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कई अन्य अंग्रेज़ी शब्दों की ही तरह "परफ्यूम (Perfume)" शब्द की उत्पत्ति भी लैटिन भाषा से ही हुई है, जहां “पेर” का अर्थ “पूरी तरह से” जबकि “फ्यूमस (Fumus)” का अर्थ "धुआं" होता है। फ़्रांसीसियों ने जलती हुई धूप से निकलने वाली सुगंध को “परफ्यूम” नाम दिया था। इत्र का सबसे प्रारंभिक रूप धूप ही थी, जो लगभग 4000 साल पहले, मेसोपोटामियावासियों (Mesopotamians) द्वारा बनाया गई थी। प्राचीन संस्कृतियां, धार्मिक समारोहों के लिए विभिन्न प्रकार के रेजिन (Resins) और लकड़ियों का उपयोग करती थीं।
मिस्रवासियों ने लगभग 3000 ईसा पूर्व में धूप का उपयोग केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए शुरू किया था। हालांकि, समय के साथ पुजारियों के विशेषाधिकार खत्म होने के कारण “इत्र” सभी के लिए उपलब्ध हो गया। मिस्रवासी आनंद के लिए इत्र मिश्रित पानी में स्नान करते थे और सुगंधित तेलों का उपयोग करते थे। यहां तक कि, पूर्वी एशिया में भी इत्र अस्तित्व में था, जो अक्सर “धूप की गंध” पर आधारित होता था। प्लिनी द एल्डर (Pliny The Elder) ने अपनी पुस्तक नेचुरेलिस हिस्टोरिया (Naturalis Historia) में इत्र बनाने की मूल सामग्री और विधियों का विस्तृत विवरण दिया है।
विश्व का पहला तरल इत्र यूनानियों ने बनाया, जबकि, अरबों की आसवन प्रगति ने इससे उन्नत इत्र बनाना संभव कर दिया। सत्रहवीं शताब्दी में दुनियां के कई हिस्सों में सफाई के अभाव के कारण, विशेष रूप से फ्रांस (France) में, इत्र ने खूब लोकप्रियता हासिल की। हेनरी अष्टम और महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम (Henry VIII And Queen Elizabeth I) ने इंग्लैंड (England) में बड़े पैमाने पर इत्र का उपयोग किया। बदलते स्वाद और रासायनिक विकास के साथ ही उन्नीसवीं सदी में, आधुनिक इत्र उद्योग का उदय हुआ। शुरुआती इत्र एकल-फूलों (एक ही फूल।) की सुगंध वाले होते थे। लेकिन, आज वे जटिल एवं मिश्रित हो गए हैं।
पुरुषों के लिए ईओ डी कोलोन (Eau De Cologne) का आविष्कार, 18वीं शताब्दी में जर्मनी के कोलोन (Cologne, Germany) में एक इतालवी नाई के द्वारा किया गया था। नेपोलियन ने भी इसकी प्रशंसा की और इसे "चमत्कारिक औषधि" के रूप में "एक्वा एडमिरबिलिस (Aqua Admirabilis)" नाम से बेचा गया। पहली कोलन दुकान के पते के आधार पर, बाद में इसका नाम 4711 रखा गया।
आधुनिक समय में इत्र कई लोगों के लिए कपड़ों की भांति एक अनिवार्य वस्तु बना गया है। दुनियाभर में इत्र की मांग हर दिन बढ़ रही है। अगले पांच वर्षों में सुगंध और इत्र के बाजार में 5.56% की वृद्धि होने की उम्मीद है। परफ्यूम और खुशबू का इस्तेमाल, लोग काफी समय से करते आ रहे हैं। ये सुगंधें पिछले कुछ-कुछ दशकों में बदलती और बेहतर होती जा रही हैं। इत्र और सुगंध "स्वच्छ, विश्राम और अच्छा" महसूस करने में मदद करते हैं। इत्र फ़ैशन (Fashion) करने वाले और ऑफिस (Office) जाने वाले के लोगों के लिए उपयोगी होता है। क्योंकि इसे लगाने के बाद वे अपने आपको अधिक आत्मविश्वासी महसूस करते हैं, अपनी दुर्गंध को छुपाते हैं और अपनी विशिष्टता दिखाते हैं।
चूंकि, आज की तारीख में कई संस्कृतियों में परफ्यूम या इत्र, कपड़ों के बराबर ही जरूरी हो गए हैं। और जहां जरूरत होती है, वहां मांग भी होती है, और जहां मांग होती है, वहीं पर सफल होते हैं उस मांग को पूरा करने वाले “व्यवसाय”। एलएमवीएच “Louis Vuitton Moët Hennessy (LMVH)” की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में उनके इत्र और सौंदर्य प्रसाधनों की बिक्री में 26% की वृद्धि देखी गई है।
फ्रेगरेंस एंड फ्लेवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Fragrance And Flavors Association Of India (FAFAI) के नेता ऋषभ कोठारी जी के अनुसार, हमारे देश के सुगंध और स्वाद उद्योग में हर साल लगभग 12% की वृद्धि होने और तीन से चार वर्षों में 5.2 बिलियन डॉलर से अधिक तक पहुंचने की उम्मीद है। इस वृद्धि का अनुमान इसलिए लगाया जा रहा है, क्योंकि अधिक से अधिक लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसा होगा और लोगों की पसंद भी बदलने वाली है। उन्होंने आगे कहा कि "हमारे देश में सुगंध और स्वाद का उद्योग वास्तव में तेजी से बढ़ रहा है। फिलहाल, इसका मूल्य 3.7 अरब डॉलर है।" चूंकि, अधिकांश लोग प्राकृतिक उत्पाद चाहते हैं, इसलिए भारतीय सुगंध और स्वाद उद्योग के सामने एक बड़ा मौका खड़ा है। देश में पर्सनल केयर (Personal Care) का कारोबार भी तेजी से बढ़ रहा है, जो कि इस उद्योग के लिए एक अच्छी खबर है।
इत्र बनाने के लिए चमेली, नेरोली, गुलाब, चंदन और इलंग-इलंग जैसे कुछ आवश्यक तेलों (Essential Oil) का उपयोग किया जाता है। लेकिन, कुछ इत्र निर्माता सस्ती सिंथेटिक सुगंधों (Synthetic Fragrances) का उपयोग करते हैं, जो इन तेलों की नकल होती है। इसलिए, बेहतर होगा कि आप अपने घर पर अपने हाथों से ही इत्र बनाने की आसान कला सीख लें। जी हाँ “आप अपने घर पर भी सुगंधित, शुद्ध और प्राकृतिक इत्र बना सकते हैं। चलिए जानते हैं कि कौन-सा आवश्यक तेल क्या काम कर सकता है।
आवश्यक तेलों को उनकी सुगंध के आधार पर 7 श्रेणियों में बांटा गया है। नीचे प्रत्येक श्रेणी में कुछ आवश्यक तेल दिए गए हैं:
- जैस्मीन (Jasmine): यह शांति और रोमांस से जुड़ा हुआ है।
- इलंग इलंग (Ylang Ylang): तनाव कम करता है और मनोदशा को बेहतर बनाता है।
- लैवेंडर (Lavender): ताज़ा और सुखदायक।
- नेरोली: तनाव कम करता है और परिसंचरण में सुधार करता है।
- पुदीना: ठंडा और स्फूर्तिदायक।
- अदरक: गर्म और स्फूर्तिदायक।
- लौंग: सुखदायक और आरामदायक।
- वेनिला (Vanilla): आरामदायक और सुकूनभरा।
- देवदार की लकड़ी: गर्म और शामक, नींद में सहायक।
- चंदन: ठंडा, सुखदायक और सुकूनभरा।
-कैम्फोरेसियस (Camphoraceous): तेज सुगंध, औषधीय ।
- लोबान: आराम देने वाला, ध्यान में उपयोगी।
अपना खुद का परफ्यूम बनाने में कुछ परीक्षण आवश्यकता होती है, और ऐसा करने में गलतियां भी जरूर होंगी। आप इनमे से किन्हीं भी दो या उससे अधिक तेलों की बूँद आपस में मिलाकर अपनी पसंदीदा सुगंध प्राप्त कर सकते हैं। याद रखिये कि, आपकी पसंद की गंध समय के साथ बदल सकती है। खुद से बनाए गए परफ्यूम, दुकान से खरीदे गए परफ्यूम की तुलना में हल्के होते हैं, इसलिए वे आपको सिरदर्द नहीं देंगे, लेकिन इन्हें आपको बार-बार लगाना पड़ सकता है। हालांकि, इसके बाद भी यदि आपको अपने लिए शुद्ध और प्राकृतिक इत्र खोजने या ढूँढने में परेशानी हो रही हो, तो आप बिना झिझके रामपुर से मजह 5 घंटे की दूरी पर स्थित कन्नौज शहर के उच्चतम गुणवत्ता वाले सुगंधित इत्रों को आजमा सकते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/35yuzr3s
https://tinyurl.com/536ctbat
https://tinyurl.com/4d6a962d
https://tinyurl.com/4zxrk928
चित्र संदर्भ
1. आवश्यक तेलों को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
2. प्राचीन मिस्र में सौंदर्य प्रसाधन को दर्शाता चित्रण (worldhistory)
3. नेचुरेलिस हिस्टोरिया के एक पृष्ठ को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. ईओ डी कोलोन को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. विंटेज एटमाइज़र इत्र की बोतल को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. परफ्यूम की दुकान को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
7. फूलों और उनके आवश्यक तेल को दर्शाता चित्रण (pickpik)
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