Post Viewership from Post Date to 01-Oct-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2162 369 2531

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भारत में औद्योगिक विकास के साथ ही उभर रहा है, कांच उद्योग

लखनऊ

 31-08-2023 11:10 AM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

“कांच” हमारी धरती पर हमेशा से ही मौजूद था। लेकिन, लगभग 4000 साल पहले, मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में लोगों ने पहली बार कांच बनाने का तरीका खोज निकाला। उन्होंने पहला मानव निर्मित ग्लास बनाने के लिए रेत, सोडा और चूने को आपस में मिलाया। उन्होंने कांच को आकार देने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया। एक तरीका यह था कि कास्टिंग (Casting) करने या आकार बनाने के लिए इसे सांचों में गर्म किया जाए। कांच बनाने की एक अन्य विधि, कोर बनाने से जुड़ी हुई थी। जहां उन्होंने खोखले कंटेनर (Hollow Container) बनाने के लिए मिट्टी के कोर को गर्म तरल कांच से भर दिया, फिर मिट्टी को हटा दिया। इन विधियों से निर्मित कांच की वस्तुएं मुख्यतः मेसोपोटामिया और मिस्र में पाई जाती थीं। उस समय कांच बहुमूल्य होता था और इसका उपयोग केवल धनी वर्ग ही कर सकता था। इसका उपयोग आभूषणों, फर्नीचर पर सजावट और फैंसी इमारतों (Fancy Buildings) के लिए किया जाता था। उन्होंने सुगंधित तेल और इत्र रखने के लिए भी कांच के कंटेनर बनाए। यदि हम वर्तमान परिदृश्य को देखें, तो आज भारत के बाजारों में एनील्ड ग्लास (Annealed Glass) या कांच की अत्यधिक मांग है।
दरअसल, एनील्ड ग्लास एक प्रकार का मुलायम कांच होता है। इसे प्लेट या विंडो ग्लास (Plate Or Window Glass) के नाम से भी जाना जाता है। एनील्ड ग्लास को बनाने के लिए कांच को पहले गरम किया जाता है, फिर तनाव दूर करने के लिए धीरे-धीरे ठंडा करके बनाया जाता है। इस प्रक्रिया को एनीलिंग (Annealing) कहा जाता है। एनील्ड ग्लास मुख्य रूप से तीन प्रकार (फ्लोट, क्लियर और टिंटेड ग्लास (Float, Clear And Tinted Glass) के होते हैं। इस प्रकार के कांच का उपयोग व्यवसायिक सहित विभिन्न प्रयोजनों के लिए किया जाता है। साथ ही अन्य प्रकार के ग्लास की तुलना में एनील्ड ग्लास बनाना सस्ता भी पड़ता है। इसलिए, भारत में इसकी मांग भी अधिक है।
एनील्ड ग्लास का उपयोग खिड़कियां बनाने में भी किया जाता है। भारत में कुछ हरित इमारतें, प्राकृतिक रोशनी देने और कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए, इसी कांच का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। एनील्ड ग्लास को लेमिनेटेड ग्लास, टेम्पर्ड ग्लास और सख्त ग्लास (Laminated Glass, Tempered Glass And Toughened Glass) में भी बदला जा सकता है। “लेमिनेटेड ग्लास” का उपयोग कारों में किया जाता है। जबकि, टिंटेड ग्लास (Tinted Glass) का उपयोग अतिरिक्त गर्मी और धूप को रोकने के लिए किया जाता है। भारत में हर साल अनगिनत कारें बनती हैं और यह संख्या हर साल बढ़ रही है। इन्हीं सब कारणों से भारत में कांच उद्योग भी बड़े निवेश के साथ बढ़ रहा है। भारत का निर्माण बाजार 2025 तक हर साल लगभग 7.1% बढ़ने की उम्मीद है। वहीं 2030 तक रियल एस्टेट क्षेत्र (Real Estate Sector) 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। इसलिए, भारतीय कंपनियों को इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) और रियल एस्टेट निवेश से काफी पैसा मिल रहा है। भारत के निर्माण क्षेत्र में वृद्धि से भारतीय कांच उद्योग को सीधे तौर पर बढ़ावा मिला है। निर्माण क्षेत्र में इमारतों के लिए बहुत अधिक फ्लैट ग्लास का उपयोग किया जाता है। खिड़कियों, सौर पैनलों, दरवाज़ों और अन्य चीज़ों में इस्तेमाल होने वाले “फ़्लैट ग्लास” को बनाने की शुरुआत, गर्म भट्टी में रेत और अन्य तत्वों को पिघलाने से होती है। इसके बाद पिघले हुए कांच को सपाट सतह पर डाल कर ठंडा किया जाता है और इसकी चादरें बनाई जाती हैं। यह कांच बड़ा और सपाट होता है और हम इसका उपयोग खिड़कियों, दरवाजों और इस तरह की चीजों के लिए करते हैं। आधुनिक इमारतों, स्कूलों और घरों के मालिक बिना फ्रेम वाले मजबूत दरवाजे और बिना फ्रेम वाले कांच के स्लाईडिंग दरवाज़े (Sliding Glass Doors) का उपयोग करना पसंद करते हैं। इसलिए, फ्लैट ग्लास से निर्मित उत्पादों का भविष्य उज्ज्वल नजर आता है। यदि आप भी फ्लैट ग्लास व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको उपकरण और व्यवसाय स्थापित करने के लिए धन की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही आपको रसायन विज्ञान, इंजीनियरिंग, वित्त और अर्थशास्त्र के बारे में भी पता होना चाहिए। कांच को खिड़कियों के आकार में काटने के लिए मशीनों का उपयोग किया जाता, जिसके बाद तैयार टुकड़े दुनिया भर के ग्राहकों को भेजे जाते हैं।
“ग्लास” एक लचीली सामग्री है, जिसका उपयोग लंबे समय से निर्माण में किया जाता रहा है। लेकिन, जब बहुत तेज़ हवा या गर्मी हो तो यह टूट सकता है। इसलिए, ऐसे मामलों में सख्त या टेम्पर्ड ग्लास का उपयोग किया जाता है। इस कठोर कांच को विशेष प्रसंस्करण द्वारा मजबूत बनाया जाता है। यह सामान्य कांच से चार गुना अधिक सख्त होता है। इसे बनाने के लिए सिलिका के मिश्रण को 600°c तक गर्म करके और तुरंत ठंडा करके टेम्पर्ड ग्लास बनाया जाता है। इस प्रक्रिया को टेम्परिंग कहा जाता है, जो कांच को बहुत मजबूत बनाती है और इससे टूटने की संभावना कम होती है। भारत में मुख्य रूप से कांच उद्योग दो श्रेणियों में विभाजित है। पहला कुटीर उद्योग और दूसरा कारखाना उद्योग। कुटीर उद्योग के अंतर्गत प्रायः छोटी भट्टियों में कारखानों में उत्पादित और नदियों की अशुद्ध रेत तथा उत्सर्जक क्षार से निर्मित कांच की चूड़ियां बनाई जाती हैं। साथ ही कुटीर उद्योग के भीतर फूलदान, सजावटी कांच के बने पदार्थ, टेबलवेयर, लैंप और लैंप-वेयर भी उत्पादित किए जाते हैं। भारत में कुटीर उद्योग मुख्य रूप से फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश) और बेलगाम (कर्नाटक) में केंद्रित है। परंतु, छोटी इकाइयों में यह पूरे देश में फैला हुआ है। हमारे लखनऊ के निकटवर्ती जिलों में भी कांच का व्यवसाय खूब फल-फूल रहा है, जिसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आप हमारे इस लेख पर नजर डाल सकते हैं।

सन्दर्भ
https://tinyurl.com/yc8k9psc
https://tinyurl.com/4tu2u729
https://tinyurl.com/yc8k9psc
https://tinyurl.com/bdefa2r5

चित्र संदर्भ
1. कांच के उत्पाद निर्माताओं को दर्शाता चित्रण (flickr)
2. कांच के विभिन्न जारों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. प्राचीन मिस्र की कांच कृतियों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. जमीन पर बिछे कांच को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. कांच से निर्मित ईमारत को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. गाड़ी में लगे टिंटेड ग्लास को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
7. पिघलते हुए कांच को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id