रक्षा क्षेत्र में, पूरे देश को आत्मनिर्भर बना रहा है, उत्तर प्रदेश

लखनऊ

 19-12-2024 09:28 AM
हथियार व खिलौने
उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा (Uttar Pradesh Defence Industrial Corridor (UPDIC)), 'मेक इन इंडिया' (Make in India) पहल के तहत शुरू की गई एक महत्वपूर्ण परियोजना है। इसका मुख्य उद्देश्य, ख़ासतौर पर एयरोस्पेस और रक्षा उपकरणों के लिए भारत की विदेशों पर निर्भरता को कम करना है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Uttar Pradesh Expressway Industrial Development Authority) के अनुसार, इस योजना के तहत, लखनऊ के आस-पास के क्षेत्रों में लगभग ग्यारह कंपनियां अपने कारखाने लगाने की योजना बना रही हैं। आज के इस लेख में, हम इस परियोजना के बारे में विस्तार से जानेंगे, क्योंकि इसकी बदौलत उत्तर प्रदेश, भारत में रक्षा उपकरण निर्माण का एक बड़ा केंद्र बन रहा है। इस परियोजना की बदौलत ही, उत्तर प्रदेश में करीब-करीब 40,000 नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है। इसके अलावा, आज हम इसमें मुख्य निवेश और चल रहे कार्यों पर भी चर्चा करेंगे। साथ ही हम इस परियोजना में लखनऊ की भूमिका को भी समझेंगे। इसके तहत, यहां बनने वाले रक्षा उपकरणों (Defence Equipment) के महत्व को भी समझा जाएगा।
उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे का परिचय!
उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा, बुंदेलखंड के सूखे इलाके में शुरू की गई एक अहम परियोजना है। इस परियोजना में अलीगढ़, आगरा, झांसी, कानपुर, लखनऊ और चित्रकूट जैसे ज़िले शामिल होंगे। इस परियोजना के तहत, ₹20,000 करोड़ का निवेश किए जाने की उम्मीद है। इन क्षेत्रों में ज़मीन की कीमत और मजदूरी दर दोनों कम है। इसके अलावा, श्रमिकों की अच्छी उपलब्धता भी इसे व्यापार के लिए एक आकर्षक स्थान बनाती है। यह परियोजना, खासतौर पर बुंदेलखंड में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
बुंदेलखंड को इस परियोजना के तहत बनने वाले छह लेन के राजमार्ग से भी फ़ायदा पहुंचेगा। उत्तर प्रदेश सरकार, झांसी से चित्रकूट तक इस राजमार्ग को बनाने की योजना पर काम कर रही है। यह सड़क रक्षा उत्पादन इकाइयों के लिए जरूरी सुविधाएं प्रदान करेगी।
उत्तर प्रदेश में कुशल धातुकर्मी और एक मजबूत रक्षा विनिर्माण की लंबी परंपरा रही है। कानपुर में पहले से ही छह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हथियार और रक्षा उपकरण बना रही हैं।
पिछली सरकारें, इस क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाईं। लेकिन अब यह रक्षा गलियारा प्रदेश के रक्षा उत्पादन को तेजी से बढ़ाएगा। इससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।
केंद्र सरकार ने यहां "कॉमन फैसिलिटी सेंटर (Common Facility Center)" बनाने की योजना बनाई है। इन सेंटरों से निजी कंपनियों को कारोबार शुरू करने और उत्पादन लागत कम करने में मदद मिलेगी।
हाल ही में उत्तर प्रदेश ने रक्षा क्षेत्र में एक और एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दरअसल केंद्र सरकार ने कोरवा, अमेठी में 500,000 से ज़्यादा AK-203 असॉल्ट राइफ़लें बनाने की परियोजना को मंज़ूरी दे दी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह कदम, उत्तर प्रदेश को भारत के रक्षा उपकरण निर्माण का मुख्य केंद्र बनाने में मदद करेगा। यह परियोजना, रूस के साथ मिलकर पूरी की जाएगी। AK-203 राइफ़लें 7.62 x 39 मिमी के कैलिबर की होती हैं। ये पिछले 30 वर्षों से इस्तेमाल हो रही पुरानी इंसास (INSAS) राइफ़ल की जगह लेंगी। AK-203 राइफ़लें हल्की, मज़बूत और चलाने में आसान होती हैं। इनकी प्रभावी रेंज 300 मीटर होती है। यह राइफ़ल आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करती है, जो सैनिकों की युद्ध क्षमता को बढ़ाएगी। यह उन्हें कई तरह की ऑपरेशनल चुनौतियों से निपटने में भी मदद करेगी।
रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 150 से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों पर लगभग ₹25,000 करोड़ ($3 बिलियन) का निवेश किया जा रहा है। यह पहल भारत के वार्षिक रक्षा उत्पादन को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का रक्षा उत्पादन ₹1.27 ट्रिलियन ($15.4 बिलियन) तक पहुंच गया था, जो पिछले साल की तुलना में 16.7% अधिक है।
कानपुर की नरवल तहसील में 218 हेक्टेयर से अधिक भूमि को डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए विकसित किया जा रहा है। यूपी एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यू पी ई आई डी ए) ने बताया कि, 24 कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश करने की इच्छुक हैं। इनमें से पांच कंपनियां, पहले ही अपना काम शुरू कर चुकी हैं। उदाहरण के लिए, अडानी समूह ने ₹1,500 करोड़ के निवेश से, फ़रवरी में एक गोला-बारूद फ़ैक्ट्री शुरू की। यह फ़ैक्ट्री, छोटे, मध्यम और बड़े कैलिबर के गोला-बारूद बनाएगी।
अन्य निवेश
- मॉडर्न मटेरियल एंड साइंसेज़ प्राइवेट लिमिटेड (Modern Materials and Sciences Private Limited) ने ₹38 करोड़ का निवेश करके सैनिकों के लिए उन्नत कपड़े बनाने शुरू किए हैं।
- नेत्रा ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड (Netra Global Private Limited) ने ₹360 करोड़ के निवेश से तोपों के गोले बनाने का काम शुरू किया है।
- अनंत टेक्नोलॉजीज़ (Anant Technologies), ₹3,500 करोड़ का निवेश कर, लो अर्थ ऑर्बिट (Low earth Orbit (LEO)) और जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (Geostationary Orbit (GEO)) उपग्रहों के उपकरण बना रही है।
यह परियोजनाएं न केवल राज्य की औद्योगिक क्षमता बढ़ाएंगी, बल्कि देश की सुरक्षा को भी मजबूत करेंगी।
लखनऊ भारत में मिसाइल निर्माण का केंद्र कैसे बना?
भारत में ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना में तेज़ी से प्रगति हो रही है। यह परियोजना भारत और रूस के बीच आपसी सहयोग से शुरू हो पाई है। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या ज़मीन से लॉन्च किया जा सकता है। जल्द ही यह मिसाइल "मेड इन लखनऊ (Made in Lucknow)" के टैग के साथ गर्व से भारत का नाम रोशन करेगी। इससे भारत की रक्षा तकनीक में ताकत और आत्मनिर्भरता का पता चलता है।
इस परियोजना के लिए, भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में तेज़ी आ रही है। ज़रूरी ज़मीन का 95% हिस्सा पहले ही सुरक्षित किया जा चुका है। यू पी डी आई सी (UPDIC) के तहत, बुनियादी हिस्सों से लेकर उन्नत मिसाइल निर्माण तक, सब शामिल होगा। यह परियोजना भारत के रक्षा निर्माण के भविष्य का प्रतीक बन गई है।
लखनऊ में चल रही 11 बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ भी इस बदलाव में योगदान दे रही हैं। ये परियोजनाएँ, शहर के परिदृश्य को बदल रही हैं और मिसाइल निर्माण के लिए मज़बूत आधार तैयार कर रही हैं। इन विकास कार्यों से लखनऊ एक प्रमुख रक्षा निर्माण केंद्र बन रहा है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/26ll5vny
https://tinyurl.com/25mg55ym
https://tinyurl.com/2b4n6hvg
https://tinyurl.com/2agfue7g

चित्र संदर्भ

1. गणतंत्र दिवस की परेड में डी आर डी ओ (DRDO) द्वारा निर्मित वायु रक्षा सामरिक नियंत्रण रडार सिस्टम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. डी आर डी ओ द्वारा विकसित दक्ष नामक एक दूर से संचालित वाहन (Remotely Operated Vehicle) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय सेना के युद्धाभ्यास को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. 05 सितंबर, 2018 को सोफ़िया, बुल्गारिया में भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद द्वारा राष्ट्रपति भवन के प्रशासनिक कक्ष में बुल्गारिया के राष्ट्रपति महामहिम श्री रुमेन रादेव के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दृश्य  को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. ब्रह्मोस मिसाइल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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