Post Viewership from Post Date to 09-Nov-2024
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1900 84 1984

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

बनारस के श्याम-श्वेत इतिहास से लेकर, आधुनिक रंगीन भारत को दर्शाते हैं पोस्टकार्ड

जौनपुर

 09-10-2024 09:06 AM
संचार एवं संचार यन्त्र
ऊपर दिए गए पिक्चर पोस्टकार्ड (Picture Postcard) में आप जौनपुर के निकट में बसे बनारस के घाटों के वृहंगम दृश्य को देख रहे हैं। एक अमेरिकी लेखक, मार्क ट्वेन (Mark Twain) ने बनारस के बारे में एक बार लिखा था: - "बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से भी पुराना है, किंवदंतियों से भी पुराना है, और इन सभी को मिलाकर भी यह दुगना पुराना लगता है।" बनारस पिछले 3,000 वर्षों से धार्मिक शिक्षा और सभ्यता का केंद्र रहा है। यह शहर, पवित्र गंगा नदी (Ganges River) के किनारे बसा हुआ है। ऊपर दिए गए पोस्टकार्ड में, 1900 के दशक में बनारस के प्रसिद्ध घाटों को दर्शाया गया है। इतने प्राचीन बनारस की इतनी पुरानी और दुर्लभ छवि को आज भी इस पोस्टकार्ड ने जीवंत रखा है। आज विश्व डाक दिवस (World Post Day) के अवसर पर, हम जानने की कोशिश करेंगे की दुनिया में पोस्टकार्डों की ज़रुरत क्यों आन पड़ी थी, इनका अविष्कार किसने किया और इन्होनें हमारे इतिहास की कौन सी समस्या को सुलझा दिया। अंत में हम अलग-अलग समयावधि में पोस्टकार्ड में आए बदलावों को देखेंगे।
पोस्टकार्ड की शुरुआत: डॉ. इमैनुएल हरमैन (Dr. Emanuel Hermann) ऑस्ट्रिया-हंगरी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे। उन्होंने “न्यू फ़्री प्रेस (New Free Press)” में एक लेख लिखा था। इस लेख में, उन्होंने बताया कि छोटे संदेशों की तुलना में पत्र लिखने में बहुत अधिक समय और प्रयास लगता है। उन्होंने सुझाव दिया कि अधिक कुशल संचार के लिए हमें अधिक व्यावहारिक और सस्ता तरीका खोजना चाहिए।
ऑस्ट्रियन पोस्ट (Austrian Post) को उनके विचार पसंद आए। 1 अक्टूबर, 1869 को उनके विचारों को अमल में लाया गया। इसके बाद, कॉरस्पोंडेन्ज़-कार्टे (Correspondenzkarte) का निर्माण हुआ। यह एक हल्के भूरे रंग का आयताकार कार्ड था, जिसका माप 8.5x12 सेमी था। इस कार्ड के सामने की तरफ़ पते के लिए और पीछे की तरफ़ एक छोटे संदेश के लिए छोटी किंतु पर्याप्त जगह दी गई थी। इस पोस्टकार्ड के ऊपरी दाएँ कोने में 2 क्रुज़र स्टैम्प (Kreuzer Stamp) छपा हुआ था। इस कार्ड को तैयार करके भेजने की लागत एक नियमित पत्र भेजने की लागत से आधी पड़ रही थी।
चित्र पोस्टकार्ड का जन्म कैसे हुआ?
1880 के दशक में, कई पोस्टकार्ड में संदेश की तरफ़ छोटे चित्र या डिज़ाइन भी दिए जाने लगे। इन्हें विगनेट्स (Vignettes) कहा जाता था। पहले के डिज़ाइनों में केवल काले रंग का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन जल्द ही ये भी रंगीन हो गए। जर्मनी (Germany), इन रंगीन पोस्टकार्ड को छापने के मामले में अग्रणी बन गया। कार्ड छापने की इस रंगीन प्रक्रिया को क्रोमोलिथोग्राफ़ी (Chromolithography) के रूप में जाना जाता है। इनमें से कई पोस्टकार्ड में शहरों के दृश्य दिखाए जाते थे। शहरी परिदृश्य के अलावा इनमें "ग्रस ऑस (Gruss Aus)" वाक्यांश यानी अभिवादन तथा लोगों को संदेश लिखने के लिए भी जगह बच जाती थी।
1880 के दशक के अंत में, पेरिस में एक्सपोज़िशन यूनिवर्सेल (Exposition Universelle) के लिए अइफ़िल टॉवर (Eiffel Tower) का निर्माण किया गया था। उस समय, अइफ़िल टॉवर दुनिया का सबसे ऊँचा टॉवर था। फ़्रांसीसी उत्कीर्णक चार्ल्स लिबोनिस (Charles Léon Beny) ने इस अवसर को यादगार बनाने के लिए विशेष पोस्टकार्ड बनाए। इन पोस्टकार्ड में अइफ़िल टॉवर की छवियाँ दर्ज थीं। आगंतुकों को ये अनोखे पोस्टकार्ड बहुत पसंद आए क्योंकि वे इन्हें टॉवर से मेल भी कर सकते थे। इस वजह से, इन्हें लिबोनिस पोस्टकार्ड (Léon Beny Postcard) के नाम से जाना जाने लगा।
1870 और 1880 के दशक में, विभिन्न देशों में भारतीय थीम और परिदृश्यों वाले चित्र पोस्टकार्ड बनाए जाने लगे थे। इन देशों में ऑस्ट्रिया (Austria), जर्मनी, लक्ज़मबर्ग (Luxembourg) और इंग्लैंड (England) शामिल थे। भारतीय दृश्यों को दिखाने वाले कुछ शुरुआती पोस्टकार्ड, ऑस्ट्रिया और जर्मनी से आए। ये पोस्टकार्ड, लिथोग्राफ़्ड श्रृंखला (Lithographed Series) का हिस्सा थे।
चलिए अब पिक्चर पोस्टकार्ड के इतिहास को बिंदुवार समझने का प्रयास करते हैं:
1915 से 1930 तक वाइट बॉर्डर युग (White Border Era) चला। इस दौरान, पोस्टकार्ड में चित्रों के चारों ओर सफ़ेद बॉर्डर होते थे। इस डिज़ाइन ने छवियों को छोटा करके प्रथम विश्व युद्ध (World War I) के दौरान, स्याही की लागत बचाने में मदद की। युद्ध के बाद, जर्मनी का पोस्टकार्ड उद्योग उबर नहीं पाया। उच्च टैरिफ़ (High Tariff) के कारण अन्य यूरोपीय प्रकाशक भी अमेरिकी बाज़ार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सके। परिणामस्वरूप, कई कारणों से अमेरिकी पोस्टकार्ड उत्पादन उद्योग कमज़ोर पड़ गया। युद्ध के बाद, उच्च लागत और अनुभवहीन श्रमिकों के कारण, निम्न-गुणवत्ता वाले पोस्टकार्ड बनने लगे। उस समय, अमेरिका में लोग पोस्टकार्ड में रुचि खो रहे थे। साथ ही, दृश्य आनंद लेने के तरीके के रूप में फ़िल्में अधिक लोकप्रिय हो गईं। सिकुड़ते बाज़ार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण, कई पोस्टकार्ड कंपनियाँ बंद हो गईं।
लिनन कार्ड युग (Linen Card Era) (1930-1945): 1930 से 1945 तक, नई तकनीक के कारण, प्रकाशकों के लिए लिनन पेपर (Linen Paper) पर भी पोस्टकार्ड बनाना संभव हो गया था। इस प्रकार के कागज़ में रैग (Rag) की मात्रा अधिक होती थी, जिससे पोस्टकार्ड को एक अनूठी बनावट मिलती थी। लिनन पोस्टकार्ड (Linen Postcard) बनाना सस्ता पड़ता था। इसमें छवियों को चित्रित करने के लिए, चमकीले रंगों का उपयोग किया जाता था। ये पोस्टकार्ड विज्ञापन, ख़ासकर सड़क किनारे के व्यवसायों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए। ये पोस्टकार्ड, अमेरिका की राजमार्ग प्रणाली (Highway System) के निर्माण में महत्वपूर्ण क्षणों को दर्शाते हैं। इस समय की अग्रणी कंपनियों में से एक, कर्ट टेइच (Curt Teich) थी। साल 1939 के आसपास, अधिकांश लिनन पोस्टकार्ड का उत्पादन समाप्त हो गया।
फ़ोटोक्रोम युग (Photochrome Era) (1939 से वर्तमान तक): फ़िल्म द विज़र्ड ऑफ़ औज़ (The Wizard of Oz)" के बाद रंगीन छवियों के प्रति अमेरिकियों का जूनून बढ़ने लगा। 1939 में, यूनियन ऑयल कंपनी (Union Oil Company) ने फ़ोटोक्रोम (Photochrome) या "क्रोम" नामक एक नए प्रकार का पोस्टकार्ड पेश किया। इस प्रक्रिया से उच्च गुणवत्ता वाले, रंगीन पोस्टकार्ड बनाना आसान हो गया था। तभी से फ़ोटोक्रोम पोस्टकार्ड (Photochrome Postcard) बहुत लोकप्रिय हो गए हैं और आज भी इनका उपयोग किया जाता है।
अविभाजित बैक पोस्टकार्ड क्या थे?
अविभाजित बैक (Undivided Back) पोस्टकार्डों ने पोस्टकार्ड डिज़ाइन में एक नया युग शुरू किया। इस समय, "पोस्ट कार्ड" शब्द ने "निजी मेलिंग कार्ड" की जगह ले ली। इन पोस्टकार्डों के पते वाले हिस्से पर कोई संदेश नहीं लिखा जा सकता था। इस प्रकार के कार्ड, पहली बार 1900 के दशक की शुरुआत में दिखाई दिए।
विभाजित बैक पोस्टकार्ड क्या थे?
1907 तक, नए डाक नियमों ने "विभाजित बैक" (Divided Back) पोस्टकार्डों के उपयोग की अनुमति दे दी। इस प्रारूप में, दायां भाग पते के लिए और बायां भाग संदेश के लिए निर्धारित था। यानी अब प्राप्तकर्ता, प्रेषक के संदेश में, चित्र और पाठ दोनों को एक साथ देख सकता था। "विभाजित बैक" प्रारूप का उपयोग आज भी किया जाता है, हालांकि मुद्रण प्रौद्योगिकी में, प्रगति के साथ, इनमें बदलाव जारी है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/ys3kqnys
https://tinyurl.com/2buug53l
https://tinyurl.com/26la8x25
https://tinyurl.com/2awugx9j
https://tinyurl.com/2d8y2dne

चित्र संदर्भ

1. 1900 में, बनारस के प्रसिद्ध घाटों को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण  (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. एक चित्र पोस्टकार्ड (Picture Postcard) को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. जौनपुर की अटाला मस्जिद को दर्शाते चित्र पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. एक पुस्तक के बीच में चित्र पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
5. इटली की लोपियो गर्दा झील वाले फ़ोटोक्रोम कार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. एक रंगीन लार्ज लेटर पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id