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वीडियो कैमरा (Video camera) एक ऑप्टिकल (Optical) उपकरण है, जिसके माध्यम से वीडियो बनाया जा सकता है। वीडियो कैमरे शुरूआत में टेलीविजन उद्योग के लिए विकसित किए गए थे, लेकिन, तब से कई अन्य उद्देश्यों के लिए भी इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाने लगा। आरंभिक वीडियो सीधे तौर पर रिकॉर्ड (Record) नहीं किया जा सकता था। सीधे वीडियो रिकॉर्ड करने का पहला सफल प्रयास वर्ष 1927 में जॉन लोगी बेयर्ड (John Logie Baird) की डिस्क (Disc) आधारित फ़ोनोविज़न (Phonovision) के साथ किया गया था।
उस समय की तकनीक में डिस्क को चलाया नहीं जा सकता था। हालांकि, बाद में हुई प्रगति ने 1980 के दशक में वीडियो को पुनर्प्राप्त करने की भी अनुमति दी थी। इसके अलावा, वीडियो सिग्नल (Signal) को रिकॉर्ड करने के लिए, टेप (Tape) के उपयोग का पहला प्रयोग 1951 में हुआ।
व्यावसायिक रूप से जारी की गई पहली प्रणाली क्वाड्रुप्लेक्स वीडियोटेप (Quadruplex videotape) थी, जिसे 1956 में एम्पेक्स (Ampex) द्वारा निर्मित किया गया था। इसके दो साल बाद एम्पेक्स ने एक ऐसी प्रणाली पेश की जो रंगीन वीडियो रिकॉर्ड करने में सक्षम थी। और वर्तमान समय में तो इन वीडियो कैमरों के कई विभिन्न प्रकार एवं उपयोग प्रचलित हैं। क्या आप इनमें से कुछ उपयोगों का अनुमान लगा सकते हैं?
पारंपरिक कैमरे की तरह कोई छवि खींचने के लिए, किसी कैमरा फिल्म (Camera Film) का उपयोग करने के बजाय, डिजिटल कैमरा एक इमेज सेंसर (Image sensor) का उपयोग करके छवि खींचता है। ये सेंसर अपने संचालन में पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) होते हैं। इनमें प्रकाश की तीव्रता और कई अन्य पहलुओं को मापने के लिए, विभिन्न आंतरिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होते हैं। डिजिटल कैमरे प्रकाश को विद्युत सिग्नल में परिवर्तित करके कार्य करते हैं। जबकि, इमेज सेंसर की जटिलता, इसकी गुणवत्ता निर्धारित करती है, जिसे मेगापिक्सेल (MegaPixels) में मापा जाता है। एक डिजिटल कैमरा जितना अधिक मेगापिक्सेल प्रदान करता है, परिणामी तस्वीर की स्पष्टता और गुणवत्ता उतनी ही अधिक होती है।
अब आप पूछ सकते हैं कि, मेगापिक्सेल क्या होता है? दरअसल, पिक्सेल की समझ होने से ही यह समझना आसान हो जाएगा कि “मेगापिक्सेल क्या है”। पिक्सेल, डिजिटल छवि की गणना करने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली माप की सबसे छोटी इकाई होती है। जबकि, एक मेगापिक्सेल 10,00,000 पिक्सेल के बराबर माप की एक इकाई है। पिक्सेल को सामान्यतः मेगापिक्सेल के रूप में परिमाणित किया जाता है। और मेगापिक्सेल को अक्सर एमपी (MP) के रूप में संक्षिप्त किया जाता है। ‘एक पिक्सेल’ दृश्य जानकारी का एक छोटा वर्ग होता है। डिजिटल छवियां या वीडियो एक साथ व्यवस्थित तरह से गठित, कई पिक्सेल से बने होते हैं। इस मेगापिक्सेल का उपयोग, आमतौर पर डिजिटल कैमरे और स्थिर छवियों के रिज़ॉल्यूशन (Resolution) का वर्णन करने के लिए किया जाता है। साथ ही, वे मुद्रित छवियों के रिज़ॉल्यूशन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण होते हैं।
आज से बीस वर्ष पहले, लगभग हर एक फोटोग्राफी फ़िल्म पर ही होती थी। उस समय, आप सेंसर की तुलना में, फिल्म के एक टुकड़े पर कहीं अधिक उच्च गुणवत्ता की छवि खींच सकते थे। हालांकि, तब अधिकांश फ़ोटोग्राफ़रों ने फ़िल्म की शूटिंग (Shooting) की और अवांछित चीज़ों को स्कैन (Scan) किया। फिर बाद में, जैसे-जैसे डिजिटल कैमरों की कीमतों में गिरावट आई और उनकी गुणवत्ता बढ़ने लगी, तब लोगों को एहसास हुआ कि, वे कम कठिनाई के साथ ही अधिक तस्वीरें ले सकते हैं। अतः इनके अधिकांश वाणिज्यिक एवं औद्योगिक अनुप्रयोग डिजिटल (Digital) हो गए। फिर जल्द ही, कई लोगों के पास अपने फोन पर एक डिजिटल कैमरा आ गया। और अब फिल्म फोटोग्राफी पर आधारित जटिल एल्गोरिदम (Algorithm) और प्रोग्राम (Program) के साथ, ये कैमरे वह सब कुछ करने लगे, जो एक फिल्म कर सकती थी। और यह काम अधिक आसानी और लागत प्रभावी ढंग से होने लगा। साथ ही, वर्तमान में इन डिजिटल कैमरों की गुणवत्ता में सुधार जारी है।
डिजिटल फिल्मोग्राफी या फोटोग्राफी परंपरागत कैमरों के बजाय, डिजिटल इमेज सेंसर का उपयोग करके छवि लेने या वीडियो रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया है। आज, डिजिटल तकनीक के साथ, गुणवत्तापूर्ण छवि खींचना बहुत आसान हो गया है। जिस काम के लिए, एक अंधेरे कमरे और स्टूडियो में वर्षों तक अभ्यास करना पड़ता था, उसे अब एक नौसिखिया भी अपने स्मार्टफोन की मदद से कर सकता है। यहां तक कि, एक साधारण कैमरा या आईफोन (iPhone) भी ऐसी तस्वीरें ले सकता है, जो कई मायनों में 20 साल पहले ली गई पेशेवर फिल्म फोटोग्राफी की गुणवत्ता की बराबरी करती हैं।
इसके अलावा डिजिटल फोटोग्राफी उत्पादन लागत में कटौती करने का भी एक अतिरिक्त तरीका है। और चूंकि, फिल्म निर्माण कलात्मक दृष्टि और व्यावसायिक समझ का मिश्रण है, इस विकास ने वास्तव में, डिजिटल फिल्म निर्माण को एक ऐसे मानक के रूप में मजबूत किया है, जिससे पीछे हटना अब कठिन है।
डिजिटल फिल्म निर्माण काफी सुलभ एवं सस्ता है। ऐसे फिल्म निर्माण में संपादन सरल और किफायती होता है। साथ ही, डिजिटल वितरण के साथ व्यापक दर्शकों तक पहुंचना भी आसान हो जाता हैं। डिजिटल प्रोजेक्शन भी हमारे या फोटो–वीडियोग्राफर के पैसे बचाने में बहुत मदद करता है। इसके अलावा, डिजिटल फिल्म निर्माण उत्पादन की लागत को कम करने में मदद करता है और फिल्म निर्माताओं को लचीलापन यानी सुलभता प्रदान करता है।
इस नवाचार, विकास एवं प्रौद्योगिकी का सबसे बड़ा प्रभाव शायद नए कैमरों में महसूस किया जा सकता है। यह दर्शकों को वांछित डिज़ाइन (Design) में अधिक शानदार और अविश्वसनीय तरह से संरचित काम करने की अनुमति देता है।
इस प्रौद्योगिकी ने आधुनिक समय में फिल्म के सभी खंडों को आगे बढ़ाने में शानदार भूमिका निभाई है। इससे, उन फिल्मों को अनुमति मिली है, जिनका निर्माण पहले मुश्किल था।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2y3d32jp
https://tinyurl.com/yafxf688
https://tinyurl.com/ya4tn27v
https://tinyurl.com/dtxn2wss
https://tinyurl.com/mtz7p66y
https://tinyurl.com/mrf3amhk
चित्र संदर्भ
1. मोबाइल में खबरें रिकॉर्ड करती महिला को दर्शाता चित्रण (flickr)
2. व्यावसायिक रूप से जारी की गई पहली प्रणाली क्वाड्रुप्लेक्स वीडियोटेप को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. 0.3, 1, 3, 5, 10, 16 और 24 मेगापिक्सेल पर एक फोटो की तुलना को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. आज से बीस वर्ष पहले, लगभग हर एक फोटोग्राफी फ़िल्म पर ही होती थी। को दर्शाता चित्रण (pixnio)
5. मोबाइल में वीडियो रिकॉर्ड करते लोगों को दर्शाता चित्रण (flickr)
6. IMAX कैमरा को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
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