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कैसे बढ़ाई जा सकती है जीवन प्रत्याशा?

जौनपुर

 29-10-2022 10:30 AM
डीएनए

मानव जीवन की अवधि (दीर्घायु) मुख्य तौर पर आनुवंशिकी, पर्यावरण और .जीवन शैली पर निर्भर करती है। 1900 के दशक में शुरू हुए पर्यावरणीय सुधारों ने भोजन, स्वच्छ पानी की उपलब्धता, बेहतर आवास एवं रहने की स्थिति, संक्रामक रोगों के जोखिम को कम करने और चिकित्सीय देखभाल तक पहुंच में महत्वपूर्ण सुधार करके औसत जीवन काल को नाटकीय रूप से बढ़ा दिया।
मानव जीवन की अवधि बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रगति थी, जिसने शिशु मृत्यु दर के जोखिम को कम करके, .जीवित रहने की संभावना में वृद्धि तथा संक्रमण और संचारी रोग से बचाव करके मृत्यु दर को काफी कम कर दिया। लंबे जीवन का राज़ जानने के लिए वैज्ञानिकों ने अलग-अलग उम्र के लोगों का अध्ययन किया जिनमें : नब्बे वर्ष के लोग यानी नॉनइजनरियंस (Nonagenarians), 100 वर्ष की आयु वाले लोग यानी सेंटेनरियंस (Centenarians) , 105-109 वर्ष की आयु वाले लोग जिन्हे अर्ध-सुपरसेंटेनरियंस (Semi-Supercentenarian) भी कहा जाता है तथा 110 वर्ष से अधिक समय तक जीवित रहे लोग यानी सुपरसेंटेनरियंस (Supercentenarian) शामिल थे। उन्होंने पाया है कि लंबे समय तक जीवित रहने वाले व्यक्तियों की शिक्षा, आय या पेशे में एक दूसरे के साथ बहुत कम समानता है। हालांकि, वे जो समानताएँ साझा करते हैं, वह उनकी जीवन शैली को दर्शाती हैं, जैसे धूम्रपान न करना, मोटापा नहीं होना, तनाव मुक्त रहना। । साथ ही इनमें ज्यादातर महिलाएं ही हैं। स्वस्थ आचरण के कारण, इन वृद्ध वयस्कों में उम्र से संबंधित बीमारियों, जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह से ग्रसित होने की संभावना कम होती है। लंबे समय तक जीवित रहने वाले व्यक्तियों के भाई-बहन और बच्चे (सामूहिक रूप से प्रथम श्रेणी के रिश्तेदार कहलाते हैं।) आम वृद्ध वयस्कों की तुलना में शताब्दी (सौ वर्ष जीने वाले) माता-पिता की संतानों में भी उम्र से संबंधित बीमारियां होने की संभावना कम होती है। लंबे जीवन काल परिवारों में चलते हैं, जो बताता है कि साझा आनुवंशिकी, जीवन शैली, या दोनों दीर्घायु निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दीर्घायु, जीन (Gene) अध्ययन का एक विकासशील विज्ञान है। वैज्ञानिक मानते हैं कि, मानव जीवन काल में लगभग 25 प्रतिशत भिन्नता, आनुवंशिकी द्वारा निर्धारित की जाती है। लंबे जीवन काल से जुड़े कुछ सामान्य बदलाव “बहुरूपता” कहलाते हैं, जो APOE, FOXO3 और CETP जीन वाले व्यक्ति में पाए जाते हैं, लेकिन वे सभी असाधारण दीर्घायु वाले व्यक्तियों में नहीं पाए जाते हैं। यह भी संभावना है कि कई जीनों में भिन्नताएं, लंबा जीवन प्रदान करने के लिए मिलकर कार्य करती हैं। अच्छा भोजन करना, बहुत अधिक शराब न पीना, तंबाकू से परहेज करना और शारीरिक रूप से सक्रिय रहना कुछ व्यक्तियों को स्वस्थ बुढ़ापा प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, तभी आनुवंशिकी भी लोगों को स्वस्थ रखने में उत्तरोत्तर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
लंबे जीवन में योगदान देने वाले कुछ जीन वेरिएंट (Gene Variants) शरीर की कोशिकाओं के बुनियादी रखरखाव और कार्य से जुड़े होते हैं। इन सेलुलर कार्यों में डीएनए (DNA) की मरम्मत, गुणसूत्रों के सिरों (Telomeres) का रखरखाव, तथा अस्थिर ऑक्सीजन युक्त अणुओं (मुक्त कण) के कारण होने वाली क्षति से कोशिकाओं की सुरक्षा शामिल है। इसके अलावा अन्य जीन जो रक्त वसा (Lipids) के स्तर, सूजन, हृदय और प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़े होते हैं, वह भी दीर्घायु होने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं क्योंकि वे हृदय रोग (वृद्ध लोगों में मृत्यु का मुख्य कारण), स्ट्रोक और इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) के जोखिम को काफी कम करते हैं। वैज्ञानिक दुनिया के अन्य हिस्सों में कुछ समुदायों का भी अध्ययन कर रहे हैं, जहां लोग अक्सर नब्बे वर्षों या उससे अधिक उम्र तक जीते हैं। इनमें ओकिनावा (जापान), इकरिया (ग्रीस), और सार्डिनिया (इटली) ये तीन क्षेत्र इस मायने में समान हैं कि वे, अपने देशों में व्यापक आबादी से अपेक्षाकृत अलग-थलग हैं। अर्थात वे लोग कम आय वाले हैं, कम औद्योगीकरण, और एक पारंपरिक (गैर-पश्चिमी) जीवन शैली का पालन करते हैं।
स्विट्ज़रलैंड में इकोले पॉलीटेक्निक फेडेरेल डी लॉज़ेन (Ecole Polytechnique Federale de Lausanne in Switzerland) के शोधकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर “चूहा मॉडल” के माध्यम से दीर्घायु से जुड़े विशिष्ट लिंग और आयु-निर्भर जीन की खोज की है। यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने कई वर्षों से अध्ययन किया है, कि महिला या पुरुष में से कौन सबसे अधिक समय तक जीवित रहता है। कुछ हालिया शोधों से पता चलता है कि दुनिया के अधिकांश हिस्सों में महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहती हैं। साथ ही जो महिलाएं शारीरिक रूप से सक्रिय होती हैं, वे अपने जीन की परवाह किए बिना अधिक समय तक जीवित रह सकती हैं।
महिलाओं की तुलना में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा कम होने के कुछ कारणों में शामिल हैं:
१.व्यावसायिक चोट और मृत्यु की उच्च दर।
२.डॉक्टर के पास जाने की कम संभावना।
३.हृदय रोग के लिए उच्च जोखिम।
४.आत्महत्या का जोखिम।
५.अत्यधिक मात्रा में शराब पीने की अधिक संभावना। यद्यपि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रह सकती हैं, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं कुछ बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील भी होती हैं, जो अंततः उनके जीवन काल और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं। इनमें स्ट्रोक, तनाव, अल्जाइमर रोग (Alzheimer's disease), तथा मल्टीपल स्केलेरोसिस और रुमेटीइड गठिया (Multiple Sclerosis and Rheumatoid Arthritis) जैसे स्व-प्रतिरक्षित रोग शामिल हैं।

संदर्भ
https://cutt.ly/iNgjROs
https://cutt.ly/aNgjUSu
https://cutt.ly/dNgjOF8

चित्र संदर्भ
1. गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल सबसे लंबी उम्र की महिला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. 112 साल के एडेलगार्ड ह्यूबर वॉन गेर्सडॉर्फ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक भारतीय सुपरसेंटेनरियंस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक बुजुर्ग किसान को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
5. एक चूहे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. एक अति बुजुर्ग भारतीय महिला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



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