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बिजली, आज इंसानों के लिए सुविधा साधन के बजाय, जरूरत बन गई है! वर्तमान में, भारत में 80 प्रतिशत
से अधिक घरों में बिजली की पहुंच बन गई है। हालांकि कई बार बिजली कटौती या अपेक्षा से अधिक,
बिजली बिल आ जाने पर, हंगामा खड़ा कर देने वाले लोग, अक्सर बिजली चोरी की घटनाओं पर चुप्पी साध
लेते हैं! लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी की, किसी एक व्यक्ति की बिजली चोरी का नुकसान
प्रत्येक व्यक्ति में बराबर बट जाता है, और मिलकर एक बड़े आर्थिक नुकसान का कारण भी बन जाता है।
भारत में बिजली कंपनियों को हर साल बिजली की चोरी से, करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। विद्युत
अधिनियम 2003 की धारा 135 के अनुसार, बिजली की चोरी तब होती है, जब कोई व्यक्ति बिजली की
लाइनों को टैप (अवैध लंगर) करता है, बिजली के मीटर या ट्रांसफार्मर से छेड़छाड़ करता है, बिजली से जुड़े
उपकरणों को नुकसान पहुंचाता है, या अधिकृत के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए बिजली का उपयोग
करता है।
यदि इन परिस्थितियों में बिजली चोरी का पता चलता है, तो विद्युत उपयोगिता, अभियुक्त की बिजली
आपूर्ति तुरंत काट सकती है। "बिजली की ऐसी चोरी के कारण उसे वित्तीय लाभ का तीन गुना भुगतान
करना पड़ता" है। यदि व्यक्ति अपराध को दोहराता है तो व्यक्ति को "दो साल तक, बिजली की आपूर्ति
प्राप्त करने से रोक दिया जाता है"।
बिजली की चोरी के विभिन्न प्रकार होते हैं, और वे बिजली के उपकरणों के प्रत्येक भाग, जैसे कि, a) मीटर,
b) केबल, और c) ओवरहेड लाइन (overhead line) आदि से संबंधित होते हैं। इसके साथ ही अधिकृत
उद्देश्य के अलावा, अन्य सेवा कनेक्शन का उपयोग भी चोरी की श्रेणी में आता है।
1 मीटर: मैकेनिकल डिस्क (mechanical disc) को हिलने से रोकने के लिए, मीटर और सील से छेड़छाड़
की जा सकती है। एक अन्य तरीका यह भी है कि, फ्यूज से अवैध रूप से जोड़कर, मीटर को बाईपास
(bypass) किया जा सकता है, जिससे घूर्णन डिस्क को हिलने से रोका जा सके, और इस प्रकार ऊर्जा खपत
की रिकॉर्डिंग को रोका जा सके। इसके अलावा एक अन्य सामान्य तरीका मीटरों को नुकसान पहुंचाना या
हटाना भी है। अन्य तरीकों में मीटर को खोलना, उसकी सील को नुकसान पहुंचाए बिना और डायल को
उलटना शामिल हो सकता है! हालांकि इस जटिल प्रक्रिया जिसके लिए, विशेषज्ञ कौशल की आवश्यकता
होती है।
2. तार/केबल: तार और केबल के मामले में, बिजली की चोरी नंगे तारों या भूमिगत केबलों को, अवैध रूप से
टैप करने (लंगर जोड़ने) के कारण होती है। तारों के मामले में, सर्किट तार को सर्किट टर्मिनल ब्लॉक
(circuit terminal block) से काट या तोड़ दिया जाता है, और सर्किट में एक ट्रिपल ब्रेकर (triple
breaker) डाल दिया जाता है।
3. ट्रांसफॉर्मर: इस मामले में चोरी ट्रांसफॉर्मर के लो वोल्टेज साइड (low voltage side) पर ओवरहेड
लाइनों की अवैध टर्मिनल टैपिंग (illegal terminal tapping) की जाती है। टैपिंग दो प्रकार की, फिश पोल
कनेक्शन और फ्लाइंग कनेक्शन (Fish Pole Connection and Flying Connection) हो सकती है।
4. सेवा कनेक्शन का दुरुपयोग या डायवर्ट करना: बिजली कनेक्शन का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए किया
जाना चाहिए, जिसके लिए वह अधिकृत है। उदाहरण के लिए, यदि कनेक्शन घरेलू उद्देश्यों के लिए प्रभावी
है, तो इसका उपयोग केवल अधिकृत घरेलू परिसर के लिए ही किया जाना है। सेवा कनेक्शन को अन्य
उद्देश्यों, जैसे वाणिज्यिक उद्देश्यों, औद्योगिक उद्देश्यों, निर्माण उद्देश्यों आदि के लिए विस्तारित नहीं
किया जाना चाहिए।
बिजली चोरी का बिजली व्यवस्था और उसके संस्थानों पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। जैसे:
1.) बिजली की चोरी के परिणामस्वरूप बिजली कंपनियों को राजस्व की हानि होती है!
2.) इससे स्थानीय क्षेत्र की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे ट्रांसफार्मर की ओवरलोडिंग के कारण
ब्लैकआउट या ब्राउन आउट (blackout or brown out) “बिजली कटौती के दो रूप ”हो जाते हैं!
3.) तारों और केबलों से छेड़छाड़ के कारण, संचरण और वितरण हानियों में भी वृद्धि होती है।
हालांकि बिजली चोरी रोकने के लिए, सरकार कुछ आधुनिक उपाय भी अपना रही है। जैसे:
1. स्मार्ट मीटर: स्मार्ट मीटर को, बिजली की चोरी को रोकने और बिजली के उपकरणों के साथ छेड़छाड़ का
पता लगाने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपकरण के रूप में देखा जाता है। सामान्य
शब्दों में, एक स्मार्ट मीटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है, जो कम अंतराल पर बिजली की खपत को
रिकॉर्ड करता है, और वास्तविक समय के आधार पर निगरानी और बिलिंग कर सकता है। इसी तरह, स्मार्ट
मीटर का उपयोग करके, उपयोगिताएँ उन घरों या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की भी निगरानी कर सकती हैं,
जो अपने बिलों का भुगतान नहीं करते हैं और अपनी सेवाओं को दूरस्थ रूप से बंद कर सकते हैं। स्मार्ट
मीटर में इन-बिल्ट टैम्पर डिटेक्शन (In-built Tamper Detection) की सुविधा भी होती है, जो छेड़छाड़
का प्रयास होने पर त्वरित सन्देश भेज देती हैं।
2. वित्तीय पुरस्कार: उपयोगिता कंपनियां, उपभोक्ताओं को बिजली चोरी की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित
करती हैं! कभी-कभी बिजली चोरी करने वाले किसी भी व्यक्ति की जानकारी के लिए बड़े पुरस्कार की
पेशकश की जाती हैं।
3. आवधिक जाँच: चोरी का पता लगाने और उसे रोकने के लिए, उपयोगिताएँ, प्रवर्तन करती हैं! अर्थात क्षेत्रों
की समय-समय पर जाँच की जाती है।
4.तकनीकी हस्तक्षेप: विद्युत मंत्रालय, राज्यों को सक्षम बनाने के लिए एकीकृत बिजली विकास योजना
(Integrated Power Development Scheme (IPDS) और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
(Deendayal Upadhyaya Gram Jyoti Yojana (DDUGJY) जैसी, विभिन्न योजनाओं के माध्यम से
वितरण बुनियादी ढांचे, फीडर मीटरिंग (feeder metering), फीडर अलगाव और एटी एंड सी हानि
प्रक्षेपवक्र (AT&C loss trajectory) की निगरानी के कम्प्यूटरीकरण को भी सक्षम कर रहा है।
भारत में, बिजली की चोरी के कारण हर साल बिजली उपयोगिताओं (power utilities) को, अरबों डॉलर का
नुकसान होता है, जिससे यह एक बड़ी आर्थिक समस्या बन जाती है। नतीजतन, सरकार के लिए बिजली
चोरी पर नागरिकों को, व्यापक प्रचार और जागरूकता प्रदान करना आवश्यक हो जाता है।
उत्तर प्रदेश, भारत में राजनीतिक रूप से सबसे प्रभावशाली, लेकिन बिजली की कमी वाले राज्यों में से एक
माना जाता है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (transparency International) की जांच में पाया गया कि, राज्य
के सार्वजनिक बिजली प्रदाताओं को, व्यापक रूप से भ्रष्ट के रूप में देखा जाता है। एक अध्ययन में पाया
गया कि राज्य में बिजली की चोरी आमतौर पर स्थानीय चुनावों से पहले बढ़ जाती है, इससे पता चलता है
की, यह उन लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर चोरी से जुड़ा हुआ है, जो एक ऐसे राजनेता को वोट देने की संभावना
रखते हैं, जो बिजली चोरी की समस्या से आंखें मूंद लेते हैं।
हमारे रामपुर शहर के मनिहारान और बड़गांव में, बिजली चोरी रोकने के लिए पावर कारपोरेशन (Power
Corporation) की टीमों ने, नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में छापा मारा। जिसके अंतर्गत मनिहारान में 75 और
बड़गांव में 40 बिजली चोरों के खिलाफ कार्रवाई की गई। वहीं, बड़गांव में साठ बकायेदारों के एक लाख रुपये
से ऊपर के कनेक्शन काटे गए। बड़गांव में बिजली विभाग की टीम द्वारा शिमलाना, जड़ौदा पांड़ा, अंबेहटा
मोहन आदि गांवों में एक लाख रुपये से अधिक के बकायेदारों के कनेक्शन काटे गए।
बिजली चोरी का खतरा, घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को प्रभावित करते हुए
सामाजिक प्रगति को रोकता है। बिजली चोरी के कारण दुनिया भर में बिजली कंपनियों को सालाना 25
अरब डॉलर का नुकसान होता है। विकासशील देशों में लगभग 50% बिजली चोरी के कारण ही नष्ट हो
जाती है। इस प्रकार, सालाना बिजली चोरी की लागत का अनुमान 20000 करोड़ लगाया गया था।
बिजली की चोरी निम्नलिखित कानूनों के एक जटिल ढांचे द्वारा नियंत्रित होती है:
जैसे 2003 का विद्युत अधिनियम, राज्य विद्युत आपूर्ति कोड, राष्ट्रीय विद्युत नीति और टैरिफ नीति।
इसके अलावा, कुछ राज्यों ने बिजली अधिनियम की धारा 126 और 135 के तहत क्रमशः अनधिकृत
उपयोग और बिजली की चोरी के मामलों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश लागू किए हैं।
धारा 149 कंपनियों द्वारा अपराधों का प्रावधान करती है। उदाहरण के तौर पर, हरियाणा में, अधिकारियों
ने उद्योगों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर छापे के दौरान बिजली चोरी के लगभग 2,500 मामलों का
पता लगाया था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आपूर्ति की गई बिजली का 30-35% चोरी हो गया था,
सरकार ने 2007 में बिजली चोरी से संबंधित अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती बना दिया था। इसके
अलावा, धारा 152 में अपराध के कंपाउंडिंग (compounding) का भी प्रावधान है।
बिजली के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक के रूप में, भारत काफी हद तक अपने बिजली क्षेत्र पर निर्भर
रहा है। 2030 तक भारत में बिजली की मांग 5% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है, अतः इस क्षेत्र की
जरूरतों के साथ तालमेल रखने के लिए, सरकार को एक प्रभावशाली, लचीला प्रभाव लाना होगा।
संदर्भ
https://bit.ly/39gt0Bf
https://bit.ly/3aYaA8X
https://bit.ly/3mDGASi
https://bbc.in/3HiVPtf
चित्र संदर्भ
1. बिजली की चोरी को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
2. मीटर: मैकेनिकल को दर्शाता एक चित्रण (freeimageslive)
3. पावर कट को दर्शाता चित्रण (flickr)
4. बिजली संयंत्र को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
5. बिजली विभाग बंडोल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. पुलिस के संबोधन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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