है। मुद्रा – MUDRA (Micro Units Development and Refinance Agency) ऋण, एक सरकारी योजना है जो छोटे व्यवसायों और उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह ऋण योजना भारत सरकार द्वारा 2015 में शुरू की गई थी और इसका लक्ष्य मशरूम की खेती सहित छोटे उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक की धनराशि प्रदान करना है।
अब आइए जानते हैं कि, मशरूम की खेती का व्यवसाय स्थापित करने हेतु हमें किन चीजों का ध्यान रखना होता हैं।
सही स्थान का चयन: आप केवल एक 20 फीट×20 फीट के कमरे में ही एक मशरूम इकाई स्थापित कर सकते हैं। इससे आप प्रत्येक सप्ताह में लगभग 50 किलोग्राम उत्पादन कर सकते हैं। यह एक कम लागत वाला छोटा व्यवसाय है जो कुछ ही हफ्तों में मुनाफा दिला सकता है।
अनुभव की प्राप्ति: मशरूम की खेती के लिए अनुसंधान और अभ्यास की आवश्यकता है। आपको मशरूम की खेती के विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अध्ययन करना चाहिए। इसके लिए, कई ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी मौजूद हैं।
स्पॉन संग्रह (Spawn collection): आपको स्थानीय बाजार से मशरूम स्पॉन, जिसे अक्सर अंडे के रूप में जाना जाता है, प्राप्त करना होगा। आप अपना स्पॉन बनाने के लिए रोगाणुहीन मशरूम कल्चर (Mushroom Culture) का भी उपयोग कर सकते हैं। लंबे समय में, यह कम महंगा होगा।
कच्चे माल की आवश्यकता: मशरूम को अंकुरित होने में सक्षम बनाने के लिए, किनारों पर छेद वाले प्लास्टिक के बाल्टी या बोरे का उपयोग करें। साथ ही, आपको मशरूम उगाने का माध्यम या सब्सट्रेट (Substrate) भी खरीदना होगा, जो पुआल या लकड़ी के टुकड़े हो सकते हैं।
मशरूम के लिए खाद्य: मशरूम फार्म में आमतौर पर लकड़ी के बुरादे या लकड़ी के फूस पर मशरूम उगाए जाते हैं। अनाज और फलियों के उप उत्पादों का उपयोग सब्सट्रेट के रूप में किया जा सकता हैं। एक अच्छा सब्सट्रेट बनाने के लिए, आपको जैविक मुलायम लकड़ी के फूस, लकड़ी के टुकड़े और सोयाबीन के भूसे की आवश्यकता होगी। फिर, वांछित नमी की मात्रा प्राप्त करने के लिए इसमें पानी डाला जा सकता हैं।
रख-रखाव और देखभाल: छोटे मशरूम व्यवसाय में, रख-रखाव और जलवायु प्रबंधन महत्वपूर्ण हैं। मशरूम क्षति या घाव के प्रति संवेदनशील होते हैं। परिणामस्वरूप, खुदरा बिक्री के दौरान, उन्हें ठीक से संभाला जाना चाहिए।
मशरूम की बिक्री: चूंकि, बाजार में मशरूम आपूर्ति बहुत कम है, इनकी कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। अतः किसान बड़ी संख्या में आकर्षित भी हो रहे हैं। आप मशरूम को एक वाहन में लादकर, स्थानीय बाजार में ले जा सकते हैं। या फिर, आप अपना एक ऑनलाइन स्टोर (Store) भी शुरु कर सकते हैं।
हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में, मशरूम की खेती अच्छी तरह से विकसित रही है। राज्य में पहले, केवल 20 मशरूम उत्पादक थे, और अब राज्य में 2000 से अधिक मशरूम उत्पादक हैं। और हर महीने यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। उत्तर प्रदेश में दूधिया मशरूम (Milky mushroom) की खेती से, किसानों को 5 गुना तक मुनाफा होता है, जबकि बटन मशरूम की खेती से 3 गुना मुनाफा होता है। हम अतः आशा कर सकते हैं कि, मशरूम की खेती हमारे राज्य के किसान भाइयों एवं युवा उद्यमियों को ऐसा ही लाभ प्रदान करें।
संदर्भ
https://tinyurl.com/24pdw5dw
https://tinyurl.com/326de3yz
https://tinyurl.com/mtkch8w9
https://tinyurl.com/bdepwptu
https://tinyurl.com/4dedacck
https://tinyurl.com/3uvjwhh8
https://tinyurl.com/ycy7juh8
चित्र संदर्भ
1. घर के भीतर मशरूम की खेती को दर्शाता चित्रण (Flickr)
2. शिटाके मशरूम को दर्शाता चित्रण (FeelGoodPal)
3. फार्म में मशरूम की खेती को दर्शाता चित्रण (Flickr)
4. बटन मशरूम को दर्शाता चित्रण (Peakpx)
5. पैडी स्ट्रॉ मशरूम को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. ऑयस्टर मशरूम को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
7. कम रौशनी में उग रहे मशरूमों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
8. ऑयस्टर मशरूम की खेती को दर्शाता चित्रण (Flickr)
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