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क्या पारंपरिक मीडिया, डिजिटल मीडिया के मुकाबले आज भी प्रासंगिक है?

लखनऊ

 30-08-2023 11:15 AM
संचार एवं संचार यन्त्र

पहले पारंपरिक मीडिया को दैनिक एवं साप्ताहिक पत्रों का होना ही माना जाता था। इस शब्द के दायरे के अंतर्गत टीवी और रेडियो भी शामिल हैं। दूसरी ओर, डिजिटल मीडिया वेब (Web) एवं इंटरनेट का उपयोग करने वाली किसी चीज़ को परिभाषित करता हैं। इसमें सोशल मीडिया (Social Media), समाचार वेबसाइट (Website) और ऐप्स (Apps) शामिल हैं। आइए, आज इन मीडिया माध्यम के इतिहास एवं वर्तमान रुझानों के बारे में जानते हैं।
हमारे देश भारत में, संचार माध्यम या मास मीडिया (Mass Media) में संचार के अलग-अलग साधन शामिल हैं। इसमें टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र, पत्रिकाएं एवं इंटरनेट आधारित वेबसाइट और पोर्टल (Portal) भी शामिल हैं। भारत में 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से ही मीडिया सक्रिय है। जबकि, देश में मुद्रित मीडिया (Print Media) की शुरुआत वर्ष 1780 में हुई थी। आज अधिकांश मीडिया माध्यम एवं साधनों को बड़े निगम, नियंत्रित करते है। ये निगम विज्ञापन उनकी सदस्यता तथा कॉपीराइट (Copyright) की बिक्री से अपना राजस्व प्राप्त करते हैं। क्या आप जानते हैं कि, आज भारत में 500 से अधिक सैटेलाइट चैनल (Satellite channel) हैं, जिनमें से 80 से अधिक समाचार चैनल हैं तथा 70,000 समाचार पत्र हैं। इससे भारत में दुनिया का सबसे बड़ा समाचार पत्र बाजार है तथा हमारे देश में प्रतिदिन समाचार पत्रों की 100 मिलियन से अधिक प्रतियां बिकती हैं। इसके अलावा, भारत में वर्ष 1927 में रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई थी। लेकिन, 1930 में यह प्रसारण राष्ट्र की जिम्मेदारी में शामिल हुआ। अतः 1937 में इसे ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) नाम दिया गया। हालांकि, 1957 से इसे आकाशवाणी कहा जाने लगा। टेलीविजन का वर्ष 1965 में पूर्ण प्रसारण शुरू हुआ। देश का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, 1991 के आर्थिक विकास से पहले, टेलीविजन चैनल दूरदर्शन के साथ, दृश्य-श्रव्य (Audio–Visual ) उपकरणों का रखरखाव करता था तथा इनका स्वामित्व भी मंत्रालय के पास था। भारत सरकार ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जन शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु, दृश्य-श्रव्य मीडिया का उपयोग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जबकि, वर्ष 1997 में, ‘प्रसार भारती अधिनियम’ के तहत सार्वजनिक सेवा प्रसारण के प्रबंधन के लिए ‘प्रसार भारती’ के नाम से एक स्वायत्त निकाय की स्थापना की गई। तब ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन भी इस निकाय के घटक बन गए। आज हमारे देश में प्रसिद्ध विभिन्न प्रकार के धार्मिक टीवी चैनल एक बड़े बाजार का भाग हैं। अब तो नई प्रौद्योगिकी एवं नवाचारों के साथ अपने पारंपरिक प्रसारण को बनाए रखते हुए इन चैनलों ने ऑनलाइन मंचों तक भी अपना विस्तार बढ़ाया है। सुलभ इंटरनेट ने इस प्रसारण को एक बड़े स्तर पर प्रभावित किया हैं। हमारे देश में हिंदू, सिख, बौद्ध और इस्लाम आदि कुछ बड़े धर्म हैं। भारतीय दैनिक जीवन का धर्म एक अनिवार्य अंग है। जीवन में शांति तथा सांत्वना पाने का वे एक माध्यम है। दूसरी ओर, आध्यात्मिकता में स्वयं से किसी भव्य व शक्तिमान चीज़ से हमारे जुड़ाव की भावना शामिल होती है। अकसर ही, यह आंतरिक शांति, उद्देश्य और अर्थ की भावना से जुड़ा होता है। अतः भारत का संचार बाजार हमारे भारतवासियों की धार्मिक मान्यताओं की व्यापक लोकप्रियता से प्रेरित है। आईमार्क (IMARC) समूह की एक शोध रिपोर्ट, “भारत– धार्मिक और आध्यात्मिक बाजार: 2023-2028”, इस उद्योग का एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें धार्मिक और आध्यात्मिक बाजार के रुझानों पर अंतर्दृष्टि शामिल की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के धार्मिक और आध्यात्मिक बाजार का आकार 2022 में 54.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। तथा भविष्य में इसका आकार अधिक बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा, स्वास्थ्य और कल्याण (Health and Wellness) उद्योग का उदय धार्मिक और आध्यात्मिक बाजार के विकास को उत्प्रेरित कर रहा है। क्योंकि हम अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए योग, ध्यान और सचेतना जैसी कई प्रथाओं को अपना रहे हैं। इसके साथ ही सांस्कृतिक विरासत के विस्तार सहित अन्य कुछ कारकों से इस बाजार में बढ़ोतरी का अनुमान है। आस्था, संस्कार टीवी, जागरण टीवी, गुड न्यूज़ टीवी (Good News TV) जैसे भारतीय धार्मिक टीवी चैनल, टेलीविजन के माध्यम से विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों और संदेशों का प्रचार करते हैं। ये चैनल एक प्रकार से भारत की परंपराओं और संस्कृति का गुणगान गाते हैं। हालांकि, देश में पिछले बीस वर्षों में जनसंपर्क में भारी बदलाव आया है। मीडिया परिदृश्य आज पूरी तरह से बदल गया है। प्रकाशन, टीवी और रेडियो जैसे पारंपरिक संचार माध्यम अब सामाजिक माध्यम या सोशल मीडिया जैसे डिजिटल मीडिया (Digital Media) के साथ प्रतिस्पर्धा करने पर विवश हो गए हैं। ऑफकॉम (Ofcom) के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में पारंपरिक मीडिया का उपभोग करने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी आई है। न केवल हमारे देश भारत बल्कि, ब्रिटेन (Britain) जैसे देशों के भी केवल 24% वयस्क ही मुद्रित मीडिया का उपभोग करते हैं। इसके विपरीत, ऑनलाइन मीडिया की खपत बढ़ती ही जा रही है। एक अनुमान के अनुसार, 66% लोग सक्रिय रूप से डिजिटल मीडिया पढ़ना चाहते हैं। डिजिटल मीडिया ने घटनाओं के प्रत्येक मिनट की वार्ता के लिए जगह बनाई है, जिसमें घटना घटित होने पर लाइव (Live) चर्चा भी हो रही है। इसमें व्यापक रचनात्मकता के लिए भी काफ़ी गुंजाइश है। इस प्रकार के माध्यम व साधन दर्शकों के एक विशाल समूह तक भी पहुंच सकते हैं। सोशल मीडिया की भी व्यापक वैश्विक पहुंच है। यह संचार सेवा पेशेवरों को वास्तविक समय में उनके अभियान की प्रतिक्रिया पर नज़र रखने तथा उसके अनुसार जानकारी समायोजित करने की भी अनुमति देता है। डिजिटल मीडिया काफ़ी अद्भुत है। इसके कारण पारंपरिक मीडिया का उपभोग करने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आ रही है। ऐसी बहस में प्रश्न उठता है कि, क्या पारंपरिक मीडिया आज भी प्रासंगिक है? पारंपरिक मीडिया संचार को अत्यधिक विशिष्ट दर्शकों तक पहुंचने की सहूलियत देती है और आज भी उनका बहुत प्रभाव है। इसके अलावा, हर कोई डिजिटल मीडिया तक बार-बार नहीं पहुंच सकता है। साथ ही, कई लोग आज भी अपनी मीडिया सामग्री के एक बड़ा हिस्से के लिए पारंपरिक माध्यमों पर निर्भर हैं। रेडियो, टीवी, समाचार पत्र और पत्रिकाएं बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आम जनता के बीच भी इन्हें अधिक भरोसेमंद माना जाता है । इसलिए, यह प्रतीत होता है कि, इनमें से किसी एक को चुनना एक गलत द्वंद्व है। दरअसल, ये दोनों माध्यम अकसर ही, एक–दूसरे के पूरक हैं। इसलिए, अधिकांश निगमों एवं अभियानों में इन दोनों माध्यमों को लक्षित करना ही अधिक समझदारी की बात होती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yc7rhtwh
https://tinyurl.com/y4wv9aa7
https://tinyurl.com/cksuuf6z
https://tinyurl.com/2ncrppd6

चित्र संदर्भ
1. मोबाइल चलाते और टीवी देखते भारतीय युगल को दर्शाता चित्रण (pixels)
2. सामूहिक तौर पर टीवी देखते भारतीय गांव को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. एक पुराने रेडियो को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. खबर पढ़ते छात्रों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. डीडी नेशनल के लोगों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. टीवी पर चल रहे महाभारत के एक दृश्य को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. मोबाइल चलाते भारतीय युगल को दर्शाता चित्रण (pixels)



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