क्या शहरों की वृद्धि से देश के आर्थिक विकास में भी वृद्धि होती है?

जौनपुर

 19-05-2022 09:49 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

क्या आपने कभी सोचा है की “हमारी सरकार, देश में गावों की संख्या बढ़ाने के बजाय, शहरीकरण(urbanization) पर अधिक जोर क्यों देती हैं?, और स्मार्ट सिटी परियोजना (smart city project) सरकार के लिए एक बेहद महत्वकांशी प्रोजेक्ट क्यों बन गया है? दरसल इसके पीछे का प्रमुख कारण, आम लोगों की, सुविधाओं तक त्वरित पहुंच स्थापित करना तो है ही, साथ ही शहरीकरण को बढ़ावा देने का प्रमुख कारण यह भी है की, यह आम लोगों सहित देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि में अहम् योगदान देता है! चलिए जानते हैं कैसे?
शहरों को आमतौर पर आर्थिक विकास के प्रमुख संचालकों के रूप में देखा जाता है। बड़े शहर सार्वजनिक परिवहन और सार्वजनिक शिक्षा जैसी, बुनियादी जरूरतों तक हमारी पहुंच को आसान बनाते हैं। यहां सरकारी सहायता और स्वास्थ्य देखभाल जैसी सामाजिक सेवाओं के अधिक कुशल विकल्प मौजूद होते हैं। इन सभी के साथ ही, शहर व्यापार के लिए बड़े बाजार का निर्माण भी करते हैं, और दुनिया भर से अंतरराष्ट्रीय निवेश और पर्यटन को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। शहर बैंकिंग, कानून और इंजीनियरिंग जैसी गैर-कृषि, उच्च-भुगतान वाली व्यावसायिक नौकरियों के केंद्र होते हैं। इन सभी विविधताओं और सुविधाओं तक, आसान पहुंच के आधार पर माना जाता है कि, शहर अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे होते हैं। दरअसल, किसी देश के शहरीकरण के स्तर और उसके सकल घरेलू उत्पाद (Gross domestic product (GDP) के आकार के बीच की कड़ी, बहुत अच्छी तरह से स्थापित है। आज शहरीकरण व्यापक रूप से अपनाई गई वैश्विक विकास रणनीति बन गया है। राष्ट्रीय सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसियों (international development agencies) द्वारा, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, युद्ध स्तर पर शहरीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा हैं।
चीन में शोधकर्ताओं द्वारा तीन दशकों (1980-2011) में फैले शहरीकरण, और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के स्तर पर वैश्विक आर्थिक आंकड़ों (global economic data) की जांच की गई। जिसके परिणामों में सामने आया की, शहरों में रहने वाली दुनिया की आबादी का अनुपात 1980 में सिर्फ 39% से बढ़कर 2011 में 52% हो गया है। जानकार यह भी मान रहे हैं की, पिछले तीन दशकों में, भारत सहित, कई अन्य देशों में शहरी आबादी तेजी से बढ़ रही है। हालांकि इसके विपरीत, श्रीलंका और उज्बेकिस्तान जैसे कई देशों में शहरीकरण की नकारात्मक दर देखी गई, जहां लोग ग्रामीण क्षेत्रों में जाने के लिए शहरों को छोड़ रहे हैं। इस आधार पर ये मामले इस परिकल्पना का समर्थन नहीं करते हैं कि, तेजी से शहरीकरण आर्थिक विकास को गति देता है। शहरीकरण और आर्थिक विकास के प्रभाव को समझने के लिए, शहरीकरण की प्रकृति को समझना आवश्यक है। ऐसे कई कारक हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि शहरीकरण, आर्थिक विकास में तब्दील हो जाता है!
विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, लगभग 4.2 अरब लोग, यानी दुनिया की 55 प्रतिशत आबादी, शहरों में रहती है। उनका मानना है की, वर्ष 2050 तक यह संख्या बढ़कर 70 प्रतिशत हो जाएगी। चूंकि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 80 प्रतिशत शहरों में ही उत्पन्न होता है। इसलिए अक्सर, शहरीकरण को आर्थिक विकास से भी जोड़ा जाता है। उच्च सकल घरेलू उत्पाद, प्रति व्यक्ति आय और शहरी जनसंख्या (कुल जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में) के बीच एक सकारात्मक सहसंबंध मौजूद होता है। उदाहरण के तौर पर स्विट्जरलैंड (73.92 फीसदी), नॉर्वे (82.97 फीसदी), अमेरिका (82.66 फीसदी), डेनमार्क (88.12 फीसदी), स्वीडन (87.98 फीसदी), ऑस्ट्रेलिया (86.24 फीसदी) जैसे देशों में शहरी आबादी का स्तर और काफी अधिक है। इसके विपरीत, बुरुंडी (13.1 फीसदी शहरी आबादी), दक्षिण सूडान (20.20 फीसदी), अफगानिस्तान (26.03 फीसदी), रवांडा (17.43 फीसदी), इथियोपिया (21.70 फीसदी), केन्या (28 फीसदी) और म्यांमार (31 फीसदी) जैसे, प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के निम्न स्तर वाले देशों में, शहरी जनसंख्या का स्तर भी निम्न है।
यदि हम भारत की जाँच करें तो, केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने 2019 में शुद्ध मूल्य वर्धित (NVA) के संदर्भ में, अनुमानित प्रति व्यक्ति आय, शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 98,435 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 40,925 रुपये होने का अनुमान लगाया था। इन आंकड़ों से पता चलता है की, शहरी इलाकों में यह आय दोगुने से भी ज्यादा है। इस आधार पर कोई भी यह मान सकता है कि शहरीकरण पूरी तरह से आर्थिक विकास के साथ सहसंबद्ध है। हालांकि शहरीकरण और आर्थिक विकास के बीच संबंध, जटिल भी हो सकते है। उदाहरण के लिए, सोमालिया प्रति व्यक्ति आय के मामले में दूसरे स्थान पर है, जबकि सोमालिया में शहरीकरण का स्तर भारत की तुलना में अधिक है।
यूरोप और उत्तरी अमेरिका में औद्योगीकरण (industrialization) का आगमन, 19वीं शताब्दी के अंत में अचानक शहरी आबादी में वृद्धि के साथ हुआ। दुर्भाग्य से, औद्योगीकरण हमेशा दुनिया के अन्य हिस्सों में शहरी आबादी में वृद्धि का अग्रदूत नहीं रहा है। शहरीकरण और आर्थिक विकास के संबंध को समझने के लिए, शहरीकरण की प्रकृति को समझना आवश्यक है।
ऐसे कई कारक हैं जो यह निर्धारित करते हैं कि, शहरीकरण आर्थिक विकास में बदल जाता है या नहीं। जैसे:
(1) अध्ययनों से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों से प्रवास के कारण, शहरीकरण, प्राकृतिक शहरीकरण (यानी, जन्म या मृत्यु के कारण) की तुलना में आर्थिक विकास की ओर जाता है।
(2) प्रशासनिक और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किए गए, गांवों और कस्बों को शहरों / शहरी क्षेत्रों में पुनर्वर्गीकरण करना आर्थिक विकास में जरूरी नहीं है। इस प्रकार, शहरी और शहरीकरण की परिभाषा महत्वपूर्ण हो जाती है।
(3) शहरीकरण श्रम के विभाजन और पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं की ओर जाता है, जो बदले में उत्पादकता को जन्म देता है। हालांकि, अगर राज्य स्वच्छता, किफायती आवास, पेयजल, सार्वजनिक स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसी आवश्यकताएं प्रदान करने में निवेश नहीं करता है, तो ये अर्थव्यवस्थाएं विसंगतियों में बदल सकती हैं। इस प्रकार, यदि राज्य शहरीकरण से जुड़े आर्थिक विकास के लाभों को प्राप्त करना चाहते हैं तो, उनको ऐसी विसंगतियों को दूर करने की दिशा में कार्य करना चाहिए। जब शहरीकरण एक सीमा तक पहुँच जाता है. जिसके बाद यह आर्थिक विकास को बाधित कर सकता है। शहरीकरण में आर्थिक विकास में तेजी लाने की क्षमता है, लेकिन यह क्षमता अनुकूल संस्थानों की स्थापना और उपयुक्त सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में निवेश पर निर्भर करती है। आर्थिक विकास में योगदान करने के लिए शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां होने के बावजूद, अधिकांश आसियान देश अभी तक शहरीकरण के उच्च स्तर तक नहीं पहुंचे हैं।
हालांकि, नीति निर्माताओं को शहरीकरण की प्रक्रिया को तेज करने के प्रयास के बजाय शहरीकरण के विकास को सुविधाजनक बनाने के तरीके खोजने चाहिए, जो आर्थिक विकास, रोजगार वृद्धि, पर्यावरणीय स्थिरता के लिए आवश्यक होते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3PoFYNz
https://bit.ly/3yItBpJ
https://bit.ly/3NhgBeP

चित्र संदर्भ
1  यूबी सिटी, बैंगलोर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. जौनपुर के शाही पुल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. राज्य द्वारा विभाजित भारत की प्रति व्यक्ति आय को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. 2011 की जनगणना के अनुसार भारतीय राज्यों के शहरी/कुल जनसंख्या अनुपात के नक़्शे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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