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पिछले दस वर्षों में, भारत में रियल एस्टेट (Real estate) अर्थात अचल संपत्ति के बाजार में जबरदस्त विस्तार हुआ है; और एनआरआई (NRI) यानी की प्रवासी भारतीयों (Non-Resident Indians) ने इस उछाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मिश्रित कार्य व्यवस्था, अपने मूल देश में वापस आने की इच्छा, और उच्च जीवन स्तर की आकांक्षा के कारण ज्यादातर प्रवासी भारतीय भारत में घर खरीदने के इच्छुक होते हैं । प्रवासी भारतीयों को हमारे रुपये की वैश्विक स्तर पर गिरावट से लाभ होता है, विशेष रूप से उन्हें जो उच्च मुद्राओं वाले देशों में रहते हैं। उनके देश की मुद्रा की तुलना में वे लोग भारत में कम राशि में एक घर खरीद सकते हैं। एनआरआई भारत में रियल एस्टेट निवेश को एक आकर्षक संभावना के रूप में देखते हैं जो उनके वित्तीय निवेश में वृद्धि करता है और उन्हें अपने निवेश सूची में विविधता लाने में मदद करता है। प्रवासी भारतीयों द्वारा हमारे देश के गुड़गांव, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में निवेश के लिए एक स्पष्ट वरीयता प्रदर्शित की गई है। अपने गृहनगरों में भी बड़े घर खरीदने में एनआरआई लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है।
कोविड–19 महामारी के कारण घर से काम करने की प्रथा या ‘वर्क फ्रॉम होम’ (Work from home) से भी बड़े घरों की मांग बढ़ रही है। क्योंकि लोग अब अपने पूरे परिवार के साथ रहने का विकल्प चुनते हैं, जिसने विस्तारित परिवार प्रणाली को मजबूत किया है।
एनआरआई निवेशकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि, वे निवेश के लिए शेयर बाजार (Share Market) और सोने जैसे अन्य परिसंपत्ति वर्गों के बदले रियल एस्टेट को प्राथमिकता देते हैं। दुनिया भर में मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक अशांति के बीच, निवेश के लिए रियल एस्टेट को सबसे स्थिर संपत्ति वर्ग माना जाता है। सरकार द्वारा किए गए रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण अधिनियम (रेरा) (Real estate regulatory authority (RERA) जैसे सुधारों ने भी प्रवासी भारतीयों में रियल एस्टेट में निवेश के प्रति अधिक भरोसा उत्पन्न किया है। रेरा अधिनियम की बदौलत अब रियल एस्टेट लेनदेन में अधिक पारदर्शिता संभव है। परिणामस्वरूप स्थानीय और एनआरआई घर खरीदारों का विश्वास बढ़ा है। हालांकि, यह भी सर्वविदित है कि भारतीय रियल एस्टेट बाजार को अभी भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हमारा लखनऊ शहर भी इस मार्ग पर प्रगति कर रहा है। हमारा लखनऊ अपनी गौरवशाली विरासत, जीवंत संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है। इस ऐतिहासिक शहर में विलासिता पूर्ण आवासों का एक पुराना कीर्तिमान है, जैसा कि यहां के सदियों पुराने महलों से पता चलता है। जैसे जैसे भारत में अचल संपत्ति बाजार में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे ही, नवाबों का शहर भी एक रियल एस्टेट बाजार के रूप में उभर रहा है, जो कई डेवलपर्स (Developers) और खरीदारों को आकर्षित कर रहा है। इसके अलावा, विलासी आवासों के लिए अपनी सर्वोत्कृष्ट प्राथमिकता के कारण, लखनऊ का आवासीय खंड एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में, लखनऊ एक प्रगतिशील शहर में बदल गया है। राज्य की राजधानी होने के कारण शहर में कई बड़े सरकारी एवं निजी दफ्तर हैं जिन में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी, पेशेवर, निजी क्षेत्र के अधिकारी और अन्य लोग शहरी विन्यास में एक अच्छी जीवन शैली की इच्छा रखते हैं। परिणाम स्वरूप लखनऊ में राज्य सरकार के साथ-साथ निजी खिलाड़ी भी शहर के सार्वजनिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं।
‘उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण’ द्वारा बुनियादी ढाँचे के निर्माण एवं विकास मेंउल्लेखनीय प्रगति की जा रही है , जिससे विभिन्न स्थानों के लोग लखनऊ में बसने के लिए आकर्षित होते हैं। साथ ही, ऐसी अनेकों परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है , जो लखनऊ को सबके लिए रहने योग्य एवं आरामदायक शहर में बदल रही है। और यह बात, और अधिक लोगों को लखनऊ में रहने के लिए आकर्षित कर रही है।
आधारभूत प्रगति लखनऊ में रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर भी पैदा कर रही है। इसके अलावा, सरकार लखनऊ को एक प्रमुख कॉर्पोरेट हब (Corporate hub) में बदलने के लिए पर्याप्त उपाय कर रही है। नतीजतन, कई वैश्विक और देशज बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने शहर में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। इसके अलावा, कई संगठन भी लखनऊ में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं, तथा लोगों को यहां स्थानांतरित होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। शहर की कामकाजी आबादी की बढ़ती आय भी क्षेत्र में विलासी आवासीय खंड के विकास को बढ़ावा दे रही है। लखनऊ के विलासी रियल एस्टेट खंड में एनआरआई निवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा देखा जा रहा है, जिससे वे इस खंड के विकास के प्रमुख चालक बन गए हैं। प्रवासी भारतीय व्यक्तिगत उपयोग या निवेश के उद्देश्यों के लिए लखनऊ में घर खरीद रहे हैं। चूंकि ज्यादातर खरीदारों द्वारा उच्च सुविधाओं वाले महंगे घरों की मांग की जाती है , इसीलिए अधिकांश प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा शहर में प्रतिष्ठित आवासीय परियोजनाएं चलाई जा रही हैं।
रियल एस्टेट बाजार मुख्य महानगरों सहित पूरे देश में, आवासीय, वाणिज्यिक और खुदरा परियोजनाओं में फैले अभिनव समाधानों के साथ लगातार विकसित हो रहा है। भारत में रियल एस्टेट बाजार दूसरा सबसे बड़ा रोजगार उत्पादक क्षेत्र है, जिसका देश के सकल घरेलू उत्पाद में 13% का योगदान है, और देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश या एफडीआई (Foreign direct investment) के प्रवाह के योगदान में इस क्षेत्र का तीसरा स्थान है। 2024 और 2025 तक रियल एस्टेट बाजार का मूल्य 65,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है। एफडीआई से अभिप्राय दूसरे देशों से हमारे देश में होने वाले निवेश से है। रियल एस्टेट बाजार में एफडीआई के द्वारा निवेश में वृद्धि से विदेशों से अधिक धन आकर्षित होगा जिससे कि घरेलू उपभोक्ता को भी कम ब्याज दरों पर वित्त उपलब्ध हो सकेगा । साथ ही इससे यह सुनिश्चित होगा कि सारी परियोजनाएं समय पर पूरी हो जाए। इसके अलावा, इससे भारतीय रुपये को मजबूती प्रदान करके महंगाई को भी काबू में रखना संभव हो पाएगा । रियल एस्टेट डेवलपर शहरों में विभिन्न परियोजनाओं के प्रबंधन की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए परियोजना प्रबंधन, वास्तुकला और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में अनुभवी विशेषज्ञों को नियुक्त कर रहे हैं। वे स्रोत सामग्री और श्रम को व्यवस्थित करने के लिए केंद्रीकृत प्रक्रियाओं में भी निवेश कर रहे हैं। जिसका मतलब है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों में श्रमिकों को उच्च मजदूरी और अन्य लाभों का लाभ मिलेगा।
संदर्भ
https://bit.ly/42ArXD4
https://bit.ly/3z6tPWw
https://bit.ly/3FPiSws
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ में गोमती नगर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. लखनऊ में अम्बेडकर स्मारक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. गोमती नगर से लखनऊ स्काईलाइन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. लखनऊ में निर्माणाधीन इमारतों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. इंपीरियल टावर्स मुंबई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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