लखनऊ के लगभग सभी लोग, इस बात से वाकिफ़ हैं कि बॉलीवुड के गाने, अपनी आकर्षक धुनों, जीवंत नृत्य शैलियों, और मज़बूत सांस्कृतिक प्रभावों के कारण दुनिया भर में अत्यंत प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा, विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीय लोग भी दुनिया भर में इन गीतों की प्रसिद्धि का एक अन्य कारण हैं, क्यों कि वे इन गीतों को विश्व स्तर पर बड़े पैमाने पर साझा करते हैं। 1930 और 1940 के दशक में अर्थात बॉलीवुड के शुरुआती वर्षों में, शास्त्रीय भारतीय संगीत का बहुत प्रभाव था। इस दौर की फ़िल्मों में हिंदुस्तानी शास्त्रीय परंपराओं से जुड़े गाने थे, जिसमें नौशाद और सी. रामचंद्र जैसे उस्तादों ने रागों और पारंपरिक धुनों के माध्यम से सुंदर संगीत तैयार किया। जैसे-जैसे हिंदी सिनेमा विकसित हुआ, 1950 और 1960 के दशक में बॉलीवुड संगीत का स्वर्णिम युग आया। एस डी बर्मन (S.D.Burman), शंकर-जयकिशन और मदन मोहन (Madan Mohan) जैसे दिग्गजों ने इस स्वर्णिम युग को बनाने में विशेष योगदान दिया। इस अवधि में गीतों के निर्माण के लिए शास्त्रीय तत्वों और संगीत के नए लोकप्रिय रूपों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण तैयार किया गया। इस दौरान, ऐसे अनेक गीत बने, जो सदाबहार हैं, तथा आज भी दर्शकों के कानों में गूंजते रहते हैं। 1970 और 1980 के दशक में नवाचार की लहर आई, जिसमें आर डी बर्मन (R.D.Burman) जैसे संगीतकारों ने बॉलीवुड संगीत में पश्चिमी वाद्ययंत्रों और शैलियों को शामिल किया। इस युग में रॉक (rock) और डिस्को (disco) जैसी शैलियों का उदय हुआ, जिसने युवा और शहरी दर्शकों को अत्यधिक आकर्षित किया। तो आइए, आज हम, अब तक के कुछ बेहतरीन बॉलीवुड गीतों के कुछ चलचित्र देखें। इन गीतों में दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे फ़िल्म के ‘तुझे देखा तो’, पड़ोसन के ‘मेरे सामने वाली खिड़की में’, सूरज के ‘बहारों फूल बरसाओ’ और आवारा फ़िल्म के ‘आवारा हूँ’ जैसे गीत शामिल हैं। इसके अलावा, हम कुछ बेहतरीन समकालीन हिंदी गीतों जैसे, ‘मिले हो तुम’ और ‘वास्ते’ के संगीतमय चलचित्र भी देखेंगे।
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