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जौनपुर के निकट बसे अध्यात्मिक शहर बनारस को अतिपर्यटन भारी पड़ रहा है!

जौनपुर

 28-10-2023 09:41 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

मेहमान नवाजी भला किसे रास नहीं आती! खासतौर पर तब, जब आने वाले मेहमान आपको आर्थिक तौर पर लाभ पहुंचाते हैं, और पूरी दुनियां में आपकी संस्कृति एवं रीति-रिवाजों का प्रचार भी करते हैं। लेकिन वो एक कहावत है कि, "अति का कुछ भी भला नहीं होता है।" इसलिए कई बार क्षमता से अधिक मेहमान भी मेजबान देशों और शहरों के लिए सिरदर्द बन जाते हैं। वहीं दूसरी ओर आने वाले मेहमानों को भी वह सेवा नहीं मिल पाती, जिसकी वे अपेक्षा कर रहे होते हैं, या जिस मेहमान नवाजी के वह पैसे देते हैं। जब किसी एक पर्यटन स्थल पर, आवश्यकता से अधिक या बहुत अधिक संख्या में पर्यटक एक साथ आ जाते हैं, जिस कारण आगंतुकों और निवासियों दोनों के अनुभव खराब हो जाता है, तो इसे ‘अति पर्यटन’ या ‘ओवर टूरिज्म’ (Overtourism) कहा जाता है। अतिपर्यटन से स्थानीय लोगों और आगंतुकों, दोनों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। अतिपर्यटन स्थानीय लोगों के दैनिक जीवन को बाधित कर सकता है और आवश्यक सेवाओं तक उनकी पहुंच को कठिन बना सकता है। वहीं इसके कारण आगंतुकों के लिए भी पर्यटन स्थल की सुंदरता का आनंद लेना और उस क्षेत्र की संस्कृति का अनुभव करना कठिन हो सकता है। ओवरटूरिज्म के कारण गाड़ियों की लंबी कतारें, अग्रिम बुकिंग (Advance Booking) के बिना लोकप्रिय स्थलों पर जाने में असमर्थता, वस्तुओं और सेवाओं की ऊंची कीमतें और एकांत की कमी जैसी समस्याएं खड़ी हो सकती है। विश्व पर्यटन संगठन का अनुमान है कि, “2030 तक दुनिया भर में पर्यटकों की संख्या 1.8 बिलियन तक पहुंच जाएगी, जिससे लोकप्रिय स्थलों पर और भी अधिक भीड़भाड़ तथा दबाव बढ़ने की संभावना है।” ओवर टूरिज्म, सामूहिक पर्यटन (Mass Tourism) से अलग होता है। यहां पर सामूहिक पर्यटन से तात्पर्य “एक ही गंतव्य या पर्यटन स्थल पर जाने वाले पर्यटकों के बड़े समूहों से है।” हालांकि बड़े पैमाने पर पर्यटन भी अति पर्यटन की समस्या को जन्म दे सकता है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। उदाहरण के लिए, लंदन (London) शहर हर साल लाखों पर्यटकों की मेजबानी करता है, लेकिन आम तौर पर इसे अत्यधिक पर्यटन नहीं माना जाता है। विश्व पर्यटन संगठन ने यह भी पाया है कि “भीड़भाड़ के बढ़ने से स्थानीय लोगों में भी पर्यटन के खिलाफ विरोध करने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।” ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पर्यटकों की अत्यधिक संख्या, उन पर्यटन स्थलों के आसपास के क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे और सेवाओं पर दबाव डाल सकती है और वहां के स्थानीय निवासियों का जीवन मुश्किल कर सकती है। 1990 के दशक में, स्पेन (Spain), ग्रीस (Greece), माल्टा (Malta) और फ्रांस (France) में स्थानीय निवासियों ने इन्ही सब कारणों से बड़े पैमाने पर पर्यटन या ओवर टूरिज्म का विरोध करना शुरू कर दिया था। लैटिन अमेरिका के ग्रामीण क्षेत्रों ने भी पर्यटक रियल एस्टेट विकास (Tourist Real Estate Development) के खिलाफ विरोध किया था जिसका मुख्य कारण पर्यावरण संबंधी चिंताएँ थीं। देखा जाए तो ओवरटूरिज्म या अतिपर्यटन अपेक्षाकृत एक नई प्रवृत्ति है, जो कई कारकों के कारण विकसित हुई है। आपको जानकर हैरानी होगी कि “साल 1950 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यात्रा करने वाले पर्यटको की संख्या केवल 25 मिलियन थी, लेकिन 2016 तक यह संख्या बढ़कर एक अरब से अधिक हो गई थी।” पर्यटन में इस भारी वृद्धि ने कई लोकप्रिय स्थलों पर भारी दबाव डाला है, जिससे कई जटिल समस्याएं पैदा हो गई हैं। कम लागत वाले वाहनों और अन्य किफायती यात्रा विकल्पों के उदय ने इस प्रवर्ति को बढ़ावा दिया है। पहले के समय में लम्बी यात्रा करना काफी महंगा सौदा हुआ करता था और कई लोगों की पहुंच से बाहर माना जाता था। लेकिन समय के साथ कम लागत वाली एयरलाइनों (Airlines) और बजट आवास के आगमन ने यात्रा को पहले से कहीं अधिक किफायती बना दिया है। इससे यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे लोकप्रिय स्थलों पर दबाव बढ़ गया है। ओवरटूरिज्म को प्रेरित करने में सोशल मीडिया (Social Media) ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। इंस्टाग्राम और टिकटॉक (Instagram And Tiktok) जैसे मंचों ने लोगों के लिए अपने यात्रा अनुभवों को दुनिया के साथ साझा करना आसान बना दिया है। इससे कुछ गंतव्यों की लोकप्रियता में भारी वृद्धि हुई है, जिसने और भी अधिक पर्यटकों को आकर्षित किया है। इन सभी के अलावा जीवनशैली में बदलाव ने भी अतिपर्यटन को प्रेरित करने में बड़ा योगदान दिया है। लोग अब कम घंटे काम कर रहे हैं और उनके पास पहले से कहीं अधिक खाली समय पड़ा है। जिस कारण शांति और आनंद के लिए यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। भारत भी ओवरटूरिज्म के प्रभावों से अछूता नहीं रहा हैं।
चलिए कुछ उदाहरणों से इसे समझते हैं:
१. आगरा: हाल के वर्षों में ताजमहल के घर, आगरा में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है। इसके कारण अत्यधिक भीड़भाड़, वनों की कटाई और ताजमहल को क्षति पहुंची है।
२. शिमला: होटलों और रिसॉर्ट्स (Hotels And Resorts) द्वारा अत्यधिक दोहन के कारण इस खूबसूरत हिल स्टेशन (Hill Station) में पानी की कमी हो गई है। हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर अनियोजित विकास भी हुआ है।
३. गोवा: इस लोकप्रिय समुद्र तट गंतव्य में भी पर्यटन में भारी वृद्धि देखी गई है, जिसके कारण कृषि के लिए भूमि का आकार कम हो गया है, इसके अलावा अकुशल अपशिष्ट प्रबंधन और नदी तटों और समुद्र तटों पर अनियोजित निर्माण की घटनाएँ भी बड़ी हैं।
४. श्रीनगर: भारत का यह हिस्सा अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह क्षेत्र भी पर्यटक हाउसबोट गतिविधियों (Tourist Houseboat Activities), झीलों और नदियों में कचरे के निपटान और स्थानीय संसाधनों की असमान खपत के कारण पर्यावरणीय क्षति जैसी विषमताओं से जूझ रहा है।
५.जैसलमेर: राजस्थान के इस ऐतिहासिक शहर में पर्यटकों की बढ़ती संख्या के कारण इसके ऐतिहासिक स्थलों और तीर्थ स्थानों को भारी नुकसान हुआ है। अकुशल अपशिष्ट प्रबंधन के कारण जैसलमेर किले की दीवारों में जहरीला पानी रिसने की समस्या भी पैदा हो गई है।
६. दार्जिलिंग: हाल के वर्षों में इस सुन्दर पहाड़ी शहर में बड़े पैमाने पर अनियोजित विस्तार देखा गया है। पहाड़ियों पर निर्माण के दिशा-निर्देशों का सही ढंग से पालन किए बिना पहाड़ियों पर सैकड़ों ऊंचे होटल बनाए जा रहे हैं।
७. वाराणसी: हमारे जौनपुर के निकट में बसा वाराणसी, जिसे बनारस या काशी के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया के सबसे पुराने (लगभग 1000 ईसा पूर्व) जीवित शहरों में से एक माना जाता है। लेकिन आज इस आध्यात्मिक शहर की वायु गुणवत्ता दुनिया में सबसे जहरीली पाई गई है। यहां की पवित्र गंगा नदी प्लास्टिक, फूलों और औद्योगिक कचरे के ढेर से प्रदूषित हो गई है। पर्यटन में हो रही वृद्धि, इस शहर के समग्र विकास के लिए हानिकारक साबित हो रही है। इस शहर में 84 घाट हैं, जिनके आसपास विशाल पुरानी इमारतें और मंदिर खड़े हैं। वाराणसी के रिवर फ्रंट और ओल्ड सिटी हेरिटेज जोन (Riverfront And Old City Heritage Zone) को संभावित विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को (Unesco) के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। इसके अलावा, भारत सरकार ने रिवर फ्रंट डेवलपमेंट (River Front Development) नामक एक प्रोजेक्ट भी शुरू किया है, जिसका उद्देश्य काशी के घाटों का नवीनीकरण और पुनर्निर्माण करना है। इस परियोजना में चार लेन की एलिवेटेड सड़क (Elevated Road) और तीन अतिरिक्त पुलों का निर्माण शामिल है। सरकार को उम्मीद है कि इस प्रोजेक्ट से शहर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, और स्थानीय निवासियों और पर्यटकों, दोनों के ही लिएं सुविधाएं बढ़ेंगी। बनारस को तीर्थयात्रियों और मोक्ष-चाहने वालों के लिए एक एक अंतिम गंतव्य या स्वर्ग माना गया है, लेकिन अब यह शहर भी एक वैश्विक पर्यटन स्थल बनने के लिए बदलाव के दौर से गुजर रहा है। यहां के स्थानीय लोग मानते हैं कि वाराणसी का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि “आज भले ही यह शहर आधुनिक और आकर्षक पर्यटक गतिविधियों का केंद्र बन चुका है, लेकिन इसका आध्यात्मिक पक्ष हमेशा इसकी प्रकृति से अविभाज्य रहेगा।” हालाँकि, आज पर्यटकों की अनियंत्रित संख्या इस स्थान की पारिस्थितिकी और बुनियादी ढांचे के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रही है। ओवरटूरिज्म को प्रबंधित करने के लिए कुछ अहम् और आसान कदम उठाये जा सकते हैं, जिनमें से कुछ की सूची निम्नवत दी गई है:
१. शहर कर (City Tax): यूरोप में बार्सिलोना और वेनिस (Barcelona And Venice) जैसे शहर, पर्यटन प्रबंधन पहल को वित्तपोषित करने और स्थानीय समुदायों पर पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए “शहरी कर” लागू कर रहे हैं।
२. क्रूज जहाजों और पर्यटन के अन्य रूपों पर प्रतिबंध: यूरोप में ही एम्स्टर्डम (Amsterdam) जैसे कुछ शहरों ने भीड़भाड़ और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के प्रयास में क्रूज जहाजों (Cruise Ships) पर प्रतिबंध लगा दिया है।
३. लोकप्रिय पर्यटक स्थलों पर बैठने और इकट्ठा होने पर प्रतिबंध: रोम जैसे कुछ शहरों ने स्थानीय निवासियों के लिए भीड़भाड़ और व्यवधान को कम करने के प्रयास में लोकप्रिय पर्यटक स्थलों पर बैठने और इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
३. ऑफ-रोडिंग (Off-Roading) और अन्य अस्थिर पर्यटन प्रथाओं के लिए जुर्माना: अफ्रीका में केन्या के मासाई मारा (Maasai Mara Of Kenya) जैसे वन्यजीव अभ्यारण्य, ऑफ-रोडिंग (कच्ची सड़क पर गाड़ी चालाना) और अन्य अस्थिर पर्यटन प्रथाओं पर जुर्माना लगा रहे हैं।
४.ऑस्ट्रिया, यूरोप में हॉलस्टेट्ट (Hallstatt In Austria) नामक एक शहर है जहां प्रतिदिन 10,000 से अधिक आगंतुक आते हैं। 2020 में, शहर ने बसों के प्रवेश को सीमित करने के लिए एक प्रणाली लागू की।
५. भूटान: भूटान ने अत्यधिक पर्यटन संबंधी चिंताओं के कारण पर्यटकों के लिए प्रतिदिन 200 अमेरिकी डॉलर से 250 अमेरिकी डॉलर का शुल्क निर्धारित किया है।
६.भारत: 2019 में, ताज महल में तीन घंटे से अधिक रुकने वाले आगंतुकों पर जुर्माना लगाना शुरू कर दिया गया। इन विशिष्ट उपायों के अलावा, अधिक टिकाऊ और जिम्मेदार पर्यटन प्रथाओं को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें यात्रियों को ऑफ-सीज़न (Off-Season) के दौरान यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करना, उनकी संख्या सीमित करना और स्थानीय संस्कृतियों और वातावरण का सम्मान करना शामिल है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2n8dz6me
https://tinyurl.com/b5y8u344
https://tinyurl.com/3vcy3khk
https://tinyurl.com/26mrk3km
https://tinyurl.com/mvpbfkjp

चित्र संदर्भ
1. बनारस घाट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. समुद्री तट पर लोगों की भीड़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई के ताजमहल की तरह है, यह हमारी मुंबई की सबसे लोकप्रिय जगह/स्पॉट में से एक है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. शिमला में पर्यटकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. ताज महल को देखने के लिए लगे लोगों के जमावड़े को दर्शाता एक चित्रण ( Rawpixel)
6. पहाड़ों में पर्यटन के कारण लगे ट्रैफिक जाम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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