Post Viewership from Post Date to 09-Sep-2023 31st Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1917 547 2464

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

जर्नी टू द वेस्ट: बजरंगबली से प्रेरित चीनी किवदंतियां

लखनऊ

 09-08-2023 09:42 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

जिस प्रकार भारत में बच्चा-बच्चा बजरंगबली हनुमान जी की किवदंतियां सुनते हुए बड़ा होता है, ठीक उसी प्रकार हर चीनी बच्चा वू चेंग (Wu Cheng) द्वारा लिखे गए उपन्यास "जर्नी टू द वेस्ट (Journey To The West)" की कहानी सुनते हुए बड़ा होता है। हालांकि आपको जानकर हैरानी होगी कि इस कहानी को दिलचस्प रूप से प्राचीन भारतीय किवदंतियों से भी जोड़ा गया है।
लगभग 2000 से अधिक वर्षों से मकाक और गिब्बन (Macaques And Gibbons) जैसे बंदर, चीनी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। चीनी भाषा में, ऐसे कई शब्द हैं, जिनका अर्थ "बंदर" होता है। हालांकि इनमें से कुछ शब्दों के अर्थ, समय के साथ बदल गए हैं। उदाहरण के लिए, ज़िंगक्सिंग 猩猩 शब्द का अर्थ पहले "मानव चेहरे और सुअर के शरीर वाला एक दिव्य प्राणी" होता था, लेकिन अब इसका अर्थ बदलकर वानर जाती का "ऑरंगुटान (Orangutan)" हो गया है। चीनी भाषा में विभिन्न प्रकार के बंदरों के लिए भी अलग-अलग शब्द होते हैं। उदाहरण के लिए, छोटी पूंछ वाले एक छोटे बंदर को "हौ (Hou 猴 )" कहा जाता है। यदि वह बंदर जैसा दिखता है लेकिन उसकी मूंछें बड़ी हैं, तो उसे "ज्यू [貜]" कहा जाता है। लाल आँखों और लंबी पूंछ वाला एक बड़ा बंदर "यू 禺" कहलाता है। लंबी पूंछ और सीधी नाक वाला एक छोटा बंदर "आप" कहलाता है। "यू" के समान ही लेकिन इससे थोड़ा बड़ा बंदर "गुओरान 果然" होता है और इससे थोड़ा छोटा "मेंगसोंग 蒙" होता है। बहुत उछल-कूद करने वाला बंदर "कैन्हू 獑猢" कहलाता है। लंबी भुजाओं वाला वानर "युआन 猿" कहलाता है और युआन के समान लेकिन सुनहरी पूंछ वाले बंदर को "रॉन्ग 狨" कहा जाता है।
चीनी संस्कृति में बंदरों की भूमिका को उल्लेखित करती हुई "जर्नी टू द वेस्ट" नामक एक प्राचीन कहानी बहुत प्रचलित है, जो 16वीं शताब्दी के आसपास लिखी गई थी। यह कहानी पूर्वी एशिया में बहुत पसंद की जाती है। अंग्रेजी में इसका "मंकी (Monkey )" नामक एक लघु संस्करण है। यह कहानी जुआन जेंग (Xuanzang) नाम के एक भिक्षु की है, जो प्राचीन काल के दौरान चीन में रहता था। जुआन जेंग, आत्मज्ञान और बौद्ध ग्रंथों की शिक्षा प्राप्त करने के लिए "पश्चिमी क्षेत्र" (मध्य एशिया और भारत) की एक लंबी यात्रा पर गए। अपनी यात्रा के दौरान उन्हें कई चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ा। कहानी में, उसे तांग सानज़ांग (Tang Sanzang) कहा गया है। अपनी यात्रा के दौरान उन्हें उनके तीन साथियों (मंकी किंग (Monkey King), झू बाजी (Zhu Bajie), और शा वुजिंग (Sha Wujing)) से काफी मदद मिली। कहानी में एक ड्रैगन (Dragon) भी था, जो उन्हें इधर-उधर ले जाता था। वे सभी आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करते हैं। इस कहानी के प्रमुख पात्र सन वुकोंग, जिसे मंकी किंग के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म स्वर्ग और पृथ्वी द्वारा बनाए गए एक पत्थर के अंडे से फ्लावर फ्रूट माउंटेन (Flower Fruit Mountain) पर हुआ था। उस वानर ने वाटर कर्टेन (Water Curtain) गुफा की खोज भी की जिसके बाद वह अपनी वानर जनजाति में एक बहादुर नेता बन गया। लेकिन एक बार जब उसने अपने एक साथी बंदर को बुढ़ापे में मरते देखा, तो वह अमरता और जीवन के वास्तविक सत्य की खोज में निकल गया। इस बीच उसने जादू और एक विशेष गुण सीखा जिससे उसे तेजी से यात्रा करने में मदद मिली। अपनी यात्रा के दौरान, सन वुकोंग का सामना "ग्रैंड मास्टर ऑफ़ बोधि (Grand Master Of Bodhi)" से होता है, जो उसे दिव्य शक्तियां प्रदान करते हैं। हालांकि कहानी में आगे बताया जाता है कि अपनी लापरवाही और अहंकार के कारण विभिन्न देवी-देवताओं के साथ उसका टकराव शुरू हो जाता है। इस टकराव के बाद वह स्वर्ग के शासक, जेड सम्राट (Jade Emperor) की नजरों में आ जाता है। जो सन वुकोंग यानी मंकी किंग को नियंत्रित करने के लिए उसे स्वर्ग में घोड़ों के रक्षक का पद सौंपते हैं।
हालाँकि, जेड सम्राट के ये सभी प्रयास मंकी किंग को वश में करने में विफल साबित हो जाते हैं। अंततः उसे स्वर्गीय आड़ू उद्यान की रक्षा करने का काम सौंपा जाता है। ये आड़ू अमरता प्रदान करने वाले फल होते हैं। लेकिन चेतावनी दिए जाने के बावजूद, सन वुकोंग अपने आवेगी स्वभाव के कारण,अधिकतर पके हुए आड़ू खा लेता है। आड़ू खाने के बाद, सन वुकोंग की शक्ति और भी मजबूत हो जाती है, और वह स्वर्ग में उत्पात मचा देता है। उसके कार्यों से निराश होकर, जेड सम्राट, बुद्ध के पास जाते हैं। आखिरकार बुद्ध, सन वुकोंग को एक शर्त में उलझा देते हैं, और वुकोंग यह शर्त हार जाता है जिसके परिणामस्वरूप, बुद्ध उसे पंचतत्व पर्वत के नीचे दबा देते हैं, और उसे 500 वर्षों के लिए कैद कर देते हैं। इस लंबे समय के दौरान, सन वुकोंग एक गहरे परिवर्तन से गुजरता है। और उसका चरित्र एक विद्रोही और शरारती चालबाज बंदर से एक समझदार और अधिक आत्म-जागरूक बंदर के रूप में विकसित हो जाता है।
सन वुकोंग को मुक्ति तब मिलती है, जब तीर्थयात्रा पर निकले वही भिक्षु तांग सानज़ांग का सामना उससे होता है। सन वुकोंग की क्षमता और जन्मजात गुणों को पहचानते हुए, तांग सानज़ांग उसे एक शिष्य के रूप में स्वीकार कर लेते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कई विशेषज्ञों के अनुसार कई मायनों में सन वुकोंग यानी मंकी किंग का चरित्र संभवतः हिंदू वानर देवता हनुमान से प्रभावित नजर आता है। मंकी किंग के कई गुण भारतीय महाकाव्य रामायण और महाभारत में वर्णित किवदंतियों से मेल खाते हैं।मंकी किंग का नाम "सन वुकोंग" संभवतः वुकोंग नामक एक ऐतिहासिक भिक्षु से प्रभावित है, जिसने 8वीं शताब्दी के दौरान भारत की यात्रा की थी। उपनाम "सन" (孫) का संबंध "मकाक" के लिए चीनी शब्द और लिंग यिन मंदिर से जुड़ी कहानियों से हो सकता है, जो संभवतः हिंदू संदर्भ से प्रभावित है। मंकी किंग की कहानी में प्राचीन हिंदू अवधारणाओं और मान्यताओं (जैसे पत्थर से जन्मे देवता और अन्य पौराणिक पहलू) से संबंधित तत्व भी शामिल हैं। जर्नी टू द वेस्ट वास्तव में एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय कहानी है जो मज़ेदार होने के साथ-साथ गहरे सबक भी सिखाती है । प्रसिद्ध चीनी कहानी जर्नी टू द वेस्ट के लेखक का नाम अभी तक स्पष्ट नहीं है। इसका पहला पूर्ण संस्करण 1592 में एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा प्रकाशित किया गया था।
चीनी संस्कृति में बंदर आज भी महत्वपूर्ण जानवर नजर आते हैं। हालांकि यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि ये महत्ता भोजन के रूप में है, अथवा सांस्कृतिक दृष्टि से। दरसल देश में बंदरों की लोकप्रियता को देखते हुए एक चीनी कंपनी श्रीलंका से 1,00,000 लुप्तप्राय बंदरों को चीन लाना चाहती है। टोक़ मकाक (Toque Macaque) नामक ये बंदर केवल श्रीलंका में पाए जाते हैं। श्रीलंका सरकार इस सुझाव पर विचार तो कर रही है, परन्तु दूसरी तरफ, पर्यावरण की परवाह करने वाले कई लोग नाराज़ हैं। दरसल टोक़ मकाक बंदर श्रीलंका के लिए विशेष हैं और लुप्त होने की कगार पर हैं। कुछ लोगों को चिंता है कि कहीं ये बंदर चिड़ियाघरों में जाने के बजाय प्रयोगों के लिए प्रयोगशालाओं में न पहुँच जाएँ। हालाँकि इससे श्रीलंका को कुछ मात्रा में धन जरूर मिल सकता है, जिसे वास्तव में इसकी आवश्यकता है। श्रीलंका में लगभग दो से तीन मिलियन बंदर हैं। ये टोक़ मकाक कभी-कभी देश के विभिन्न हिस्सों में फसलों को बर्बाद कर देते हैं। कुछ समूह कह रहे हैं कि ऐसा करने के बजाय शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को बंदरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने की समस्या को हल करने के बेहतर तरीके खोजने चाहिए। उनका मानना है कि सिर्फ पैसे के लिए बंदरों को बेचना और देश की सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचाना सही नहीं है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/42r7dxzp
https://tinyurl.com/ymubukhc
https://tinyurl.com/ycxpxk3e
https://tinyurl.com/326dsuvy
https://tinyurl.com/yyjvzewa
https://tinyurl.com/yub77xp9

चित्र संदर्भ
1. जर्नी टू द वेस्ट के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. चीनी गोल्डन मंकी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. जर्नी टू द वेस्ट के प्रमुख देवताओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मंकी किंग दंतकथा को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
5. सन वुकोंग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. रामायण के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
7. टोक़ मकाक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नदियों के संरक्षण में, लखनऊ का इतिहास गौरवपूर्ण लेकिन वर्तमान लज्जापूर्ण है
    नदियाँ

     18-09-2024 09:20 AM


  • कई रंगों और बनावटों के फूल खिल सकते हैं एक ही पौधे पर
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:18 AM


  • क्या हमारी पृथ्वी से दूर, बर्फ़ीले ग्रहों पर जीवन संभव है?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:36 AM


  • आइए, देखें, महासागरों में मौजूद अनोखे और अजीब जीवों के कुछ चलचित्र
    समुद्र

     15-09-2024 09:28 AM


  • जाने कैसे, भविष्य में, सामान्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, पार कर सकता है मानवीय कौशल को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:23 AM


  • भारतीय वज़न और माप की पारंपरिक इकाइयाँ, इंग्लैंड और वेल्स से कितनी अलग थीं ?
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:16 AM


  • कालिदास के महाकाव्य – मेघदूत, से जानें, भारत में विभिन्न ऋतुओं का महत्त्व
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:27 AM


  • विभिन्न अनुप्रयोगों में, खाद्य उद्योग के लिए, सुगंध व स्वाद का अद्भुत संयोजन है आवश्यक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:19 AM


  • लखनऊ से लेकर वैश्विक बाज़ार तक, कैसा रहा भारतीय वस्त्र उद्योग का सफ़र?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:35 AM


  • खनिजों के वर्गीकरण में सबसे प्रचलित है डाना खनिज विज्ञान प्रणाली
    खनिज

     09-09-2024 09:45 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id